स्वरगोष्ठी – 226 में आज
रंग मल्हार के – 3 : राग गौड़ मल्हार
‘गरजत बरसत भीजत आई लो...’
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक
स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी है, हमारी लघु श्रृंखला ‘रंग मल्हार
के’। श्रृंखला के तीसरे अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब
संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। यह श्रृंखला, वर्षा ऋतु के रस
और गन्ध से पगे गीत-संगीत पर केन्द्रित है। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम
आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी
हुई रचनाओं पर चर्चा कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग के आधार पर रचे
गए फिल्मी गीत भी प्रस्तुत कर रहे हैं। भारतीय संगीत के अन्तर्गत मल्हार
अंग के सभी राग पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में समर्थ हैं।
आम तौर पर इन रागों का गायन-वादन वर्षा ऋतु में अधिक किया जाता है। इसके
साथ ही कुछ ऐसे सार्वकालिक राग भी हैं जो स्वतंत्र रूप से अथवा मल्हार अंग
के मेल से भी वर्षा ऋतु के अनुकूल परिवेश रचने में सक्षम होते हैं।
श्रृंखला की इस तीसरी कड़ी में आज हम आपसे राग गौड़ मल्हार के बारे में चर्चा
करेंगे। आज के अंक में सुविख्यात गायिका विदुषी मालिनी राजुरकर के स्वर
में हम इस राग की एक मोहक बन्दिश प्रस्तुत करेंगे, जिसके बोल हैं- ‘गरजत
बरसत भीजत आई लो…’। इसके साथ ही फिल्म संगीतकार रोशन का स्वरबद्ध किया इस
राग पर आधारित दो गीत भी सुनवाएँगे।
मल्हार अंग के रागों की श्रृंखला में
पिछले दो अंकों में आपने मेघ मल्हार और मियाँ मल्हार रागों की स्वर-वर्षा
का आनन्द प्राप्त किया। इस श्रृंखला में आज हम आपके लिए लेकर आए है, राग
गौड़ मल्हार। पावस ऋतु का यह एक ऐसा राग है जिसके गायन-वादन से सावन मास की
प्रकृति का सजीव चित्रण तो किया ही जा सकता है, साथ ही ऐसे परिवेश में
उपजने वाली मानवीय संवेदनाओं की सार्थक अभिव्यक्ति भी इस राग के माध्यम से
की जा सकती है। आकाश पर कभी मेघ छा जाते हैं तो कभी आकाश मेघरहित हो जाता
है। इस राग के स्वर-समूह उल्लास, प्रसन्नता, शान्ति और मिलन की लालसा का
भाव जागृत करते हैं। मिलन की आतुरता को उत्प्रेरित करने में यह राग समर्थ
होता है। राग गौड़ मल्हार में गौड़ और मल्हार अंग का अत्यन्त आकर्षक मेल होता
है। वक्र सम्पूर्ण जाति के इस राग में दोनों निषाद स्वरों का प्रयोग किया
जाता है। अन्य सभी स्वर शुद्ध होते हैं। इस राग में गान्धार स्वर का
अत्यन्त विशिष्ट प्रयोग किया जाता है। राग गौड़ मल्हार को कुछ गायक-वादक
खमाज थाट के अन्तर्गत, तो अधिकतर इसे काफी थाट के अन्तर्गत प्रयोग करते
हैं। सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ पण्डित रामाश्रय झा इस राग को विलावल थाट के
अन्तर्गत प्रयोग करते थे।
राग
गौड़ मल्हार की कुछ विशेषताओं की चर्चा करते हुए संगीत-शिक्षक और संगीत
विषयक कई पुस्तकों के लेखक पण्डित मिलन देवनाथ जी ने बताया कि इस राग के
आरोह में शुद्ध गान्धार के साथ शुद्ध निषाद और अवरोह में कोमल निषाद का
प्रयोग किया जाता है। जो गायक-वादक कोमल गान्धार का प्रयोग करते हैं वे इस
राग को काफी थाट के अन्तर्गत प्रयोग करते हैं। श्री देवनाथ ने बताया कि इस
राग में मध्यम पर न्यास करना और ऋषभ-पंचम की संगति आवश्यक होती है। यह
प्रयोग मल्हार अंग का परिचायक होता है। उन्होने बताया कि गौड़ मल्हार में
पण्डित विद्याधर व्यास और विदुषी किशोरी अमोनकर ने नि(कोमल),ध,नि,सा (मियाँ
मल्हार) का जैसा मोहक परम्परागत प्रयोग किया है, वह सुनने योग्य है। आइए
अब हम आपको राग गौड़ मल्हार की एक बन्दिश सुप्रसिद्ध गायिका मालिनी राजुरकर
के स्वरों में सुनवाते हैं। उन्होने द्रुत तीनताल में इसे एक अलग ही रस-रंग
में प्रस्तुत किया है।
राग गौड़ मल्हार : ‘गरजत बरसत भीजत आई लो...’ : विदुषी मालिनी राजुरकर
फिल्मों
में राग गौड़ मल्हार का प्रयोग बहुत कम किया गया है। रोशन और बसन्त देसाई,
दो ऐसे फिल्म संगीतकार हुए हैं, जिन्होने इस राग का बेहतर इस्तेमाल अपनी
फिल्मों में किया है। पार्श्वगायक मुकेश ने 1951 में फिल्म ‘मल्हार’ का
निर्माण किया था। इस फिल्म के संगीतकार रोशन थे। फिल्म के शीर्षक संगीत के
रूप में रोशन ने राग गौड़ मल्हार की उसी बन्दिश का चुनाव किया, जिसे अभी
आपने विदुषी मालिनी राजुरकर के स्वर में सुना है। लता मंगेशकर ने फिल्म में
शामिल इस बन्दिश को स्वर दिया था। अच्छे संगीत के बावजूद फिल्म ‘मल्हार’
व्यावसायिक रूप से असफल रही और गीत भी अनसुने रह गए। लगभग एक दशक बाद रोशन
ने इसी धुन का 1960 में प्रदर्शित फिल्म ‘बरसात की रात’ में थोड़े शाब्दिक
फेर-बदल के साथ दोबारा प्रयोग किया। फिल्म के गीतकार साहिर लुधियानवी ने
स्थायी और अन्तरे के शब्दों में बदलाव किये थे। जबकि फिल्म ‘मल्हार’ में
गीत के शब्द पारम्परिक बन्दिश के अनुकूल थे। फिल्म ‘मल्हार’ और ‘बरसात की
रात’ में शामिल राग गौड़ मल्हार के स्वरों में पिरोये दोनों गीतों का प्रयोग
फिल्मों के शीर्षक संगीत के रूप में किया गया था। लगभग एक दशक बाद फिल्म
‘बरसात की रात’ और उसका संगीत, दोनों व्यावसायिक दृष्ठि से बेहद सफल सिद्ध
हुआ। आपको हम दोनों फिल्मों के गीत सुनवाते है। पहले आप लता मंगेशकर की
आवाज़ में फिल्म ‘मल्हार’ का और फिर सुमन कल्याणपुर और कमल बरोट के युगल
स्वरों में फिल्म ‘बरसात की रात’ का गीत सुनिए, जिसमें रोशन ने राग गौड़
मल्हार के स्वरों का प्रयोग कर गीत को सदाबहार बना दिया। आप इन गीतों को
सुनिए और मुझे आज के अंक को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए।
राग गौड़ मल्हार : ‘गरजत बरसत भीजत आई लो...’ : लता मंगेशकर : फिल्म - मल्हार
राग गौड़ मल्हार : ‘गरजत बरसत सावन...’ : सुमन कल्याणपुर व कमल बरोट : फिल्म -बरसात की रात
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 226वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको सुप्रसिद्ध गायक की आवाज़ में
प्रस्तुत खयाल का एक अंश सुनवा रहे हैं। इस गीत के अंश को सुन कर आपको
निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
‘स्वरगोष्ठी’ के 230वें अंक के सम्पन्न होने तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक
अंक होंगे, उन्हें इस वर्ष की तीसरी श्रृंखला (सेगमेंट) का विजेता घोषित
किया जाएगा।
1 – गीत का यह अंश सुन कर बताइए कि इस अंश में किस राग की झलक है?
2 – गीत के अंश में प्रयोग किये गए ताल को ध्यान से सुनिए और हमें ताल का नाम बताइए।
3 – इस गीत के गायक को पहचानिए और हमे उनका नाम बताइए।
आप उपरोक्त तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर इस प्रकार भेजें कि हमें शनिवार, 11 जुलाई, 2015 की मध्यरात्रि से
पूर्व तक अवश्य प्राप्त हो जाए। comments में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते
है, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर भेजने की अन्तिम तिथि के बाद किया
जाएगा। इस पहेली के विजेताओं के नाम हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 228वें अंक में
प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रकाशित और प्रसारित गीत-संगीत, राग, अथवा
कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच
बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ
के नीचे दिये गए comments के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
क्रमांक 224 की संगीत पहेली में हमने आपको उस्ताद राशिद खाँ की आवाज़ में
प्रस्तुत राग मियाँ की मल्हार की एक बन्दिश का अंश सुनवा कर आपसे तीन
प्रश्न पूछा गया था। आपको इनमें से किसी दो प्रश्न का उत्तर देना था। पहले
प्रश्न का सही उत्तर है- राग मियाँ की मल्हार, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर
है- ताल तीनताल और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है- गायक उस्ताद राशिद खाँ।
इस बार पहेली में हमारी नियमित प्रतिभागियों में से वोरहीज़, न्यूजर्सी से
डॉ. किरीट छाया ने एक प्रश्न का सही उत्तर दिया है। उन्हें एक अंक दिया जा
रहा है। अन्य प्रतिभागियों में पेंसिलवेनिया, अमेरिका से विजया राजकोटिया,
जबलपुर से क्षिति तिवारी और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी ने तीनों प्रश्नों
के सही उत्तर दिये हैं। चारो प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की
ओर से हार्दिक बधाई।
अपनी बात
मित्रो,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर लघु
श्रृंखला ‘रंग मल्हार के’ जारी है। आज के अंक में आपने राग गौड़ मल्हार का
रसास्वादन किया। श्रृंखला के आगामी अंकों में हम आपको मल्हार अंग के अन्य
रागों को सुनवाएँगे। इस श्रृंखला के लिए यदि आप किसी राग, गीत अथवा कलाकार
को सुनना चाहते हों तो अपना आलेख या गीत हमें शीघ्र भेज दें। हम आपकी
फरमाइश पूर्ण करने का हर सम्भव प्रयास करते हैं। आपको हमारी पिछली श्रृंखला
कैसी लगी? हमें ई-मेल swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले रविवार को एक नए अंक के साथ प्रातः 9 बजे
‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच पर आप सभी संगीतानुरागियों का हम स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
Comments