बातों बातों में - 10
फ़िल्म अभिनेता किरण जनजानी से सुजॉय चटर्जी की बातचीत
नमस्कार दोस्तो। हम रोज़ फ़िल्म के परदे पर नायक-नायिकाओं को देखते हैं, रेडियो-टेलीविज़न पर गीतकारों के लिखे गीत गायक-गायिकाओं की आवाज़ों में सुनते हैं, संगीतकारों की रचनाओं का आनन्द उठाते हैं। इनमें से कुछ कलाकारों के हम फ़ैन बन जाते हैं और मन में इच्छा जागृत होती है कि काश, इन चहेते कलाकारों को थोड़ा क़रीब से जान पाते, काश; इनके कलात्मक जीवन के बारे में कुछ जानकारी हो जाती, काश, इनके फ़िल्मी सफ़र की दास्ताँ के हम भी हमसफ़र हो जाते। ऐसी ही इच्छाओं को पूरा करने के लिए 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' ने फ़िल्मी कलाकारों से साक्षात्कार करने का बीड़ा उठाया है। । फ़िल्म जगत के अभिनेताओं, गीतकारों, संगीतकारों और गायकों के साक्षात्कारों पर आधारित यह श्रॄंखला है 'बातों बातों में', जो प्रस्तुत होता है हर महीने के चौथे शनिवार को। आज जुलाई 2015 के चौथे शनिवार के दिन प्रस्तुत है फ़िल्म जगत के जानेमाने अभिनेता किरण जनजानी (करणोदय जनजानी) से की गई हमारी बातचीत के सम्पादित अंश।
नमस्कार किरण जी,.... मैं किरण इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि इसी नाम से आप फ़िल्मों में जाने जाते रहे हैं।
नमस्कार! जी बिल्कुल।
बहुत बहुत स्वागत है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के ’बातों बातों में’ के मंच पर, और बहुत शुक्रिया आपका जो आपने इतनी व्यस्तता के बावजूद हमें समय दिया, और हमारे पाठकों से रु-ब-रु होने का सौभाग्य हमें दिया। बहुत शुक्रिया।
शुक्रिया आपका भी मुझे आमन्त्रित करने के लिए।
सबसे पहले तो हम आपके नाम से ही शुरू करना चाहेंगे। आप फ़िल्मों में अब तक किरण जनजानी (Kiran Janjani) के नाम से जाने जाते रहे हैं, पर आजकल आप ने अपना नाम बदल कर करणोदय जनजानी (Karanuday Jenjani) कर दिया है। इसके पीछे क्या राज़ है?
कोई राज़ की बात नहीं है, करणोदय (करण-उदय) मेरा जन्मपत्री नाम है और किरण नाम मेरे बाल्यकाल से चला आ रहा है। संजय जुमानी जी मुझसे बहुत बार कह चुके हैं कि मुझे करणोदय नाम को ही अपनाना चाहिए, पर मैंने कभे इस तरफ़ ध्यान नहीं दिया। लेकिन अब मेरी बेटी के जन्म के बाद जब उन्होंने फिर से यह कहा कि अब मुझे अपना नाम बदल लेना चाहिए, तो मैंने आख़िरकार बदल ही लिया। पर लोग अब भी मुझे किरण नाम से ही बुलाते हैं।
तो क्या आपकी आनेवाली फ़िल्मों में आपक नाम करणोदय दिखाई देगा?
जी बिल्कुल, मैंने अब औपचारिक तौर पर अपना नाम बदल दिया है। अंग्रेज़ी में पारिवारिक नाम की स्पेलिंग् भी बदल गई है, यानी कि Janjani से अब Jenjani हो गया है।
आप विश्वास करते हैं न्युमेरोलोजी पर?
जैसा कि मैंने कहा कि अपनी बेटी की ख़ातिर मैंने अपने नाम में बदलाव किया है। और वैसे भी यह मेरा जन्मपत्री नाम ही है, तो एक तरह से कोई बदलाव तो है ही नहीं।
किरण की, अब चलते हैं पीछे की तरफ़, बताइए कि कैसा था आपका बचपन? बचपन के वो दिन कैसे थे? किस तरह की यादें हैं आपकी?
जब मैं छोटा था तब बहुत ही शर्मीला स्वभाव का था। अपने परिवार का दुलारा था, protected by family types। कोई चिन्ता नहीं, कोई तनाव नहीं, वो बड़े बेफ़िकरी के दिन थे। क्योंकि मैं पढ़ाई में काफ़ी अच्छा था, मैं अपने बिल्डिंग् के दोस्तों के ग्रूप का लीडर हुआ करता था, पर खेलकूद में बिल्कुल भी अच्छा नहीं था। उन दिनों कम्प्यूटर नहीं था और केबल टीवी की बस शुरुआत हुई ही थी। इसलिए विडियो टेप (VCP/VCR) ही देश-विदेश के फ़िल्म जगत से जुड़ने का एकमात्र ज़रिया था। पर उन दिनों ज़्यादा वक़्त दोस्तों के साथ घूमने-फिरने, मौज मस्ती करने में ही निकलता था। और यही बचपन की सबसे ख़ूबसूरत बात थी।
आपने इस बात का ज़िक्र किया कि आप पढ़ाई-लिखाई में अच्छे थे, यहाँ पर मैं अपने पाठकों को यह बता दूँ कि किरण जी ने देश-विदेश में काफ़ी पढ़ाई की है, जैसे कि कोलम्बिया के Colegio Cosmopolitano de Colombia, फिर अमरीका के New York Film Academy और Universal Studios से फ़िल्म स्टडीज़ की, और फिर मुंबई के Narsee Monjee Institute of Management and Higher Studies से भी कोर्स किया। ऐसे बहुत कम फ़िल्म अभिनेता होंगे हमारे देश में जिन्होंने इतनी पढ़ाई की होगी। ख़ैर, किरण जी, यह बताइए कि जैसे जैसे आप बड़े होने लगे तो जीवन के किस मोड़ पे आकर आपको यह लगा कि आपको अभिनय में जाना है?
जब मैं दसवीं कक्षा में था, तब फ़ैशन के बारे में मुझे मालूमात हुई और एक झुकाव सा हुआ। यह वह समय था जब मैं स्कूल ख़तम करने ही वाला था और कॉलेज में दाख़िल होने वाला था। मैं बहुत उत्तेजित हो जाता था जब मेरे दोस्त, पड़ोसी और मेरे कज़िन्स मुझे देख कर यह कहते कि मैं बहुत अच्छा दिखता हूँ, इसलिए मुझे मॉडेलिंग् और ऐक्टिंग् में जाना चाहिए। उन दिनों त्योहारों, जैसे कि गणपति में, मेलों में और कॉलेज फ़ंकशन्स में डान्स करना एक क्रेज़ हुआ करता था। इन सब का प्रभाव मुझ पर भी पड़ा और मैंने भी डान्स सीखना शुरू कर दिया, और मॉडलिंग् की बारीकियाँ भी सीखने लगा।
परिवार जनों की क्या प्रतिक्रिया रही? कहीं उन्हें यह तो नहीं लगा कि आप ग़लत राह पर चल रहे हैं?
बिल्कुल नहीं! मेरे पिताजी मुझे डान्स शोज़ में परफ़ॉर्म करते देख बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो जाते थे, और यहाँ तक कि ज़ोर ज़ोर से सीटियाँ भी बजाते थे जब भी मैं स्टेज पर परफ़ॉर्म कर रहा होता।
क्या बात है! और आपकी माँ?
मेरी माँ और बहन तो हमारे इलाके में मेरी वजह से मशहूर थीं। और मुझे यह अनुभव बहुत ही अच्छा लगता था कि मैं इतना पॉपुलर हूँ।
मॉडलिंग् में जाते हुए आपको क्या किसी कठिनाई या संघर्ष का सामना करना पड़ा?
बस एक ही तक़लीफ़ थी, और वह यह कि मेरे दाँत उभरे हुए थे, जिसे हम अंग्रेज़ी में buck teeth कहते हैं। इसे ठीक करने के लिए मैं पैसे बचाए और ब्रेसेस लगा कर इस परेशानी को ख़त्म किया। और इसका एक फ़ायदा यह भी हुआ कि मेरे अन्दर आत्मविश्वास और गहरा हो गया, और मैं एक मॉडल और डान्सर बनने के लिए बिल्कुल तैयार हो गया।
और उसके बाद अभिनय भी?
जी हाँ, बिल्कुल!
आपने फ़िल्म इंडस्ट्री में क़दम रखा साल 2003 की फ़िल्म ’Oops!' से। किस तरह से मौक़ा मिला इस फ़िल्म में हीरो बनने का? क्या बॉलीवूड में आपका कोई कनेक्शन था पहले से ही?
कोई कनेक्शन नहीं था, दरसल बात यह हुई कि मैं जिस जिम में जाया करता था, उसी जिम में दीपक तिजोरी भी जाया करते थे। वहाँ उन्होंने मुझे देखा, और मेरा जो स्वभाव था, जिस तरह से मैं वहाँ के स्टाफ़, ट्रेनर और दूसरे दोस्तों से बातचीत करता था, जिस खिलन्दड़पन और रंगीन मिज़ाज से सबसे मिलता था, उससे वो काफ़ी प्रभावित हुए। पूरी मस्ती चालू रहती थी, जोक्स मारता रहता था, एक ऐटिट्यूड भी था, कुल मिला कर दीपक तिजोरी ने मुझमें जहान देखा।
जहान?
जी हाँ, जहान, यानी कि 'Oops!' फ़िल्म के नायक के चरित्र का नाम। जहान में ये ही सारी ख़ूबियाँ थीं। उन्होंने जब मुझे इसके लिए ऐप्रोच किया तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा।
पहली बार फ़िल्मी कैमरा फ़ेस करने से पहले किस तरह की तैयारियाँ आपने की थी?
ऑफ़कोर्स दीपक ने मुझे पूरे दो महीने की फ़िल्म के स्क्रिप्ट की ट्रेनिंग् दिलवाई। उस समय मेरे अन्दर एक आग थी अभिनेता बनने की, इसलिए कोई भी मुश्किल मुश्किल नहीं लगा।
फ़िल्म 'Oops!' की कहानी बहुत ही ज़्यादा बोल्ड थी। अपनी पहली ही फ़िल्म में इस तरह का रोल करना आपको आत्मघाती नहीं लगा? किसी तरह की हिचकिचाहट महसूस नहीं हुई?
जैसा कि मैंने अभी कहा कि मेरे अन्दर उस समय एक अभिनेता एक हीरो बनने की आग जल रही थी और मैं हर हाल में वह मंज़िल पाना चाहता था, इसलिए यह सोचने का सवाल ही नहीं था कि फ़िल्म बोल्ड सब्जेक्ट पर है या मेरे लिए suicidal है। डरने या पीछे हटने का सवाल ही नहीं था। मौक़े बार बार नहीं मिलते। इसलिए मैंने 'Oops!' में जहान का किरदार निभाने के लिए दीपक तिजोरी को हाँ कह दिया।
फ़िल्म ’Oops!' कई कारणों से विवादों में घिर गई थी। पहला कारण इसका बोल्ड सब्जेक्ट कि जिसमें जहान अपनी दोस्त आकश की माँ के साथ प्रेम संबंध बना लेता है, और दूसरा कारण इसमें दिखाए गए अन्तरंग दृश्य जो उस समय के हिसाब से बहुत ज़्यादा बोल्ड थे। क्या वाक़ई आपको डर नहीं लगा था फ़िल्म को करते हुए?
नरवसनेस तो होती है यह मैं मानता हूँ, मुश्किल दृश्यों को करते हुए अभिनेता नरवस फ़ील करता है। सीनियर ऐक्टर्स के साथ काम करना, देर रात तक काम करना, अन्तरंग दृश्य निभाना, ये सब हमें परेशान करते हैं, पर मैं इन सब चीज़ों को अपने काम का हिस्सा मानता हूँ जिनसे बचने का कोई तरीका नहीं है। इसलिए इन्हें स्वीकार कर लेने में ही भलाई है।
वरिष्ठ अभिनेत्री मीता वशिष्ठ के साथ आपके अन्तरंग दृश्यों को लेकर काफ़ी चर्चाएँ और विवाद खड़े हुए थे। क्या कहना चाहेंगे उस बारे में?
मुझे हमेशा अपने डिरेक्टर पर भरोसा रहा है और यह विश्वास रहा है कि वो ऐसा कुछ नहीं दिखाएँगे जो सस्ता या चल्ताऊ लगे, भद्दा लगे, अश्लील लगे। मीता जी एक वरिष्ठ अभिनेत्री हैं, अगर उन्हे वह सीन करते हुए बुरा नहीं लगा तो मैं नहीं समझता कि इसके बाद मुझे कुछ और कहने की आवश्यक्ता है।
’Oops!' के गाने भी काफ़ी अच्छे थे और लोकप्रिय भी हुए। आपको कौन सा गाना सबसे ज़्यादा पसन्द है इस फ़िल्म का?
सच पूछिए तो इस फ़िल्म के सभी गाने मेरे फ़ेवरीट हैं। सोनू निगम का गाया "जाने यह क्या हो रहा है, यह दिल कहाँ खो रहा है...", हरिहरण का गाया "ऐ दिल तू ही बता...", शान का गाया "याहें...", ये सभी गीत मुझे बहुत पसन्द है, और ये सब बड़े बड़े गायक हैं। मैं आज भी इन गीतों को सुनता रहता हूँ।
हमारी फ़िल्म इंडसट्री में यह रवायत है कि कोई भी कलाकार बहुत जल्दी टाइप कास्ट हो जाता है, और शायद यह आपके साथ भी हुआ। ’Oops!' के बाद आपने कई ऐसी फ़िल्मों में अभिनय किया जिनमें कहानी कम और मसाला ज़्यादा थी, जैसे कि ’Stop', ’सौ झूठ एक सच’, ’जलवा - फ़न इन लव’, ’सितम’ आदि। क्या इनके बाद भी आपको यह नहीं लगा कि ’Oops!' से आग़ाज़ करना उचित नहीं रहा?
’Stop' फ़िल्म में मैंने एक flirt casanova का किरदार निभाया था, ’सितम’ में मैं एक बिज़नेसमैन था, और अन्य फ़िल्मों में भी मैंने अलग अलग किरदार निभाए, पर इन सब में एक बात जो कॉमन थी, वह यह कि मेरा किरदार एक flirt था, हा हा हा। पर यह भी तो देखिए कि ’Oops!' में एक male stripper का रोल निभाने वाला ’My Friend Ganesha' में एक अच्छे पति का रोल भी निभाया है जो एक बच्चों की फ़िल्म थी। और आज भी मुझे इस बात की ख़ुशी है कि मैंने ’Oops!' में एक male stripper के किरदार से अपनी पारी की शुरुआत की। मुझे गर्व है कि मैंने यह फ़िल्म किया। मैं एक अभिनेता हूँ, इसलिए कठिनाइयाँ और ख़तरे तो उठाने ही पड़ेंगे।
क्योंकि आपने ज़िक्र छेड़ ही दिया है तो मैं अब सीधे 2007 की फ़िल्म ’My Friend Ganesha' पे आ जाता हूँ। इस फ़िल्म में आपको अभिनय का मौका कैसे मिला, जबकि आप दूसरी तरह की फ़िल्में (वयस्क फ़िल्में) कर रहे थे?
मैं बचपन से ही भगवान गणपति का बहुत बड़ा भक्त रहा हूँ। गणपति उत्सव के दौरान मैं गलियों में ख़ूब नाचा करता था। मैं यही कहूँगा कि गणपति के आशिर्वाद से ही मुझे ’My Friend Ganesha' में काम करने का अवसर मिला। यह मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि फ़िल्म के निर्मता महोदय शुरुआत में नहीं चाहते थे कि मैं इस फ़िल्म में काम करूँ। फिर उसके बाद जब वो तैयार हुए तो मैंने एक बार नहीं बल्कि दो दो बार रीजेक्ट कर दिया, पार अख़िरकार मैं मान गया।
कैसा था इस फ़िल्म में अभिनय करने का अनुभव?
जब मैं इस फ़िल्म की शूटिंग् कर रहा था तब मुझे वाक़ई ऐसा लग रह था कि गणेश जी मेरे आसपास हैं। इस फ़िल्म के सभी दृश्यों और भक्ति गीतों पर अभिनय करते हुए एक अजीब सी शान्ति अनुभव करता था, और फ़िल्म के निर्देशक और पूरी यूनिट को भी बहुत अच्छा लगा।
यानी कि एक आध्यात्मिक लोक में पहुँच गए थे इस फ़िल्म को करते हुए?
बिल्कुल! एक कनेक्शन बन गया था जैसे!
बहुत ख़ूब! अच्छा, अब आपके द्वारा निभाए कुछ अन्य चरित्रों की बात करते हैं। फ़िल्म ’Life Express' में आपने निखिल शर्मा का किरदार निभाया था। इसके बारे में कुछ बताइए?
’Life Express' का निखिल शर्मा एक बहुत ही व्यस्त पति है जिसे अपने परिवार के लिए बिल्कुल समय नहीं है। पर हक़ीक़त की ज़िन्दगी में ऐसा बिल्कुल नहीं है। मेरे लिए परिवार ही सर्वोपरि है। इस वजह से इस किरदार को अन्दर से महसूस करना थोड़ा मुश्किल हो गया था शुरू शुरू में। निखिल शर्मा बहुत ही शुष्क और शान्त स्वभाव का है जबकि मैं बहुत ही लाउड हूँ जो सबके साथ कनेक्टेड रहता हूँ। ’Life Express' की कहानी surrogate motherhood की कहानी है जिसमें ऋतुपर्णा सेनगुप्ता और दिव्या दत्ता ने मेरे साथ काम किया था और इस फ़िल्म को काफ़ी सराहा गया था।
जी हाँ, और इस फ़िल्म के गीत भी काफ़ी अच्छे थे।
रूप कुमार राठौड़ ने बहुत अच्छा म्युज़िक दिया था। "फीकी फीकी सी लगे ज़िन्दगी तेरे प्यार का नमक जो ना हो...", "थोड़ी सी कमी रह जाती है..." और ख़ास तौर पर जगजीत सिंह के गाए भक्ति गीत "फूल खिला दे शाख़ों पर..." गीत के तो क्या कहने!
यह दरसल MTV Films और Tresemme द्वारा निर्मित एक लघु फ़िल्म थी 40 मिनट अवधि की जिसे MTV और Youtube पर रिलीज़ किया गया था। यह कहानी थी एक लड़की के दृढ़ संकल्प की, जोश की, और जीतने की चाह की; उस लड़की की जो हर मुसीबतों का सामना करती है अपने सपने को जीने के लिए। Youtube पर आप इस फ़िल्म को देख सकते हैं।
ज़रूर! किरण जी, आपने इतने सारे किरदार निभाए हैं, क्या किसी किरदार में किरण नज़र आता है आपको? कौन है आपके सबसे ज़्यादा दिल के क़रीब - 'Oops!' का जहान, 'Stop' का रोहित, ’सौ झूठ एक सच’ का विक्रम प्रधान, ’जलवा’ का यश सिंघानिया या फिर ’Life Express' का निखिल शर्मा?
मैं अपने द्वारा निभाए गए किसी भी फ़िल्मी चरित्र जैसा नहीं हूँ। मुझे लगता है कि एक अभिनेता होने के नाते मुझे हर किरदार और रोल में ढल जाना चाहिए, और मेरे हिसाब से एक अच्छे कलाकार की यही निशानी होनी चाहिए। मैं हमेशा सिम्पल फील करता हूँ।
आपने शुरू में बताया था कि कॉलेज के दिनों से ही आप नृत्य करते थे। तो अब यह बताइए कि ’नच बलिये 3’ में आप कैसे गए और कैसा अनुभव था उस रीयल्टी शो में भाग लेने का?
दरसल ’नच बलिये 3’ मुझे नहीं बल्कि मेरी पत्नी ऋतु को मिला था। क्योंकि हमारी तस्वीरें इन्तरनेट पर मौजूद थी celebrity couple के रूप में, Hong Kong से Star TV चैनल ने उन्हें देखा और ऋतु और मुझे फ़ाइनल किया। और जैसा कि मैं पहले बता चुका हूँ कि मैं एक अच्छा डान्सर था ही, इसलिए ज़्यादा परेशानी नहीं हुई। मैं शियामक दावर और अलिशा चिनॉय जैसे पॉप स्टार्स के साथ डान्स कर चुका था, पर एक जोड़ी बन कर डान्स करना और वह भी इतने बड़े प्लैटफ़ॉर्म पर, नैशनल टेलीविज़न पर, यह एक चुनौती ज़रूर था।
आपने पत्नी ऋतु का ज़िक्र जब आ ही गया तो उनके बारे में भी कुछ बताइए?
मेरी पत्नी ऋतु एक prosthetic make-up designer हैं जिसने Los Angeles california से ट्रेनिंग् प्राप्त किया है।
और कौन हैं आपके परिवार में?
मेरी तीन साल की बेटी Valerie है जो बहुत ही प्यारी है और हमारी लाडली भी।
ख़ाली समय में क्या करते हैं? कोई शौक़?
कोई शौक़ नहीं है, Valerie के साथ समय बिताना ही हमारा एकमात्र पास्टाइम है। शॉपिंग् मॉल, गार्डन, मूवीज़, स्विमिंग् ये तमाम चीज़ें मैं करता हूँ वैलरी और ऋतु के साथ।
भविष्य में अभिनय या फ़िल्म निर्माण/निर्देशन का विचार है?
मैंने Los Angeles New York Film Academy से फ़िल्म निर्माण सीखा और एक निर्माता और निर्देशक के हैसीयत से कुछ लघु फ़िल्मों का निर्माण भी किया। अब मैंने अपनी पहली पटकथा लिखी है जो एक ऐक्शन थ्रिलर है। बहुत जल्द मैं अपनी इस फ़िल्म को ख़ुद प्रोड्युस और डिरेक्ट करने जा रहा हूँ। और हाँ, इस फ़िल्म में मैं बहुत से special fx prosthetic makeup का इस्तमाल करने जा रहा हूँ जिसमें मेरी पत्नी पारंगत है। भगवान गणेश का आशीर्वाद रहा तो यह सपना जल्दी ही सच होगा।
हम ईश्वर से दुआ करते हैं कि आपका यह सपना सच हो और हम सब को एक अच्छी फ़िल्म देखने को मिले।
धन्यवाद!
किरण जी, बहुत अच्छा लगा आप से बातें कर, आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आपने हमें इतना समय दिया अपनी वुअस्त ज़िन्दगी से। आपको आपकी आने वाली फ़िल्म के लिए ढेरों शुभकामनाएँ, नमस्कार!
बहुत बहुत धन्यवाद और नमस्कार!
आपको हमारी यह प्रस्तुति कैसी लगी, हमे अवश्य बताइएगा। आप अपने सुझाव और फरमाइशें ई-मेल आईडी cine.paheli@yahoo.com पर भेज सकते है। अगले माह के चौथे शनिवार को हम एक ऐसे ही चर्चित अथवा भूले-विसरे फिल्म कलाकार के साक्षात्कार के साथ उपस्थित होंगे। अब हमें आज्ञा दीजिए।
प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी
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