सिने पहेली –99
आज की पहेली : सुरीले संवाद
आज की पहेली में हम आप के सामने रखेंगे कुछ संवाद जिन्हें कलाकारों ने या तो गीतों के बीच कहे हैं, या फिर इन संवादों को कविता या महज़ संवादों के रूप में ही फिल्म के गीतों के ऐल्बम में शामिल किया गया है। इन संवादों को देख कर आपको उन गीतों और/या फिल्मों को पहचानने हैं। हर सही जवाब के लिए आपको 2 अंक दिये जायेंगे। तो ये रहे वो पाँच संवाद।
1. "मैं मुसव्वीर, दिल तसव्वुर, और हो तसवीर तुम, मेरी ख़्वाबों की नज़र आती हो बस ताबीर तुम"।
2. "पटने का हूँ मगर पटने वाला नहीं, मेरा पीछा छोड़, जो करना है वो कर"।
3. "आँखों में तुम, यादों में तुम, सांसों में तुम, आहों में तुम, नींदों में तुम, ख़्वाबों में तुम"।
4. "प्यार अगर एक शख्स का भी मिल सके बड़ी चीज़ है ज़िन्दगी के लिए, आदमी को मगर यह भी मिलता नहीं"।
5. "अनकही, अनसुनी आरज़ू आधी सोयी हुई आधी जागी हुई, आँखें मलती हुई देखती है, लहर दर लहर मौज दर मौज बहती हुई ज़िन्दगी, जैसे हर पल नई और फिर भी वही..."
अपने जवाब आप हमें cine.paheli@yahoo.com पर 6 फ़रवरी शाम 5 बजे तक ज़रूर भेज दीजिये।
पिछली पहेली का हल
1. मास्टर मोहम्मद
2. ख़ान मस्ताना
3. "जहाँ डाल डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा" (सिकन्दर-ए-आज़म)
4. मोहन गोखले, सुरेन्द्र राजन, बेन किंग्सले, दर्शन जरीवाला, दिलीप प्रभावलकर
पिछली पहेली के विजेता
इस सेगमेण्ट की समाप्ति पर जिन पाँच प्रतियोगियों के 'महाविजेता स्कोर कार्ड' पर सबसे ज़्यादा अंक होंगे, वो ही पाँच खिलाड़ी केवल खेलेंगे 'सिने पहेली' का महामुकाबला और इसी महामुकाबले से निर्धारित होगा 'सिने पहेली महाविजेता'।
एक ज़रूरी सूचना:
'महाविजेता स्कोर कार्ड' में नाम दर्ज होने वाले खिलाड़ियों में से कौछ खिलाड़ी ऐसे हैं जो इस खेल को छोड़ चुके हैं, जैसे कि गौतम केवलिया, रीतेश खरे, सलमन ख़ान, और महेश बसन्तनी। आप चारों से निवेदन है (आपको हम ईमेल से भी सूचित कर रहे हैं) कि आप इस प्रतियोगिता में वापस आकर महाविजेता बनने की जंग में शामिल हो जायें। इस सेगमेण्ट के अन्तिम कड़ी तक अगर आप वापस प्रतियोगिता में शामिल नहीं हुए तो महाविजेता स्कोर कार्ड से आपके नाम और अर्जित अंख निरस्त कर दिये जायेंगे और अन्य प्रतियोगियों को मौका दे दिया जायेगा।
तो आज बस इतना ही, नये साल में फिर मुलाक़ात होगी 'सिने पहेली' में। लेकिन 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के अन्य स्तंभ आपके लिए पेश होते रहेंगे हर रोज़। तो बने रहिये हमारे साथ और सुलझाते रहिये अपनी ज़िंदगी की पहेलियों के साथ-साथ 'सिने पहेली' भी, अनुमति चाहूँगा, नमस्कार!
प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी
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