सन्नी देओल निर्देशक अनिल शर्मा के साथ जोड़ीबद्ध होकर लौटे हैं एक बार फिर, जिनके साथ वो ग़दर -एक प्रेम कथा, और अपने जैसी हिट संगीतमयी फ़िल्में दे चुके हैं. सिंह साहेब द ग्रेट में अनिल ने चुना है सोनू निगम को जो इस फिल्म के साथ बतौर संगीतकार फिल्मों में अपनी नई पारी शुरू कर रहे हैं, पार्श्वगायन में अपने लिए एक खास मुकाम बना लेने के बाद सोनू ने हालाँकि अपनी एल्बम क्लासीकली माईल्ड में संगीत निर्देशन का जिम्मा उठाया था पर सिंह साहेब उनकी पहली फिल्म है इस नए जिम्मे के साथ.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सोनू ने फिल्म जगत में कदम रखा था बतौर बाल कलाकार फिल्म बेताब से, जो कि सन्नी देओल की भी पहली फिल्म थी बतौर नायक. अब इसे नियति ही कहेंगें कि सोनू की इस नई कोशिश में भी उन्हें साथ मिला है सन्नी पाजी का. एल्बम में कुल ५ गीत हैं जिसमें एक गीत अतिथि संगीतकार आदेश श्रीवास्तव का रचा हुआ है, आईये एक नज़र डालें इस ताज़ा एल्बम में संकलित गीतों पर.
शीर्षक गीत में सोनू ने अपने 'कम्फर्ट ज़ोन' से बाहर आकर पंजाबी लोक गीतों के गायकों के भांति ऊंची पिच पर लेकर गाया है और उनका ये प्रयास बहुत ही कामियाब और सुरीला रहा है. सोनू की बहन तीशा निगम ने अपना हिस्सा बहुत ही खूबी से निभाया है. दोनों की गायकों का विरोधाभासी अंदाज़, लोक सुरों से उपजी धुन और सटीक शब्द इस गीत को बेहद खास मुकाम दे देते हैं.
पंजाबी फ्लेवर की बात हो और जिक्र न हो दारु का तो बात कुछ अधूरी लगती है. दारु बंद कल से एक ऐसा फ्रेस है जो हर शराबी अपने अंतिम जाम के साथ बोलता है और अलगी महफ़िल के सजने तक वो इस वादे को निभाता भी है....खैर वापस आते गईं गीत पर, जहाँ गीतकार ने इस फ्रेस को हुक बनाकर अच्छा खाका रचा है. एक बार फिर सोनू गायकी में ऊर्जा से भरपूर रहे हैं, वास्तव में पूरी एल्बम में उन्होंने खुद को नए पिचों पर आजमाया है, कहा जा सकता है संगीत निर्देशन में उनकी प्रेरणा अपने भीतर के गायक को विविध आयामों में देखना ही है.
पान और पनवाडी का जिक्र लाकर उत्तर पूर्व के दर्शकों /श्रोताओं को रिझाने के लिए बना है आईटम गीत पलंग तोड़ जिसे आदेश श्रीवास्तव ने स्वरबद्ध किया है और गाया भी है प्रमुख गायिका सुनिधि चौहान के साथ मिलकर. गीत इन दिनों चल रहे आईटम गीतों सरीखा ही है. बहुत दिनों तक इसका स्वाद टिका रहेगा, कहना मुश्किल है.
जब मेहंदी लग लग जाए में सोनू और श्रेया की सदाबहार जोड़ी एक साथ आई है एक सुरीले शादी गीत के साथ. गीत में पंजाबी शादियों की महक भी है और पर्याप्त मस्ती का इंतजाम भी. कदम थिरकाते बीट्स और शब्द भी सार्थक हैं. निश्चित ही एल्बम के बेहतर गीतों में से एक. सोनू ने एल्बम में एक हीर भी गाई है, पारंपरिक हीर का सुन्दर प्रयोग श्रोता सुन चुके हैं फिल्म प्रतिज्ञा के सदाबहार उठ नींद से मिर्ज़ा गीत में. प्रस्तुत हीर को सुनकर उस यादगार गीत की यादें अवश्य ताज़ी हो जाती है पर यहाँ अच्छे शब्दों के अभाव में वो माहौल नहीं बन पाया है जिसकी अपेक्षा थी.
सिंह साहेब द ग्रेट का संगीत सुरीला अवश्य है पर नयेपन का अभाव है. एक दो गीतों को छोड़ दिया जाए तो बाकी गीतों में श्रोताओं को बाँध के रखने का माद्दा नहीं है. फिर भी सोनू की संगीतकार और गायक की दोहरी भूमिका को सराहा जा सकता है. उम्मीद करेंगें कि वो आने वाले दिनों में कुछ और बेहतर गीतों का तोहफा अपने श्रोताओं को देंगें.
एल्बम के बहतरीन गीत - सिंह साहेब द ग्रेट, जब मेहंदी लग लग जाए, दारू बंद कल से
हमारी रेटिंग - ३.४
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