ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 574/2010/274
'मानो या ना मानो' शृंखला में पिछले तीन अंकों में हमने आपको बताया देश विदेश की कुछ ऐसी जगहों के बारे में जिन्हे हौण्टेड माना जाता है, हालाँकि ऐसा मानने के पीछे कोई ठोस वजह अभी तक विज्ञान विकसित नहीं कर पाया है। ख़ैर, आगे बढ़ते हैं इस शृंखला में और आज हम चर्चा करेंगे पुनर्जनम की। जी हाँ, पुनर्जनम, जिसे लेकर भी लोगों में उत्सुक्ता की कोई कमी नहीं है। एक अध्ययन के अनुसार, भारत में ५०% जनता पुनर्जनम में यकीन रखता है। क्या आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि इसके पीछे क्या कारण है? शायद हिंदु आध्यात्म, और शायद समय समय पर मीडिया में पुनर्जनम के क़िस्सों का दिखाया जाना। भोपाल के Government Arts & Commerce College के प्रिंसिपल डॊ. स्वर्णलता तिवारी पुनर्जनम का एक मशहूर उदाहरण है। उनके पुनर्जनम की कहानी दुनिया की उन ७ पुनर्जनम कहानियों में से है जिन पर वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। एक मुलाक़ात में स्वर्णलता जी ने अपने तीन जन्मों के बारे में बताया है। आइए उनके इस दिलचस्प और रहस्यमय पुनर्जनम घटना क्रम को और थोड़ा करीब से देखा जाये। २ मार्च १९४८ में स्वर्णलता का जन्म हुआ था। उन्होंने अपने माता-पिता को उस समय भयभीत कर दिया जब उन्होंने उन्हें बताया कि उनका नाम दरअसल बिया पाठक है और वो पहले कटनी में रहती थीं। तफ़तीश करने पर पता चला कि बिया पाठक नाम की महिला का १९३९ में निधन हुआ था। बिया का फिर जनम हुआ कमलेश के नाम से सन् १९४० में असम के सिल्हेट में (सिल्हेट अब बंगलादेश का हिस्सा है), और बहुत ही कम उम्र में १९४७ में कमलेश का भी निधन हो गया। १९४८ में कमलेश ने फिर जनम लिया स्वर्णलता के रूप में मध्य प्रदेश के शाहपुर तिकमगढ़ ज़िले में। स्वर्णलता को अपने पहले के दोनों जन्मों की कहानी याद है और तीनों बार उनका जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ है। उनके इस पुनर्जनम की कहानी का वर्जिनीया विश्वविद्यालय के मशहूर प्रोफ़ेसर डॊ. इयान स्टीवेन्सन ने तदंत किया और इस सिलसिले में वो १९९७ में भारत भी आये थे। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में स्वर्णलता की कहानी को "authentically correct" करार दिया। वर्तमान में स्वर्णलता भोपाल में अपने पति के. पी. तिवारी के साथ रहती हैं जो एक सीनियर आइ. पी. एस. अफ़सर हैं। स्वर्णलता ख़ुद एक बोटानिस्ट हैं और उनके दो बेटे हैं। दोस्तों, स्वर्णलता के बारे में जानकर शायद आप में से जो लोग अब तक पुनर्जनम पर यकीन नहीं करते थे, हमारी इस रिपोर्ट ने आपको भी सोचने पर मजबूर कर दिया होगा। दोस्तों, अगर यह क़िस्सा किसी अनपढ़ गँवार ग्रामीण महिला से जुड़ा होता तो हम शायद यकीन ना करते, लेकिन जब किसी नामी कॊलेज के प्रिंसिपल ने ख़ुद यह बताया तो इसमें कुछ तो सच्चाई ज़रूर होगी। पुनर्जनम की दो और मशहूर क़िस्सों के बारे में हम कल की कड़ी में फिर से चर्चा करेंगे।
जहाँ तक पुनर्जनम का हिंदी फ़िल्मों से संबंध है, तो इस राह पर भी हमारे फ़िल्मकार चले हैं। 'महल' फ़िल्म की चर्चा हम कर चुके हैं। उसके बाद १९५८ में आयी थी फ़िल्म 'मधुमती' जिसने 'महल' के सारे रिकार्ड्स तोड़ दिये। 'मधुमती' फ़िल्म के बारे में आप भी जानते हैं और हमने भी कई कई बार इस फ़िल्म को 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में शामिल किया है। इसलिए आज 'मधुमती' की यादों को एक तरफ़ रखते हुए आगे बढ़ते हैं, और पहूँच जाते हैं ६० के दशक में। आपको याद होगा एक फ़िल्म आयी थी 'नीलकमल', जिसमें नीलकमल (वहीदा रहमान) का पुनर्जनम हुआ था सीता के नाम से। नीलकमल का प्रेमी था चित्रसेन (राजकुमार) और उस जनम में दोनों का मिलन नहीं हो पाया था, जिस वजह से चित्रसेन की आत्मा भटक रही थी महल में जो एक खण्डहर में परिवर्तित हो चुका था। उधर नीलकमल का दोबारा जन्म होता है सीता के रूप में। लेकिन उसे अपने पिछले जन्म के बारे में कुछ भी याद नहीं। सीता का राम (मनोज कुमार) से विवाह होता है, लेकिन जल्द ही उसे नींद में किसी के पुकारने की आवाज़ें सुनाई देने लगती हैं। और वो नींद में ही उठकर घर से निकल जाती है, जैसे कोई उसे अपनी ओर खींच ले जा रहा हो। ऐसे में सीता के ससुराल वाले उस पर शक़ करते हैं कि रात के वक़्त नई नवेली बहू कहाँ जाती है! और एक रोज़ उसकी सास उसे घर से ही निकाल देती है। अंत में सीता उस महल में पहूँच जाती है जहाँ चित्रसेन की आत्मा उसका इंतज़ार कर रहा होता है। फ़िल्म का अंत कैसे होता है, यह तो आप ख़ुद ही देख लीजिएगा, हम तो बस इतना कहेंगे कि जिस गीत के माध्यम से चित्रसेन की आत्मा नीलकमल को अपनी ओर आकर्षित करती थी, वह गाना था "तुझको पुकारे मेरा प्यार, आजा मैं तो मिटा हूँ तेरी चाह में"। बहुत ही मशहूर गीत इस फ़िल्म का, और सिर्फ़ यह गीत ही क्यों, 'नीलकमल' के तमाम गीत हिट हुए थे। साहिर और रवि की जोड़ी का एक बेहद चर्चित फ़िल्म। रफ़ी साहब की आवाज़ में इस हौण्टिंग् नंबर के आनंद लेने का आज के अंक से बेहतर भला और कौन सा अंक हो सकता है 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर। तो आइए सुनते हैं चित्रसेन की सदा नीलकमल
क्या आप जानते हैं...
कि 'नीलकमल' का यह गीत "तुझको पुकारे मेरा प्यार" राग पहाड़ी पर आधारित है।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 05/शृंखला 08
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र - इतना बहुत है इस यादगार गीत को पहचानने के लिए.
सवाल १ - किस मशहूर राग पर आधारित है ये गीत - 2 अंक
सवाल २ - इस फिल्म की सफल जोड़ी ने एक और पुनर्जन्म पर आधारित फिल्म में साथ काम किया था, उस फिल्म का नाम बताएं - 1 अंक
सवाल ३ - गीतकार बताएं - 1 अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
एक बार फिर अमित जी और शरद जी का जलवा है, और अनजाना जी अनजान मत रहिये प्लीस
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
'मानो या ना मानो' शृंखला में पिछले तीन अंकों में हमने आपको बताया देश विदेश की कुछ ऐसी जगहों के बारे में जिन्हे हौण्टेड माना जाता है, हालाँकि ऐसा मानने के पीछे कोई ठोस वजह अभी तक विज्ञान विकसित नहीं कर पाया है। ख़ैर, आगे बढ़ते हैं इस शृंखला में और आज हम चर्चा करेंगे पुनर्जनम की। जी हाँ, पुनर्जनम, जिसे लेकर भी लोगों में उत्सुक्ता की कोई कमी नहीं है। एक अध्ययन के अनुसार, भारत में ५०% जनता पुनर्जनम में यकीन रखता है। क्या आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि इसके पीछे क्या कारण है? शायद हिंदु आध्यात्म, और शायद समय समय पर मीडिया में पुनर्जनम के क़िस्सों का दिखाया जाना। भोपाल के Government Arts & Commerce College के प्रिंसिपल डॊ. स्वर्णलता तिवारी पुनर्जनम का एक मशहूर उदाहरण है। उनके पुनर्जनम की कहानी दुनिया की उन ७ पुनर्जनम कहानियों में से है जिन पर वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। एक मुलाक़ात में स्वर्णलता जी ने अपने तीन जन्मों के बारे में बताया है। आइए उनके इस दिलचस्प और रहस्यमय पुनर्जनम घटना क्रम को और थोड़ा करीब से देखा जाये। २ मार्च १९४८ में स्वर्णलता का जन्म हुआ था। उन्होंने अपने माता-पिता को उस समय भयभीत कर दिया जब उन्होंने उन्हें बताया कि उनका नाम दरअसल बिया पाठक है और वो पहले कटनी में रहती थीं। तफ़तीश करने पर पता चला कि बिया पाठक नाम की महिला का १९३९ में निधन हुआ था। बिया का फिर जनम हुआ कमलेश के नाम से सन् १९४० में असम के सिल्हेट में (सिल्हेट अब बंगलादेश का हिस्सा है), और बहुत ही कम उम्र में १९४७ में कमलेश का भी निधन हो गया। १९४८ में कमलेश ने फिर जनम लिया स्वर्णलता के रूप में मध्य प्रदेश के शाहपुर तिकमगढ़ ज़िले में। स्वर्णलता को अपने पहले के दोनों जन्मों की कहानी याद है और तीनों बार उनका जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ है। उनके इस पुनर्जनम की कहानी का वर्जिनीया विश्वविद्यालय के मशहूर प्रोफ़ेसर डॊ. इयान स्टीवेन्सन ने तदंत किया और इस सिलसिले में वो १९९७ में भारत भी आये थे। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में स्वर्णलता की कहानी को "authentically correct" करार दिया। वर्तमान में स्वर्णलता भोपाल में अपने पति के. पी. तिवारी के साथ रहती हैं जो एक सीनियर आइ. पी. एस. अफ़सर हैं। स्वर्णलता ख़ुद एक बोटानिस्ट हैं और उनके दो बेटे हैं। दोस्तों, स्वर्णलता के बारे में जानकर शायद आप में से जो लोग अब तक पुनर्जनम पर यकीन नहीं करते थे, हमारी इस रिपोर्ट ने आपको भी सोचने पर मजबूर कर दिया होगा। दोस्तों, अगर यह क़िस्सा किसी अनपढ़ गँवार ग्रामीण महिला से जुड़ा होता तो हम शायद यकीन ना करते, लेकिन जब किसी नामी कॊलेज के प्रिंसिपल ने ख़ुद यह बताया तो इसमें कुछ तो सच्चाई ज़रूर होगी। पुनर्जनम की दो और मशहूर क़िस्सों के बारे में हम कल की कड़ी में फिर से चर्चा करेंगे।
जहाँ तक पुनर्जनम का हिंदी फ़िल्मों से संबंध है, तो इस राह पर भी हमारे फ़िल्मकार चले हैं। 'महल' फ़िल्म की चर्चा हम कर चुके हैं। उसके बाद १९५८ में आयी थी फ़िल्म 'मधुमती' जिसने 'महल' के सारे रिकार्ड्स तोड़ दिये। 'मधुमती' फ़िल्म के बारे में आप भी जानते हैं और हमने भी कई कई बार इस फ़िल्म को 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में शामिल किया है। इसलिए आज 'मधुमती' की यादों को एक तरफ़ रखते हुए आगे बढ़ते हैं, और पहूँच जाते हैं ६० के दशक में। आपको याद होगा एक फ़िल्म आयी थी 'नीलकमल', जिसमें नीलकमल (वहीदा रहमान) का पुनर्जनम हुआ था सीता के नाम से। नीलकमल का प्रेमी था चित्रसेन (राजकुमार) और उस जनम में दोनों का मिलन नहीं हो पाया था, जिस वजह से चित्रसेन की आत्मा भटक रही थी महल में जो एक खण्डहर में परिवर्तित हो चुका था। उधर नीलकमल का दोबारा जन्म होता है सीता के रूप में। लेकिन उसे अपने पिछले जन्म के बारे में कुछ भी याद नहीं। सीता का राम (मनोज कुमार) से विवाह होता है, लेकिन जल्द ही उसे नींद में किसी के पुकारने की आवाज़ें सुनाई देने लगती हैं। और वो नींद में ही उठकर घर से निकल जाती है, जैसे कोई उसे अपनी ओर खींच ले जा रहा हो। ऐसे में सीता के ससुराल वाले उस पर शक़ करते हैं कि रात के वक़्त नई नवेली बहू कहाँ जाती है! और एक रोज़ उसकी सास उसे घर से ही निकाल देती है। अंत में सीता उस महल में पहूँच जाती है जहाँ चित्रसेन की आत्मा उसका इंतज़ार कर रहा होता है। फ़िल्म का अंत कैसे होता है, यह तो आप ख़ुद ही देख लीजिएगा, हम तो बस इतना कहेंगे कि जिस गीत के माध्यम से चित्रसेन की आत्मा नीलकमल को अपनी ओर आकर्षित करती थी, वह गाना था "तुझको पुकारे मेरा प्यार, आजा मैं तो मिटा हूँ तेरी चाह में"। बहुत ही मशहूर गीत इस फ़िल्म का, और सिर्फ़ यह गीत ही क्यों, 'नीलकमल' के तमाम गीत हिट हुए थे। साहिर और रवि की जोड़ी का एक बेहद चर्चित फ़िल्म। रफ़ी साहब की आवाज़ में इस हौण्टिंग् नंबर के आनंद लेने का आज के अंक से बेहतर भला और कौन सा अंक हो सकता है 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर। तो आइए सुनते हैं चित्रसेन की सदा नीलकमल
क्या आप जानते हैं...
कि 'नीलकमल' का यह गीत "तुझको पुकारे मेरा प्यार" राग पहाड़ी पर आधारित है।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 05/शृंखला 08
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र - इतना बहुत है इस यादगार गीत को पहचानने के लिए.
सवाल १ - किस मशहूर राग पर आधारित है ये गीत - 2 अंक
सवाल २ - इस फिल्म की सफल जोड़ी ने एक और पुनर्जन्म पर आधारित फिल्म में साथ काम किया था, उस फिल्म का नाम बताएं - 1 अंक
सवाल ३ - गीतकार बताएं - 1 अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
एक बार फिर अमित जी और शरद जी का जलवा है, और अनजाना जी अनजान मत रहिये प्लीस
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
Comments
I can not delete my previous answer. Please discard first one. This is my answer
Like Amit Tiwari, plz discard my previous answer, I am sure you can dot it for me
so my final ans is :
Lyricist : Anand Bakshi
Too much confusion for the day !!
I think now we should we the rights to delete our own comments, what say ?
अवध लाल
अवध लाल