ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 422/2010/122
'दिल लूटने वाले जादूगर' - कल्याणजी-आनंदजी के सुरों से सजे दिलकश गीतों पर आधारित 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की इस लघु शृंखला की दूसरी कड़ी में उस गायक की आवाज़ आज गूंज रही है दोस्तों, जिस गायक ने इस जोड़ी के संगीत निर्देशन में अपने करीयर के सब से ज़्यादा गीत गाए हैं। बिल्कुल ठीक समझे आप। मुकेश। आम तौर पर जनता यह समझ बैठती है कि शंकर जयकिशन के लिए मुकेश ने सब से अधिक गीत गाए, लेकिन हक़ीक़त कुछ और ही है। कल्याणजी आनंदजी के दर्द भरे नग़मों में मुकेश की आवाज़ का कुछ इस क़दर इस्तेमाल हुआ है कि ये गानें आज भी जैसे कलेजा चीर के रख देता है। मुकेश के गायन में सिर्फ़ सहेजता ही नहीं बल्कि आत्मीयता भी है। उनका गाया हर दर्द भरा गीत जैसे अपने ही दिल की आवाज़ लगती है। और इन्हे गुनगुनाकर आदमी ज़िंदगी के सारे ग़मों को बांट लेता है। कल्याणजी-आनंदजी के पुरअसर धुनों में पिरो कर, गीतकार आनंद बक्शी के बोलों से सज कर, और मुकेश की जादूई आवाज़ में ढल कर जब फ़िल्म 'दुल्हा दुल्हन' का गीत "जो प्यार तुमने मुझको दिया था, वो प्यार तेरा मैं लौटा रहा हूँ" बाहर आया, तो लोगों ने उसे अपने पलकों पे बिठा लिया। 'दुल्हा दुल्हन' फ़िल्म आई थी सन् १९६४ में। रवीन्द्र दवे के निर्माण व निर्देशन में इस फ़िल्म के मुख्य कलाकार थे राज कपूर और साधना। बताना ज़रूरी है कि १९६० में राज कपूर की फ़िल्म 'छलिया' में कल्याणजी-आनंदजी ने ही संगीत दिया था। क्योंकि उन दिनों शंकर-जयकिशन ही राज साहब की बड़ी फ़िल्मों में संगीत दिया करते थे, तो 'छलिया' फ़िल्म के गीतों में भी एस.जे की शैली को ही कल्याणजी आनंदजी ने बरकरार रखा था। लेकिन 'दुल्हा दुल्हन' में यह जोड़ी नज़र आई अपनी ख़ुद की स्टाइल में।
हम बेहद ख़ुशक़िस्मत हैं कि हमारे यहाँ विविध भारती जैसा रेडियो चैनल है जिसने फ़िल्म संगीत के इतिहास को कुछ इस क़दर सहेज कर रखा हुआ है अपने विशाल ख़ज़ाने में कि पीढ़ी दर पीढ़ी इससे लाभान्वित होती रहेगी। उसी ख़ज़ाने से खोज कर आज हम यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं कल्याणजी भाई और आनंदजी भाई, दोनों के ही विचार अपने पसंदीदा गायक मुकेश के बारे में।
कल्याणजी: मुकेश जी के बारे में कुछ कहना हो तो हम इतना ही कह सकते हैं कि जब भी वो गाते थे तो सीधे दिल तक पहँच जाता था, सीधे हार्ट में, दिमाग़ के उपर कोई गाना नहीं जाता था। "मेरे टूटे हुए दिल से" अगर गाते हैं तो लगता है कि सही में इनका दिल टूटा है। उनकी यह एक ख़ूबी थी, और 'full of expressions'। जितना अच्छा वो गाते थे, उतने ही अच्छे इंसान भी थी। सभी गानें उन्होने अच्छे गाए, लेकिन शमिम जयपुरी, उनका पहला ही गाना हमारा, मतलब उन्होने पहली बार लिखा था, "मुझको इस रात की तन्हाई में आवाज़ ना दो", 'दिल भी तेरा हम भी तेरे'।
आनंदजी: उन्होने हर क़िस्म के गानें गाए, लेकिन उनकी आवाज़ में एक मीठापन ऐसा होता था कि आपको लगता है कि वो सीरियस गानें ही गा सकते हैं। वह होता है ना कि अगर कोई आदमी मज़ाकिया है तो उसपे मज़ाकिया गानें अच्छे लगेंगे, और अगर वो सीरियस आदमी है तो सीरियस गाने अच्छे लगेंगे, लेकिन वो हर क़िस्म के गानें बहुत अच्छी तरह से गा लेते थे। मुकेश जी की छाप कभी कम होगी ही नहीं क्योंकि वो हमारे आदर्श हो गए थे। कुछ लोग होते हैं जो जीवन में आदर्श बन जाते हैं, आप उनको सपोर्ट करते थे, वो आपको सपोर्ट करते थे, समझे न आप! मुकेश जी ऐसे थे।
तो आइए दोस्तों, मुकेश जी और कल्याणजी भाई की याद में सुनते हैं फ़िल्म 'दुल्हा दुल्हन' का यह दर्दीला नग़मा।
क्या आप जानते हैं...
कि मुकेश ने कल्याणजी-आनंदजी के लिए सब से ज़्यादा गीत गाए हैं। आनंदजी के अनुसार मुकेश ने उनके लिए कुल १०५ गीत गाए हैं।
पहेली प्रतियोगिता- अंदाज़ा लगाइए कि कल 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर कौन सा गीत बजेगा निम्नलिखित चार सूत्रों के ज़रिए। लेकिन याद रहे एक आई डी से आप केवल एक ही प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं। जिस श्रोता के सबसे पहले १०० अंक पूरे होंगें उस के लिए होगा एक खास तोहफा :)
१. ये एक चुलबुला गीत है लता का गाया, किस अभिनेत्री पर फिल्माया गया है ये बताएं-३ अंक.
२. फिल्म का नाम बताएं जिसका एक एक गीत सुपर हिट था - २ अंक.
३. विजय भट्ट थे निर्देशक इस फिल्म के, गीतकार कौन हैं - २ अंक.
४. एक पार्टी में फिल्माया गया है लोक धुन पर आधारित ये गीत, नायक बताएं फिल्म के - १ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
शरद जी ने ३ अंक कमाये, बहुत बढ़िया, दो अंक अवध जी को जरूर मिलेगें, इंदु जी गीत आपने बेशक गलत पहचाना हो पर जवाब आपका सही है, इस तुक्के के लिए आपको २ अंक जरूर देंगें हम. संवेदना के स्वर नाम से टिपण्णी करने वाले हमरे श्रोता को सबसे पहले तो धन्येवाद कि उन्होंने इतनी सारी जानकारी हमारे साथ बांटी, बहुत अच्छा लगा, पर हम आपको बता दें कि ये इस श्रृखला की पहली कड़ी है, अभी इस संगीत जोड़ी के ९ गीत आने शेष हैं, जाहिर हैं और भी बातें होंगीं आने वाले एपिसोडों में, आशा है आपका साथ युहीं बना रहेगा.
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
'दिल लूटने वाले जादूगर' - कल्याणजी-आनंदजी के सुरों से सजे दिलकश गीतों पर आधारित 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की इस लघु शृंखला की दूसरी कड़ी में उस गायक की आवाज़ आज गूंज रही है दोस्तों, जिस गायक ने इस जोड़ी के संगीत निर्देशन में अपने करीयर के सब से ज़्यादा गीत गाए हैं। बिल्कुल ठीक समझे आप। मुकेश। आम तौर पर जनता यह समझ बैठती है कि शंकर जयकिशन के लिए मुकेश ने सब से अधिक गीत गाए, लेकिन हक़ीक़त कुछ और ही है। कल्याणजी आनंदजी के दर्द भरे नग़मों में मुकेश की आवाज़ का कुछ इस क़दर इस्तेमाल हुआ है कि ये गानें आज भी जैसे कलेजा चीर के रख देता है। मुकेश के गायन में सिर्फ़ सहेजता ही नहीं बल्कि आत्मीयता भी है। उनका गाया हर दर्द भरा गीत जैसे अपने ही दिल की आवाज़ लगती है। और इन्हे गुनगुनाकर आदमी ज़िंदगी के सारे ग़मों को बांट लेता है। कल्याणजी-आनंदजी के पुरअसर धुनों में पिरो कर, गीतकार आनंद बक्शी के बोलों से सज कर, और मुकेश की जादूई आवाज़ में ढल कर जब फ़िल्म 'दुल्हा दुल्हन' का गीत "जो प्यार तुमने मुझको दिया था, वो प्यार तेरा मैं लौटा रहा हूँ" बाहर आया, तो लोगों ने उसे अपने पलकों पे बिठा लिया। 'दुल्हा दुल्हन' फ़िल्म आई थी सन् १९६४ में। रवीन्द्र दवे के निर्माण व निर्देशन में इस फ़िल्म के मुख्य कलाकार थे राज कपूर और साधना। बताना ज़रूरी है कि १९६० में राज कपूर की फ़िल्म 'छलिया' में कल्याणजी-आनंदजी ने ही संगीत दिया था। क्योंकि उन दिनों शंकर-जयकिशन ही राज साहब की बड़ी फ़िल्मों में संगीत दिया करते थे, तो 'छलिया' फ़िल्म के गीतों में भी एस.जे की शैली को ही कल्याणजी आनंदजी ने बरकरार रखा था। लेकिन 'दुल्हा दुल्हन' में यह जोड़ी नज़र आई अपनी ख़ुद की स्टाइल में।
हम बेहद ख़ुशक़िस्मत हैं कि हमारे यहाँ विविध भारती जैसा रेडियो चैनल है जिसने फ़िल्म संगीत के इतिहास को कुछ इस क़दर सहेज कर रखा हुआ है अपने विशाल ख़ज़ाने में कि पीढ़ी दर पीढ़ी इससे लाभान्वित होती रहेगी। उसी ख़ज़ाने से खोज कर आज हम यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं कल्याणजी भाई और आनंदजी भाई, दोनों के ही विचार अपने पसंदीदा गायक मुकेश के बारे में।
कल्याणजी: मुकेश जी के बारे में कुछ कहना हो तो हम इतना ही कह सकते हैं कि जब भी वो गाते थे तो सीधे दिल तक पहँच जाता था, सीधे हार्ट में, दिमाग़ के उपर कोई गाना नहीं जाता था। "मेरे टूटे हुए दिल से" अगर गाते हैं तो लगता है कि सही में इनका दिल टूटा है। उनकी यह एक ख़ूबी थी, और 'full of expressions'। जितना अच्छा वो गाते थे, उतने ही अच्छे इंसान भी थी। सभी गानें उन्होने अच्छे गाए, लेकिन शमिम जयपुरी, उनका पहला ही गाना हमारा, मतलब उन्होने पहली बार लिखा था, "मुझको इस रात की तन्हाई में आवाज़ ना दो", 'दिल भी तेरा हम भी तेरे'।
आनंदजी: उन्होने हर क़िस्म के गानें गाए, लेकिन उनकी आवाज़ में एक मीठापन ऐसा होता था कि आपको लगता है कि वो सीरियस गानें ही गा सकते हैं। वह होता है ना कि अगर कोई आदमी मज़ाकिया है तो उसपे मज़ाकिया गानें अच्छे लगेंगे, और अगर वो सीरियस आदमी है तो सीरियस गाने अच्छे लगेंगे, लेकिन वो हर क़िस्म के गानें बहुत अच्छी तरह से गा लेते थे। मुकेश जी की छाप कभी कम होगी ही नहीं क्योंकि वो हमारे आदर्श हो गए थे। कुछ लोग होते हैं जो जीवन में आदर्श बन जाते हैं, आप उनको सपोर्ट करते थे, वो आपको सपोर्ट करते थे, समझे न आप! मुकेश जी ऐसे थे।
तो आइए दोस्तों, मुकेश जी और कल्याणजी भाई की याद में सुनते हैं फ़िल्म 'दुल्हा दुल्हन' का यह दर्दीला नग़मा।
क्या आप जानते हैं...
कि मुकेश ने कल्याणजी-आनंदजी के लिए सब से ज़्यादा गीत गाए हैं। आनंदजी के अनुसार मुकेश ने उनके लिए कुल १०५ गीत गाए हैं।
पहेली प्रतियोगिता- अंदाज़ा लगाइए कि कल 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर कौन सा गीत बजेगा निम्नलिखित चार सूत्रों के ज़रिए। लेकिन याद रहे एक आई डी से आप केवल एक ही प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं। जिस श्रोता के सबसे पहले १०० अंक पूरे होंगें उस के लिए होगा एक खास तोहफा :)
१. ये एक चुलबुला गीत है लता का गाया, किस अभिनेत्री पर फिल्माया गया है ये बताएं-३ अंक.
२. फिल्म का नाम बताएं जिसका एक एक गीत सुपर हिट था - २ अंक.
३. विजय भट्ट थे निर्देशक इस फिल्म के, गीतकार कौन हैं - २ अंक.
४. एक पार्टी में फिल्माया गया है लोक धुन पर आधारित ये गीत, नायक बताएं फिल्म के - १ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
शरद जी ने ३ अंक कमाये, बहुत बढ़िया, दो अंक अवध जी को जरूर मिलेगें, इंदु जी गीत आपने बेशक गलत पहचाना हो पर जवाब आपका सही है, इस तुक्के के लिए आपको २ अंक जरूर देंगें हम. संवेदना के स्वर नाम से टिपण्णी करने वाले हमरे श्रोता को सबसे पहले तो धन्येवाद कि उन्होंने इतनी सारी जानकारी हमारे साथ बांटी, बहुत अच्छा लगा, पर हम आपको बता दें कि ये इस श्रृखला की पहली कड़ी है, अभी इस संगीत जोड़ी के ९ गीत आने शेष हैं, जाहिर हैं और भी बातें होंगीं आने वाले एपिसोडों में, आशा है आपका साथ युहीं बना रहेगा.
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
Comments
Avadh Lal
बड़े दिनों बाद जब जब यहाँ आना होता है, हमेशा सुखद अनुभूति हुई है.
दर्द भरे नगमे भी ऐसा सुकून देते हैं कि जब भी समय मिलता है, यहाँ चली आती हूँ.
पर बहुत दिनों बाद आने का एक नुकसान यह होता है कि हमेशा ओल्ड इस गोल्ड का स्वरुप बदला हुआ मिलता है :)
सवाल तो हल कर लिया है, पर जवाब नहीं दूंगी, क्योंकि नियमित श्रोताओं का अंकों पर पहला अधिकार बनता है .
सेड सोंग के रूप 'एक तू ना मिला साडी दुनिया मिले भी तो क्या है' इदीव्र ने लिखे थे.
तो अपना जवाब इदीवर.
भारत 'कुमार' हो या कन्या 'कुमारी' हमें क्या? अपन तो ये चले .