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युगल की लघुकथा पेट का कछुआ

लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। इस शृंखला में पिछली बार आपने पूजा अनिल के स्वर में रश्मि रविजा के उपन्यास काँच के शामियाने के एक अंश का वाचन सुना था।

आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं प्रसिद्ध लेखक और पत्रकार युगल की लघुकथा  पेट का कछुआ जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने।

प्रस्तुत अंश का कुल प्रसारण समय 4 मिनट 33 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस लघुकथा का गद्य अंतर्राष्ट्रीय द्वैभाषिक पत्रिका सेतु पर उपलब्ध है।

यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।

“17 अक्टूबर 1925 को जन्मे लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार, कथाकार सह वयोवृद्ध पत्रकार श्री युगल लघुकथा के विधागत गठन के प्रमुख सर्जकों में शामिल हैं। उनके तीन उपन्यास, तीन कहानी संग्रह, तीन नाटक, दो कविता संग्रह, दो निबंध संग्रह तथा पाँच लघुकथा संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने कुछ समय तक 'लघुकथा साहित्य' पत्रिका का सम्पादन भी किया था। उनका देहांत 27 अगस्त-2016 को समस्तीपुर में हुआ।


हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी

बन्ने बोला, ‘‘पेट में कछुआ है साहब!’’
 (युगल की मार्मिक लघुकथा 'पेट का कछुआ' से एक अंश)



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पेट का कछुआ MP3

#Second Story, Pet Ka Kachhua; Yugal; Hindi Audio Book/2017/2. Voice: Anurag Sharma

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