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प्रेमचंद की कथा बंद दरवाज़ा

लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने अनुराग शर्मा के स्वर में अशोक भाटिया की लघुकथा पापा जब बच्चे थे का वाचन सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं, उषा छाबड़ा के स्वर में मुंशी प्रेमचंद की कथा बंद दरवाज़ा

बंद दरवाज़ा का कुल प्रसारण समय 3 मिनट 40 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।

यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।


      प्रेमचंद के जन्मदिन 31 जुलाई पर विशेष प्रस्तुति

मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ...मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहूं
~ मुंशी प्रेमचंद (१८८०-१९३६)

हर सप्ताह सुनिए हिन्दी में एक नयी कहानी

उसकी शरारतें शुरू हो गईं। कभी कलम पर हाथ बढाया कभी कागज़ पर।
(प्रेमचंद की 'बंद दरवाज़ा' से एक अंश)


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यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंक से डाऊनलोड कर लें:
बंद दरवाज़ा MP3

#Fifteenth Story, Band Darwaza: Premchand /Hindi Audio Book/2016/15. Voice: Usha Chhabra

Comments

Unknown said…
उषा जी की आवाज में कोई कहानी पहली बार सुनी। ..बहुत ही अच्छा लगा सुनना
Usha Chhabra said…
आपका हार्दिक धन्यवाद, वत्सल जी।
Smart Indian said…
आप दोनों का हार्दिक आभार!

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