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Showing posts matching the search for प्रेमचंद

एक औरत: तीन बटा चार - सुधा अरोड़ा

इस साप्ताहिक स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अर्चना चावजी के स्वर में मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी " दो बैलों की कथा " का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं सुधा अरोड़ा की कहानी एक औरत: तीन बटा चार जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। कहानी "एक औरत: तीन बटा चार" का गद्य अभिव्यक्ति पर उपलब्ध है। इस कथा का कुल प्रसारण समय 13 मिनट 10 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। आत्माएं कभी नहीं मरतीं। इस विराट व्योम में, शून्य में, वे तैरती रहती हैं - परम शान्त होकर। ~ सुधा अरोड़ा परिचय: चार अक्तूबर १९४६ को लाहौर में जन्मी सुधा जी की शिक्षा-दीक्षा कोलकाता में हुई जहां उन्होंने अध्यापन भी किया। एकदम विशिष्ट पहचान वाली अपनी

मुंशी प्रेमचंद की अमर रचना दो बैलों की कथा

इस साप्ताहिक स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा के स्वर में पुरुषोत्तम पाण्डेय की कहानी " लातों का देव " का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी दो बैलों की कथा जिसे स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। कहानी "दो बैलों की कथा" का गद्य भारत डिस्कवरी पर उपलब्ध है। इस कथा का कुल प्रसारण समय 26 मिनट 50 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ ... मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहूं ~ मुंशी प्रेमचंद (१८८०-१९३६) हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी “गधा सचमुच बेवकूफ है या उसके सीधेपन, उसकी निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दे दी है, इसका

सुधा ओम ढींगरा की कहानी लड़की थी वह

इस साप्ताहिक स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवा रहे हैं हिन्दी की रोचक कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अर्चना चावजी की आवाज़ में मुंशी प्रेमचंद की कहानी " खून सफ़ेद " का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं सुधा ओम ढींगरा की कहानी "लड़की थी वह" जिसे स्वर दिया है शेफाली गुप्ता ने। कहानी "लड़की थी वह" का गद्य रचना समय ब्लॉग पर उपलब्ध है। इस कहानी का कुल प्रसारण समय 8 मिनट 19 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यहां तो बच्चे तीन-चार भाषाएं सीखते हैं, पर बोलते अपनी मातृभाषा हैं। इसके लिए मां-बाप को कोशिश करने की बहुत जरूरत है। हिंदी को लेकर कुंठित मत हों। ~ सुधा ओम ढींगरा हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी लगता है यम उन्हें लेने आयें हैं और कुत्तों ने यम को देख लिया है ( सुधा ओम ढींगरा की कहानी "लड़की थी वह" से एक अंश ) नीचे के प्लेयर से सुनें. (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लि

मुंशी प्रेमचंद की कहानी "खून सफ़ेद"

इस साप्ताहिक स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में शोभा रस्तोगी "शोभा" की लघुकथा " कत्ल किसका " का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं मुंशी प्रेमचंद की कहानी "खून सफ़ेद" जिसे स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। कहानी "खून सफ़ेद" का कुल प्रसारण समय 30 मिनट 33 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ...मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहूं ~ मुंशी प्रेमचंद (१८८०-१९३६) हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी पादरी मोहनदास खेमे से बाहर निकले तो साधो उन्हें खड़ा दिखाई दिया ( मुंशी प्रेमचंद की कहानी "खून सफ़ेद" से एक अंश ) नीचे के प्लेयर से सुनें. (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।) यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंक से डाऊनलोड कर लें: खून सफ

बोलती कहानियाँ: पंडित सुदर्शन की लघुकथा परिवर्तन

'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको प्रसिद्ध कहानियाँ सुनवाते रहे हैं। पिछले सप्ताह आपने हरिशंकर परसाई की कहानी " ठिठुरता हुआ गणतंत्र " का पॉडकास्ट अर्चना चावजी की आवाज़ में सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं पंडित सुदर्शन की लघुकथा " परिवर्तन ", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। लघु कहानी "परिवर्तन" का गद्य (टेक्स्ट) हिन्दी समय पर पढ़ा जा सकता है। कहानी का कुल प्रसारण समय 2 मिनट 29 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। हिन्दी साहित्य में "हार की जीत" जैसी प्रसिद्धि बहुत कम कहानियों को मिली है। जब मैंने जम्मू में पांचवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में पहली बार "हार का जीत" पढी थी, तब से ही इसके लेखक के बारे में जानने की उत्सुकता थी। द

मंटो की कहानी "खोल दो"

जहाँ तक मंटो को भारत और पाकिस्तान में मिलने वाले सम्मान का सवाल है तो पाकिस्तान का समाज तो ख़ैर एक बंद समाज था और वहाँ उनकी कहानियों पर प्रतिबंध लगा और उन पर मुक़दमे चले। लेकिन मैं समझता हूँ कि भारत में प्रेमचंद के बाद यदि किसी लेखक पर काम हुआ है तो वह मंटो है। हिंदी में भी, उर्दू में भी। ~ कमलेश्वर (प्रसिद्ध लेखक और उपन्यासकार) 'बोलती कहानियाँ'' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में इब्ने इंशा की कहानी 'कछुआ और खरगोश' का पॉडकास्ट सुना था। आज हम लेकर आये हैं सआदत हसन "मंटो" की खोल दो , जिसको स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: 10 मिनट 34 सेकंड। इस कहानी का टेक्स्ट हिन्दी समय पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।

मैंने देखी पहली फिल्म - रंजना भाटिया का संस्मरण

रंजना भाटिया ने देखी 'अमर अकबर एंथनी'   मैंने देखी पहली फिल्म : वो यादें जो दिल में कस्तूरी-गन्ध सी बसी हैं  भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष में ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ द्वारा आयोजित विशेष अनुष्ठान- ‘स्मृतियों के झरोखे से’ में आप सभी सिनेमा प्रेमियों का हार्दिक स्वागत है। आज माह का चौथा गुरुवार है और आज बारी है- ‘मैंने देखी पहली फिल्म’ की। इस द्विसाप्ताहिक स्तम्भ के पिछले अंक में आप श्री प्रेमचंद सहजवाला की देखी पहली फिल्म के संस्मरण के साझीदार रहे। आज अपनी देखी पहली फिल्म ‘अमर अकबर एंथनी’ का संस्मरण सुश्री रंजना भाटिया प्रस्तुत कर रही हैं। यह प्रतियोगी वर्ग की प्रविष्टि है। जी वन में पहली बार घटने वाला हर प्रसंग रोमांचकारी होता है। पहला पत्र, पहला दोस्त, पहली कविता, पहला प्रेम आदि कुछ ऐसे प्रसंग हैं, जो जीवन भर याद रहते हैं। ऐसे में एक सवाल उठा- पहली देखी पिक्चर का संस्मरण......। सोचने वाली बात है की इनमें किसको पहली पिक्चर कहें...। बचपन में जब बहुत छोटे हों तो माता-पिता के साथ और उन्हीं के शौक पर निर्भर करता है कि आपने कौन सी पिक्चर देखी होगी। मेरे माता-पिता दो

स्वाधीनता दिवस विशेषांक : भारतीय सिनेमा के सौ साल – 10

फ़िल्मों में प्रारम्भिक दौर के देशभक्ति गीत  'रुकना तेरा काम नहीं चलना तेरी शान, चल चल रे नौजवान... ' हिन्दी फ़िल्मों में देशभक्ति गीतों का होना कोई नई बात नहीं है। 50 और 60 के दशकों में मोहम्मद रफ़ी, मन्ना डे और महेन्द्र कपूर के गाये देशभक्तिपूर्ण फ़िल्मी गीतों ने अत्यधिक लोकप्रियता प्राप्त की थी। परन्तु देशभक्ति के गीतों का यह सिलसिला शुरू हो चुका था, बोलती फ़िल्मों के पहले दौर से ही। ब्रिटिश शासन की लाख पाबन्दियों के बावजूद देशभक्त फ़िल्मकारों ने समय-समय पर देशभक्तिपूर्ण गीतों के माध्यम से जनजागरण उत्पन्न करने के प्रयास किये और हमारे स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। आज 66वें स्वाधीनता दिवस पर आइए 30 के दशक में बनने वाले फिल्मों के देशभक्तिपूर्ण गीतों पर एक दृष्टिपात करते हें, जिन्हें आज हम पूरी तरह से भूल चुके हैं।आज का यह अंक स्वतन्त्रता दिवस विशेषांक है, इसीलिए आज के अंक में हम मूक फिल्मों की चर्चा नहीं कर रहे हैं। आगामी अंक से यह चर्चा पूर्ववत की जाएगी। 1930 के दशक के आते-आते पराधीनता की ज़ंजीरों में जकड़ा हुआ, देश आज़ादी के लिए ज़ोर

"स्कॉलर सा’ब" की देखी एक खास फिल्म - अनुपमा

मैंने देखी पहली फिल्म भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष में ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ द्वारा आयोजित विशेष अनुष्ठान- ‘स्मृतियों के झरोखे से’ में आप सभी सिनेमा प्रेमियों का हार्दिक स्वागत है। आज माह का दूसरा गुरुवार है और आज बारी है- ‘मैंने देखी पहली फिल्म’ की। इस द्विसाप्ताहिक स्तम्भ के पिछले अंक में पंकज मुकेश की देखी पहली फिल्म के संस्मरण के साझीदार रहे। आज का संस्मरण है वरिष्ठ कथाकार और शायर प्रेमचंद सहजवाला का.  यह भी प्रतियोगी वर्ग की प्रविष्ठि है। ‘ ‘ अनुपमा ’ फिल्म और मेरी पिटाई ...’ बचपन से फिल्मों का शौक था. पांचवीं में पढ़ता था कि हर फिल्म देखने का शौक़ीन बन गया. ‘उड़न खटोला’ फिल्म देखने के लिये बहुत लंबी लाईन में खड़ा हुआ. स्कूल का एक बदमाश सा लड़का भी दिख गया. उस ने उस लंबी लाईन के अंत में से मुझे कॉलर पकड़ कर बाहर खींचा और खींचते खींचते आगे आगे दसवें पन्द्रहवें नंबर पर खड़ा कर गया. मुझे उसकी बदमाशी खूब पसंद आई. पर इस के बावजूद हुआ यह कि जब मैं चौथे नंबर तक पहुँच गया था तब तक खिड़की बंद हो गई और बुकिंग क्लर्क ने बोर्ड लगा दिया – हाऊस फुल! वे यादें बहुत रोचक हैं. माँ

गिरिजेश राव की कहानी "श्राप"

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने प्रेमचंद की संस्मरणात्मक कहानी " निर्वासन " का पॉडकास्ट अर्चना चावजी और अनुराग शर्मा की आवाज़ में सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं गिरिजेश राव की कहानी " श्राप ", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। कहानी "श्राप" का कुल प्रसारण समय 8 मिनट 2 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस कथा का टेक्स्ट एक आलसी का चिठ्ठा पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें। "पास बैठो कि मेरी बकबक में नायाब बातें होती हैं। तफसील पूछोगे तो कह दूँगा,मुझे कुछ नहीं पता " ~ गिरिजेश राव हर शनिवार को आवाज़ पर सुनें एक नयी कहानी "आज की रात चाँद कौन सी कला में था? था भी या रोते भांजे को बहलाने किसी और लोक की वासी बहन के घर गया था?" ( गिरि

ऑडियो: मुंशी प्रेमचन्द की निर्वासन

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में घुघूतीबासूती के व्यंग्य ओह! का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं मुंशी प्रेमचंद की हृदयविदारक कहानी "निर्वासन" , जिसको स्वर दिया है अर्चना चावजी और अनुराग शर्मा ने। कहानी का कुल प्रसारण समय 14 मिनट 20 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस कथा का टेक्स्ट सत्यार्थमित्र ब्लॉग पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें। मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ...मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहूं ~ मुंशी प्रेमचंद (१८८०-१९३६) हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए प्रेमचंद की एक नयी कहानी "तुम इतने दिनों कहाँ रहीं, किसके साथ रहीं, किस तरह रहीं और फिर यहाँ किसके साथ आयीं?"  ( प्रेमचंद की "निर्वासन" से एक अंश ) न

तीर्थयात्रा - पंडित सुदर्शन

सुनो कहानी: पंडित सुदर्शन की "तीर्थयात्रा" 'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार हरिशंकर परसाई का व्यंग्य "अपील का जादू" का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं हिंदी और उर्दू के अमर साहित्यकार पंडित सुदर्शन की प्रसिद्ध कहानी " तीर्थयात्रा ", जिसको स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। यथार्थ से आदर्श का सन्देश देने वाले सुदर्शन जी की कहानियों का लक्ष्य समाज व राष्ट्र को सुन्दर व मजबूत बनाना है। कहानी "तीर्थयात्रा" का कुल प्रसारण समय 18 मिनट 47 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें। “अब कोई दीन-दुखियों से मुँह न मोड़ेगा।” ~ सुदर्शन (मूल नाम: पंडित बद्रीनाथ भट्ट) (1895-1967) प्रेमचन्द, कौशिक और सुदर्शन, इन ती

जब साहित्यिक और पौराणिक किरदारों को अपना "रंग" दिया एफ टी एस के कलाकारों ने

पिछले दिनों हिंद युग्म के खबर पृष्ठ पर हमने रंग महोत्सव के बारे में जानकारी दी थी. फिल्म एंड थियटर सोसायटी द्वारा आयोजित यह पहला वार्षिक आर्ट फेस्टिवल् जिसे "रंग" नाम दिया गया था, दिल्ली के लोधी रोड स्तिथ अलायेंज फ्रंकाईस और इंडिया हेबिटाट सभागारों में धूम धाम से संपन्न हुआ. इसमें कुल ५ नाटकों का मंचन हुआ और एक शाम रही संगीत बैंड ब्रह्मनाद के सजीव परफोर्मेंस के नाम. काफी संख्या में दर्शकों ने इस अनूठे आयोजन का आनद लिया. ५ नाटकों में से एक "सिद्धार्थ" (जिसे अशोक छाबड़ा ने निर्देशित किया है) को छोड़कर अन्य सभी नाटक युवा निर्देशक अतुल सत्य कौशिक द्वारा निर्देशित हैं, और अधिकतर कलाकार भी अपेक्षाकृत नए ही हैं रंगमंच की दुनिया में मगर सबकी कर्मठता, जुझारूपन और खुद को साबित करने की लगन उनके अभिनय में साफ़ देखी जा सकती है. अधिकतर नाटक नामी साहित्यकारों की रचनाओं से प्रेरित हैं पर निर्देशक और उनकी टीम ने उसमें अपना 'रंग' भी भरा है. नाटकों को बेहद व्यवाहरिक और मनोरंजक अंदाज़ में प्रस्तुत किया गया है ताकि दर्शक एक पल के लिए भी ऊब महसूस न करे. यानी किरदार और विषय गंभीर

सुनो कहानी: एक गधे की वापसी - कृश्न चन्दर - भाग 2/3

सुनो कहानी: एक गधे की वापसी - कृश्न चन्दर - भाग 2/3 'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अर्चना चावजी की आवाज़ में प्रेमचंद की अमर कहानी "मंत्र" का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं कृश्न चन्दर की कहानी "एक गधे की वापसी" , जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। एक गधे की वापसी का प्रथम भाग पढने के लिये कृपया यहाँ क्लिक करें कहानी के इस अंश का कुल प्रसारण समय 18 मिनट 27 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें। यह तो कोमलांगियों की मजबूरी है कि वे सदा सुन्दर गधों पर मुग्ध होती हैं ~ पद्म भूषण कृश्न चन्दर (1914-1977) हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए एक नयी कहानी मैं महज़ एक गधा आवारा हूँ। ( "एक गधे की वापसी" से एक अंश ) नीचे के प्लेयर से सुनें. (प्लेयर पर एक बार क्लिक

सुनो कहानी: प्रेमचंद की 'मंत्र'

उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी 'मंत्र' 'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अर्चना चावजी की आवाज़ में रबीन्द्र नाथ ठाकुर की रचना ' 'पत्नी का पत्र' ' का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं प्रेमचंद की अमर कहानी "मंत्र" , जिसको स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: 10 मिनट 34 सेकंड। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें। मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ...मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहूं ~ मुंशी प्रेमचंद (१८३१-१९३६) हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए एक नयी कहानी कल सवेरे आना, हम इस वक़्त मरीज़ नहीं देखते। ( प्रेमचंद की "मंत्र" से एक अंश ) नीचे के प्लेयर से सुनें. (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर '

अठन्नी का चोर - पंडित सुदर्शन

सुनो कहानी: पंडित सुदर्शन की "अठन्नी का चोर" 'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अर्चना चावजी की आवाज़ में प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार पंडित सुदर्शन की कहानी "साईकिल की सवारी" का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं हिंदी और उर्दू के अमर साहित्यकार पंडित सुदर्शन की प्रसिद्ध कहानी " अठन्नी का चोर ", जिसको स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। यथार्थ से आदर्श का सन्देश देने वाले सुदर्शन जी की कहानियों का लक्ष्य समाज व राष्ट्र को सुन्दर व मजबूत बनाना है । इस कहानी मे न्यायिक व्यवस्था पर व्यंग है । पंडित सुदर्शन की कालजयी रचना " हार की जीत ", को सुनो कहानी में शरद तैलंग की आवाज़ में हम आपके लिए पहले ही प्रस्तुत कर चुके हैं। कहानी "अठन्नी का चोर" का कुल प्रसारण समय 21 मिनट 28 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना च

साईकिल की सवारी - पंडित सुदर्शन

सुनो कहानी: पंडित सुदर्शन की "साईकिल की सवारी" 'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार कमलेश्वर की पहली कहानी "कामरेड" का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं हिंदी और उर्दू के अमर साहित्यकार पंडित सुदर्शन की प्रसिद्ध कहानी " साईकिल की सवारी ", जिसको स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। पंडित सुदर्शन की कालजयी रचना " हार की जीत ", को सुनो कहानी में शरद तैलंग की आवाज़ में हम आपके लिए पहले ही प्रस्तुत कर चुके हैं. । कहानी "साईकिल की सवारी" का कुल प्रसारण समय 15 मिनट 17 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें। “अब कोई दीन-दुखियों से मुँह न मोड़ेगा।” ~ सुदर्शन (मूल नाम: पंडित बद्रीनाथ भट्ट) (189

पीपरा के पतवा सरीके डोले मनवा...मिटटी की सौंधी सौंधी महक लिए "गोदान" का ये गीत

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 376/2010/76 '१० गीत समानांतर सिनेमा के' शृंखला की छठी कड़ी में हमने आज एक ऐसी फ़िल्म के गीत को चुना है जिसकी कहानी एक ऐसे साहित्यकार ने लिखी थी जिनका नाम हिंदी साहित्य के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है। मुंशी प्रेमचंद, जिनकी बहुचर्चित उपन्यास 'गोदान' हिंदी साहित्य के धरोहर का एक अनमोल नगीना है। 'गोदान' की कहानी गाँव में बसे एक किसान होरी और उसके परिवार की मर्मस्पर्शी कहानी है कि किस तरह से समाज उन पर एक के बाद एक ज़ुल्म ढाते हैं और किस तरह से वो हर मुसीबत का सामना करते हैं। सेल्युलॊयड के पर्दे पर 'गोदान' को जीवंत किया था निर्देशक त्रिलोक जेटली के साथ साथ अभिनेता राज कुमार, शशिकला, महमूद, शुभा खोटे, मदन पुरी, टुनटुन और कामिनी कौशल ने। फ़िल्म में संगीत था पंडित रविशंकर का और गीत लिखे शैलेन्द्र और अंजान ने। यहाँ यह बताना आवश्यक है कि युं तो अंजान ने फ़िल्म जगत में १९५३ में ही क़दम रख दिया था 'प्रिज़नर्स ऒफ़ गोलकोण्डा' नामक फ़िल्म से, लेकिन उसके बाद कई सालों तक उनकी झोली में कम बजट की फ़िल्में ही आती रहीं जिसकी वजह से