ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # ०९ श मशाद बेग़म की आवाज़ में ४० के दशक का वह गीत याद है ना "काहे कोयल शोर मचाए रे, मोहे अपना कोई याद आए रे"? आज 'ओल्ड इज़ गोल्ड रिवाइवल' में इसी गीत की बारी। गीत सुनने से पहले ये हैं गायक मुकेश के उदगार राज कपूर की इस पहली पहली फ़िल्म के बारे में। "जिस मोती के बारे मे मै आज ज़िक्र कर रहा हूँ अमीन भाई, उस मोती का नाम है राज कपूर। और मैं राज के ज़िंदगी से ही तीन हिस्से पेश करूँगा। बिल्कुल साफ़ है अमीन भाई, पहले हिस्से को कहूँगा 'आग', दूसरे को 'बरसात से संगम', और तीसरे को 'जोकर से बौबी'। मैं उस ज़माने की बात कर रहा हूँ जब रणजीत स्टूडियो के अंदर हम लोग 'ट्रेनिंग्' किया करते थे। राज कपूर को लेकर चंदुलालजी के पास आये पापाजी। पापाजी यानी कि पृथ्वीराज साहब। और कहने लगे कि 'देखिये, यह मेरे साहबज़ादे हैं, यह फ़िल्म मे जाना चाहता है, और मै चाहूँगा कि यह 'फ़िल्म-मेकिंग्' के हर एक 'ब्रांच' को सीखे और कूली के काम से शुरु करे'। अमीन भाई, ऐसा है कि पापाजी ने राज मे कुछ गुण तो देख ही लिये थे पृथ्वी