स्वरगोष्ठी – 496 में आज
देशभक्ति गीतों में शास्त्रीय राग – 1
जब सी. रामचन्द्र ने "ऐ मेरे वतन के लोगों" के लिए चुना राग आसावरी को
कवि प्रदीप, लता मंगेशकर, सी. रामचन्द्र |
मित्रों, जनवरी का महीना कई कारणों से महत्वपूर्ण है। यह कई त्योहारों का महीना है। मकर संक्रान्ति, माघ बिहु, लोहड़ी, पोंगल, गंगा सागर जैसे त्योहार तो हैं ही, साथ ही हमारा राष्ट्रीय पर्व ’गणतंत्र दिवस’ भी इसी महीने आता है। तो क्यों ना इसी को ध्यान में रखते हुए देशभक्ति गीतों पर एक श्रृंखला प्रस्तुत की जाए जिसमें कुछ अत्यन्त लोकप्रिय देशभक्ति गीतों में प्रयुक्त रागों पर नज़र डाले जाएँ! तो आइए शुरू करते हैं ’स्वरगोष्ठी’ पर आज से एक नई श्रृंखला - ’देशभक्ति गीतों में शास्त्रीय राग’। आज इसकी पहली कड़ी में प्रस्तुत है कालजयी देशभक्ति रचना "ऐ मेरे वतन के लोगों" से जुड़ी कुछ रोचक बातें और इस गीत में प्रयोग होने वाले राग आसावरी से सम्बन्धित संक्षिप्त जानकारी।
27 जनवरी 1963, नेशनल स्टेडियम, नई दिल्ली - पंडित नेहरु के साथ लता मंगेशकर |
लता और सी. रामचन्द्र |
गीत : “ऐ मेरे वतन के लोगों...” : गायिका : लता मंगेशकर
आसावरी राग भी है और थाट भी। इस थाट के स्वर होते हैं- सा, रे, ग॒(कोमल), म, प ध॒,(कोमल), नि॒(कोमल) अर्थात आसावरी थाट में गान्धार, धैवत और निषाद स्वर कोमल तथा शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते हैं। आसावरी थाट का जनक अथवा आश्रय राग आसावरी ही कहलाता है। राग आसावरी के आरोह में पाँच स्वर और अवरोह में सात स्वरों का उपयोग किया जाता है। अर्थात यह औडव-सम्पूर्ण जाति का राग है। इस राग के आरोह में सा, रे, म, प, ध(कोमल), सां तथा अवरोह में; सां,नि(कोमल),ध(कोमल),म, प, ध(कोमल), म, प, ग(कोमल), रे, सा, स्वरों का प्रयोग किया जाता है। अर्थात आरोह में गान्धार और निषाद स्वर वर्जित होता है। इस राग का वादी स्वर धैवत और संवादी स्वर गान्धार होता है। दिन के दूसरे प्रहर में इस राग का गायन-वादन सार्थक अनुभूति कराता है। परम्परागत रूप से सूर्योदय के बाद गाये-बजाए जाने वाले इस राग में तीन कोमल स्वर, गान्धार, धैवत और निषाद का प्रयोग किया जाता है। शेष सभी स्वर शुद्ध प्रयोग होते हैं। जब कोई संगीतज्ञ इस राग में शुद्ध ऋषभ के स्थान पर कोमल ऋषभ प्रयोग करते हैं तो इसे राग कोमल ऋषभ आसावरी कहा जाता है। लीजिए बांसुरी पर सुनिए पंडित हरि प्रसाद चौरसिया द्वारा बजाया हुआ राग कोमल ऋषभ आसावरी, जिसे हमने चुना है ’The Raaga Guide' ऐल्बम से। आप यह सुमधुर रचना सुनिए और हमें आज की इस कड़ी को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए।
राग कोमल ऋषभ आसावरी : बांसुरी : पंडित हरि प्रसाद चौरसिया
संगीत पहेली के महाविजेताओं से क्षमा याचना
"स्वरगोष्ठी" के 495 और 496 वें अंक में वर्ष 2020 के महाविजेताओं के नामों की घोषणा के साथ-साथ महाविजेताओं की प्रस्तुतियाँ सम्मिलित की जानी थीं। अंक 495 में चौथे और पाँचवें महाविजेताओं की घोषणा भी हो चुकी थी। परन्तु कृष्णमोहन मिश्र जी के अचानक निधन की वजह से पहले, दूसरे और तीसरे महाविजेताओं के नाम अज्ञात् ही रह गए। पूरे वर्ष में पूछी गईं पहेलियों के सही उत्तर देने वाले प्रतिभागियों की तालिका और आंकड़ें कृष्णमोहन जी के कम्प्युटर पर होने की वजह से ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ टीम इन्हें प्राप्त नहीं कर पायी है। अत: हमें खेद है कि हम वर्ष 2020 के प्रथम तीन महाविजेताओं के नामों की घोषणा कर पाने में असमर्थ हैं। आशा है आप सभी हमारी विवशता को समझेंगे और हमें इस बात के लिए क्षमा करेंगे।
संवाद
मित्रों, इन दिनों हम सब भारतवासी, प्रत्येक नागरिक को कोरोना वायरस से मुक्त करने के लिए प्रयत्नशील हैं। देश के कुछ स्थानों पर अचानक इस वायरस का प्रकोप इन दिनों बढ़ गया है। अप सब सतर्कता बरतें। संक्रमित होने वालों के स्वस्थ होने का प्रतिशत निरन्तर बढ़ रहा है। परन्तु अभी भी हमें पर्याप्त सतर्कता बरतनी है। विश्वास कीजिए, हमारे इस सतर्कता अभियान से कोरोना वायरस पराजित होगा। आप सब से अनुरोध है कि प्रत्येक स्थिति में चिकित्सकीय और शासकीय निर्देशों का पालन करें और अपने घर में सुरक्षित रहें। इस बीच शास्त्रीय संगीत का श्रवण करें और अनेक प्रकार के मानसिक और शारीरिक व्याधियों से स्वयं को मुक्त रखें। विद्वानों ने इसे “नाद योग पद्धति” कहा है। “स्वरगोष्ठी” की नई-पुरानी श्रृंखलाएँ सुने और पढ़ें। साथ ही अपनी प्रतिक्रिया से हमें अवगत भी कराएँ।
अपनी बात
कुछ तकनीकी समस्या के कारण हम अपने फेसबुक के मित्र समूह के साथ “स्वरगोष्ठी” का लिंक साझा नहीं कर पा रहे हैं। सभी संगीत अनुरागियों से अनुरोध है कि हमारी वेबसाइट http://radioplaybackindia.com अथवा http://radioplaybackindia.blogspot.com पर क्लिक करके हमारे सभी साप्ताहिक स्तम्भों का अवलोकन करते रहें। “स्वरगोष्ठी” के वेब पेज के दाहिनी ओर निर्धारित स्थान पर अपना ई-मेल आईडी अंकित कर आप हमारे सभी पोस्ट के लिंक को नियमित रूप से अपने ई-मेल पर प्राप्त कर सकते है। “स्वरगोष्ठी” की पिछली कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेंगे। आज के इस अंक अथवा श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें soojoi_india@yahoo.co.in अथवा sajeevsarathie@gmail.com पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः सात बजे “स्वरगोष्ठी” के इसी मंच पर हम एक बार फिर संगीत के सभी अनुरागियों का स्वागत करेंगे।
कृष्णमोहन मिश्र जी की पुण्य स्मृति को समर्पित
प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी
राग आसावरी : SWARGOSHTHI – 496 : RAG ASAVARI : 10 जनवरी, 2021
Comments
स्वरगोष्ठी के लक्ष्य की तरफ़ अग्रसर रहने की बधाई। जल्द ही लेख पूरा पढ़ूंगा और फिर सम्भवतः दूजी टिप्पणी लिखूँ।
स्वरगोष्ठी के तनाम सुधि पाठकों को और प्लेबैक इंडिया के गणमान्य कर्णधारों, सदस्यों को सादर अभिवादन।