स्वरगोष्ठी – 400 में आज
पूर्वांग और उत्तरांग राग – 15 : राग बसन्त
पण्डित भीमसेन जोशी से बसन्त का खयाल और इसी राग पर आधारित फिल्म ‘स्त्री’ का गीत सुनिए
पण्डित भीमसेन जोशी |
आशा भोसले और महेन्द्र कपूर |
राग
बसन्त का वादी स्वर षडज और संवादी स्वर पंचम है। इस राग के गायन-वादन का
सटीक समय रात्रि के चतुर्थ प्रहर में 3 बजे से साढ़े 4 बजे के मध्य है।
परन्तु बसन्त ऋतु में इसे किसी भी समय गाया-बजाया जा सकता है। इस राग के
बाद ललित, भैरव आदि रागों का समय आरम्भ होता है। पण्डित श्रीकुमार मिश्र के
अनुसार विरह या चिन्ताविकृति से ग्रस्त व्यक्ति, तनाव, कुण्ठा, फोबिया,
पैनिकडिसार्डर, हिस्टीरिया, विषाद एवं अनेक मनोदैहिक विकृतियों का उपचार
राग सोहनी से करने के बाद मन की शान्ति और निद्रा का अनुभव हो तो राग बसन्त
का उपचार सर्वथा उपयोगी हो सकता है। रात्रि के चतुर्थ प्रहर में शान्त,
शीतल और सुखदायी वातावरण में राग बसन्त का प्रभाव मन और शरीर पर अवश्य पड़ता
है। ऐसा विश्वास है कि उपरोक्त समस्याओं के निदान में राग बसन्त का श्रवण
करने पर काफी शान्ति व सुख की प्राप्ति हो सकती है। ‘नान रैपिड आई मूवमेंट
स्लीप’ का आनन्द मरीज को प्राप्त हो सकता है। एक महीने तक रागात्मक
प्रक्रिया के अन्तर्गत यदि उपचार किया जाए तो पीड़ित को इन समस्याओं से
मुक्ति मिल सकती है। अब हम आपको राग बसन्त की एक रचना सुनवाते हैं। सात दशक
तक भारतीय संगीताकाश पर छाए रहने वाले पण्डित भीमसेन जोशी का भारतीय संगीत
की विविध विधाओं; ध्रुवपद, खयाल, तराना, ठुमरी, भजन, अभंग आदि सभी पर समान
अधिकार था। उनकी खरज भरी आवाज़ का श्रोताओं पर जादुई असर होता था। बन्दिश
को वे जिस माधुर्य के साथ बढ़त देते थे, उसे केवल अनुभव ही किया जा सकता है।
तानें तो उनके कण्ठ में दासी बन कर विचरती थी। संगीत-जगत के सर्वोच्च
स्थान पर प्रतिष्ठित होने के बावजूद स्वयं अपने बारे में बातचीत करने के
मामले में वे संकोची रहे। आइए भारत के इस अनमोल रत्न के स्वर में एक रचना
सुनते हैं। अब आप सुनिए; पण्डित भीमसेन जोशी के स्वर में राग बसन्त की
तीनताल में निबद्ध यह मनोहारी प्रस्तुति। तबला पर पण्डित नाना मुले और
हारमोनियम पर पुरुषोत्तम तलवलकर ने संगति की है।
राग बसन्त : ‘फगवा ब्रज देखन को चलो री...’ : पण्डित भीमसेन जोशी
राग
बसन्त ऋतु प्रधान राग है। बसन्त ऋतु में इसे किसी भी समय गाया-बजाया जा
सकता है। अन्य अवसरों पर इस राग को रात्रि के तीसरे प्रहर में गाने-बजाने
की परम्परा है। पूर्वी थाट के अन्तर्गत आने वाले इस राग की जाति
औडव-सम्पूर्ण होती है, आरोह में पाँच स्वर और अवरोह में सात स्वर प्रयोग
किये जाते हैं। आरोह के स्वर हैं- स, ग, म॑, ध(कोमल), नि, सं, तथा अवरोह के
स्वर हैं- सं, नि, ध, प, म॑, ग, रे, स। इस राग में ललित अंग से दोनों
मध्यम का प्रयोग होता है। आरोह में ऋषभ और पंचम स्वर वर्जित है। राग बसन्त
का वादी स्वर षडज और संवादी स्वर पंचम होता है। कभी-कभी संवादी स्वर के रूप
में मध्यम का प्रयोग भी होता है। यह एक प्राचीन राग है। ‘रागमाला’ में इसे
हिंडोल का पुत्र कहा गया है। अब आप राग बसन्त पर आधारित एक फिल्मी गीत
सुनिए। वर्ष 1961 में वी. शान्ताराम की फिल्म “स्त्री” का प्रदर्शन हुआ था।
इस फिल्म का एक गीत; “बसन्त है आया रंगीला...” राग बसन्त पर आधारित
है। गीत को स्वर दिया है आशा भोसले, महेन्द्र कपूर और साथियों और संगीतकार
सी. रामचन्द्र हैं। आप यह गीत सुनिए और हमें आज के इस अंक को यहीं विराम
देने की अनुमति दीजिए।
राग बसन्त : “बसन्त है आया रंगीला...” : आशा भोसले, महेन्द्र कपूर और साथी
संगीत पहेली
“स्वरगोष्ठी”
के अंक संख्या 401 और 402 को हम पहेली के महाविजेताओं की प्रस्तुतियों पर
केन्द्रित रखेंगे। अतः अंक संख्या 400 और 401 में हम आपके लिए पहेली का
प्रकाशन नहीं कर रहे हैं। पहेली का नियमित प्रकाशन हम अंक संख्या 402 से
करेंगे। पहेली संख्या 399वें अंक की पहेली का सही उत्तर और विजेताओं के नाम
हम ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 401 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
“स्वरगोष्ठी”
की 398वें अंक की संगीत पहेली में हमने आपको वर्ष 1960 में निर्मित किन्तु
अप्रदर्शित फिल्म “भूल न जाना” से राग की छाया लिये एक गीत का अंश सुनवा
कर आपसे तीन में से किसी दो प्रश्न के उत्तर पूछा था। पहले प्रश्न का सही
उत्तर है; राग – सिन्दूरा अथवा काफी कान्हड़ा, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – कहरवा और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – मुकेश।
“स्वरगोष्ठी”
की इस पहेली प्रतियोगिता में तीनों अथवा तीन में से दो प्रश्नों के सही
उत्तर देकर विजेता बने हैं; मेरिलैण्ड, अमेरिका से विजया राजकोटिया, वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी और फीनिक्स, अमेरिका से मुकेश लाडिया।
इस बार की पहेली में अधिकतर प्रतिभागी एक अप्रचलित राग को पहचानने
में भ्रमित हुए हैं। ऐसे प्रतिभागियों ने थाट की सही पहचान अवश्य की है। जिन
प्रतिभागियों ने राग काफी कान्हड़ा अथवा राग काफी के रूप में पहचान की है, हमने उन्हें पूरे-पूरे अंक दिये
हैं। उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से
हार्दिक बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया
अपना उत्तर ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये
प्रतिभागी भी हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के
तीनों प्रश्नों के सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर
ज्ञात हो तो भी आप इसमें भाग ले सकते हैं।
अपनी बात
मित्रों,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी
श्रृंखला “पूर्वांग और उत्तरांग राग” की पन्द्रहवीं और समापन कड़ी में आपने
राग बसन्त का परिचय प्राप्त किया। इस राग में आपने सुविख्यात संगीतज्ञ
पण्डित भीमसेन जोशी के स्वर में राग बसन्त की एक खयाल रचना का रसास्वादन
किया। साथ ही आपने इस राग पर आधारित संगीतकार सी. रामचन्द्र द्वारा
संगीतबद्ध 1961 में प्रदर्शित फिल्म “स्त्री” से एक गीत आशा भोसले,
महेन्द्र कपूर और साथियों के स्वर में सुना। “स्वरगोष्ठी” के नये वर्ष 2019
के पहले और दूसरे अंक में हम पहेली के महाविजेताओं की प्रस्तुतियों को
शामिल कर रहे हैं। अगले अंक में हम विजया राजकोटिया, शुभा खाण्डेकर और डॉ.
किरीट छाया की प्रस्तुतियाँ उनके परिचय के साथ प्रकाशित कर रहे हैं। हमें
विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन
करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और श्रृंखला
के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा
अगली श्रृंखला के लिए यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
रेडियो प्लेबैक इण्डिया
राग बसन्त : SWARGOSHTHI – 400 : RAG BASANT : 30 दिसम्बर, 2018
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