स्वरगोष्ठी – 366 में आज
दस थाट, बीस राग और बीस गीत – 5 : पूर्वी थाट
राग पूर्वी में ध्रुपद और पूरिया धनाश्री में फिल्म संगीत की रचना
उस्ताद अमीर खाँ |
पण्डित अजय चक्रवर्ती |
आधुनिक भारतीय
संगीत में प्रचलित थाट पद्धति पर हम पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे द्वारा
प्रवर्तित उन दस थाटों की चर्चा कर रहे हैं, जिनके माध्यम से रागों का
वर्गीकरण किया जाता है। उत्तर और दक्षिण भारतीय संगीत की दोनों पद्धतियों
में संगीत के सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल बारह स्वरों के
प्रयोग में समानता है। दक्षिण भारत के ग्रन्थकार पण्डित व्यंकटमखी ने सप्तक
में 12 स्वरों को आधार मान कर 72 थाटों की रचना गणित के सिद्धान्तों पर की
थी। भातखण्डे जी ने इन 72 थाटों में से केवल उतने ही थाट चुन लिये, जिनमें
उत्तर भारतीय संगीत के प्रचलित सभी रागों का वर्गीकरण होना सम्भव हो। इस
विधि से वर्तमान उत्तर भारतीय संगीत को उन्होने पक्की नींव पर प्रतिस्थापित
किया। साथ ही उन सभी विशेषताओं को भी, जिनके आधार पर दक्षिण और उत्तर
भारतीय संगीत पद्धति पृथक होती है, उन्होने कायम किया। भातखण्डे जी ने
व्यंकटमखी के 72 थाटों में से 10 थाट चुन कर प्रचलित सभी रागों का वर्गीकरण
किया। थाट सिद्धान्त पर भातखण्डे जी ने ‘लक्ष्य-संगीत’ नामक एक ग्रन्थ की
रचना भी की थी।
आज
हम पूर्वी थाट के विषय में थोड़ी जानकारी प्राप्त करेंगे। इस थाट में
प्रयोग होने वाले स्वर हैं- सा, रे॒, ग, म॑, प ध॒, नि। इस थाट में मध्यम
स्वर तीव्र और ऋषभ तथा धैवत स्वर कोमल प्रयोग किया जाता है। शेष सभी शुद्ध
स्वर होते हैं। पूर्वी थाट का आश्रय राग पूर्वी है। यह सम्पूर्ण जाति का
राग है, अर्थात इसके आरोह और अवरोह में सभी सात स्वर प्रयोग होते हैं। राग
पूर्वी के आरोह के स्वर- सा, रे(कोमल), ग, म॑(तीव्र), प, ध(कोमल), नि, सां और अवरोह के स्वर- सां, नि, ध(कोमल), प, म॑(तीव्र), ग, रे(कोमल),
सा होते हैं। इस राग में कोई भी स्वर वर्जित नहीं होता। ऋषभ और धैवत कोमल
तथा मध्यम के दोनों प्रकार प्रयोग किये जाते हैं। राग ‘पूर्वी’ का वादी
स्वर गान्धार और संवादी स्वर निषाद होता है तथा इसे दिन के अन्तिम प्रहर
में गाया-बजाया जाता है। आज हमारी चर्चा में थाट और राग पूर्वी है। इस राग
का प्रत्यक्ष अनुभव कराने के लिए अब हम आपके समक्ष एक रचना प्रस्तुत कर रहे
हैं, जिसे पंडित अजय चक्रवर्ती ने प्रस्तुत किया है। वर्तमान में भारतीय
संगीत की हर शैली पर समान रूप से अधिकार रखने वाले संगीतज्ञ पण्डित अजय
चक्रवर्ती ने राग पूर्वी की इस रचना को ध्रुपद के अन्दाज में प्रस्तुत किया
है। अजय जी को पटियाला, कसूर घराने की संगीत-शिक्षा उस्ताद बड़े गुलाम अली
खाँ के सुपुत्र उस्ताद मुनव्वर अली खाँ से प्राप्त हुई है। आइए, सुनते है,
पण्डित अजय चक्रवर्ती के स्वरों में राग पूर्वी की यह रचना। इस प्रस्तुति
में सारंगी पर भारतभूषण गोस्वामी ने और पखावज पर माणिक मुण्डे ने संगति की
है। कुछ विद्वान इस ध्रुपद को तानसेन की रचना मानते हैं।
राग पूर्वी : ‘कर कपाल लोचन त्रय...’ पण्डित अजय चक्रवर्ती
इस
थाट के अन्तर्गत आने वाले कुछ प्रमुख राग हैं- ‘पूरिया धनाश्री’,
‘जैतश्री’, ‘परज’, ‘श्री’, ‘गौरी’, ‘वसन्त’ आदि। पूर्वी थाट के विभिन्न
रागों में राग पूरिया धनाश्री एक अत्यन्त लोकप्रिय राग है। राग पूर्वी की
तरह राग पूरिया धनाश्री भी सम्पूर्ण जाति का राग है, अर्थात इस राग के आरोह
और अवरोह में सभी सात स्वर इस्तेमाल किये जाते हैं। इसका ऋषभ और धैवत स्वर
कोमल होता है तथा मध्यम स्वर तीव्र होता है। आरोह के स्वर- नि, रे(कोमल), ग, म॑(तीव्र), प, ध(कोमल), प, नि, सां और अवरोह के स्वर- रे(कोमल), नि, ध(कोमल), प, म॑(तीव्र), ग, म॑(तीव्र), रे(कोमल), ग, रे(कोमल),
सा होते हैं। राग का वादी स्वर पंचम और संवादी स्वर ऋषभ होता है। राग
पूरिया धनाश्री के गायन-वादन का समय सायंकाल माना जाता है। आइए, अब आप राग
पूरिया धनाश्री पर केन्द्रित एक गीत सुनिए। यह गीत हमने फिल्म ‘बैजू बावरा’
से लिया है। अकबर के समकालीन कुछ ऐतिहासिक तथ्यों और कुछ दन्तकथाओं के
मिश्रण से बुनी 1952 में फिल्म- ‘बैजू बावरा’ प्रदर्शित हुई थी। ऐतिहासिक
कथानक और उच्चस्तर के संगीत से युक्त अपने समय की यह एक सफलतम फिल्म थी। इस
फिल्म को आज छह दशक बाद भी केवल इसलिए याद किया जाता है कि इसका गीत-संगीत
भारतीय संगीत के रागों पर केन्द्रित था। फिल्म के कथानक के अनुसार अकबर के
समकालीन सन्त-संगीतज्ञ स्वामी हरिदास के शिष्य तानसेन सर्वश्रेष्ठ थे।
परन्तु उनके संगीत पर दरबारी प्रभाव आ चुका था। उन्हीं के समकालीन स्वामी
हरिदास के ही शिष्य माने जाने वाले बैजू अथवा बैजनाथ थे, जिसका संगीत
मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण था। फिल्म के कथानक का निष्कर्ष यह था कि
संगीत जब राज दरबार की दीवारों से घिर जाता है, तो उसका लक्ष्य अपने स्वामी
की प्रशस्ति तक सीमित हो जाता है, जबकि मुक्त प्राकृतिक परिवेश में पनपने
वाला संगीत ईश्वरीय शक्ति से परिपूर्ण होता है। राग पूरिया धनाश्री के
स्वरों से पगा जो गीत आज हमारी चर्चा में है, उसका फिल्मांकन अकबर के
दरबारी संगीतज्ञ तानसेन को अपने महल में रियाज़ करते दिखाया गया था। यह
फिल्म का शुरुआती प्रसंग है। इसी गीत पर फिल्म की नामावली प्रस्तुत की गई
है। राग पूरिया धनाश्री में निबद्ध यह गीत सुविख्यात संगीतज्ञ उस्ताद अमीर
खाँ ने गाया है। फिल्म के संगीतकार नौशाद थे। इस रचना में भी तानसेन का नाम
आया है। आप यह गीत सुनिए और मुझे आज के इस अंक को यहीं विराम देने की
अनुमति दीजिए।
राग पूरिया धनाश्री : ‘तोरी जय जय करतार...’ : उस्ताद अमीर खाँ : फिल्म - बैजू बावरा
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 366वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको एक रागबद्ध फिल्मी गीत का
अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको दो अंक अर्जित करने के
लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के उत्तर देने आवश्यक हैं।
यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी
आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। 370वें अंक की ‘स्वरगोष्ठी’ तक जिस
प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें वर्ष 2018 के दूसरे सत्र का
विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के प्राप्तांकों की गणना
के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित
भी किया जाएगा।
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग का प्रभाव है?
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए।
3 – इस गीत में किस उस्ताद गायक के स्वर है।?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर ही शनिवार, 28 अप्रैल 2018 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर,
प्रदेश और देश के नाम के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के 368वें अंक में प्रकाशित
करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि
आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम
आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
की 364वीं कड़ी में हमने आपको वर्ष 1962 में प्रदर्शित फिल्म “संगीत सम्राट
तानसेन” से एक रागबद्ध फिल्मी गीत का अंश सुनवा कर आपसे तीन में से कम से
कम दो सही उत्तर की अपेक्षा की थी। पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है;
राग – जोगिया, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – कहरवा और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – कमल बारोट और महेन्द्र कपूर।
“स्वरगोष्ठी”
की इस पहेली प्रतियोगिता में तीनों अथवा तीन में से दो प्रश्नो के सही
उत्तर देकर विजेता बने हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी।
सभी प्रतिभागियों से अनुरोध अपने पता के साथ कृपया अपना उत्तर ई-मेल से ही
भेजा करें। उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर
से हार्दिक बधाई। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी हिस्सा
ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के सही
उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक उत्तर भी ज्ञात हो तो भी आप
इसमें भाग ले सकते हैं।
अपनी बात
मित्रों,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर हमारी
श्रृंखला “दस थाट, बीस राग और बीस गीत” की पाँचवीं कड़ी में आपने पूर्वी थाट
का परिचय प्राप्त किया और इस थाट के आश्रय राग पूर्वी में पिरोया भक्तिरस
से परिपूर्ण एक ध्रुपद सुविख्यात गायक पण्डित अजय चक्रवर्ती के स्वर में
रसास्वादन किया। इसके साथ ही पूर्वी थाट के जन्य राग पूरिया धनाश्री पर
आधारित एक फिल्मी गीत उस्ताद अमीर खाँ के स्वर में सुना। हमें विश्वास है
कि हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे
और अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेगे। आज के अंक के बारे में यदि आपको
कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। अगले अंक से हम इस श्रृंखला का अगला अंक
प्रस्तुत करेंगे। इस नई श्रृंखला अथवा आगामी श्रृंखलाओं के लिए यदि आपका
कोई सुझाव या फरमाइश हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
रेडियो प्लेबैक इण्डिया
राग पूर्वी और पूरिया धनाश्री : SWARGOSHTHI – 366 : RAG PURVI & PURIYA DHANASHRI : 22 Apr., 2018
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