स्वरगोष्ठी – 365 में आज
दस थाट, बीस राग और बीस गीत – 4 : भैरव थाट
राग भैरव और जोगिया के स्वरों में शिव की आराधना
डॉ.प्रभा अत्रे |
महेन्द्र कपूर और कमल बारोट |
श्रृंखला की
आज की कड़ी में हम भैरव थाट और इसके आश्रय राग पर चर्चा करेंगे। पिछले
अंकों में हम यह चर्चा कर चुके हैं कि वर्तमान में प्रचलित थाट पद्धति
पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे द्वारा प्रवर्तित है। भातखण्डे जी ने गम्भीर
अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि तत्कालीन प्रचलित राग-वर्गीकरण की
जितनी भी पद्धतियाँ उत्तर भारतीय संगीत में प्रचार में आईं और उनके काल में
अस्तित्व में थीं, उनके रागों के वर्गीकरण के नियम आज के रागों पर लागू
नहीं हो सकता। गत कुछ शताब्दियों में सभी रागों में परिवर्तन एवं
परिवर्द्धन हुए हैं, अतः उनके पुराने और नए स्वरूपों में कोई समानता नहीं
है। भातखण्डे जी ने तत्कालीन राग-रागिनी प्रणाली का परित्याग किया और इसके
स्थान पर जनक मेल और जन्य प्रणाली को राग वर्गीकरण की अधिक उचित प्रणाली
माना। उन्हें इस वर्गीकरण का आधार न केवल दक्षिण में, बल्कि उत्तर में
‘राग-तरंगिणी’, ‘राग-विबोध’, ‘हृदय-कौतुक’, और ‘हृदय-प्रकाश’ जैसे ग्रन्थों
में मिला।
आज
हमारी चर्चा का थाट है- ‘भैरव’। इस थाट में प्रयोग किये जाने वाले स्वर
हैं- सा, रे॒(कोमल), ग, म, प, ध॒(कोमल), नि । अर्थात ऋषभ और धैवत स्वर कोमल
और शेष स्वर शुद्ध प्रयोग होते हैं। थाट ‘भैरव’ का आश्रय राग ‘भैरव’ ही
है। यह सम्पूर्ण-सम्पूर्ण जाति का राग है, अर्थात इसके आरोह और अवरोह में
सात-सात स्वरों का प्रयोग किया जाता है। राग ‘भैरव’ में कोमल ऋषभ और कोमल
धैवत का प्रयोग होता है। शेष सभी स्वर शुद्ध होते हैं। राग में आरोह के
स्वर- सा, रे(कोमल), ग, म, प, ध(कोमल), नि, सां तथा अवरोह के स्वर- सां, नि, ध(कोमल), प, म, ग, रे(कोमल),
सा होते हैं। इस राग का वादी स्वर धैवत और संवादी स्वर ऋषभ होता है। इस
राग के गायन-वादन का समय प्रातःकाल होता है। राग भैरव के स्वर समूह भक्तिरस
का सृजन करने में समर्थ हैं। इस राग का स्वरूप स्पष्ट करने के लिए अब हम
आपको विदुषी (डॉ.) प्रभा अत्रे के स्वरों में राग भैरव का एक द्रुत खयाल
प्रस्तुत करते हैं। संगीत के प्रदर्शन, शिक्षण-प्रशिक्षण और संगीत संस्थाओं
के मार्गदर्शन में संलग्न प्रभा जी के स्वर में राग भैरव में निबद्ध एक
रचना सुनते हैं। यह आदिदेव शिव की वन्दना करती एक मोहक रचना है, जो द्रुत
तीनताल में निबद्ध है।
राग भैरव : ‘हे आदिदेव शिव शंकर, भोर भई जागो करुणाकर...’ : डॉ. प्रभा अत्रे
‘भैरव’
थाट के अन्तर्गत आने वाले अन्य प्रमुख राग होते हैं- अहीर भैरव, गौरी, नट
भैरव, वैरागी, रामकली, गुणकली, कलिंगड़ा, जोगिया, विभास आदि। आज हम आपको राग
जोगिया पर आधारित एक फिल्मी गीत भी सुनवा रहे हैं। राग जोगिया औड़व-षाड़व
जाति का राग है, अर्थात इसके आरोह में पाँच और अवरोह में छः स्वर प्रयोग
किये जाते हैं। अर्थात, यह औड़व-षाड़व जाति का राग है। आरोह में गान्धार और
निषाद तथा अवरोह में गान्धार स्वर वर्जित होता है। राग में कोमल ऋषभ और
कोमल धैवत का प्रयोग किया जाता है। अन्य सभी शुद्ध स्वर प्रयोग होते हैं।
आरोह के स्वर हैं- सा, रे(कोमल), म, प, ध(कोमल), सां और अवरोह के स्वर हैं- सां, नि, ध(कोमल), प, ध(कोमल), म, रे(कोमल),
सा। इस राग का वादी स्वर मध्यम और संवादी स्वर षडज होता है। इस राग के
गायन-वादन का समय प्रातःकाल होता है। राग जोगिया के स्वरों का सार्थक
प्रयोग 1962 में प्रदर्शित फिल्म ‘संगीत सम्राट तानसेन’ के एक गीत में
संगीतकार एस.एन. त्रिपाठी ने किया था। यह गीत वास्तव में शिव वन्दना है।
अनेक विद्वानो का मत है कि इसकी गीत और संगीत रचना स्वयं तानसेन ने की थी।
फिल्म में यह गीत कमल बारोट और महेन्द्र कपूर की आवाज़ में है। आप यह गीत
सुनिए और मुझे आज के इस अंक को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए।
राग जोगिया : ‘हे नटराज गंगाधर...’ : कमल बारोट और महेन्द्र कपूर : फिल्म - संगीत सम्राट तानसेन
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 365वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको एक रागबद्ध फिल्मी गीत का
अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको दो अंक अर्जित करने के
लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के उत्तर देने आवश्यक हैं।
यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी
आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। 370वें अंक की ‘स्वरगोष्ठी’ तक जिस
प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें वर्ष 2018 के दूसरे सत्र का
विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के प्राप्तांकों की गणना
के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित
भी किया जाएगा।
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग का आधार है?
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए।
3 – इस गीत में किस उस्ताद गायक के स्वर है।?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर ही शनिवार, 21 अप्रैल 2018 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर,
प्रदेश और देश के नाम के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के 367वें अंक में प्रकाशित
करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि
आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम
आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
की 363वीं कड़ी में हमने आपको वर्ष 1977 में प्रदर्शित फिल्म “भूमिका” से
एक रागबद्ध फिल्मी गीत का अंश सुनवा कर आपसे तीन में से कम से कम दो सही
उत्तर की अपेक्षा की थी। पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – तिलक कामोद, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – सितारखानी और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – प्रीति सागर।
“स्वरगोष्ठी”
की इस पहेली प्रतियोगिता में तीनों अथवा तीन में से दो प्रश्नो के सही
उत्तर देकर विजेता बने हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी। हमारे एक नए प्रतिभागी जीतेन्द्र शेटे
ने पहेली के तीन में से दो सही उत्तर दिया है। हम उनका हार्दिक स्वागत
कराते हुए उन्हें दो अंक प्रदान कर रहे है। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध
अपने पता के साथ कृपया अपना उत्तर ई-मेल से ही भेजा करें। उपरोक्त सभी
प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई। इस पहेली
प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक
नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको
पहेली का कोई एक उत्तर भी ज्ञात हो तो भी आप इसमें भाग ले सकते हैं।
अपनी बात
मित्रों,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर हमारी
श्रृंखला “दस थाट, बीस राग और बीस गीत” की चौथी कड़ी में आपने भैरव थाट का
परिचय प्राप्त किया और इस थाट के आश्रय राग भैरव में पिरोया भक्तिरस से
परिपूर्ण एक खयाल सुविख्यात गायिका विदुषी प्रभा अत्रे के स्वर में
रसास्वादन किया। इसके साथ ही भैरव थाट के जन्य राग जोगिया पर आधारित एक
फिल्मी भक्तिगीत कमल बारोट और महेन्द्र कपूर के युगल स्वर में सुना। हमें
विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन
करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेगे। आज के अंक के बारे में
यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। अगले अंक से हम इस श्रृंखला का
अगला अंक प्रस्तुत करेंगे। इस नई श्रृंखला अथवा आगामी श्रृंखलाओं के लिए
यदि आपका कोई सुझाव या फरमाइश हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
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