स्वरगोष्ठी – 332 में आज
पावस ऋतु के राग – 7 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय स्वरूप
पण्डित बड़े रामदास की कजरी रचना को चार प्रख्यात कलासाधकों से सुनिए
पण्डित बड़े रामदास मिश्र |
कजरी : ‘बरसन लागी बदरिया रूम झूम के...’ : विदुषी गिरिजा देवी और पण्डित रवि किचलू
कजरी : ‘बरसन लागी बदरिया रूम झूम के...’ : पण्डित छन्नूलाल मिश्र
कजरी : ‘बरसन लागी बदरिया रूम झूम के...’ : पण्डित विद्याधर मिश्र
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 332वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको एक वाद्यसंगीत की धुन का एक
अंश सुनवा रहे हैं। संगीत के इस अंश को सुन कर आपको निम्नलिखित तीन में से
किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के 340वें अंक की
पहेली के सम्पन्न होने के बाद जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें
इस वर्ष के चौथे सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा।
1 – संगीत के इस अंश को सुन कर पहचानिए कि यह कौन सा संगीत-वाद्य है?
2 – संगीत में प्रयोग किये गए ताल अथवा तालों के नाम बताइए।
3 – इस वाद्य-संगीत को किस सुविख्यात वादक ने बजाया है?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com पर ही शनिवार 2 सितम्बर, 2017 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर,
प्रदेश और देश के नाम के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के 334वें अंक में
प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के
बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना
चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे
दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
की 330वीं कड़ी की पहेली में हमने आपसे 1976 में प्रदर्शित फिल्म “शक” से
राग आधारित गीत का एक अंश प्रस्तुत कर आपसे तीन में से दो प्रश्नों का
उत्तर पूछा था। पहले प्रश्न का सही उत्तर है, राग – जयन्त मल्हार, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है, ताल – दादरा और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है, स्वर – आशा भोसले।
इस अंक की पहेली प्रतियोगिता में प्रश्नों के सही उत्तर देने वाले हमारे नियमित प्रतिभागी हैं - चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, पेंसिलवेनिया, अमेरिका से विजया राजकोटिया, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी।
आशा है कि हमारे अन्य पाठक / श्रोता भी नियमित रूप से साप्ताहिक स्तम्भ
‘स्वरगोष्ठी’ का अवलोकन करते रहेंगे और पहेली प्रतियोगिता में भाग लेंगे।
उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक
बधाई।
अपनी बात
मित्रों,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर हमारी
श्रृंखला “पावस ऋतु के राग” जारी है। इस श्रृंखला में ऋतु प्रधान गीतो को
प्रस्तुत किया जा रहा है। आज की इस कड़ी में हमने आपके लिए कजरी गीत का
उपशास्त्रीय स्वरूप से साक्षात्कार कराया और बनारस संगीत घराने के
सुप्रसिद्ध विद्वान बड़े रामदास महाराज की एक कजरी रचना को चार सुविख्यात
कलासाधकों के स्वरों में प्रस्तुत किया। आगामी अंक में भी हम वर्षा ऋतु में
गायी जाने वाली इस विशेष संगीत शैली पर चर्चा करेंगे और इस संगीत शैली में
निबद्ध कुछ रचनाएँ भी प्रस्तुत करेंगे। हमारी जारी श्रृंखला और आगामी
श्रृंखलाओं के लिए विषय, राग, रचना और कलाकार के बारे में यदि आपकी कोई
फरमाइश हो तो हमें swargoshthi@gmail.com पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 8 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच पर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
वाचक स्वर : संज्ञा टण्डन
आलेख व प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
आलेख व प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
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