Skip to main content

चित्रकथा - 30: इस दशक के नवोदित नायक (भाग - 3)

अंक - 30

इस दशक के नवोदित नायक (भाग - 3)


"तू हीरो नंबर वन है..." 



’रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। बीसवीं सदी के चौथे दशक से सवाक् फ़िल्मों की जो परम्परा शुरु हुई थी, वह आज तक जारी है और इसकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ती ही चली जा रही है। और हमारे यहाँ सिनेमा के साथ-साथ सिने-संगीत भी ताल से ताल मिला कर फलती-फूलती चली आई है। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें बातें होंगी चित्रपट की और चित्रपट-संगीत की। फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत से जुड़े विषयों से सुसज्जित इस पाठ्य स्तंभ में आपका हार्दिक स्वागत है। 


हर रोज़ देश के कोने कोने से न जाने कितने युवक युवतियाँ आँखों में सपने लिए माया नगरी मुंबई के रेल्वे स्टेशन पर उतरते हैं। फ़िल्मी दुनिया की चमक-दमक से प्रभावित होकर स्टार बनने का सपना लिए छोटे बड़े शहरों, कसबों और गाँवों से मुंबई की धरती पर क़दम रखते हैं। और फिर शुरु होता है संघर्ष। मेहनत, बुद्धि, प्रतिभा और क़िस्मत, इन सभी के सही मेल-जोल से इन लाखों युवक युवतियों में से कुछ गिने चुने लोग ही ग्लैमर की इस दुनिया में मुकाम बना पाते हैं। और कुछ फ़िल्मी घरानों से ताल्लुख रखते हैं जिनके लिए फ़िल्मों में क़दम रखना तो कुछ आसान होता है लेकिन आगे वही बढ़ता है जिसमें कुछ बात होती है। हर दशक की तरह वर्तमान दशक में भी ऐसे कई युवक फ़िल्मी दुनिया में क़दम जमाए हैं जिनमें से कुछ बेहद कामयाब हुए तो कुछ कामयाबी की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं। कुल मिला कर फ़िल्मी दुनिया में आने के बाद भी उनका संघर्ष जारी है यहाँ टिके रहने के लिए। ’चित्रकथा’ में आज से हम शुरु कर रहे हैं इस दशक के नवोदित नायकों पर केन्द्रित एक लघु श्रॄंखला जिसमें हम बातें करेंगे वर्तमान दशक में अपना करीअर शुरु करने वाले शताधिक नायकों की। प्रस्तुत है ’इस दशक के नवोदित नायक’ श्रॄंखला की तीसरी कड़ी।



फ़िल्मी दुनिया में क़दम रखने वाले नौजवानों को चार भागों में बाँटा जा सकता है - पहले भाग में आते हैं स्टार सन्स, अर्थात् गुज़रे दौर के सितारों व फ़िल्मकारों के बेटे; दूसरे भाग में आते हैं वो नौजवान जिन्होंने छोटे परदे पर अपनी जगह बना ली है और बड़े परदे पर उतरने का सपना देखते हैं; तीसरे भाग में आते हैं मॉडलिंग् की दुनिया से आने वाले युवक; और चौथे भाग में शामिल हैं बिल्कुल नए और संघर्षरत युवक जो या तो बिल्कुल अनभिज्ञ हैं या फिर थिएटर/ड्रामा जगत से ताल्लुख़ रखते हैं। ’इस दशक के नवोदित नायक’ श्रॄंखला की तीसरी कड़ी में बातें दूसरे भाग की, अर्थात् कुछ ऐसे नवयुवकों की जिन्होंने छोटे परदे से बड़े परदे का रुख़ किया। पहला नाम अर्जुन बिजलानी। मुंबई में ही जन्मे और पले बढ़े अर्जुन ने बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल से पढ़ाई की और आगे चल कर कॉमर्स की डिग्री प्राप्त की। वर्ष 2004 में अर्जुन बिजलानी ने टेलीविज़न जगत में क़दम रखा ’बालाजी टेलीफ़िल्म्स’ की धारावाहिक ’कार्तिका’ से जिसमें उन्हें लीड रोल दिया गया था। फिर उसके बाद एक के बाद एक धारावाहिकों में वो नज़र आते चले गए जिनमें प्रमुख नाम हैं ’रीमिक्स’, ’लेफ़्ट राइट लेफ़्ट’, ’मोहे रंग दे’, ’मिले जब हम तुम’, ’परदेस में मिला कोई अपना’, ’तेरी मेरी लव स्टोरीज़’, ’काली - एक पुनर अवतार’, ’चिन्टु बन गया जेन्टलमैन’, ’जो
अर्जुन बिजलानी, बरुण सोबती, भरत चावड़ा
बीवी से करे प्यार’, ’ये है आशिक़ी’, ’मेरी आशिक़ी तुम से ही’, ’नागिन’, ’कवच’, ’परदेस में है मेरा दिल’ प्रमुख। 2012-13 में अर्जुन ने तीन लघु फ़िल्मों में अभिनय किया - ’फ़ुल फ़ुकरे’, ’आइ गेस’, और ’कॉट इन द वेब’। इन तीनों लघु फ़िल्मों में उनके सशक्त अभिनय को देखते हुए 2016 में ’बाबा मोशन पिक्चर्स’ के बैनर तले बनने वाली फ़िल्म ’डायरेक्ट इश्क़’ में उन्हें अभिनय का मौका मिला और इस तरह से अर्जुन बिजलानी ने बॉलीवूड में क़दम रखा। इस फ़िल्म में उनके साथ रजनीश दुग्गल और निधि सुब्बैया ने अभिनय किया। अर्जुन टेलीविज़न पर बेहद लोकप्रिय हैं और अब देखना है कि क्या बड़े परदे पर भी वो उतने ही लोकप्रिय सिद्ध होते हैं! बरुण सोबती भी टेलीविज़न जगत के एक जाने पहचाने नाम हैं जो 2011 के धारावाहिक ’इस प्यार को क्या नाम दूँ’ में एक यादगार किरदार निभाया था। दिल्ली के पश्चिम विहार इलाके में पले-बढ़े बरुण मुंबई आने से पहले एक दूरसंचार कंपनी में सात साल नौकरी की। 2013 में उन्हें ब्रिटिश मैगज़ीन Eastern Eye की तरफ़ से Sexiest Asian Man का ख़िताब मिला। इससे वो चर्चा में आए और 2014 में उन्हें बॉलीवूड में क़दम रखने का मौका मिला, फ़िल्म थी ’मैं और मिस्टर राइट’। इसके बाद 2015 में बरुण नज़र आए जल संरक्षण पर आधारित लघु फ़िल्म ’ड्राइ ड्रीम्स’ में। 2016 में उन्होंने तीन फ़िल्मों में अभिनय किया - ’सत्रह को शादी है’, ’तू है मेरा संडे’ और ’22 यार्ड्स’। लेकिन दुर्भाग्यवश इनमें से कोई भी फ़िल्म अब तक प्रदर्शित नहीं हो सकी। बरुण सोबती आज टेलीविज़न में सक्रीय हैं और इन दिनों ’तन्हाइयाँ’ और ’इस प्यार को क्या नाम दूँ - 3’ में वो नज़र आ रहे हैं। ’स्टार प्लस’ चैनल पर ’मेरी भाभी’ धारावाहिक में श्रद्धा के पति बॉबी सूद की भूमिका में नज़र आने वाले भरत चावड़ा ने अपना सफ़र शुरु किया था 2007 में लोकप्रिय धारावाहिक ’कहानी घर घर की’ से। उसके बाद ’बन्दिनी’, ’मायके से बंधी डोर’, ’मेरी भाभी’, ’और प्यार हो गया’, ’उत्तरण’ जैसी धारावाहिकों में वो एक चर्चित चेहरा रहे। फ़िल्म जगत में उनका पदार्पण हुआ 2013 की हिट फ़िल्म ’गोलियों की रासलीला राम लीला’ से जिसमें उन्होंने मंगा का किरदार निभाया। 2017 में एक गुजराती फ़िल्म ’शुभारंभ’ में वो नायक की भूमिका में नज़र आएँगे। देखना यह है कि क्या वो किसी हिन्दी फ़िल्म में भी नायक बन पाते हैं!


करण सिंह ग्रोवर, पुल्कित सम्राट, गुरमीत चौधरी
छोटे परदे से बड़े परदे तक का कामयाब सफ़र तय करने वाले कलाकारों में एक महत्वपूर्ण नाम है करण सिंह ग्रोवर। दिल्ली के एक पंजाबी सिख परिवार में जन्में करण बड़े हुए सौदी अरब के दम्मम शहर में जहाँ उनका परिवार स्थानान्तरित हो गया था। होटल मैनेजमेण्ट की स्नातक की पढ़ाई के लिए करण मुंबई आए और पढ़ाई पूरी करने के बाद ओमान में नौकरी पर लग गए। 2004 में मॉडलिंग् में करीयर बनाने के लिए करण मुंबई वापस आए और ’ग्लैडरैग्स मैनहन्ट कॉन्टेस्ट’ में भाग लेकर ’मोस्ट पॉपुलर मॉडल’ का ख़िताब जीता। 2013 और 2014 में एशिया के श्रेष्ठ 50 कामोत्तेजक पुरुषों में उनका नाम शामिल हुआ। 2013 में करण सिंह ग्रोवर टेलीविज़न जगत के ’हाएस्ट पेड स्टार्स’ में से एक थे। ’बालाजी टेलीफ़िल्म्स’ के ’कितनी मस्त है ज़िन्दगी’ से अपना टेलीविज़न करीयर शुरु करने के बाद करण ’दिल मिल गए’ से बेहद लोकप्रिय हो गए और घर घर में उनकी चर्चा होने लगी। अभिनय के साथ-साथ करण ने रियल्टी शोज़ की मेज़बानी भी शुरु कर दी और इसमें भी वो कामयाब हुए। ’ज़रा नचके दिखा’ और ’पर्फ़ेक्ट कपल’ ऐसी दो शोज़ थी। इसके बाद ’क़ुबूल है’ धारावाहिक में भी करण के अभिनय और उनके द्वारा निभाये गए किरदार की काफ़ी तारीफ़ें हुईं। 2015 में करण ने फ़िल्म जगत में क़दम रखा और एक के बाद एक दो फ़िल्में उनकी आईं - पत्नी बिपाशा बासु के साथ ’अलोन’ जो एक हॉरर फ़िल्म थी, और शरमन जोशी व ज़रीन ख़ान के साथ ’हेट स्टोरी 3’। दोनों ही फ़िल्मों में करण ने उम्दा अभिनय किया लेकिन दोनों फ़िल्मों में बी-ग्रेड फ़िल्मों की तरह ऐसे कामुक और अश्लील दृश्य डाले गए कि ये फ़िल्में पारिवारिक फ़िल्में नहीं बन सकीं। इन दिनों करण ना तो किसी टेलीविज़न शो में नज़र आ रहे हैं और ना ही उनके किसी फ़िल्म के आने कोई ख़बर है। टेलीविज़न जगत से आने वाला एक और मशहूर नाम है पुल्कित सम्राट। दिल्ली में जन्में और वहीं पले-बढ़े पुल्कित को अपने कॉलेज के दिनों में एक मॉडलिंग् असाइनमेन्ट मिला था जिसकी ख़ातिर वो पढ़ाई छोड़ कर मुंबई चले आए। 2005 में मुंबई आने के बाद उन्होंने किशोर नमित कपूर के ऐक्टिंग् स्कूल से अभिनय की तालीम ली और 2006 में उन्हें ’क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ में लक्ष्य वीरानी का किरदार मिल गया। उनके इस किरदार को ज़्यादा महत्व नहीं दिया गया जिसकी वजह से पुल्कित ’बालाजी टेलीफ़िल्म्स’ के साथ अपने कॉनट्रैक्ट को तोड़ना चाहते थे। इस वजह से एकता कपूर के साथ उनकी अन-बन हो गई और उन्होंने यह काम छोड़ दिया। उसके बाद पुल्कित वैभवी मर्चैन्ट के म्युज़िकल थिएट्रिकल ’ताज एक्स्प्रेस’ में लीड कोरियोग्राफ़र बन गए। 2012 में उनकी क़िस्मत चमकी और ’बिट्टू बॉस’ फ़िल्म से उनका फ़िल्मी सफ़र शुरु हुआ। हालाँकि यह फ़िल्म नहीं चली, लेकिन पुल्कित ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया। 2013 में ’फ़ुकरे’ हिट हुई और 2014 में ’ओ तेरी’ को भी युवा वर्ग ने पसन्द किया। 2015 में अरबाज़ ख़ान की फ़िल्म ’डॉली की डोली’ में वो सोनम कपूर और राजकुमार राव के साथ अभिनय करते नज़र आए। बतौर नायक उनकी सर्वाधिक महत्वपूर्ण फ़िल्म थी यामी गौतम के साथ ’सनम रे’ जो 2016 में आई। फ़िल्म हिट रही और इसके गीतों ने भी काफ़ी धूम मचाया। इसी साल उनकी दूसरी फ़िल्म ’जुनूनियत’ नहीं चली। 2017-18 में पुल्कित सम्राट की कई फ़िल्में आने वाली हैं - ’3 Storeys', ’फ़ुकरे रिटर्ण्स’, ’वीरे की वेडिंग्’ और ’पल्टन’। देखना यह है कि इन फ़िल्मों में पुल्कित कितने कामयाब हो पाते हैं! गुरमीत चौधरी ने टेलीविज़न ऐक्टर, मॉडल और डान्सर के रूप में अपना करीयर शुरु किया और डान्स रियल्टी शो ’झलक दिखला जा 5’ का विजेता बने। ’रामायण’, ’गीत - सबसे हुई पराई’ और ’पुनर्विवाह’ जैसे धारावाहिकों में अभिनय करने के बाद 2015 में उन्हें करण दर्रा की हॉरर फ़िल्म ’ख़ामोशियाँ’ में अभिनय करने का मौका मिला। मार्शल आर्ट में पारंगत गुरमीत मिस्टर जबलपुर रह चुके हैं और मिस्टर इंडिया के ख़िताब के भी बहुत नज़दीक पहुँचे थे। 2016 की फ़िल्म ’वजह तुम हो’ में गुरमीत को एक महत्वपूर्ण किरदार अदा करने का मौका मिला। 2017 की फ़िल्म ’लाली की शादी में लड्डू दीवाना’ में गुरमीत नज़र आए, लेकिन अभी भी गुरमीत को फ़िल्मों में बड़ी कामयाबी हासिल नहीं हुई है। उम्मीद करेंगे कि जिस तरह से छोटे परदे के दर्शकों के दिलों को उन्होंने जीता है, वैसे ही बड़े परदे पर भी वो अपनी छाप छोड़ जाएंगे।

जय भानुशाली, कपिल शर्मा, वरुण खण्डेलवाल
कपिल शर्मा का नाम कौन नहीं जानता! आज टेलीविज़न शोज़ में सर्वाधिक लोकप्रिय अगर कोई मेज़बान हैं, तो वो हैं कपिल शर्मा। कमाल की कॉमिक टाइमिंग् और गुदगुदाने वाला सेन्स ऑफ़ ह्युमर और एक अनोखी शख़्सियत के मालिक कपिल आज छोटी के स्टैन्ड-अप कमीडियन हैं। हिन्दी फ़िल्मों में भी अपना क़िस्मत आज़माने के उद्देश्य से वो पहली बार बड़े परदे पर नज़र आए थे 2011 की फ़िल्म ’भावनाओं को समझो’ में जिसमें उन्होंने ठाकुर के बेटे के किरदार में एक छोटा सा रोल अदा किया था। सही मायने में उनका फ़िल्मी डेब्यु हुआ उन्हीं के द्वारा निर्मित फ़िल्म ’ किस किस को प्यार करूँ’ में। फ़िल्म तो नहीं चली लेकिन इसमें उनके अभिनय को दाद मिली। कपिल ने इस असफलता से हार नहीं मानी और 2017 में उनकी दूसरी निर्मित व अभिनीत फ़िल्म ’फ़िरंगी’ प्रदर्शित होने जा रही है। निस्संदेह आज कपिल टेलीविज़न का सबसे अधिक लोकप्रिय शख़्स हैं। लेकिन छोटे परदे पर लोग उन्हें जिस रूप के लिए अपने दिलों में जगह दी है, क्या वो उस कपिल को हिन्दी फ़िल्म के हीरो के रूप में स्वीकार कर लेंगे, यह ’फ़िरंगी’ के प्रदर्शित होने के बाद ही पता चलेगा! कपिल शर्मा ही की तरह टेलीविज़न पर एक और जानामाना चेहरा है जय भानुशाली जो एक लोकप्रिय मेज़बान भी हैं। नीव शेरगिल की भूमिका में एकता कपूर के ”क़यामत’ धारावाहिक से जय घर घर में लोकप्रिय हो गए थे। वैसे टीवी पर उनका डेब्यु हुआ था ’धूम मचाओ धूम’ शो में जिसमें उन्होंने वरुण भास्कर का रोल निभाया था। ’कयामत’ के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले और वो टीवी जगत का एक जानामाना नाम बन गए। ’डान्स इंडिया डान्स’ में उनकी मेज़बानी इतनी प्रसिद्ध हुई कि उन्हें ’बेस्ट ऐंकर’ के भी कई पुरस्कार मिले। ’झलक दिखला जा 2’ में वो एक प्रतियोगी बने और ’नच बलिये 5’ के वो विजेता रहे। इसके बाद उन्हें बॉलीवूड में क़दम रखने का मौका मिला 2014 की फ़िल्म ’हेट स्टोरी 2’ में जिसमें उन्होंने अक्षय बेदी का किरदार निभाया। इस फ़िल्म में "आज फिर तुमपे प्यार आया है" गीत को रिक्रीएट किया गया था जिस पर उनके कामुक दृश्य चर्चा का विषय बन गए थे। जय भानुशाली एक बहुत ही नैचरल ऐक्टर हैं और उनकी कॉमिक टाइमिंग् भी कमाल का है। आने वाले समय में उनकी और अच्छी फ़िल्मों की हम आशा रखते हैं। लखनऊ के रहने वाले वरुण खण्डेलवाल ने अपने सपनों को साकार करने के लिए मुंबई का टिकट कटवाया और मायानगरी में उतर कर एक कॉलेज में दाख़िला लिया। वहाँ उन्होंने अभिनय नहीं बल्कि ’ट्रैवल ऐण्ड टूरिज़्म’ का कोर्स किया। जब उन्होंने लखनऊ में किए हुए मॉडेलिंग् और नाटकों में अभिनय के अनुभव के बारे में अपने मुंबई के दोस्तों से बात की तो उनके ज़रिए उन्हें ’बालाजी टेलीफ़िल्म्स’ के ’कहानी घर घर की’ और ’कसौटी ज़िन्दगी के’ जैसे लोकप्रिय धारावाहिकों में काम करने का मौका मिला। उनके अभिनय क्षमता को देखते हुए उन्हें कई और धारावाहिकों में अभिनय के मौके मिले जिनमें प्रमुख नाम हैं ’ज्योति’, ’भाभी’, ’यहाँ मैं घर घर खेली’, ’दीया और बाती हम’, ’ये हैं मोहब्बतें’ और ’साजन घर जाना है’। कुछ वर्ष टेलीविज़न में काम करने के बाद वरुण को 2014 में पूजा गुजराल की फ़िल्म ’मैं और मिस्टर राइट’ में अभिनय का मौका मिला। भले वो फ़िल्म के मुख्य नायक नहीं थे, पर उनके द्वारा निभाया गया किरदार भी सराहा गया। एक साक्षात्कार में वरुण ने बताया कि वो अभिनय के साथ साथ किसी दिन फ़िल्म निर्देशक भी बनना चाहते हैं और यह उनका कॉलेज के दिनों से ही सपना है।

निशान्त मलकानी, पारस अरोड़ा, पारस छाबड़ा, पार्थ समठान
दिल्ली के निशान्त मलकानी ने 2005 में स्कूल की शिक्षा पूरी कर दिल्ली विश्वविद्यालय से इकोनोमिक्स में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। उन्हीं दिनों उन्हें शंकर रॉय के निर्देशन में एक बांग्ला फ़िल्म में नायक की भूमिका अदा करने का न्योता मिला। लेकिन अपनी पढ़ाई को ज़्यादा तवज्जु देते हुए निशान्त ने वह ऑफ़र ठुकरा दिया। फिर उसके बाद पढ़ाई पूरी होते ही निशान्त छोटे परदे पर उतर गए 2009 की लोकप्रिय धारावाहिक ’मिले जब हम तुम’ से। अधिराज की भूमिका में वो सफल रहे। फिर इसके बाद ’ससुराल गेंदाफूल’, ’राम मिलाये जोड़ी’ और ’प्यार की ये एक कहानी’ जैसे चर्चित धारावाहिकों में निशान्त छाये रहे। हिन्दी फ़िल्मों में निशान्त की शुरुआत हुई विक्रम भट्ट की 2013 की फ़िल्म ’हॉरर स्टोरी’ से जिसमें निशान्त की अदाकारी को काफ़ी सराहना मिली। निशान्त ने ’इश्क़ ने क्रेज़ी किया रे’ फ़िल्म में नायक का रोल निभाया। ’बेज़ुबान इश्क़’ और ’क्युट कमीना’ जैसी फ़िल्मों में निशान्त ने अलग अलग किरदार निभाए और अपने वर्सेटाइलिटी का सबूत पेश किया। 28 वर्षीय निशान्त मलकानी के अभिनय को देख कर लगता है कि ये बहुत दूर तक जाएंगे। ऐसे ही एक और अभिनेता हैं पारस अरोड़ा जो ’वीर शिवाजी’ धारावाहिक में छत्रपति शिवाजी के  किरदार के लिए जाने जाते हैं। 2008 में पारस ने भगवान राम की भूमिका में ’रामायण’ धारावाहिक से अपना टेलीविज़न करीयर शुरु किया और उसके बाद कई सालों तक पौराणिक धारावाहिकों जैसे कि ’रावण’, ’महाभारत’, ’मीरा’, ’जय माँ दुर्गा’, ’वीर शिवाजी’, ’महारक्षक आर्यन’ में नज़र आते रहे। पौराणिक और ऐतिहासिक धारावाहिकों के चंगुल से अपने को आज़ाद कर पारस अरोड़ा 2014-15 में ’प्यार तूने क्या किया’, ’पुलिस फ़ैक्टरी’ और ’उड़ान’ जैसे धारावाहिकों में नज़र आए। इसी बीच फ़िल्मों में भी वो कभी कभार नज़र आते रहे। 2004 में ’युवा’ और 2009 में ’लेट्स डान्स’ में छोटे मोटे रोल अदा करने के बाद 2013 में पारस कंगना रनौत के विपरीत नायक की भूमिका में फ़िल्म ’रज्जो’ में अभिनय किया जिसकी प्रशंसा हुई। इस वर्ष 2017 में गौरी ख़ान निर्मित व इम्तियाज़ अली निर्देशित फ़िल्म ’जब हैरी मेट सेजल’ में वो नज़र आयेंगे शाहतुख़ ख़ान और अनुष्का शर्मा के साथ। पारस अरोड़ा के बाद अब ज़िक्र पारस छाबड़ा का। पारस एक जाने माने मॉडल रहे हैं जिन्होंने कई नामी ब्रैन्ड्स के लिए विज्ञापन किए, और बहुत से मशहूर फ़ैशन डिज़ाइनरों के रैम्प शोज़ और डिज़ाइनर शोज़ का हिस्सा बने। पारस चर्चा में आए MTV Splitsvilla Season 5 के विजेता बनने के बाद। MTV Splitsvilla Season 8 में भी उन्होंने सेलिब्रिटी कॉन्टेस्टेन्ट के रूप में हिस्स लिया था और एक एपिसोड में सनी लेयोन के नज़दीक आने की कोशिश करने की वजह से विवादों से घिर गए थे। कुछ टीवी धारावाहिकों के गिने चुने एपिसोडों में नज़र आते रहे हैं पारस। फ़िल्मों में उनकी शुरुआत हुई ’मिडसमर मिडनाइट मुंबई’ से जिसमें वो डबल रोल में नज़र आए। यह फ़िल्म बुरी तरह से असफल रही और पारस यह मानते हैं कि उन्होंने ग़लत फ़िल्म चुन ली थी। लोकप्रिय धारावाहिक ’बढ़ो बहू’ में पारस छाबड़ा इन दिनों नज़र आ रहे हैं, लेकिन उन्हें अब भी एक ऐसी फ़िल्म का इन्तज़ार है जो उनके फ़िल्मी करीयर को एक नई दिशा दिखा सके। अभिनेता पार्थ समठान के करीयर की शुरुआत हुई थी Pantaloon Fresh Face 2012 प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान पा कर। क्लोज़-अप और कोक के लोकप्रिय ऐड्स में दिखाई देने के बाद पार्थ का टेलीविज़न सफ़र ज़ोरों से चल पड़ा। ’गुमराह’, ’बेस्ट फ़्रेन्ड्स फ़ॉरेवर’, ’सावधान इन्डिया’, ’ये है आशिक़ी’, ’प्यार तूने क्या किया’ और ’कैसी ये यारियाँ’ जैसी धारावाहिकों में पार्थ 2012 से लेकर 2015 तक नज़र आते रहे हैं। 2016 में उन्होंने फ़िल्मों में क़िस्मत आज़माने के लिए ’गूगली हो गई’ फ़िल्म साइन की। इसके अलावा दो और फ़िल्मों के लिए पार्थ चुने गए हैं। ’गूगली हो गई’ में पार्थ की नायिका बनी पूनम कौर तथा आदित्य पंचोली और ज़रीना वहाब भी महत्वपूर्ण किरदारों में नज़र आए। फ़िल्म चली नहीं और पार्थ अपनी दूसरी फ़िल्म से उम्मीदें लगाये हुए हैं। पार्थ ने ’गूगली हो गई’ फ़िल्म के गीत "जिन्द मेरी" को ख़ुद गाया भी है। हाल ही में ’तू जो कहे’ म्युज़िक विडियो में वो अनमोल मलिक के साथ नज़र आए। इस गीत को पलाश मुछाल ने कम्पोज़ किया है।

साहिल आनन्द, विशाल कड़वाल, राजबीर सिंह
चंडीगढ़ के साहिल आनन्द पहली बार छोटे परदे पर नज़र आए ’MTV Roadies 4' में। इससे वो इतने चर्चित हो गए कि फिर एक के बाद एक कुल 23 विज्ञापनों के ऑफ़र उन्हें मिले। करण जोहर, जो उन दिनों ’स्टुडेण्ट ऑफ़ दि यीअर’ की योजना बना रहे थे, उन्हें इस फ़िल्म के एक किरदार के लिए एक नए चेहरे की तलाश थी। करण ने साहिल को ऑडिशन के लिए बुलाया। ऑडिशन में साहिल के अभिनय और नृत्य की प्रतिभा से प्रभावित हो कर करण ने इस फ़िल्म में उन्हें ’जीत’ का किरदार सौंप दिया। 2012 की इस फ़िल्म की सफलता और साहिल के स्वच्छन्द अभिनय को देख कर इसके बाद उन्हें कई और फ़िल्मों में बतौर मुख्य नायक अभिनय का मौका मिला। ये फ़िल्में हैं ’बबलू हैप्पी है’ (2014), ’बैंग् बैंग् बैंग्कॉक’ (2016), ’है अपना दिल तो आवारा’ (2016) और ’लव डे - प्यार का दिन’ (2016)। इनमें से कोई भी फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर कमाल नहीं दिखा सकी, लेकिन साहिल इससे डगमगाए नहीं। एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि वो टॉप के निर्माता और निर्देशकों के साथ काम करना चाहते हैं और वो चाहते हैं कि लोग उन्हें उनके काम की वजह से याद रखें। हिमाचल प्रदेश के पंजाबी घराने में जन्में विशाल कड़वाल एक कम्प्युटर साइन्स इंजिनीयर हैं। साथ ही साथ एक सर्टिफ़ाइड कमर्शियल पायलट भी। विशाल रातों रात सबकी नज़र में आए MTV Roadies Season 4 में। भले इसमें वो चौथे एपिसोड में ही बाहर निकल गए थे, लेकिन MTV Splitsvilla Season 1 में वो वापस आए और इस वार विजेता बन कर ही निकले। फिर इसके बाद टेलीविज़न में वो नज़र आने लगे। श्री कृष्ण की भूमिका में वो ’द्वारकाधीश’ धारावाहिक में अच्छा अभिनय किया जिसे लोगों ने अब तक याद रखा है। फ़िल्म जगत में उनका पदार्पण हुआ 2012 की पंजाबी फ़िल्म ’अप्पन फिर मिलेंगे’ में जिसमें वो ग्रेसी सिंह के साथ नज़र आए। बॉक्स ऑफ़िस पर नाकामयाब इस फ़िल्म के बाद विशाल ने 2016 में बॉलीवूड में क़दम रखते हुए विक्रम भट्ट की हॉरर फ़िल्म ’1920 लंदन’ में सह-अभिनेता का किरदार निभाया। फ़िल्म की नायिका मीरा चोपड़ा के पति वीर सिंह का किरदार था जिस पर किसी आत्मा ने भर कर लिया था। इस फ़िल्म में उनके अभिनय की काफ़ी सराहना हुई। अब देखना यह है कि विशाल की अगली फ़िल्म कौन सी होती है। 'The Adventures of Hatim' के हातिम की भूमिका में नज़र आने वाले राजबीर सिंह ने अपना सफ़र मॉडलिंग् से शुरु किया। टेलीविज़न पर पहली बार नज़र आए 2009 के रियल्टी शो ’पर्फ़ेक्ट ब्राइड’ में। 2013-14 में हातिम की भूमिका में नज़र आने के बाद 2015 में ’क़ुबूल है’ धारावाहिक में मुख्य चरित्र आज़ाद को निभाया जिसे लोगों ने ख़ूब पसन्द किया। 2017 में वो नज़र आ रहे हैं ’जोश और शक्ति... जीवन का खेल’ में। जहाँ तक फ़िल्मों की बात है, राजबीर सिंह ने 2011 की हॉरर फ़िल्म ’Who's There?’ से शुरुआत की थी। लेकिन कुछ बात नहीं बनी। 2016 की वितर्कित फ़िल्म ’इश्क़ जुनून’ में उन्होंने नायक की भूमिका अदा की। बोल्ड कॉनसेप्ट और कामुक दृश्यों से भरे ट्रेलर ने फ़िल्म की रिलीज़ से पहले से ही सनसनी पैदा कर दी थी, लेकिन फ़िल्म के प्रदर्शित होने पर सब टाँय टाँय फ़िश हो गया। फ़िल्म पिट गई। 2016 में ही राजवीर ’क्लब डान्सर’ फ़िल्म में भी नज़र आए, पर इस फ़िल्म को भी लोगों ने नज़रन्दाज़ कर दिया। देखना यह है कि क्या आने वाले समय में हैन्डसम यंग मैन राजबीर सिंह एक सफल बॉलीवूड नायक बन पाते हैं या नहीं!

रोहित सराफ़, शहीर शेख़, सिद्धान्त कारनिक
धनबाद झारखण्ड के रोहित सराफ़, जिन्होंने अभी तक बीस की दहलीज़ पार नहीं की है, टेलीविज़न जगत में एक जाना पहचाना नाम हैं। उन्हें अपना पहला ब्रेक मिला था Channel V के ’Best Friends Forever’ में जो एक "daily teen drama" थी। इसमें उनके द्वारा निभाया गया साहिल का किरदार ख़ूब लोकप्रिय हुआ, और इसके तुरन्त बाद उन्हें ’एक बूंद इश्क़’ धारावाहिक में नायक के छोटे भाई का निरदार निभाने का ऑफ़र मिल गया। MTV के ’Big F' में भी रोहित नज़र आए और कई विज्ञापनों में वो दिखाई दिए। 2016 में रोहित के क़दम पड़े बॉलीवूड में जब गौरी ख़ान - करण जोहर निर्मित शाहरुख़ ख़ान - आलिया भट्ट अभिनीत फ़िल्म ’डियर ज़िन्दगी’ में उन्हें आलिया के छोटे भाई का रोल निभाने का मौक़ा मिला। यह रोल छोटा सही पर महत्वपूर्ण था। और रोहित ने बहुत अच्छा निभाया। समीक्षकों के अनुसार आने वाले समय में रोहित सराफ़ एक कामयाब अभिनेता बन कर उभरने वाले हैं। एकता कपूर की ’महाभारत’ में अर्जुन की भूमिका में शहीर शेख़ आपको याद ही होगा! शहीर ने वकालत की पढ़ाई की और वकील बने। लेकिन उसमें उनका दिल नहीं लगा और एक मॉडल व अभिनेता बनने में जुट गए। टेलीविज़न में उनकी शुरुआत हुई ’सान्या’ धारावाहिक से, लेकिन उन्हें पहला बड़ा ब्रेक मिला ’क्या मस्त है लाइफ़’ में। ’झांसी की रानी’ धारावाहिक में नाना साहिब की भूमिका में नज़र आने के बाद 2011 में उन्होंने ’नव्या’ धारावाहिक में काम किया। ’महाभारत’ में अर्जुन के किरदार में उन्हें दर्शकों ने हाथों हाथ ग्रहण किया और इसके लिए उन्हें बहुत से पुरस्कार भी मिले। इसके बाद इन्दोनेशिया में जा कर शहीर ने कई टीवी शोज़ होस्ट किए और वहाँ वो बेहद लोकप्रिय सिद्ध हुए। उनकी कामयाबी का आलम ऐसा था कि उन्हें इन्दोनेशियन फ़िल्म ’तुरिस रोमान्तिस’ में मुख्य भूमिका निभाने का मौका मिल गया। इस फ़िल्म में उन्होंने भारतीय फ़ोटोग्राफ़र अज़ान ख़ान का किरदार निभाया। 2017 में उन्हें एक और इन्दोनेशियन फ़िल्म का ऑफ़र मिला है - ’माइपा ऐन्ड दातु मुसेंग्’। अब देखना यह है कि क्या नायक के रूप में बॉलीवूड शहीर को अपनाता है या नहीं! 2015 में UK साप्ताहिक Eastern Eye के वार्षिक मतदान में शहीर शेख़ को 'Top 50 Sexiest Asian men' में जगह दी गई। अभिनेता सिद्धान्त कारनिक को हमने कई टीवी धारावाहिकों में देखा है। 2004 से लेकर अब तक वो छोटे परदे पर छाये हुए हैं। ’रीमिक्स’, ’क़िस्मत’, ’माही वे’, ’रिश्ता.com’, ’प्यार की ये एक कहानी’, ’आसमाँ से आगे’, ’ये है आशिक़ी’, ’गुस्ताख़ दिल’ और ’एक था राजा एक थी रानी’ में उनके निभाये हुए किरदार सभी ने देखे हैं। हिन्दी फ़िल्मों में उनके क़दम पड़े 2009 की फ़िल्म ’फ़ास्ट फ़ॉरवार्ड’ से। उसी साल दो और फ़िल्मों में वो नज़र आए - ’ये मेरा इन्डिया’ और ’ब्लू ऑरेंजेस’। फिर उसके बाद कुछ लघु फ़िल्मों में अभिनय करने के बाद 2010 की फ़िल्म ’लफ़ंगे परिन्दे’ में उन्हें एक ऐंकर का किरदार निभाने का मौका मिला। 2013 की फ़िल्म ’लिसन अमाया’ में उन्होंने राघव का किरदार निभाया। किरदार प्रमुख नहीं था लेकिन फ़ारुख़ शेख़, दीप्ति नवल और स्वरा भास्कर जैसे कलाकारों के साथ उन्हें काम करने का मौका मिला। सिद्धान्त अभी भी बॉलीवूड में अपने क़दम जमा नहीं सके हैं। हम उम्मीद करते हैं कि छोटे परदे की तरह बड़े परदे पर भी वो कामयाब हों।


आख़िरी बात

’चित्रकथा’ स्तंभ का आज का अंक आपको कैसा लगा, हमें ज़रूर बताएँ नीचे टिप्पणी में या soojoi_india@yahoo.co.in के ईमेल पते पर पत्र लिख कर। इस स्तंभ में आप किस तरह के लेख पढ़ना चाहते हैं, यह हम आपसे जानना चाहेंगे। आप अपने विचार, सुझाव और शिकायतें हमें निस्संकोच लिख भेज सकते हैं। साथ ही अगर आप अपना लेख इस स्तंभ में प्रकाशित करवाना चाहें तो इसी ईमेल पते पर हमसे सम्पर्क कर सकते हैं। सिनेमा और सिनेमा-संगीत से जुड़े किसी भी विषय पर लेख हम प्रकाशित करेंगे। आज बस इतना ही, अगले सप्ताह एक नए अंक के साथ इसी मंच पर आपकी और मेरी मुलाक़ात होगी। तब तक के लिए अपने इस दोस्त सुजॉय चटर्जी को अनुमति दीजिए, नमस्कार, आपका आज का दिन और आने वाला सप्ताह शुभ हो!




शोध,आलेख व प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी 
प्रस्तुति सहयोग : कृष्णमोहन मिश्र  



रेडियो प्लेबैक इण्डिया 

Comments

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे...

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु...

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन...