स्वरगोष्ठी – 254 में आज
दोनों मध्यम स्वर वाले राग – 2 : राग केदार
डॉ. एन. राजम् से वायलिन पर और लता मंगेशकर से फिल्मी गीत में सुनिए राग केदार
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर नये वर्ष की पहली श्रृंखला – ‘दोनों मध्यम स्वर वाले राग’ की दूसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-रसिकों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम भारतीय संगीत के कुछ ऐसे रागों की चर्चा करेंगे, जिनमें दोनों मध्यम स्वरों का प्रयोग किया जाता है। संगीत के सात स्वरों में ‘मध्यम’ एक महत्त्वपूर्ण स्वर होता है। हमारे संगीत में मध्यम स्वर के दो रूप प्रयोग किये जाते हैं। स्वर का पहला रूप शुद्ध मध्यम कहलाता है। 22 श्रुतियों में दसवाँ श्रुति स्थान शुद्ध मध्यम का होता है। मध्यम का दूसरा रूप तीव्र या विकृत मध्यम कहलाता है, जिसका स्थान बारहवीं श्रुति पर होता है। शास्त्रकारों ने रागों के समय-निर्धारण के लिए कुछ सिद्धान्त निश्चित किये हैं। इन्हीं में से एक सिद्धान्त है, “अध्वदर्शक स्वर”। इस सिद्धान्त के अनुसार राग का मध्यम स्वर महत्त्वपूर्ण हो जाता है। अध्वदर्शक स्वर सिद्धान्त के अनुसार राग में यदि तीव्र मध्यम स्वर की उपस्थिति हो तो वह राग दिन और रात्रि के पूर्वार्द्ध में गाया-बजाया जाएगा। अर्थात, तीव्र मध्यम स्वर वाले राग 12 बजे दिन से रात्रि 12 बजे के बीच ही गाये-बजाए जा सकते हैं। इसी प्रकार राग में यदि शुद्ध मध्यम स्वर हो तो वह राग रात्रि 12 बजे से दिन के 12 बजे के बीच का अर्थात उत्तरार्द्ध का राग माना गया। कुछ राग ऐसे भी हैं, जिनमें दोनों मध्यम स्वर प्रयोग होते हैं। इस श्रृंखला में हम ऐसे ही रागों की चर्चा करेंगे। श्रृंखला के दूसरे अंक में आज हम राग केदार के स्वरूप की चर्चा कर रहे हैं। राग केदार में पहले हम वायलिन पर डॉ. एन. राजम् द्वारा गायकी अंग में प्रस्तुत एक रचना सुनवाएँगे। पण्डित राजन और साजन मिश्र के युगल स्वरों में एक बन्दिश प्रस्तुत करेंगे। इसके बाद राग केदार के फिल्मी प्रयोग को सुनवाने के लिए फिल्म मुगल-ए-आजम का एक गीत लता मंगेशकर की आवाज़ में प्रस्तुत करेंगे।
दो मध्यम केदार में, स म संवाद सम्हार,
आरोहण रे ग बरज कर, उतरत अल्प गान्धार।
एन. राजम् |
राग केदार : वायलिन पर तीनताल में निबद्ध रचना : डॉ. एन. राजम्
लता मंगेशकर और नौशाद |
राग - केदार : ‘बेकस पे करम कीजिये...’ : लता मंगेशकर : फिल्म - मुगल-ए-आज़म
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 254वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको एक राग पर आधारित फिल्मी गीत
का एक अंश सुनवा रहे हैं। इसे सुन कर आपको निम्नलिखित तीन में से किन्हीं
दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के 260वें अंक की पहेली के
सम्पन्न होने के बाद जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस वर्ष
की पहली श्रृंखला (सेगमेंट) का विजेता घोषित किया जाएगा।
1 – गीत का यह अंश सुन कर बताइए कि इसमें किस राग का आभास हो रहा है?
2 – गीत में प्रयोग किये गए ताल का नाम बताइए।
3 – क्या आप गीत के गायक का नाम हमे बता सकते हैं?
आप उपरोक्त तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर इस प्रकार भेजें कि हमें शनिवार, 30 जनवरी, 2016 की मध्यरात्रि से
पूर्व तक अवश्य प्राप्त हो जाए। COMMENTS में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते
है, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर भेजने की अन्तिम तिथि के बाद किया
जाएगा। इस पहेली के विजेताओं के नाम हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 256वें अंक में
प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रकाशित और प्रसारित गीत-संगीत, राग, अथवा
कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच
बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ
के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
क्रमांक 252 की संगीत पहेली में हमने आपको 1964 में प्रदर्शित फिल्म
‘चित्रलेखा’ से राग आधारित गीत का एक अंश सुनवा कर आपसे तीन प्रश्न पूछा
था। आपको इनमें से किसी दो प्रश्न का उत्तर देना था। इस पहेली के पहले
प्रश्न का सही उत्तर है- राग कामोद, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है- ताल
सितारखानी अथवा पंजाबी ठेका और तीसरे प्रश्न का उत्तर है- गायिका – लता
मंगेशकर।
नए
वर्ष की इस पहली पहेली में कुल आठ प्रतिभागियों ने सही उत्तर दिया है। इन
आठ विजेताओं में दो संगीत-प्रेमियों ने पहली बार प्रतियोगिता में भाग लिया
है। नए प्रतिभागी है- नागपुर, महाराष्ट्र से प्रशान्त पुराणिक और अहमदाबाद,
गुजरात से सौरभ रींडाणी। प्रशान्त जी और सौरभ जी का ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच
पर हार्दिक स्वागत है। एक लम्बे अन्तराल के बाद मिन्नेसोटा, अमेरिका से
दिनेश कृष्णजोइस ने भी इस बार भाग लिया है। आशा है, दिनेश जी निरन्तरता
बनाये रखेंगे। हमारे अन्य नियमित प्रतिभागी विजेता हैं- जबलपुर, मध्यप्रदेश
से क्षिति तिवारी, पेंसिलवेनिया, अमेरिका से विजया राजकोटिया, हैदराबाद से
डी. हरिणा माधवी, वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया और चेरीहिल,
न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल। सभी आठ प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक
इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई।
अपनी बात
मित्रो, ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर आज आप वर्ष 2016 की नई श्रृंखला ‘दोनों मध्यम स्वर वाले राग’ के दूसरे अंक के साक्षी बने। इस अंक में हमने आपसे राग केदार पर चर्चा की। अगले अंक में हम ‘स्वरगोष्ठी’ पर दोनों मध्यम स्वर से युक्त एक अन्य राग पर चर्चा करेंगे। इस श्रृंखला के लिए आप अपने सुझाव और फरमाइश हमें शीघ्र भेज दें। हम आपकी फरमाइश पूर्ण करने का हर सम्भव प्रयास करते हैं। आपको हमारी यह श्रृंखला कैसी लगी? हमें ई-मेल अवश्य कीजिए। अगले रविवार को एक नए अंक के साथ प्रातः 9 बजे ‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच पर आप सभी संगीतानुरागियों का हम स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
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