चित्रशाला - 04 फ़िल्म-संगीत में मिर्ज़ा ग़ालिब की ग़ज़लें 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! प्रस्तुत है फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत के विभिन्न पहलुओं से जुड़े विषयों पर आधारित शोधालेखों का स्तंभ ’चित्रशाला’। मिर्ज़ा ग़ालिब की लोकप्रियता जितनी है शायद और किसी शायर की नहीं। हिन्दी फ़िल्मों और फ़िल्मी गीतों में भी ग़ालिब हर दौर में आते रहे हैं और आगे भी आते रहेंगे। आज ’चित्रशाला’ में हम चर्चा करने जा रहे हैं उन हिन्दी फ़िल्मी गीतों का जो या तो मिर्ज़ा ग़ालिब की ग़ज़लें हैं या फिर जिनमें ग़ालिब की ग़ज़लों या शेरों का असर है। प्रस्तुत है आपके इस दोस्त सुजॉय चटर्जी द्वारा शोध किए हुए इस विषय पर यह लेख। 1931 में 'इम्पीरियल मूवीटोन' नें पहली बोलती फ़िल्म ‘आलम आरा’ का निर्माण कर इतिहास रच दिया था। इसी कम्पनी की 1931 की एक और फ़िल्म थी 'अनंग सेना' जिसमें मास्टर विट्ठल, ज़ोहरा, ज़िल्लो, एलिज़र, हाडी, जगदीश और बमन ईरानी ने काम किया। फ़िल्म में अनंग सेना की भूमिका में ज़ोहरा और सुनन्दन की