एक गीत सौ कहानियाँ - 58
‘यह कहाँ आ गए हम...’
जावेद अख़्तर का कहना है, "मैं गीतकार नहीं था, ज़बरदस्ती बना दिया गया। मैं तो फ़िल्में लिखा करता था। यश जी एक दिन मेरे घर आए, वो मुझसे उनकी फ़िल्म ’सिलसिला’ के लिए एक गीत लिखवाना चाहते थे। मैंने साफ़ इनकार कर दिया, कहा कि मैं पोएट्री सिर्फ़ अपने लिए करता हूँ, फ़िल्म के लिए नहीं लिख सकता। लेकिन वो तो पीछे ही पड़ गए। इसलिए ना चाहते हुए भी मैं एक गीत लिखने के लिए राज़ी हो गया। मैंने उनसे कहा कि मुझे इसके लिए कोई क्रेडिट नहीं चाहिए क्योंकि मैंने सोचा कि वो लोग मुझे एक ट्यून सुना देंगे और मुझसे उस पर गाना लिखने की उम्मीद करेंगे, अगर लिख ना पाया तो क्या होगा? मुझे फिर यश जीने शिव-हरि से एक दिन मिलवा दिया, वो धुन सुनाते गए और शाम तक मैं "देखा एक ख़्वाब तो ये सिलसिले हुए" लिख चुका था। फिर मैंने इस फ़िल्म में कुल तीन गीत लिखे, यूं कह सकते हैं कि मुंह में ख़ून लग गया था। बाक़ी के दो गीत थे "नीला आसमाँ सो गया" और "ये कहाँ आ गए हम"। शबाना जी को "यह कहाँ आ गए हैम" बहुत पसन्द है और वो अक्सर इसे गुनगुनाती हैं।"
फ़िल्म ’सिलसिला’ साल 1982 की फ़िल्म थी। इसी वर्ष एक फ़िल्म आई थी ’वक़ील बाबू’। निर्माता थे जवाहर कपूर। फ़िल्म में गीत लिख रहे थे आनन्द बक्शी और संगीतकार थे लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल। फ़िल्म की कहानी के मुताबिक तीन गीत बने और रेकॉर्ड हो चुके थे। पर ये सभी गीत बिल्कुल साधारण क़िस्म के बने। कोई ख़ास बात नहीं थी उनमें। जवाहर कपूर को इन गीतों से बहुत निराशा हुई, पर आनन्द बक्शी और लक्ष्मी-प्यारे से कहने में हिचकिचा रहे थे। पर उसी समय जैसे ही फ़िल्म ’सिलसिला’ के गाने रिलीज़ हुए, उनकी निराशा ग़ुस्सा बन कर उमड़ पड़ी। उनके मुख से निकल गया कि बेकार ही मैंने आनन्द बक्शी और लक्ष्मी-प्यारे जैसे दिग्गजों को फ़िल्म में लिया, इनसे बेहतर तो जावेद अख़्तर और शिव-हरि जैसे नए फ़नकार हैं जिन्होंने ’सिलसिला’ में कमाल का काम किया। इतना ही नहीं जवाहर कपूर ने बक्शी साहब और लक्ष्मी-प्यारे से साफ़ कह दिया कि उन्हें अपनी इस फ़िल्म में "यह कहाँ आ गए हम" जैसा एक गीत चाहिए। तब जाकर "हम कहाँ खो गए, तुम कहाँ खो गए" गीत बना जिसे लता मंगेशकर ने गाया और बीच बीच में शशि कपूर की शायरी डाली गई जिस तरह से ’सिलसिला’ के गीत में अमिताभ बच्चन पढ़ते हैं। गीत बहुत अच्छा बना और जवाहर कपूर का ग़ुस्सा ठण्डा हुआ। ’वकील बाबू’ फ़िल्म बुरी तरह असफल रही पर आज अगर इस फ़िल्म को याद किया जाता है तो सिर्फ़ इस गीत की वजह से। लीजिए, अब आप ये दोनों गीत सुनिए, पहले फिल्म 'वकील बाबू' का और फिर फिल्म 'सिलसिला' का गीत।
फिल्म - वकील बाबू : 'हम कहाँ खो गए...' : लता मंगेशकर और शशि कपूर
फिल्म - सिलसिला : 'ये कहाँ आ गए हम...' : लता मंगेशकर और अमिताभ बच्चन
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