स्वरगोष्ठी – 189 में आज
फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी – 8 : ठुमरी पीलू और देस
एकल और युगल रूप में श्रृंगार रस से परिपूर्ण ठुमरी ‘गोरी तोरे नैन काजर बिन कारे...’


पीलू ठुमरी : ‘गोरी तोरे नैन काजर बिन कारे...’ : गायिका - इकबाल बानो

आमतौर पर ठुमरी एकल रूप में ही गाये जाने की परम्परा है। युगल ठुमरी गायन का उदाहरण कभी-कभी उस समय परिलक्षित होता है, जब युगल खयाल गायक, खयाल के बाद ठुमरी गाते है। इसके अलावा नृत्य के कार्यक्रम में भाव अंग के अन्तर्गत दो नर्तक या नृत्यांगना मंच पर जब भाव-प्रदर्शन करते हैं। बीसवीं शताब्दी के मध्यकाल में संगीत के मंच पर जिन युगल गायकों का वर्चस्व था उनमें शामचौरासी घराने के उस्ताद नज़ाकत अली (1920-1984) और सलामत अली (1934-2001) बन्धुओं का नाम शीर्ष पर था। इन्हीं के दो छोटे भाई अख्तर अली और ज़ाकिर अली हैं, जिनका ठुमरी-दादरा गायन संगीत के मंचों पर बेहद लोकप्रिय हुआ। आइए, अब हम आपको उस्ताद अख्तर अली और ज़ाकिर अली खाँ की आवाज़ में राग पीलू की यही ठुमरी सुनवाते हैं।
पीलू ठुमरी : ‘गोरी तोरे नैन काजर बिन कारे...’ उस्ताद अख्तर अली और ज़ाकिर अली खाँ

फिल्म ‘मैं सुहागन हूँ’ : देस ठुमरी : ‘गोरी तोरे नैन काजर बिन कारे...’ : आशा भोसले और मोहम्मद रफी : संगीत – लच्छीराम तँवर

आज की पहेली
‘स्वरगोष्ठी’ के 189वें अंक की पहेली में आज हम आपको एक अत्यन्त लोकप्रिय ठुमरी रचना का अंश सुनवा रहे हैं। इसे सुन कर आपको निम्नलिखित दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। 190वें अंक की पहेली के सम्पन्न होने तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस श्रृंखला (सेगमेंट) का विजेता घोषित किया जाएगा।
1 – कण्ठ संगीत के इस अंश को सुन कर बताइए कि यह ठुमरी किस राग में निबद्ध है?
2 – यह ठुमरी रचना किस महान गायक की आवाज़ में है?
आप अपने उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com पर ही शनिवार मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। comments में दिये गए उत्तर मान्य नहीं होंगे। विजेता का नाम हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 191वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत-संगीत, राग अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस मंच पर स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए comments के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर अपनी प्रतिक्रिया भी व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’ की 187वें अंक की संगीत पहेली में हमने आपको 1952 में प्रदर्शित फिल्म ‘रागरंग’ में शामिल लता मंगेशकर की आवाज़ में बेहद प्रचलित राग यमन के द्रुत खयाल का अंश सुनवा कर आपसे दो प्रश्न पूछे थे। पहले प्रश्न का सही उत्तर है- राग यमन और पहेली के दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है- गायिका लता मंगेशकर। इस अंक की पहेली में हमारी एक नियमित श्रोता / पाठक को प्रस्तुति में लता मंगेशकर द्वारा एक स्थान पर शुद्ध मध्यम स्वर का प्रयोग किए जाने के कारण राग यमन कल्याण का भ्रम हुआ। यहाँ हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि प्रायः फिल्मी गीतों में राग के स्वरों में मामूली फेर-बदल तो मिलता ही है। परन्तु पहेली में पूछी गई बन्दिश राग यमन की ही है। इसलिए इस बार की पहेली में राग यमन और यमन कल्याण, दोनों ही उत्तरों को हमने सही मान लिया है। पूछे गए दोनों प्रश्नो के सही उत्तर जबलपुर से क्षिति तिवारी, पेंसिलवानिया, अमेरिका से विजया राजकोटिया, और हैदराबाद की डी. हरिणा माधवी ने दिया है। तीनों प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई।
आपकी और अपनी बात
मित्रों, ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर इन दिनों हम पारम्परिक ठुमरी और उसके फिल्मी प्रयोग पर चर्चा कर रहे हैं। आज के अंक में हमने ठुमरी के एकल और युगल गायन के उदाहरण प्रस्तुत किये। श्रृंखला के अगले अंक में हम एक और पारम्परिक ठुमरी और उसके फिल्मी प्रयोग पर चर्चा करेंगे।
नई
फिल्मों के प्रति रुचि रखने वाले पाठकों-श्रोताओं के लिए एक सूचना है।
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ पर प्रत्येक शुक्रवार को हम आपसे नई फिल्मों और
उसके गीत-संगीत की जानकारी बाँटते हैं। कुछ अपरिहार्य कारणों से पिछले कुछ
समय से हम इसे जारी नहीं नहीं रख पा रहे थे। परन्तु अगले शुक्रवार, 17
अक्तूबर से हम इस साप्ताहिक श्रृंखला को पुनः आरम्भ कर रहे हैं। इस
शुक्रवार के अंक में हम नई प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘रोर – टाइगर ऑफ
सुन्दरवन’ का ट्रेलर प्रस्तुत कर रहे हैं। आप यह पृष्ठ अवश्य देखिएगा। इसके
अलावा रविवार, 19 अक्तूबर को ‘स्वरगोष्ठी’ के अगले अंक भी हमें आपकी
प्रतीक्षा रहेगी।
वाचक स्वर : संज्ञा टण्डन
आलेख व प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
आलेख व प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
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