Skip to main content

आपकी फ़रमाइश पर आज की 'सिने पहेली' में एक वर्ग-पहेली...

सिने पहेली – 83

  
'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी पाठकों व श्रोताओं को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार! 'सिने पहेली' की एक और कड़ी के साथ मैं हाज़िर हूँ। आज से नवरात्री का त्योहार शुरू हो रहा है, इस शुभ अवसर पर 'रेडियो प्लेबैक इण्डीया' की तरफ़ से हम आप सभी को शुभकामनायें देते हैं। आप अपने परिवार जनों के साथ इस त्योहार को हँसी-ख़ुशी मनायें ऐसी हम आशा करते हैं।


दोस्तों, इस सेगमेण्ट की पहली कड़ी में पूछे गये गूगली में प्रतियोगियों की भागीदारी कम ही रही थी, पर पिछली कड़ी में आपकी भागीदारी में सुधार हुआ, और यही नहीं जितने भी खिलाड़ियों ने भाग लिया, सभी ने 100% सही जवाब भेजे। बहुत बढ़िया! इसी तरह के टक्कर की हम आगे भी उम्मीद रखते हैं, तभी तो 'सिने पहेली' बनेगा और भी दिलचस्प, और भी रोमांचक। सभी प्रतियोगियों का एक बार फिर से स्वागत करते हुए शुरू करते हैं आज की 'सिने पहेली'।



आज की पहेली : BOLLYWOOD CROSSWORD


हमारे पास समय-समय पर वर्ग पहेली की फ़रमाइशें आती रही हैं। क्योंकि इन्हें तैयार करने में काफ़ी समय लगता है, इसलिए हम बहुतायत में तो वर्ग पहेली नहीं पूछ सकते, पर कभी-कभार ऐसा ज़रूर कर सकते हैं। आज बहुत दिनों बाद हम लेकर आये हैं एक वर्ग पहेली। लेकिन इस बार हिंदी में नहीं, बल्कि अंग्रेज़ी में। जी हाँ, आज की वर्ग पहेली में आपको 20 हिंदी फ़िल्मों के नाम बताने हैं जिनके शीर्षक अंग्रेज़ी के शब्द हैं, और आपको पहेली के वर्गों में अंग्रेज़ी के ही अक्षर भरने हैं। तो यह रहा आज का crossword और सूत्र:





बाँये से दाँये

1.  __________ से स्टार तो बना जा सकता है, पर साधना का कोई ___________ नहीं है।
2. ऐसा हम अचानक कोई ग़लती करने पर कहते हैं।
3. इस फ़िल्म में सोनू निगम और अलिशा चिनॉय का गाया एक युगल गीत है।
4. इस शीर्षक से ज़हीदा और शिल्पा शेट्टी, दोनों का वास्ता है।
5. इस शीर्षक का अगर हिंदी अनुवाद करें तो इस हिंदी शीर्षक से सैफ़ अली ख़ान की एक फ़िल्म बनी थी।
6. दरवाज़ा खोलते ही कोई महमान दिखे तो क्या कहते हैं आप?
7. दो अक्षर वाली फ़िल्म के नाम के लिए और क्या सूत्र दें!
8. साल 2013 में तीन शब्दों वाली एक फ़िल्म आई है। पहले शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद करने पर यह शीर्षक बनता है।
9. साल 2011 की चार शब्दों वाले फ़िल्म-शीर्षक का अंतिम शब्द।
10. साल 2010 की इस फ़िल्म में अभिनेता ने फ़िल्म में एक अंग्रेज़ी गीत गाया था।

ऊपर से नीचे

1. एक लोकप्रिय टीवी शो से प्रेरित थी यह फ़िल्म।
11. करीब-करीब 10 साल लगाकर यह फ़िल्म साल 2000 में प्रदर्शित हुई; फ़िल्म का एक गीत राहुल देव बर्मन का कम्पोज़ किया हुआ था, बाक़ी गीत रचे अनु मलिक ने।
12. साल 1967 की यह फ़िल्म थी। दक्षिण की एक गायिका की आवाज़ थी इसके गीतों में।
13. साल 1995 की इस बहुचर्चित फ़िल्म में नायक का नाम शेखर और नायिका का नाम शैला बानो था। कुछ अंदाज़ा लगा?
14. यह एक 'under water action thriller' फ़िल्म थी।
15. साल 2005 की एक विवादास्पद फ़िल्म थी, फ़िल्म के नायक को असली ज़िंदगी (real life) में जेल जाना पड़ा था।
16. "मैंने यह कब सोचा था..."
17. इस साइन बोर्ड का उल्लंघन न करें! जुर्माना हो सकता है।
18. यह तो लेना ही पड़ता है।
19. आफ़ताब शिवदासानी और सेलिना जेटली अभिनीत फ़िल्म।


उपर पूछे गए सवालों के जवाब एक ही ई-मेल में टाइप करके cine.paheli@yahoo.com के पते पर भेजें। 'टिप्पणी' में जवाब कतई न लिखें, वो मान्य नहीं होंगे। ईमेल के सब्जेक्ट लाइन में "Cine Paheli # 83" अवश्य लिखें, और अंत में अपना नाम व स्थान लिखें। आपका ईमेल हमें बृहस्पतिवार 10 अक्टुबर शाम 5 बजे तक अवश्य मिल जाने चाहिए। इसके बाद प्राप्त होने वाली प्रविष्टियों को शामिल नहीं किया जाएगा।




पिछली पहेली का हल

A-  "भाई बत्तूर भाई बत्तूर अब जायेंगे कितनी दूर  
नाजुक नाजुक मेरी जवानी चलने से मजबूर" 

B-  फ़िल्म पड़ोसन (1968) 

C-  फ़िल्म - गुमनाम (1965) 

D-  फ़िल्म - जादूगर (1989) 

E- "जादूगर तेरे नैना दिल जाएगा बच के कहाँ  
रुक जाऊं झुक जाऊं तेरा मुखड़ा मैं देखूं जहाँ" 
फ़िल्म मन मंदिर (1971)


पिछली पहेली के विजेता

इस बार सबसे पहले सही जवाब भेज कर 'सरताज प्रतियोगी' बने हैं मुंबई के श्री शिशिर कृष्ण शर्मा। बहुत बहुत बधाई शिशिर जी। वैसे तो आप 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' से जुड़े हुए ही हैं, पर 'सिने पहेली' में पहली बार भाग लेकर इसमें चार चाँद लगा दिये हैं। आगे भी इस प्रतियोगिता में भाग लेते रहिएगा। इस सेगमेण्ट का अब तक का सम्मिलित स्कोरकार्ड इस प्रकार रहा...



कौन बनेगा 'सिने पहेली' महाविजेता?


1. सिने पहेली प्रतियोगिता में होंगे कुल 100 एपिसोड्स। इन 100 एपिसोड्स को 10 सेगमेण्ट्स में बाँटा गया है। अर्थात्, हर सेगमेण्ट में होंगे 10 एपिसोड्स। 

2. प्रत्येक सेगमेण्ट में प्रत्येक खिलाड़ी के 10 एपिसोड्स के अंक जोड़े जायेंगे, और सर्वाधिक अंक पाने वाले तीन खिलाड़ियों को सेगमेण्ट विजेता के रूप में चुन लिया जाएगा। 

3. इन तीन विजेताओं के नाम दर्ज हो जायेंगे 'महाविजेता स्कोरकार्ड' में। सेगमेण्ट में प्रथम स्थान पाने वाले को 'महाविजेता स्कोरकार्ड' में 3 अंक, द्वितीय स्थान पाने वाले को 2 अंक, और तृतीय स्थान पाने वाले को 1 अंक दिया जायेगा। आठवें सेगमेण्ट की समाप्ति तक 'महाविजेता स्कोरकार्ड' यह रहा-



4. 10 सेगमेण्ट पूरे होने पर 'महाविजेता स्कोरकार्ड' में दर्ज खिलाड़ियों में सर्वोच्च पाँच खिलाड़ियों में होगा एक ही एपिसोड का एक महा-मुकाबला, यानी 'सिने पहेली' का फ़ाइनल मैच। इसमें पूछे जायेंगे कुछ बेहद मुश्किल सवाल, और इसी फ़ाइनल मैच के आधार पर घोषित होगा 'सिने पहेली महाविजेता' का नाम। महाविजेता को पुरस्कार स्वरूप नकद 5000 रुपये दिए जायेंगे, तथा द्वितीय व तृतीय स्थान पाने वालों को दिए जायेंगे सांत्वना पुरस्कार।

तो आज बस इतना ही, अगले सप्ताह फिर मुलाक़ात होगी 'सिने पहेली' में। लेकिन 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के अन्य स्तंभ आपके लिए पेश होते रहेंगे हर रोज़। तो बने रहिये हमारे साथ और सुलझाते रहिये अपनी ज़िंदगी की पहेलियों के साथ-साथ 'सिने पहेली' भी, अनुमति चाहूँगा, नमस्कार!

प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी

Comments

आज तो वर्ग पहेली देख कर दिल बहुत खुश हो गया !
बचपन से ही वर्ग पहेली के प्रति एक अलग ही आकर्षण रहा है
इसलिए सचमुच देखते ही आनंद आ गया
-
-
ये बात एकदम सही है कि वर्ग पहेली को बनाने में भी बहुत मेहनत लगती है !
जबकि ये तो एकदम नए अंदाज में ही वर्ग पहेली बनायीं गयी है तो जाहिर है पहेली बनाने वाले को भी बहुत माथापच्ची करनी पड़ी होगी !

सर जी
बहुत आभार / धन्यवाद
Vijay Vyas said…
वक्‍त लगेगा, पर मजेदार पहेली है।
कुछ हिन्‍ट वाकई सोचनीय/मनोरंजक है।
आभार ।

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे...

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु...

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन...