आवाज़ पर संगीत के दूसरे सत्र के, चौथे गीत का विश्व व्यापी उदघाटन आज.
संगीत प्रेमियो,
इस शुक्रवार, बारी है एक और नए गीत की, और एक बार फ़िर संगीत पटल पर दस्तक दे रहे हैं एक और युवा संगीतकार अनुरूप, जो अपने साथ लेकर आए हैं, ग़ज़ल-गायन में तेज़ी से अपनी उपस्थिति दर्ज कराती एक आवाज़ निशांत अक्षर . ग़ज़लकार है युग्म के छायाचित्रकार कवि मनुज मेहता.
"पहला सुर" की दो ग़ज़लों के कलमकार, निखिल आनंद गिरि का आल इंडिया रेडियो पर साक्षात्कार सुनकर, अनुरूप ने युग्म से जुड़ने की इच्छा जताई और शुरू हुआ संगीत का एक नया सिलसिला. मनुज के बोल और निशांत से स्वर मिलें तो बनी, नए सत्र की यह पहली ग़ज़ल -"तेरे चेहरे पे". तो दोस्तो, आनंद लीजिये इस ताजातरीन प्रस्तुति का, और अपनी मूल्यवान टिप्पणियों से इस नई टीम का मार्गदर्शन / प्रोत्साहन करें.
ग़ज़ल को सुनने के लिए नीचे के प्लेयर पर क्लिक करें -
Hind Yugm, once again proudly present another, very young ( just 18 yrs old ) and talented composer, Anuroop from New Delhi, for whom composing ghazal is just natural, this ghazal here has been made keeping in mind the intricacies of a beloved away from his loved one due to some mistake which had taken place in their life. Penned by Maunj Mehta, and rendered by a very talented upcoming ghazal singer Nishant Akshar, enjoy this very first ghazal of this new season, and do leave your valuable comments, and help this new team to perform even better in the coming assignments.
To listen to this ghazal, click on the player below -
ग़ज़ल के बोल -
तेरे चेहरे पे, एक खामोशी नज़र आती है,
जिंदगी और भी, यास अफ्रीं नज़र आती है,
जितना भी रूठता हूँ जिंदगी से मैं,
उतना ही ये मुझे मनाती नज़र आती है.
तुम्ही बताओ कहाँ ढूँढू, किसी आगाह को,
हर तरफ़ मुझको, गर्द -ऐ-राह नज़र आती है.
LYRICS -
Tere chehre pe ek khamoshi nazar aati hai,
zindagi aur bhi *yaas aafreen nazar aati hai.
Jitna bhi ruthta hoon zindagi se main,
utna hi yeh, mujhey manati nazar aati hai.
tumhi batao, kahan dhundoon kisi *aagah ko,
har taraf mujhko gard-e-raah hi nazar aati hai.
*Yaas Aafreen- Na-umeed se bhari hui
*Aagah- Friend/ loved one
चित्र- अनुरूप (ऊपर), निशांत अक्षर (मध्य) और मनुज मेहता (नीचे)
यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें)
SONG # 04, SEASON # 02, " Tere Chehare Pe ", opened on 25/07/2008 on Awaaz, Hind Yugm.
Music @ Hind Yugm, where music is a passion
संगीत प्रेमियो,
इस शुक्रवार, बारी है एक और नए गीत की, और एक बार फ़िर संगीत पटल पर दस्तक दे रहे हैं एक और युवा संगीतकार अनुरूप, जो अपने साथ लेकर आए हैं, ग़ज़ल-गायन में तेज़ी से अपनी उपस्थिति दर्ज कराती एक आवाज़ निशांत अक्षर . ग़ज़लकार है युग्म के छायाचित्रकार कवि मनुज मेहता.
"पहला सुर" की दो ग़ज़लों के कलमकार, निखिल आनंद गिरि का आल इंडिया रेडियो पर साक्षात्कार सुनकर, अनुरूप ने युग्म से जुड़ने की इच्छा जताई और शुरू हुआ संगीत का एक नया सिलसिला. मनुज के बोल और निशांत से स्वर मिलें तो बनी, नए सत्र की यह पहली ग़ज़ल -"तेरे चेहरे पे". तो दोस्तो, आनंद लीजिये इस ताजातरीन प्रस्तुति का, और अपनी मूल्यवान टिप्पणियों से इस नई टीम का मार्गदर्शन / प्रोत्साहन करें.
ग़ज़ल को सुनने के लिए नीचे के प्लेयर पर क्लिक करें -
Hind Yugm, once again proudly present another, very young ( just 18 yrs old ) and talented composer, Anuroop from New Delhi, for whom composing ghazal is just natural, this ghazal here has been made keeping in mind the intricacies of a beloved away from his loved one due to some mistake which had taken place in their life. Penned by Maunj Mehta, and rendered by a very talented upcoming ghazal singer Nishant Akshar, enjoy this very first ghazal of this new season, and do leave your valuable comments, and help this new team to perform even better in the coming assignments.
To listen to this ghazal, click on the player below -
ग़ज़ल के बोल -
तेरे चेहरे पे, एक खामोशी नज़र आती है,
जिंदगी और भी, यास अफ्रीं नज़र आती है,
जितना भी रूठता हूँ जिंदगी से मैं,
उतना ही ये मुझे मनाती नज़र आती है.
तुम्ही बताओ कहाँ ढूँढू, किसी आगाह को,
हर तरफ़ मुझको, गर्द -ऐ-राह नज़र आती है.
LYRICS -
Tere chehre pe ek khamoshi nazar aati hai,
zindagi aur bhi *yaas aafreen nazar aati hai.
Jitna bhi ruthta hoon zindagi se main,
utna hi yeh, mujhey manati nazar aati hai.
tumhi batao, kahan dhundoon kisi *aagah ko,
har taraf mujhko gard-e-raah hi nazar aati hai.
*Yaas Aafreen- Na-umeed se bhari hui
*Aagah- Friend/ loved one
चित्र- अनुरूप (ऊपर), निशांत अक्षर (मध्य) और मनुज मेहता (नीचे)
यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें)
VBR MP3 | 64Kbps MP3 | Ogg Vorbis |
SONG # 04, SEASON # 02, " Tere Chehare Pe ", opened on 25/07/2008 on Awaaz, Hind Yugm.
Music @ Hind Yugm, where music is a passion
Comments
gazal ki dhun kuchh jyada hi inspired hai halanki..sun'ne walon ko kuchh aur bhi gazlen yaad aa jayen ise sun kar shayad,lekin dhun hai achhi kyoki gazal ke ehsaas ko banaye rakhne me yah kamyab rahi hai.
gazal ke bol bahut achhe hain...pichhle yugm-geeton me jo ek kami si thi...geet me kuchh attracting aur glamourous word nahi the,wo is gazal me puri ho gai.urdu aur hindi ka mishran aksar prabhavkari hota hai...yahan bhi hua hai,halanki gayki me in shabdon ke uchcharan ko aur tavajjo di jani chahiye thi.
din-b-din geeton ka star sudhar raha hai..asha hai sheeghr hi hum ise lekar koi bara kadam utha payenge.prayas jari rahe!
shubh kamnayen!
dhanyawaad!
-janmejay.
Sudipto
its very nice that you haveappreciated my lyrics but you have forgotten to appreciate the Singer and the Composer. the kind of effort Anroop and Nishant has put in is commendable. this job can not be completed without the composer and the singer. I am highly obliged with the collective effort.
My regards to Nishant and Anuroop
Manuj Mehta
bi
गायकी की बात करें तो निशांत ने बहुत बढ़िया कोशिश की है, मगर जब वे पहले अंतरा के बाद 'नज़रऽऽऽऽऽऽऽरररररर आती है' गाते हैं, तब यह कम नेचुरल लगता है।
ग़ज़ल में मनुज जी ने रदीफ़ 'नज़र आती है' लिया है जिसका वो तीनों शे'रों में पालन करते हैं। काफ़िया कुछ स्पष्ट नहीं है। मतले की पहली पंक्ति में लगता है कि काफिया 'ई' है, लेकिन मतले की दूसरी पंक्ति में यह 'ईं' (ई और अनुस्वार) हो जाता है। यदि बिन्दी को नज़रअंदाज़ भी करें तो 'ई' काफिया का पालन दूसरे शे'र में दो दीखता है लेकिन तीसरे शे'र में वो भी नहीं दीखता। अगर यह ग़ज़ल व्याकरण-सम्मत होती तो और सुंदर बनती। ग़ज़लगों को अपनी ग़ज़लें संगीतकारों को भेजने से पहले व्याकरण के साथ उनका ताल-मेल जाँच-परख लेना चाहिए।
मुझे लगता है कि इस कम्पोज़्ड ग़ज़ल में १-२ शे'र और होने चाहिए थे।
मेरी शुभकामनाएँ अगले प्रोजेक्ट के लिए।
keep this doing in future too....
Anuroop, Nishant and Manuj, congrats.........
n offcourse hindyugm too.......
regards.....
Ravi 'shatir'
Aparajita.
voice quality is excellent which should not be restricted in the frame-work, let it bloom a bit more.
its really very very nice to see manuj's name here. he has been writing for long and its just the begining for much to come.
all the best!
deepali
the the lyrics are no doubt superb.
my good wishes are wid u all.
Brijesh Bhandari
Noida
ग़ज़ल के बोल सामान्य लगे। आगे से कम से कम तीन अशआर वाली ग़ज़ल चुनें।
१८ वर्ष की आयु में भी अनुरूप जी ने बहुत अच्छा संगीत दिया है।
मनुज जी द्वारा लिखित बोल बहुत अच्छे लगे.. मनुज जी, आप हिन्दयुग्म के लिये लिखना भी शुरू कीजिये..निशांत जी की आवाज़ गज़ल में बहुत बढिया लगी पर उसे गीत की तरह निभाया लगता है.. गज़ल में वैसा टच नहीं आ पाया जैसा आमतौर में गज़ल में होता है..
अगले गीत का इंतज़ार रहेगा..
धन्यवाद
go ahead.
सुनीता शानू
आपकी आवाज़ अच्छी है यदि आप इसे किसी की कॉपी न करके अपने लय में गाये तो शायद ज्यादा अच्छा होगा
और बाकि सब का काम अच्छा ग़ज़ल में कुछ थोडी कमियां है जो शैलेश जी ने यहाँ बताई है
संगीत कर्णप्रिय है
बहुत सुन्दर.........
congrats nice ghazal fir bhi bani hai
You're really talented man!!
Keep up the good work and you're sure to go a long way!!