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Showing posts with the label music review

'पाकीज़ा' गीतों में पाश्चात्य स्वरों के मेल भी और देसी मिटटी की महक भी

प्लेबैक वाणी -4 4 - संगीत समीक्षा - पाकीजा (जुबीन गर्ग) जो र हाट, आसाम से निकली इस बेमिसाल आवाज़ ने देश भर के संगीत प्रेमियों पर अपना जादू चलाया है. बेहद प्रतिभाशाली जुबीन गर्ग ढोल, गिटार, मेंडोलिन जैसे ढेरों साजों पर भी अपनी पकड़ रखते हैं. हिंदी फ़िल्मी गीतों के शौकीनों ने उन्हें सुना था फिल्म कांटे के दमदार जाने क्या होगा रामा रे में, मगर गैंगस्टर के या अली के बाद तो वो घर घर पहचाने जाने लगे थे. ये खुशी की बात है कि आज के दौर में जब सोलो एलबम्स के लिए बाजार में बहुत अधिक संभावनाएं नज़र नहीं आती, टाईम्स संगीत जैसी बड़ी कंपनी जुबीन की गैर फ़िल्मी एल्बम को ज़ारी करने का साहस करती है. संगीत प्रेमियों के लिए बाजारू चलन से हट कर कुछ सुनने की तड़प और जुबीन का आवाज़ की कशिश ही है ये जो इस तरह के प्रयोगों को ज़मीन देती है. एल्बम का शीर्षक गीत बहुत ही जबरदस्त है, संगीत संयोजन कुछ हैरत करने वाला है. पर शब्द, धुन और जुबीन की आवाज़ का नशा गीत को एक अलग ही आसमाँ दे देता है. एक रोक्क् सोलिड गीत जो संगीत प्रेमियों जम कर रास आएगा . मीना कुमारी अभिनीत क्लास्सिक फिल्म पाकीज़ा जो कि जुबीन की सबसे

बंद कमरे की राजनीति में संगीत का तडका

प्लेबैक वाणी -36 - संगीत समीक्षा - साहेब बीबी और गैंगस्टर रिटर्न्स तिग्मांशु धुलिया की सफल   साहेब बीवी और गैंगस्टर   में शयनकक्ष के भीतर का जिस्मानी खेल कैमरे की जद में था , और संगीत के नाम पर एक   जुगनी   का ही जोर था. खैर एक बार फिर तिग्मांशु लौटे है और वापसी हुई है गैंगस्टर की , नए संस्करण में गैंगस्टर बने हैं इरफ़ान. आजकल बॉलीवुड में पुरानी फिल्मों के रिमेक और ताज़ा हिट फिल्मों में द्रितीय तृतीय संस्करणों के अलावा शायद कुछ नही हो रहा है...खैर आज बात करते हैं   ‘ साहेब बीबी और गैंगस्टर रिटर्न्स ’   के संगीत के बारे में. जहाँ पहले संस्करण में संगीतकारों की लंबी फ़ौज मौजूद थी नए संस्करण का पूरा जिम्मा बेहद प्रतिभाशाली संदीप चौठा ने उठाया है. शुद्ध हिंदी और कुछ संस्कृत शब्दों को जड़ कर रचा गया है छल कपट   गीत. जिसे गाया है पियूष मिश्रा ने. पियूष का ये  नाटकीय अंदाज़ एक अलग जोनर बनकर आजकल फिल्मों में छाया हुआ है.   गुलाल   और   गैंग्स ऑफ वासेपुर   की ही तरह यहाँ भी शब्दों की प्रमुखता अधिक है , धुन और संयोजन के मामले में कोई खास नयापन नहीं है. शब्द निश्च

एनी बडी कैन डांस - इसका संगीत है ही नाचने के लिए

प्लेबैक वाणी -33 -संगीत समीक्षा - ए बी सी डी - एनी बडी कैन डांस विश्व सिनेमा में डांस म्युसिकल्स की पारंपरिक श्रृखलाएं रहीं हैं जो बेहद कामियाब भी साबित हुई है. भारत में इस ट्रेंड को बहुत अधिक परखा नहीं गया कभी. पर अब रेमो डी ’ सूजा प्रभु देवा के साथ मिलकर अपने इस ख्वाब रुपी फिल्म को अमली जामा पहना चुके हैं, फिल्म थ्री डी में है इसमें देश के सबसे उन्दा डांसर्स दर्शकों को एक साथ नज़र आयेंगें. चलिए आज बात करते हैं इसी संगीतमय फिल्म के संगीत की, जिसे संवारा है सचिन जिगर ने. शंकर महादेवन और विशाल दादलानी के स्वरों में ‘ शभु सुतया ’ से बेहतर और क्या शुरुआत हो सकती थी एल्बम की. पारंपरिक ढोल रिदम के साथ ये नृत्य प्रार्थना कहीं कहीं शिव के नटराज रूप की भी झलक देती है. गीत के अंतिम हिस्से में शंकर अपने चिर परिचित अंदाज़ में श्रोताओं का दिल जीत ले जाते हैं. “ बेजुबान ” एक नृत्य प्रेमी की भावनाओं को स्वर देता गीत है, जिसमें सफलता से दूर रहने की कुंठा और हर हाल में कामियाब होने की लगन दोनों बखूबी झलकते हैं. मोहित चौहान के साथ ढेरों अन्य गायक भी हैं

पैप्पी और कदम थिरकाता 'अजब गजब लव'

प्लेबैक वाणी - संगीत समीक्षा - अजब गजब लव  निर्माता वाशु भगनानी के बेटे जैकी भगनानी नए जोश खरोश के साथ लौटे रहे हैं तेलुगु हिट फिल्म के रिमेक के साथ. फिल्म का नाम है अजब गजब लव, अलबम में संगीत है साजिद वाजिद का, और गीतकारों में हैं प्रिया पांचाल, कौसर मुनीर, और सुखजीत थांडी. आईये नज़र डालें अल्बम में संकलित ४ गीतों पर. अल्बम की शुरुआत बहुत ही धमाकेदार तरीके से होती है. जबरदस्त रिदम के साथ उठता है गीत ‘ बूम बूम बूम ’ . मिका सिंह की दमदार आवाज़ खूब जमती है गीत पर. बीट्स थिरकने पर मजबूर करने वाले हैं. प्रिया के शब्द गीत के अनुरूप ही हैं. निश्चित ही एक चार्ट बस्टर साबित होगा ये गीत. पहले गीत में ही बढ़िया माहौल बनाने के बाद साजिद वाजिद अपने चिर परिचित रोमांटिक टोन में लौटते हैं गीत  “ तू ”  के साथ. मोहित चौहान की आवाज़ का पीछा करती  वोइलेन की स्वर लहरियाँ बहुत सुहाती है, धुन और आवाज़ की मधुरता के मुकाबले में शब्दों का चुनाव और बेहतर हो सकता था. गिटार के सुरीले सुरों के खुलता है गीत  “ सुन सोणिये ” , जिसे इरफ़ान और अंतरा मित्रा ने बहुत खूबसूरती से निभाया है. रियलिटी शो स

जवां रिदम पर पुरानी तान छेड़ता स्टूडेंट ऑफ द ईअर का संगीत

प्लेबैक वाणी   एक अरसे के बाद निर्देशन में उतरे हैं करण जौहर, और उनकी नयी फिल्म में न शाहरुख, न हृतिक, न काजोल, न रानी मुखर्जी. यानी बड़े सितारों से अलग उन्होंने चुने हैं एकदम नए नौजवान सितारे, अब देखना है कि इन नए घोड़ों के कन्धों पर करण एक और बड़ी हिट दे पायेंगें या नहीं. उनकी फिल्मों की सफलता का एक बड़ा श्रेय संगीत का रहा है. अब तक की उनकी हर फिल्म संगीत के लिहाज से जबरदस्त रही है. आईये देखें  “ स्टूडेंट ऑफ द ईयर ”  के संगीत का हाल, हमारी आज की चर्चा में. अल्बम में संगीत है विशाल शेखर का और गीत लिखें हैं अन्विता दस गुप्तन ने. अल्बम की शुरुआत होती है ८० के दशक के यादगार हिट  “ डिस्को दीवाने ”  के रीमिक्स से. जैसे कि हमारे श्रोता वाकिफ होंगें कि किस तरह नाजिया हसन का ये लाजवाब डिस्को गीत एक दौर में हर जवां दिल की धडकन हुआ करता था. नाज़िया हसन के सफर का जिक्र हम अपनी सिरीस  “ अधूरी रही जिनकी कहानियाँ ”  में कर चुके हैं. किसी पुराने गीत को नए दौर के लिए कैसे फिर से जिंदा किया जा सकता है ये कोई विशाल शेखर से सीखे. डिस्को दीवाने का ये संस्करण बेहद ऊर्जात्मक है मगर फिर भी इसमें

प्लेबैक इंडिया वाणी (२०) आइय्या , और आपकी बात-- बोल्ड थीम के अनुरूप ही बोल्ड है "आइय्या" का संगीत

संगीत समीक्षा -    आइय्या दोस्तों पिछले सप्ताह हमने बात की थी अमित त्रिवेदी के “इंग्लिश विन्गलिश” की और हमने अमित को आज का पंचम कहा था. अमित दरअसल वो कर सकते हैं जो एक श्रोता के लिहाज से शायद हम उनसे उम्मीद भी न करें. उन्होंने हमें कई बार चौंकाया है. लीजिए तैयार हो जाईये एक बार फिर हैरान होने के लिए. जी हाँ आज हम चर्चा कर रहे उनकी एक और नयी फिल्म “आइय्या” का, जिसमें वो लौटे हैं अपने प्रिय गीतकार अमिताभ भट्टाचार्य के साथ. मुझे लगता है कि अमिताभ भी अमित के साथ जब मिलते हैं तो अपने श्रेष्ठ दे पाते हैं. आईये जानें की क्या है आइय्या के संगीत में आपके लिए. हाँ वैधानिक चेतावनी एक जरूरी है. दोस्तों ये संगीत ऐसा नहीं है कि आप पूरे परिवार के साथ बैठ कर सुन सकें. हाँ मगर अकेले में आप इसका भरपूर आनंद ले सकते हैं. वैसे बताना हमारा फ़र्ज़ था बाकी आप बेहतर जानते हैं. खैर बढते हैं अल्बम के पहले गीत की तरफ. ८० के डिस्को साउंड के साथ शुरू होता है “ड्रीमम वेकपम” गीत, जो जल्दी ही दक्षिण के रिदम में ढल जाता है. पारंपरिक नागास्वरम और मृदंग मिलकर एक पूरा माहौल ही रच डालते हैं. ये गीत आपको ह

प्लेबैक इंडिया वाणी (१८) ओह माई गॉड, और आपकी बात

संगीत समीक्षा -   ओह माई गॉड प्रेरणा बॉलीवुड का सबसे लोकप्रिय शब्द है...कोई अंग्रेजी फिल्मों से प्रेरित होता है, कोई दक्षिण की फिल्मों की नक़ल घोल कर करोड़ों कमा लेता है. कभी कभार कोई निर्माता अभिनेता साहित्य या थियटर से भी प्रेरित हो जाता है. ऐसे ही एक मंचित नाटक का फ़िल्मी रूपांतरण है “ओह माई गोड”. फिल्म में संगीत है हिमेश रेशमिया का, जो सिर्फ “हिट” गीत देने में विश्वास रखते हैं, चाहे प्रेरणा कहीं से भी ली जाए. आईये देखें “ओह माई गोड” के संगीत के लिए उनकी प्रेरणा कहाँ से आई है.  बरसों पहले कल्याण जी आनंद जी  का रचा “गोविदा आला रे” गीत पूरे महाराष्ट्र में जन्माष्टमी के दौरान आयोजित होने वाले दही हांडी प्रतियोगिताओं के लिए एक सिग्नेचर धुन बन चुका था, हिमेश ने इसी धुन को बेहद सफाई से इस्तेमाल किया है “गो गो गोविंदा” गीत के लिए. इस साल जन्माष्टमी से कुछ दिन पहले ये गीत एक सिंगल की तरह श्रोताओं के बीच उतरा गया, और इसके लाजवाब नृत्य संयोजन ने इसे रातों रात एक हिट गीत में बदल दिया. इस साल लगभग सभी दही हांडी समारोहों में ये गीत जम कर बजा, और इस तरह फिल्म के प्रदर्शन से दो महीन

प्लेबैक वाणी (3) -शंघाई, टोला और आपकी बात

संगीत समीक्षा - शंघाई खोंसला का घोंसला हो या ओए लकी लकी ओए हो, दिबाकर की फिल्मों में संगीत हटकर अवश्य होता है. उनका अधिक रुझान लोक संगीत और कम लोकप्रिय देसिया गीतों को प्रमुख धारा में लाने का होता है. इस मामले में ओए लकी का संगीत शानदार था,  “ तू राजा की राजदुलारी ’  और  “ जुगनी ”  संगीत प्रेमियों के जेहन में हमेशा ताज़े रहेंगें जाहिर है उनकी नयी फिल्म शंघाई से भी श्रोताओं को उम्मीद अवश्य रहेगी. अल्बम की शुरुआत ही बेहद विवादस्पद मगर दिलचस्प गीत से होती है जिसे खुद दिबाकर ने लिखा है.  “ भारत माता की जय ”  एक सटायर है जिसमें भारत के आज के सन्दर्भों पर तीखी टिपण्णी की गयी है. सोने की चिड़िया कब और कैसे डेंगू मलेरिया में तब्दील हो गयी ये एक सवाल है जिसका जवाब कहीं न कहीं फिल्म की कहानी में छुपा हो सकता है, विशाल शेखर का संगीत और पार्श्व संयोजन काफी लाउड है जो टपोरी किस्म के डांस को सप्पोर्ट करती है. विशाल ददलानी ने मायिक के पीछे जम कर अपनी कुंठा निकाली है. अल्बम का दूसरा गीत एक आइटम नंबर है मगर जरा हटके. यहाँ इशारों इशारों में एक बार फिर व्यंगात्मक टिप्पणियाँ की गयी है, जिसे समझ कर

प्लेबैक इंडिया वाणी (1) -इश्क्जादे और बंद कमरा

संगीत समीक्षा  अल्बम - इश्क्जादे  संगीत - अमित त्रिवेदी पुस्तक चर्चा  पुस्तक - बंद कमरा  मूल लेखिका - सरोजिनी साहू अनुवाद - दिनेश माली  आपकी बात - अमित तिवारी के साथ 

"कहानी" में गूंथे मधुर गीत अन्विता दास और विशाल शेखर ने

रेडियो प्लेबैक की राय में कैसा है विध्या बालन अभिनीत "कहानी" का संगीत, सुनिए इस अल्बम रिव्यू में -

गुरूदेव की "नौका डूबी" को "कशमकश" में तब्दील करके लाए हैं संजॉय-राजा..शब्दों का साथ दिया है गुलज़ार ने

Taaza Sur Taal (TST) - 15/2011 - KASHMAKASH (NAUKA DOOBI) कभी-कभार कुछ ऐसी फिल्में बन जाती हैं, कुछ ऐसे गीत तैयार हो जाते हैं, जिनके बारे में आप लिखना तो बहुत चाहते हैं, लेकिन अपने आप को इस लायक नहीं समझते कि थोड़ा भी विश्लेषण कर सकें। आपके मन में हमेशा यह डर समाया रहता है कि अपनी नासमझी की वज़ह से कहीं आप उन्हें कमतर न आंक जाएँ। फिर आप उन फिल्मों या गीतों पर शोध शुरू करते हैं और कोशिश करते हैं कि जितनी ज्यादा जानकारी जमा हो सके इकट्ठा कर लें, ताकि आपके पास कही गई बातों का समर्थन करने के लिए कुछ तो हो। इन मौकों पर अमूमन ऐसा भी होता है कि आपकी पसंद अगर सही मुकाम पर पहुँच न पा रही हो तो भी आप पसंद को एक जोड़ का धक्का देते हैं और नकारात्मक सोच-विचार को बाहर का रास्ता दिखा देते हैं। अंतत: या तो आप संतुष्ट होकर लौटते हैं या फिर एक खलिश-सी दिल में रह जाती है कि इस चीज़ को सही से समझ नहीं पाया। आज की फिल्म भी कुछ वैसी है.. गुरूदेव रवींद्रनाथ टैगोर की लिखी कहानी "नौका डूबी" पर उसी नाम से बनाई गई बांग्ला फिल्म का हिंदी रूपांतरण है "कशमकश"। इस फिल्म के सभी गाने रवींद्र-संगीत

लव यू मिस्टर कलाकार है सुरीले प्रेम गीतों से सजी अल्बम

Taaza Sur Taal (TST) - 14/2011 - Love U Mr Kalakaar राजश्री प्रोडक्शन ने हमेशा ही साफ़ सुथरी संगीतमयी फिल्मों की परंपरा को निभाया है. पर मुझे लगता है कि वो अपनी फिल्मों के संगीत को सही रूप से प्रोमोट नहीं करते यही वजह है कि उनकी फिल्मों का संगीत अच्छा होने के बावजूद बहुत अधिक लोगों तक नहीं पहुँच पाता, हमेशा माउथ टू माउथ पब्लिसिटी काम नहीं करती है ये बात अब उन्हें समझनी चाहिए. तुषार कपूर और अमृता राव अभिनीत उनकी नयी फिल्म "लव यू मिस्टर कलाकार" एक और प्रेम कहानी है, जाहिर है संगीत में माधुर्य जरूरी है, संगीतकार के रूप में चुने गए हैं बेहद प्रतिभाशाली सन्देश शान्दलिया और गीत लिखे हैं नवोदित गीतकार मनोज मुन्तशिर ने. चलिए जरा सी चर्चा करें इस अल्बम में सजे गीतों की आज. अंग्रेजी शब्दों क इस्तेमाल अब राजश्री वालों को भी रास आ रहा है. "सरफिरा सा है दिल" में श्रेया की अधुर आवाज़ है, खूबसूरत बोल हैं और मधुर धुन है सन्देश की, पर मैं समझ नहीं पाता हूँ, नीरज श्रीधर से ये गीत क्यों गवाया गया. आज जब इंडस्ट्री में इतने नए पुराने गायक मौजूद हैं संगीतकार नीरज से ऐसे गीत गवाते हैं जो

दबंग सलमान खान "रेड्डी" हैं प्रीतम के साथ एक और संगीत धमाके के लिए

Taaza Sur Taal (TST) - 13/2011 - REDDY दोस्तों एक बार फिर से मैं हाज़िर हूँ एक और नयी फिल्म के संगीत पर अपनी राय लेकर. आज हम बात करेंगें "दबंग" सलमान खान की आने वाली फिल्म – रेड्डी की. टी सिर्रिस के भूषण कुमार ने इस फिल्म के लिए विश्वास जताया है अपने दोस्त प्रीतम पर. और जाहिर प्रीतम ने उन्हें निराश नहीं किया है एक बार फिर, बल्कि अपने पेट्ट गायकों को लेकर शायद इस साल की सबसे बड़ी हिट अल्बम देने में भी कामियाब हुए हैं. चलिए बात करते हैं इस अल्बम के गीतों की. कैरक्टर ढीला अल्बम का पहला गीत है, नीरज श्रीधर और अमृता काक की आवाजों में. अभी हाल ही में अनु मालिक ने इस फूट टेप्पिंग गीत के अंतरे की धुन अपने एक पुराने गीत से मिलता जुलता बताया था. खैर वो ९० का दशक था अनु मालिक का और अब जब प्रीतम की तूती बोल रही हो तो अनु की आवाज़ कौन सुने. खैर गीत का फिल्माकन देख कर लगता है कि सलमान इस गीत के माध्यम से राज कपूर, दिलीप कुमार और धमेन्द्र को टारगेट कर रहे हैं. पर यही तीन कलाकार ही क्यों कोई समझे तो कृपया बताएं. अमिताभ भट्टाचार्य के शब्द कुछ बहत प्रभावी नहीं लगे मुझे पर संगीत बीट्स और संयोजन

आ बदल डाले रस्में सभी इसी बात पे.....कुछ तो बात है अमित त्रिवेदी के "आई एम्" में

Taaza Sur Taal (TST) - 12/2011 - I AM आज सोमवार की इस सुबह मुझे यानी सजीव सारथी को यहाँ देख कर हैरान न होईये, दरअसल कई कारणों से पिछले कुछ दिनों से हम ताज़ा सुर ताल नहीं पेश कर पाए और इस बीच बहुत सा संगीत ऐसा आ गया जिस पर चर्चा जरूरी थी, तो कुछ बैक लोग निकालने के इरादे से मैं आज यहाँ हूँ, आज हम बात करेंगें ओनिर की नयी फिल्म "आई ऍम" के संगीत की. दरअसल फिल्म संगीत में एक जबरदस्त बदलाव आया है. अब फिल्मों में अधिक वास्तविकता आ गयी है, तो संगीत का इस्तेमाल आम तौर पर पार्श्व संगीत के रूप में हो रहा है. यानी लिपसिंग अब लगभग खतम सी हो गयी है. और एक ट्रेंड चल पड़ा है रोक् शैली का. व्यक्तिगत तौर पर मुझे रोक् जेनर बेहद पसंद है पर अति सबकी बुरी है. खैर आई ऍम का संगीत भी यही उपरोक्त दोनों गुण मौजूद हैं. पहला गाना "बांगुर", बेहद सुन्दर विचार, समाज के बदलते आयामों का चित्रण है, एक तुलनात्मक अध्ययन है बोलों में इस गीत के और इस कारुण अवस्था से बाहर आने की दुआ भी है. आवाजें है मामे खान और कविता सेठ की. अमित त्रिवेदी के चिर परिचित अंदाज़ का है गीत जिसे सुनते हुए भीड़ भाड भरे शहर उलझनो

पिया न रहे मन-बसिया..रंगरेज से दर्द-ए-दिल बयां कर रहे हैं "तनु वेड्स मनु" के संगीतकार कृष्णा ,गीतकार राजशेखर

Taaza Sur Taal (TST) - 05/2011 - TANU WEDS MANU "तनु वेड्स मनु".. यह नाम सुनकर आपके मन में कोई भी उत्सुकता उतरती नहीं होगी, इसका मुझे पक्का यकीन है। मेरा भी यही हाल था। एक बेनाम-सी फिल्म, अजीबो-गरीब नाम और अजीबो-गरीब जोड़ी मुख्य-पात्रों की। "माधवन" और "कंगना".. मैं अपने सपने में भी इस जोड़ी की कल्पना नहीं कर सकता था..। लेकिन एक दिन अचानक इस फिल्म की कुछ झलकियाँ यू-ट्युब पर देखने को मिलीं. हल्की-सी उत्सुकता जागी और जैसे-जैसे दृश्य बढते गए, मैं इस "बेढब"-सी अजबनी दुनिया से जुड़ता चला गया। झलकियाँ का ओझल होना था और मैं यह जान चुका था कि यह फिल्म बिन देखे हीं नकार देने लायक नहीं है। कुछ तो अलग है इसमें और इन्हीं दृश्यों के बीच जब "कदी साडी गली पुल (भुल) के भी आया करो" के बीट्स ढोलक पर कूदने लगे तो जैसे मेरे कानों ने पायल बाँध लिये और ये दो नटखट उचकने लगे अपनी-अपनी जगहों पर। फिर तो मुझे समझ आ चुका था कि ऐंड़ी पर खड़े होकर मुझे इस फिल्म के गानों की बाट जोहनी होगी। फिर भी मन में एक संशय तो ज़रूर था कि "कदी साडी गली".. ये गाना तो पुरा

"यमला पगला दीवाना" का रंग चढाने में कामयाब हुए "चढा दे रंग" वाले अली परवेज़ मेहदी.. साथ है "टिंकू जिया" भी

Taaza Sur Taal 02/2011 - Yamla Pagla Deewana "अपने तो अपने होते हैं" शायद यही सोच लेकर अपना चिर-परिचित देवल परिवार "अपने" के बाद अपनी तिकड़ी लेकर हम सब के सामने फिर से हाजिर हुआ है और इस बार उनका नारा है "यमला पगला दीवाना"। फिल्म पिछले शुक्रवार को रीलिज हो चुकी है और जनता को खूब पसंद भी आ रही है। यह तो होना हीं था, जबकि तीनों देवल अपना-अपना जान-पहचाना अंदाज़ लेकर परदे पर नज़र आ रहे हों। "गरम-धरम" , "जट सन्नी" और "सोल्ज़र बॉबी"... दर्शकों को इतना कुछ एक हीं पैकेट में मिले तो और किस चीज़ की चाह बची रहेगी... हाँ एक चीज़ तो है और वो है संगीत.. अगर संगीत मन का नहीं हुआ तो मज़े में थोड़ी-सी खलल पड़ सकती है। चूँकि यह एक पंजाबी फिल्म है, इसलिए इससे पंजाबी फ़्लेवर की उम्मीद तो की हीं जा सकती है। अब यह देखना रह जाता है कि फ़िल्म इस "फ़्रंट" पर कितनी सफ़ल हुई है। तो चलिए आज की "संगीत-समीक्षा" की शुरूआत करते हैं। "यमला पगला दीवाना" में गीतकारों-संगीतकारों और गायक-गायिकाओं की एक भीड़-सी जमा है। पहले संगीतकारों