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काव्य तरंग // रीतेश खरे // ओपन माइक // नदी है, तो उम्मीद है

       काव्य तरंग 

रेडियो प्लेबैक इंडिया की प्रस्तुति ' नदी है, तो उम्मीद है '

काव्य तरंग के दूसरे सीजन की थीम है 'नदी'। इस महीने में आप अलग अलग आवाज़ों में नदी पर आधारित कविताओं का आनंद  उठा सकेंगे।









सभ्यताओं की जननी है नदी, उसके हृदय की पीड़ा को शब्द देते हुए, उसे ही उम्मीद का एक आसरा बताते हुए, काव्याभियक्ति दे रहे हैं रीतेश खरे।

आवाज़ - रीतेश खरे
आलेख - रीतेश व रूपेश खरे
कवितायें - श्री रमेश कुमार 'राजकान्हा' और रीतेश खरे
रिकॉर्डिंग-सम्पादन - विकेश खरे
तकनीकी सहायता - अमित तिवारी
आर्ट वर्क - मनुज मेहता, अमित तिवारी

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Bahut hi sundar aur dil chhoone lene waali prastuti Nadiyon par, jo sada se hamari humsafar aur hamdard rahin hain.
Mubarakbad aur Shubhkaamnayein!!! 💐💐💐

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