क़स्मे, वादे, प्यार, वफ़ा, सब बातें हैं....."गीत को बनाते हुए एक मकाम पे जाकर सबके रोंगटे क्यों खडे हो गए?
एक गीत सौ अफ़साने की नवीं कड़ी॥
आलेख - सुजॉय चटर्जी
स्वर - शुभ्रा ठाकुर
प्रस्तुति - संज्ञा टण्डन
कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कमसुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का यह स्तंभ 'एक गीत सौ अफ़साने'। आज की कड़ी में प्रस्तुत है 1967 की चर्चित फ़िल्म ’उपकार’ के प्रसिद्ध गीत "क़समें वादे प्यार वफ़ा सब बाते हैं" के बनने की कहानी।
"क़स्मे वादे प्यार् वफ़ा सब बातें हैं, बातों का क्या" कैसे बना था यह गीत? आनन्दजी का ऐक्सिडेन्ट होना, उन्हें जीवन की कड़वी सच्चाई का अनुभव होना, उनके अफ़्रीकी मित्र का प्यार में धोखा खाना, इन सब ने कैसे नीव रखी इस गीत की? और गीत को बनाते हुए एक मकाम पे जाकर सबके रोंगटे क्यों खडे हो गए कि फिर गीत को वहीं छोड़ दिया? ये सब जानिए आज के इस अंक से।
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