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एक मुलाकात जरूरी है || एपिसोड 11 || नयला मसूद || Nyla Masood

 हाल ही में प्रदर्शित नेटफलिक्स फिल्म "द लिफ्ट बॉय" में प्रमुख भूमिका में नजर आई नयला मसूद से मिलए आज के खास एपिसोड में, नयला ने 58 वर्ष की आयु में अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा है, मगर वो पिछले 12 साल से इंडस्ट्री में कॉस्टयूम डिजाइनर के रूप में काफी सक्रिय है, उन्होंने उमरिक, स्टैनले का डब्बा, साइना, बरोट हाउस, तू ही मेरा संडे जैसी ढेरों फिल्मों में कॉस्टयूम किया है, इसके अलावा नयला एक NGO भी चलाती है स्लम में रहने वाले बच्चों के लिए, मिलिये इस बहुमुखी प्रतिभा की धनी कलाकार से जिनका सफर काफी प्रेरणात्मक रहा है, उनसे बातचीत कर रहे हैं सजीव सारथी, इस एपिसोड में तकनीकी सहायता प्रदान की है संज्ञा टंडन ने 
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काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन...

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

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खमाज थाट के राग : SWARGOSHTHI – 216 : KHAMAJ THAAT

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