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एक मुलाकात जरूरी है || एपिसोड 11 || नयला मसूद || Nyla Masood

 हाल ही में प्रदर्शित नेटफलिक्स फिल्म "द लिफ्ट बॉय" में प्रमुख भूमिका में नजर आई नयला मसूद से मिलए आज के खास एपिसोड में, नयला ने 58 वर्ष की आयु में अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा है, मगर वो पिछले 12 साल से इंडस्ट्री में कॉस्टयूम डिजाइनर के रूप में काफी सक्रिय है, उन्होंने उमरिक, स्टैनले का डब्बा, साइना, बरोट हाउस, तू ही मेरा संडे जैसी ढेरों फिल्मों में कॉस्टयूम किया है, इसके अलावा नयला एक NGO भी चलाती है स्लम में रहने वाले बच्चों के लिए, मिलिये इस बहुमुखी प्रतिभा की धनी कलाकार से जिनका सफर काफी प्रेरणात्मक रहा है, उनसे बातचीत कर रहे हैं सजीव सारथी, इस एपिसोड में तकनीकी सहायता प्रदान की है संज्ञा टंडन ने 
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सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे

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