स्वरगोष्ठी – 502 में आज
देशभक्ति गीतों में शास्त्रीय राग – 6
"ये चमन हमारा अपना है..." और "जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया...", राग कल्याण (यमन) और शुद्ध कल्याण की दो रचनायें
“रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ "स्वरगोष्ठी" के मंच पर मैं सुजॉय चटर्जी, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। उन्नीसवीं सदी में देशभक्ति गीतों के लिखने-गाने का रिवाज हमारे देश में काफ़ी ज़ोर पकड़ चुका था। पराधीनता की बेड़ियों में जकड़ा देश गीतों, कविताओं, लेखों के माध्यम से जनता में राष्ट्रीयता की भावना जगाने का काम करने लगा। जहाँ एक तरफ़ कवियों और शाइरों ने देशप्रेम की भावना से ओतप्रोत रचनाएँ लिखे, वहीं उन कविताओं और गीतों को अर्थपूर्ण संगीत में ढाल कर हमारे संगीतकारों ने उन्हें और भी अधिक प्रभावशाली बनाया। ये देशभक्ति की धुनें ऐसी हैं कि जो कभी हमें जोश से भर देती हैं तो कभी इनके करुण स्वर हमारी आँखें नम कर जाते हैं। कभी ये हमारा सर गर्व से ऊँचा कर देते हैं तो कभी इन्हें सुनते हुए हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इन देशभक्ति की रचनाओं में बहुत सी रचनाएँ ऐसी हैं जो शास्त्रीय रागों पर आधारित हैं। और इन्हीं रागाधारित देशभक्ति रचनाओं से सुसज्जित है ’स्वरगोष्ठी’ की वर्तमान श्रृंखला ’देशभक्ति गीतों में शास्त्रीय राग’। अब तक प्रकाशित इस श्रृंखला की पाँच कड़ियों में हमने राग आसावरी, गुजरी तोड़ी, पहाड़ी, भैरवी और मियाँ की मल्हार पर आधारित पाँच देशभक्ति गीतों की चर्चा की और इन रागों की शास्त्रीय रचनाएँ भी प्रस्तुत की गईं। आज प्रस्तुत है इस श्रृंखला की छठी कड़ी में राग कल्याण (यमन) और शुद्ध कल्याण पर आधारित दो फ़िल्मी रचनायें।
आशा भोसले और दत्ताराम (Courtesy: hamaraphotos.com) |
गीतकार शैलेन्द्र के लिखे और संगीतकार दत्ताराम द्वारा संगीतबद्ध किए फ़िल्म ’अब दिल्ली दूर नहीं’ के इस गीत को सुनते हुए आप राग कल्याण या यमन के इन सभी गुणों का अनुभव कर पायेंगे। गीत फ़िल्माया गया है अभिनेत्री सुलोचना लाटकर पर जो इस गीत में बच्चों को अपने देश की महानता का वर्णन कर रही हैं। बाल कलाकारों में शामिल हैं मास्टर रोमी, बेबी चाँद और अमजद ख़ान। ये वोही अमजद ख़ान हैं जो आगे चल कर मशहूर खलनायक व चरित्र अभिनेता बने। साथ ही इस गीत में अभिनेता मोतीलाल को भी देखा जा सकता है। राज कपूर निर्मित यह फ़िल्म दरअसल एक कम बजट की फ़िल्म थी। इसलिए इस फ़िल्म के संगीत के लिए उन्होंने शंकर-जयकिशन के सहायक संगीतकार दत्ताराम को स्वतंत्र रूप से संगीत देने का मौका दिया। और यही फ़िल्म दत्ताराम के बतौर स्वतंत्र संगीतकार पहली फ़िल्म सिद्ध हुई। बच्चों के लिए बनाई गई यह फ़िल्म बॉक्स् ऑफ़िस पर जैसी भी रही हो, फ़िल्म के गीतों ने काफ़ी धूम मचाया। दत्ताराम ने यह सिद्ध किया कि एक स्वतंत्र संगीतकार के रूप में भी वो उत्कृष्ट संगीत देने की क्षमता रखते हैं।
गीत : “ये चमन हमारा अपना है...” : फ़िल्म: अब दिल्ली दूर नहीं, गायिका: आशा भोसले, गीता दत्त, साथी
हंसराज बहल और मोहम्मद रफ़ी (Courtesy: hamaraphotos.com) |
"ये चमन हमारा अपना है" और "जहाँ डाल-डाल पर...", इन दोनों गीतों को एक के बाद एक सुनते हुए राग कल्याण/ यमन और शुद्ध कल्याण के बीच के अन्तर को महसूस किया जा सकता है। शुद्ध कल्याण के आरोह में मध्यम और निषाद स्वर तथा अवरोह में मध्यम स्वर वर्जित होता है। इस राग में निषाद स्वर का अल्प प्रयोग किया जाता है। राग का वादी स्वर गान्धार और संवादी स्वर धैवत होता है। रात्रि के प्रथम प्रहर में इस राग का गायन-वादन सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है। इस राग में सभी शुद्ध स्वर प्रयोग किए जाते हैं। राग शुद्ध कल्याण की रचना राग भूपाली और राग कल्याण के मेल से हुई है। इसके आरोह में राग भूपाली और अवरोह में राग कल्याण के स्वर प्रयोग होते हैं जिसे फ़िल्म ’सिकन्दर-ए-आज़म’ के इस कालजयी गीत में भी अनुभव किया जा सकता है। अवरोह में तीव्र मध्यम स्वर अति अल्प प्रयोग होता है, इसीलिए अवरोह की जाति में तीव्र मध्यम स्वर की गणना नहीं की जाती। शुद्ध कल्याण गम्भीर प्रकृति का राग है। इसका चलन मन्द्र, मध्य और तार तीनों सप्तकों भलीभाँति किया जा सकता है। तो लीजिए रफ़ी साहब की आवाज़ में भारत के गौरवशाली परम्परा और संस्कृति का वर्णन सुनिए राग शुद्ध कल्याण के कर्णप्रिय स्वरों के साथ।
’स्वरगोष्ठी’ के नए सदस्य शिलाद चटर्जी का स्वागत
आज ’स्वरगोष्ठी’ के मंच पर हम स्वागत कर रहे हैं हमारे नए साथी शिलाद चटर्जी का जो इस स्तम्भ का संचालन करने में हमारी सहायता करेंगे एक विशेष सलाहकार के रूप में। गीतों में रागों के प्रयोग और उनके विश्लेषण में हमारा ज्ञान बढ़ायेंगे दस वर्षीय शिलाद जो प्रयाग संगीत समिति, प्रयागराज (इलाहाबाद) के अधीन शास्त्रीय गायन विभाग के चौथे वर्ष का छात्र है। शिलाद को भारतीय शास्त्रीय संगीत में गहन रुचि है। जब हम रेडियो पर हिन्दी फ़िल्मी गीतों का आनन्द ले रहे होते हैं, शिलाद का मन करता है कि शास्त्रीय संगीत सुने। प्रतिदिन रात 10 बजे शिलाद आकाशवाणी गुवाहाटी केन्द्र से प्रसारित शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम सुनते हैं। शिलाद ऑल इण्डिया रेडियो के उर्दू सर्विस पर वर्ष 2019 में शास्त्रीय गायन का कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुके हैं। राग देश में ख़याल गाकर श्रोताओं को चकित कर दिया था आठ-वर्षीय शिलाद ने। वर्ष 2020 में DPS Vasantkunj New Delhi द्वारा आयोजित NCR Inter-school Classical Instrumental प्रतियोगिता में हारमोनियम पर राग देश बजा कर शिलाद ने तीसरा पुरस्कार प्राप्त किया है। तो आइए हम सब शिलाद चटर्जी का ’स्वरगोष्ठी’ के मंच पर स्वागत करें।
अपनी बात
कुछ तकनीकी समस्या के कारण हम अपने फेसबुक के मित्र समूह के साथ “स्वरगोष्ठी” का लिंक साझा नहीं कर पा रहे हैं। सभी संगीत अनुरागियों से अनुरोध है कि हमारी वेबसाइट http://radioplaybackindia.com अथवा http://radioplaybackindia.blogspot.com पर क्लिक करके हमारे सभी साप्ताहिक स्तम्भों का अवलोकन करते रहें। “स्वरगोष्ठी” के वेब पेज के दाहिनी ओर निर्धारित स्थान पर अपना ई-मेल आईडी अंकित कर आप हमारे सभी पोस्ट के लिंक को नियमित रूप से अपने ई-मेल पर प्राप्त कर सकते है। “स्वरगोष्ठी” की पिछली कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेंगे। आज के इस अंक अथवा श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें soojoi_india@yahoo.co.in अथवा sajeevsarathie@gmail.com पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः सात बजे “स्वरगोष्ठी” के इसी मंच पर हम एक बार फिर संगीत के सभी अनुरागियों का स्वागत करेंगे।
कृष्णमोहन मिश्र जी की पुण्य स्मृति को समर्पित
विशेष सलाहकार : शिलाद चटर्जी
प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी
राग कल्याण और शुद्ध कल्याण : SWARGOSHTHI – 502 : RAG KALYAN (YAMAN) & SHUDDHA KALYAN: 21 फरवरी, 2021
Comments
किरीट छाया