स्वरगोष्ठी – 443 में आज
पूर्वी थाट के राग – 3 : राग बसन्त
पं. भीमसेन जोशी से राग बसन्त में खयाल और आशा भोसले व महेन्द्र कपूर से फिल्मी गीत सुनिए
पण्डित भीमसेन जोशी |
महेन्द्र कपूर और आशा भोसले |
राग बसन्त
का वादी स्वर षडज और संवादी स्वर मध्यम होता है। यह षाडव-सम्पूर्ण जाति का
राग है, अर्थात इसके आरोह में छह और अवरोह में सात स्वर प्रयोग किया जाता
है। इस राग में ऋषभ और धैवत स्वर कोमल और दोनों मध्यम स्वर प्रयोग किए जाते
हैं। राग के आरोह में पंचम स्वर वर्जित होता है। इस राग के गायन-वादन का
सर्वाधिक उपयुक्त समय रात्रि के चतुर्थ प्रहर में 3 बजे से साढ़े 4 बजे के
मध्य है। परन्तु बसन्त ऋतु में इसे किसी भी समय गाया-बजाया जा सकता है। इस
राग के बाद ललित, भैरव आदि रागों का समय आरम्भ होता है। अब हम आपको राग
बसन्त की एक रचना पण्डित भीमसेन जोशी के स्वर में सुनवाते हैं। सात दशक तक
भारतीय संगीताकाश पर छाए रहने वाले पण्डित भीमसेन जोशी का भारतीय संगीत की
विविध विधाओं; ध्रुवपद, खयाल, तराना, ठुमरी, भजन, अभंग आदि सभी पर समान
अधिकार था। उनकी खरज भरी आवाज़ का श्रोताओं पर जादुई असर होता था। बन्दिश को
वे जिस माधुर्य के साथ बढ़त देते थे, उसे केवल अनुभव ही किया जा सकता है।
तानें तो उनके कण्ठ में दासी बन कर विचरती थी। संगीत-जगत के सर्वोच्च स्थान
पर प्रतिष्ठित होने के बावजूद स्वयं अपने बारे में बातचीत करने के मामले
में वे संकोची रहे। आइए भारत के इस अनमोल रत्न के स्वर में एक रचना सुनते
हैं। अब आप सुनिए; पण्डित भीमसेन जोशी के स्वर में राग बसन्त की तीनताल में
निबद्ध यह मनोहारी प्रस्तुति। तबला पर पण्डित नाना मुले और हारमोनियम पर
पुरुषोत्तम तलवलकर ने संगति की है।
राग बसन्त : ‘फगवा ब्रज देखन को चलो री...’ : पण्डित भीमसेन जोशी
राग
बसन्त ऋतु प्रधान राग है। बसन्त ऋतु में इसे किसी भी समय गाया-बजाया जा
सकता है। अन्य अवसरों पर इस राग को रात्रि के तीसरे प्रहर में गाने-बजाने
की परम्परा है। पूर्वी थाट के अन्तर्गत आने वाले इस राग की जाति
औडव-सम्पूर्ण होती है, आरोह में पाँच स्वर और अवरोह में सात स्वर प्रयोग
किये जाते हैं। आरोह के स्वर हैं- स, ग, म॑, ध(कोमल), नि, सं, तथा अवरोह के
स्वर हैं- सं, नि, ध, प, म॑, ग, रे, स। इस राग में ललित अंग से दोनों
मध्यम का प्रयोग होता है। आरोह में ऋषभ और पंचम स्वर वर्जित है। राग बसन्त
का वादी स्वर षडज और संवादी स्वर पंचम होता है। कभी-कभी संवादी स्वर के रूप
में मध्यम का प्रयोग भी होता है। यह एक प्राचीन राग है। ‘रागमाला’ में इसे
हिंडोल का पुत्र कहा गया है। अब आप राग बसन्त पर आधारित एक फिल्मी गीत
सुनिए। वर्ष 1961 में वी. शान्ताराम की फिल्म “स्त्री” का प्रदर्शन हुआ था।
इस फिल्म का एक गीत; “बसन्त है आया रंगीला...” राग बसन्त पर आधारित
है। गीत को स्वर दिया है आशा भोसले, महेन्द्र कपूर और साथियों और संगीतकार
सी. रामचन्द्र हैं। आप यह गीत सुनिए और हमें आज के इस अंक को यहीं विराम
देने की अनुमति दीजिए।
राग बसन्त : “बसन्त है आया रंगीला...” : आशा भोसले, महेन्द्र कपूर और साथी : फिल्म - स्त्री
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 443वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1951 में प्रदर्शित एक
फिल्म के गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको दो अंक
अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के सही
उत्तर देना आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों
का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। इस वर्ष की
अन्तिम पहेली का उत्तर प्राप्त होने तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक
होंगे, उन्हें वर्ष 2019 के पाँचवें सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके
साथ ही पूरे वर्ष के प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में
महाविजेताओं की घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग की छाया है?
2 – इस गीत को किस ताल में निबद्ध किया गया है, हमें उसका नाम बताइए।
3 – इस गीत में किस पुरानी पार्श्वगायिका का मुख्य स्वर है?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर ही शनिवार, 23 नवम्बर, 2019 की मध्यरात्रि तक भेज सकते हैं। इसके बाद
आपका उत्तर स्वीकार नहीं किया जाएगा। आपको यदि उपरोक्त तीन में से केवल एक
प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली प्रतियोगिता में भाग ले सकते
हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 445 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता
“स्वरगोष्ठी”
के 441वें अंक की पहेली में हमने आपके लिए एक रागबद्ध गीत का एक अंश सुनवा
कर तीन प्रश्नों में से पूर्ण अंक प्राप्त करने के लिए कम से कम दो
प्रश्नों के सही उत्तर की अपेक्षा आपसे की थी। पहेली के पहले प्रश्न का सही
उत्तर है; राग – पूरिया धनाश्री, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – एकताल तथा तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – उस्ताद अमीर खाँ।
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, डोम्बिबली, महाराष्ट्र से श्रीपाद बावडेकर, खण्डवा, मध्यप्रदेश से रविचन्द्र जोशी, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी।
उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को दो-दो अंक मिलते हैं। सभी विजेताओं को
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई। सभी प्रतिभागियों से
अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर ई-मेल से ही भेजा करें। इस
पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी हिस्सा ले सकते हैं। यह
आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के सही उत्तर ज्ञात हो।
यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप इसमें भाग ले सकते
हैं।
अपनी बात
मित्रों,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी
श्रृंखला “पूर्वी थाट के राग” की तीसरी कड़ी में आज आपने पूर्वी थाट के
जन्य राग बसन्त का परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस शैली के शास्त्रीय स्वरूप
को समझने के लिए आपने सुविख्यात गायक पण्डित भीमसेन जोशी के स्वर में इस
राग की एक खयाल रचना का रसास्वादन किया। राग बसन्त पर आधारित रचे गए फिल्मी
गीत के उदाहरण के लिए हमने आपके लिए आशा भोसले और महेन्द्र कपूर के युगल
स्वर में फिल्म “स्त्री” का एक गीत प्रस्तुत किया। अगले अंक में हम पूर्वी
थाट के एक अन्य राग का परिचय प्रस्तुत करेंगे। कुछ तकनीकी समस्या के कारण
“स्वरगोष्ठी” की पिछली कुछ कड़ियाँ हम “फेसबुक” पर अपने कुछ मित्र समूह पर
साझा नहीं कर पा रहे थे। संगीत-प्रेमियों से अनुरोध है कि हमारी वेबसाइट http://radioplaybackindia.com अथवा http://radioplaybackindia.blogspot.com
पर क्लिक करके हमारे सभी साप्ताहिक स्तम्भों का अवलोकन करते रहें।
“स्वरगोष्ठी” पर हमारी पिछली कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की
प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है।
“फेसबुक” पर हमारी एक पाठक राजश्री चालसे अपनी प्रतिक्रिया
व्यक्त करते हुए लिखती है; Rajashree Chalse सर तुम्हाला follow करते। तुमच्या
रागांबद्दलच्या पोस्टस् खुप छान असतात।
हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी
“स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया
हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो
तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा अगली श्रृंखला के लिए यदि आपका
कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
रेडियो प्लेबैक इण्डिया
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