स्वरगोष्ठी – 441 में आज
पूर्वी थाट के राग – 1 : राग पूर्वी
पण्डित अजय चक्रवर्ती से राग पूर्वी में शास्त्रीय रचना और वाणी जयराम से फिल्मी गीत सुनिए
पण्डित अजय चक्रवर्ती |
वाणी जयराम |
आज
हम पूर्वी थाट और इस थाट के जनक राग पूर्वी के विषय में परिचय प्राप्त
करेंगे। इस थाट में प्रयोग होने वाले स्वर हैं- सा, रे॒, ग, म॑, प ध॒, नि।
इस थाट में मध्यम स्वर तीव्र और ऋषभ तथा धैवत स्वर कोमल प्रयोग किया जाता
है। शेष सभी शुद्ध स्वर होते हैं। पूर्वी थाट का जनक अथवा आश्रय राग पूर्वी
है। यह सम्पूर्ण-सम्पूर्ण जाति का राग है, अर्थात इसके आरोह और अवरोह में
सात-सात स्वर प्रयोग होते हैं। राग पूर्वी के आरोह के स्वर- सा, रे(कोमल),
ग, म॑(तीव्र), प, ध(कोमल), नि, सां और अवरोह के स्वर- सां, नि, ध(कोमल), प,
म॑(तीव्र), ग, रे(कोमल), सा होते हैं। इस राग में कोई भी स्वर वर्जित नहीं
होता। ऋषभ और धैवत कोमल तथा मध्यम के दोनों प्रकार प्रयोग किये जाते हैं।
राग ‘पूर्वी’ का वादी स्वर गान्धार और संवादी स्वर निषाद होता है तथा इसे
दिन के अन्तिम प्रहर में गाया-बजाया जाता है। आज हमारी चर्चा में थाट और
राग पूर्वी है। इस राग का प्रत्यक्ष अनुभव कराने के लिए अब हम आपके समक्ष
एक रचना प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसे पण्डित अजय चक्रवर्ती ने प्रस्तुत किया
है। वर्तमान में भारतीय संगीत की हर शैली पर समान रूप से अधिकार रखने वाले
संगीतज्ञ पण्डित अजय चक्रवर्ती ने राग पूर्वी की इस रचना को ध्रुपद के
अन्दाज में प्रस्तुत किया है। अजय जी को पटियाला, कसूर घराने की
संगीत-शिक्षा उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ के सुपुत्र उस्ताद मुनव्वर अली खाँ
और सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ पण्डित ज्ञानप्रकाश घोष से प्राप्त हुई है। आइए,
सुनते है, पण्डित अजय चक्रवर्ती के स्वरों में राग पूर्वी की यह रचना। इस
प्रस्तुति में सारंगी पर भारतभूषण गोस्वामी ने और पखावज पर माणिक मुण्डे
ने संगति की है। कुछ विद्वान इस ध्रुपद को तानसेन की रचना मानते हैं।
राग पूर्वी : ‘कर कपाल लोचन त्रय...’ पण्डित अजय चक्रवर्ती
राग
पूर्वी पर आधारित फिल्मी गीत के लिए अब हम आपको 1979 में प्रदर्शित फिल्म
‘मीरा’ से एक भक्तिपद, गायिका वाणी जयराम की आवाज़ में सुनवा रहे हैं।
मीराबाई का जन्म 1498ई. में माना जाता है। मीरा राजस्थान के मेड़ता राज
परिवार की राजकुमारी थीं। सात वर्ष की आयु में एक महात्मा ने उन्हें
श्रीकृष्ण की एक मूर्ति दी। कृष्ण के उस स्वरूप पर वे इतनी मुग्ध हो गईं कि
उन्हें अपना आराध्य और पति मान लिया। 1516ई. में मीरा का विवाह चित्तौड़ के
शासक राणा सांगा के पुत्र भोजराज के साथ हुआ। परन्तु कृष्णभक्ति के प्रति
समर्पित रहने और साधु-सन्तों के बीच समय व्यतीत करने के कारण उनका गृहस्थ
जीवन कभी भी सफल नहीं रहा। मीरा वैष्णव भक्तिधारा की प्रमुख कवयित्री मानी
जाती है। उनके रचे हुए लगभग 1300 पद हमारे बीच आज भी उपलब्ध हैं। उनके पदों
में राजस्थानी बोली के साथ ब्रज भाषा का मिश्रण है। कुछ विद्वान मानते हैं
कि मीरा के भक्तिकाव्य पर उनके समकालीन संगीत सम्राट तानसेन, चित्तौड़ के
गुरु रविदास और गोस्वामी तुलसीदास का प्रभाव है। उनके रचे असंख्य पदों में
से आज के अंक के लिए हमने जो पद चुना है, वह है- ‘करुणा सुनो श्याम मोरी...’।
गीतकार गुलज़ार द्वारा 1979 में निर्मित फिल्म ‘मीरा’ में शामिल यह एक
भक्ति रचना है। फिल्म का संगीत निर्देशन विश्वविख्यात संगीतज्ञ पण्डित
रविशंकर ने किया था। पण्डित जी ने मीरा के इस पद में निहित करुणा मिश्रित
भक्तिभाव की अभिव्यक्ति के लिए राग पूर्वी के स्वरों का चयन किया था।
“फिल्मी गीतों में रागों का प्रभाव” विषयक शोधकर्त्ता के.एल. पाण्डेय के
अनुसार इस गीत में राग पूरिया धनाश्री का स्पर्श भी है। आप यह पद गायिका
वाणी जयराम की आवाज़ में सुनिए और करुण और भक्तिरस के मिश्रण की अनुभूति
कीजिए। रचना सितारखानी ताल में निबद्ध है। आप यह गीत सुनिए और मुझे आज के
इस अंक को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए।
राग पूर्वी : ‘करुणा सुनो श्याम मोरी...’ : वाणी जयराम : संगीत – पं. रविशंकर : फिल्म – मीरा
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 441वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1952 में प्रदर्शित एक
फिल्म के गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको दो अंक
अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के सही
उत्तर देना आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों
का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। “स्वरगोष्ठी”
के 450वें अंक की पहेली का उत्तर प्राप्त होने तक जिस प्रतिभागी के
सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें वर्ष 2019 के पाँचवें सत्र का विजेता घोषित
किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के
अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया
जाएगा।
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग का स्पर्श है?
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए।
3 – इस गीत में किस उस्ताद गायक का स्वर है?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर ही शनिवार, 9 नवम्बर, 2019 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 443 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता
“स्वरगोष्ठी”
के 439वें अंक की पहेली में हमने आपके लिए एक रागबद्ध गीत का एक अंश सुनवा
कर तीन प्रश्नों में से पूर्ण अंक प्राप्त करने के लिए कम से कम दो
प्रश्नों के सही उत्तर की अपेक्षा आपसे की थी। पहेली के पहले प्रश्न का सही
उत्तर है; राग – गुणकली (साथ ही राग भैरव का स्पर्श भी है), दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – चौताल व कहरवा तथा तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – मुहम्मद रफी।
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी।
उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को दो-दो अंक मिलते हैं। सभी विजेताओं को
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई। सभी प्रतिभागियों से
अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर ई-मेल से ही भेजा करें। इस
पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी हिस्सा ले सकते हैं। यह
आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के सही उत्तर ज्ञात हो।
यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप इसमें भाग ले सकते
हैं।
अपनी बात
मित्रों,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर आरम्भ
हमारी श्रृंखला “पूर्वी थाट के राग” की पहली कड़ी में आज आपने पूर्वी थाट और
इसके जनक राग पूर्वी का परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस शैली के शास्त्रीय
स्वरूप को समझने के लिए आपने सुविख्यात संगीतज्ञ पण्डित अजय चक्रवर्ती से
इस राग की एक रचना का रसास्वादन किया। राग पूर्वी के आधार पर रचे गए फिल्मी
गीत के उदाहरण के लिए हमने आपके लिए सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ पण्डित रविशंकर
का स्वरबद्ध किया और गायिका वाणी जयराम के स्वर में फिल्म “मीरा” का एक गीत
प्रस्तुत किया। कुछ तकनीकी समस्या के कारण “स्वरगोष्ठी” की पिछली कुछ
कड़ियाँ हम “फेसबुक” पर अपने कुछ मित्र समूह पर साझा नहीं कर पा रहे थे।
संगीत-प्रेमियों से अनुरोध है कि हमारी वेबसाइट http://radioplaybackindia.com अथवा http://radioplaybackindia.blogspot.com
पर क्लिक करके हमारे सभी साप्ताहिक स्तम्भों का अवलोकन करते रहें।
“स्वरगोष्ठी” पर हमारी पिछली कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की
प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी
“स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया
हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो
तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा अगली श्रृंखला के लिए यदि आपका
कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
राग पूर्वी : SWARGOSHTHI – 441 : RAG PURVI : 3 नवम्बर, 2019
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