स्वरगोष्ठी – 444 में आज
पूर्वी थाट के राग – 4 : राग श्री
विदुषी श्रुति सडोलिकर से राग श्री में दो खयाल और पारुल घोष से फिल्मी गीत सुनिए
विदुषी श्रुति सड़ोलिकर |
पारुल घोष |
राग श्री पूर्वी
थाट का जन्य राग माना जाता है। इस राग में ऋषभ और धैवत स्वर कोमल तथा
मध्यम स्वर तीव्र प्रयोग किया जाता है। आरोह में गान्धार और धैवत स्वर
वर्जित होता है जबकि अवरोह में सभी सात स्वर प्रयोग किए जाते हैं। इस
प्रकार यह औड़व-सम्पूर्ण जाति का राग होता है। वादी स्वर कोमल ऋषभ और संवादी
स्वर पंचम होता है। इस राग के गायन-वादन का सर्वाधिक उपयुक्त समय दिन का
चौथा अर्थात अन्तिम प्रहर माना जाता है। राग श्री के शास्त्रीय पक्ष को
समझने के लिए अब हम आपके लिए इस राग में दो खयाल रचनाएँ प्रस्तुत कर रहे
हैं। इसे सुप्रसिद्ध संगीत विदुषी श्रुति सडोलिकर के स्वर में प्रस्तुत
किया जा रहा है। यह आडियो क्लिप हमने अलबम “इवनिंग रागाज, भाग 1” से साभार
लिया है। प्रस्तुत की जाने वाली खयाल रचनाओं में पहले आप विलम्बित खयाल
“कहाँ मैं ढूंढन जाऊँ...” और फिर द्रुत खयाल “सुमिर कर ले आज गुरु को...”
का रसास्वादन कर सकते है।
राग श्री : विलम्बित और द्रुत खयाल रचनाएँ : विदुषी श्रुति सडोलिकर
राग
श्री एक प्राचीन राग है। प्राचीन काल में जब राग-रागिनी पद्धति प्रचलित
थी, तब चारो मतों से राग श्री को एक मुख्य राग माना गया है। यह गम्भीर
प्रकृति का राग है। इसकी गणना सन्धिप्रकाश रागों में होती है। राग श्री में
कोमल ऋषभ और पंचम स्वरों की पुनरावृत्ति बार-बार की जाती है, किन्तु कोमल
ऋषभ स्वर की पुनरावृत्ति करते समय गान्धार स्वर का स्पर्श भी किया जाता है।
राग का यह नियम है कि वादी और संवादी स्वरों में षडज-पंचम अथवा षडज-मध्यम
संवाद अवश्य होनी चाहिए। राग श्री के वादी-संवादी स्वरों में इन दोनों में
से कोई भाव नहीं है। यदि हम इस राग के स्वरूप को ध्यान में रख कर
वादी-संवादी चुनने का प्रयास करें तो हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि
इसमें कोमल ऋषभ और पंचम के अलावा अन्य कोई स्वर वादी-संवादी नहीं हो सकते।
अतः राग मारवा के समान राग श्री के वादी-संवादी के स्वरों को भी राग नियम
का अपवाद माना गया है। राग श्री पर आधारित फिल्मी गीत के लिए हमने 1951 में
प्रदर्शित फिल्म “आन्दोलन” का एक गीत चुना है। गीत के बोल है; “प्रभु
चरणों में आया पुजारी...”। इस गीत को इन्दीवर ने लिखा और सुप्रसिद्ध
बाँसुरी वादक पण्डित पन्नालाल घोष ने स्वरबद्ध किया है। गीत में पारुल घोष
और साथियों ने स्वर दिया है।
राग श्री : “प्रभु चरणों में आया पुजारी...” : पारुल घोष व साथी : फिल्म – आन्दोलन
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 444वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1952 में प्रदर्शित एक
फिल्म के गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको दो अंक
अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के सही
उत्तर देना आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों
का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। इस वर्ष की
अन्तिम पहेली का उत्तर प्राप्त होने तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक
होंगे, उन्हें वर्ष 2019 के पाँचवें सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके
साथ ही पूरे वर्ष के प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में
महाविजेताओं की घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग का प्रभाव है?
2 – इस गीत को किस ताल में निबद्ध किया गया है, हमें उसका नाम बताइए।
3 – इस गीत में किस पार्श्वगायक का स्वर है?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर ही शनिवार, 30 नवम्बर, 2019 की मध्यरात्रि तक अपने पते के साथ भेज सकते
हैं। इसके बाद आपका उत्तर स्वीकार नहीं किया जाएगा। आपको यदि उपरोक्त तीन
में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली प्रतियोगिता
में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 446 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता
“स्वरगोष्ठी”
के 442वें अंक की पहेली में हमने आपके लिए एक रागबद्ध गीत का एक अंश सुनवा
कर तीन प्रश्नों में से पूर्ण अंक प्राप्त करने के लिए कम से कम दो
प्रश्नों के सही उत्तर की अपेक्षा आपसे की थी। पहेली के पहले प्रश्न का सही
उत्तर है; राग – बसन्त, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – दादरा और तीनताल तथा तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – आशा भोसले और महेन्द्र कपूर।
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी और खण्डवा, मध्यप्रदेश से रविचन्द्र जोशी।
उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को दो-दो अंक मिलते हैं। सभी विजेताओं को
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई। सभी प्रतिभागियों से
अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर ई-मेल से ही भेजा करें। इस
पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी हिस्सा ले सकते हैं। यह
आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के सही उत्तर ज्ञात हो।
यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप इसमें भाग ले सकते
हैं।
अपनी बात
पण्डित श्रीकुमार मिश्र |
‘रेडियो
प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी
श्रृंखला “पूर्वी थाट के राग” की चौथी कड़ी में आज आपने पूर्वी थाट के जन्य
राग श्री का परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस शैली के शास्त्रीय स्वरूप को
समझने के लिए आपने सुविख्यात विदुषी श्रुति सडोलिकर के स्वर में इस राग में
दो खयाल रचनाओं का रसास्वादन किया। राग श्री पर आधारित रचे गए फिल्मी गीत
के उदाहरण के लिए हमने आपके लिए पारुल घोष के युगल स्वर में फिल्म
“आन्दोलन” का एक गीत प्रस्तुत किया। अगले अंक में हम एक नई श्रृंखला का
शुभारम्भ करेंगे। कुछ तकनीकी समस्या के कारण “स्वरगोष्ठी” की पिछली कुछ
कड़ियाँ हम “फेसबुक” पर अपने कुछ मित्र समूह पर साझा नहीं कर पा रहे थे।
संगीत-प्रेमियों से अनुरोध है कि हमारी वेबसाइट http://radioplaybackindia.com अथवा http://radioplaybackindia.blogspot.com
पर क्लिक करके हमारे सभी साप्ताहिक स्तम्भों का अवलोकन करते रहें।
“स्वरगोष्ठी” पर हमारी पिछली कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की
प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी
“स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया
हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो
तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा अगली श्रृंखला के लिए यदि आपका
कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
राग श्री : SWARGOSHTHI – 444 : RAG SHRI : 24 नवम्बर, 2019
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