स्वरगोष्ठी – 428 में आज 
वर्षा ऋतु के राग – 2 : मियाँ मल्हार 
पण्डित कुमार गन्धर्व से इस राग में खयाल और वाणी जयराम से फिल्मी गीत सुनिए  
![]()  | 
| कुमार गन्धर्व | 
![]()  | 
| वाणी जयराम | 
राग मियाँ मल्हार
 का सम्बन्ध काफी थाट से माना जाता है। इसके आरोह में सभी सात स्वर प्रयोग 
किये जाते हैं तथा अवरोह में धैवत स्वर वर्जित होता है। इसीलिए इस राग की 
जाति सम्पूर्ण-षाड़व होती है। इसमें गान्धार स्वर कोमल तथा दोनों निषाद 
प्रयोग किये जाते हैं। गायन-वादन का उपयुक्त समय मध्यरात्रि माना जाता है, 
किन्तु वर्षा ऋतु में इसे किसी भी समय गाया-बजाया जा सकता है। राग का वादी 
स्वर षडज संवादी स्वर पंचम होता है। कुछ गुणीजन वादी स्वर मध्यम और संवादी 
स्वर षडज मानते हैं। “राग परिचय” के लेखक हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव के अनुसार
 मध्यम और षडज के स्थान पर षडज-पंचम को वादी-संवादी मानना अधिक उपयुक्त और 
न्यायसंगत प्रतीत होता है। क्योंकि इस राग में मध्यम स्वर पर कभी न्यास 
नहीं किया जाता, जबकि वादी स्वर पर न्यास किया जाना आवश्यक होता है। कहा 
जाता है कि संगीत सम्राट तानसेन ने मल्हार नामक एक नए राग की रचना की थी 
जिसे बाद में मियाँ की मल्हार अथवा मियाँ मल्हार कहा जाने लगा। पुराने 
ग्रन्थों में इसका उल्लेख नहीं मिलता। अब हम आपको राग मियाँ मल्हार के 
स्वरों में पिरोया एक मधुर फिल्मी गीत सुनवाते हैं। यह गीत हमने 1971 में 
प्रदर्शित फिल्म “गुड्डी” से लिया है। इसके संगीतकार हैं, वसन्त देसाई और 
गीत को स्वर दिया है, वाणी जयराम ने। 
राग मियाँ मल्हार : “बोले रे पपीहरा...” : वाणी जयराम : फिल्म – गुड्डी 
राग
 मियाँ मल्हार के आरोह के स्वर हैं; सा, म, रे s प, ग॒, s म, रे, सा, म, 
रे, प, नि॒ s ध, नि, सां और अवरोह के स्वर हैं; सां, ग॒, नि॒, म, प, ग॒, s 
म, रे, सा। राग दरबारी कान्हड़ा की तरह ग॒, म, रे, सा, स्वर इसमें प्रयुक्त 
होता है, परन्तु दोनों रागों के ग॒, म, रे, सा, में काफी अन्तर होता है। 
दरबारी कान्हड़ा एक श्रुत्यांतर का कोमल गान्धार लगता है, जबकि मियाँ मल्हार
 में दो श्रुत्यांतर से भी कुछ चढ़ा हुआ कोमल गान्धार प्रयुक्त होता है। 
दोनों रागों के गान्धार में अलग-अलग भाव है। दरबारी कान्हड़ा का कोमल 
गान्धार दार्शनिक, आध्यात्मिक वेदना को गाम्भीर्य प्रदान करता है। परन्तु 
मियाँ मल्हार का कोमल गान्धार वर्षा के तीव्र झोंको, वातावरण द्वारा 
उत्पन्न आनन्द की अनुभूति कराते हुए तीव्र कसक के भाव की अभिव्यक्ति कराता 
है। म, प, नि॒, s ध, स्वर करुण रस की अनुभूति कराते है। नि s सां, स्वर की 
क्रिया के द्वारा भावनात्मक पुकार का सन्देश प्रसारित होता है। वर्षा ऋतु 
में आनन्द और वियोग की कसक के मिश्रित भाव को यह राग अभिव्यक्त करता है। 
चिन्ताविकृति, वेदना, विरह की स्थितियों में यह राग मानसिक शान्ति, आनन्द 
और मनोबल प्रदान करने में सक्षम सिद्ध हो सकता है। राग मियाँ मल्हार के 
शास्त्रीय स्वरूप को समझने के लिए अब हम आपको सुविख्यात गायक पण्डित कुमार 
गन्धर्व के स्वर में इस राग की एक परम्परागत बन्दिश सुनवा रहे हैं। 
यू-ट्यूब के सौजन्य से प्रस्तुत इस दुर्लभ वीडियो का अब आप रसास्वादन करें।
 आप यह गीत सुनिए और मुझे आज के इस अंक को यहीं विराम देने की अनुमति 
दीजिए। 
राग मियाँ मल्हार : “बोले रे पपीहरा...” : पण्डित कुमार गन्धर्व 
संगीत पहेली 
 
“स्वरगोष्ठी”
 के 428वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1951 में प्रदर्शित एक 
फिल्म के राग आधारित गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर 
आपको दो अंक अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो 
प्रश्नों के सही उत्तर देने आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा 
तीनों प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते 
हैं। 430वें अंक की पहेली तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें 
वर्ष 2019 के तीसरे सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे 
वर्ष के प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की 
घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा। 
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि यह किस राग की रचना है? 
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए। 
3 – इस गीत में किस पार्श्वगायिका की आवाज़ हैं? 
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
 पर ही शनिवार, 3 अगस्त, 2019 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि 
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली 
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
 में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
 देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर 
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
 के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 430 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में 
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या 
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी 
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं। 
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता 
 
“स्वरगोष्ठी”
 के 426वें अंक की पहेली में हमने आपसे वर्ष 1942 में प्रदर्शित फिल्म 
“तानसेन” के एक गीत का एक अंश सुनवा कर तीन प्रश्नों में से पूर्ण अंक 
प्राप्त करने के लिए कम से कम दो प्रश्नों के सही उत्तर की अपेक्षा की थी। 
पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – मेघ मल्हार, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – तीनताल और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – खुर्शीद बानो। 
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; अहमदाबाद, गुजरात से मुकेश लाडिया, कल्याण, महाराष्ट्र से शुभा खाण्डेकर, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, खण्डवा, मध्यप्रदेश से रविचन्द्र जोशी, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी।
 उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक 
बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर 
ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी 
हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के
 सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
 इसमें भाग ले सकते हैं।  
अपनी बात 
मित्रों,
 ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी
 नई श्रृंखला “वर्षा ऋतु के राग” की दूसरी कड़ी में आज आपने मल्हार अंग के 
राग “मियाँ मल्हार” का परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस राग के शास्त्रीय 
स्वरूप को समझने के लिए सुविख्यात संगीतज्ञ पण्डित कुमार गन्धर्व के स्वरों
 में प्रस्तुत एक बन्दिश का रसास्वादन किया। इससे पहले इसी राग पर आधारित 
फिल्म “गुड्डी” से एक मनमोहक गीत पार्श्वगायिका वाणी जयराम के स्वरों में 
सुनवाया गया। संगीतकार वसन्त देसाई ने इस गीत को राग मियाँ मल्हार के 
स्वरों में पिरोया है। “स्वरगोष्ठी” पर हमारी पिछली कड़ियों के बारे में 
हमें अनेक पाठकों की प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि 
हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और
 अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और श्रृंखला के बारे में 
यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा अगली 
श्रृंखला के लिए यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
 पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र   
 राग मियाँ मल्हार : SWARGOSHTHI – 428 : RAG MIYAN MALHAR : 28 जुलाई, 2019


Comments