स्वरगोष्ठी – 427 में आज
वर्षा ऋतु के राग – 1 : मेघ मल्हार
पण्डित अजय चक्रवर्ती से इस राग में खयाल और खुर्शीद बेगम से फिल्मी गीत सुनिए
पण्डित अजय चक्रवर्ती |
खुर्शीद बानो |
\
रेडियो प्लेबैक इण्डिया राग मेघ मल्हार : SWARGOSHTHI – 427 : RAG MEGH MALHAR : 21 जुलाई, 2019
राग मेघ मल्हार
वर्षाकालीन सभी रागों में सबसे प्राचीन माना जाता है। श्रृंखला की आज की
कड़ी में हम आपको राग मेघ मल्हार का रसास्वादन करा रहे हैं। भारतीय साहित्य
में भी राग मेघ मल्हार के परिवेश का भावपूर्ण चित्रण मिलता है। वर्षा ऋतु
के आगमन की आहट देने वाले राग मेघ की प्रवृत्ति को महाकवि कालिदास ने
‘मेघदूत’ के प्रारम्भिक श्लोकों में अत्यन्त यथार्थ रूप में किया है।
‘मेघदूत’ का यक्ष अपनी प्रियतमा तक सन्देश भेजने के लिए आषाढ़ मास के मेघों
को ही अपना दूत बनाता है। इससे थोड़ा भिन्न परिवेश पाँचवें दशक की एक फिल्म
से हमने लिया है। आज का गीत हमने 1942 में रणजीत स्टूडियो द्वारा निर्मित
और जयन्त देसाई द्वारा निर्देशित फिल्म ‘तानसेन’ से चुना है। फिल्म के
प्रसंग के अनुसार अकबर के आग्रह पर तानसेन ने राग ‘दीपक’ गाया, जिसके
प्रभाव से उनका शरीर जलने लगा। कोई उपचार काम में नहीं आने पर उनकी शिष्या
ने राग ‘मेघ मल्हार’ का आह्वान किया, जिसके प्रभाव से आकाश मेघाच्छन्न हो
गया और बरखा की बूँदों ने तानसेन के तप्त शरीर का उपचार किया। इस प्रसंग
में राग ‘मेघ मल्हार’ की अवतारणा करने वाली तरुणी को कुछ इतिहासकारों ने
तानसेन की प्रेमिका कहा है तो कुछ ने उसे तानसेन की पुत्री तानी बताया है।
बहरहाल, इस प्रसंग से यह स्पष्ट हो जाता है कि राग ‘मेघ मल्हार’ मेघों का
आह्वान करने में सक्षम है। दूसरे रूप में हम यह भी कह सकते हैं कि इस राग
में मेघाच्छन्न आकाश, उमड़ते-घुमड़ते बादलों की गर्जना और वर्षा के प्रारम्भ
की अनुभूति कराने की क्षमता है। फिल्म ‘तानसेन’ के संगीतकार खेमचन्द्र
प्रकाश और गीतकार पण्डित इन्द्र थे। फिल्म में तानसेन की प्रमुख भूमिका में
कुन्दनलाल (के.एल.) सहगल थे। फिल्म के लगभग सभी गीत विभिन्न रागों पर
आधारित थे। फिल्म ‘तानसेन’ में राग मेघ मल्हार पर आधारित गीत है- ‘बरसो रे
कारे बादरवा हिया में बरसो...’, जिसे उस समय की विख्यात गायिका-अभिनेत्री
खुर्शीद बानो ने गाया और अभिनय भी किया था। तीनताल में निबद्ध इस गीत में
पखावज की संगति की गई है। आइए, सुनते हैं वर्षा ऋतु का आह्वान करते राग
‘मेघ मल्हार’ पर आधारित यह गीत। “हिन्दी सिने राग इन्साइक्लोपीडिया” के
विद्वान ग्रन्थकार के.एल. पाण्डेय के अनुसार इस गीत में राग सूर मल्हार और
मालकौंस की भी छाया है। आप इस गीत के माध्यम से ऋतु के अनुकूल पावस का
आनन्द लीजिए।
राग मेघ मल्हार : ‘बरसो रे कारे बादरवा...’ : स्वर – खुर्शीद बानो : फिल्म – तानसेन
काफी
थाट का राग मेघ मल्हार औड़व-औड़व जाति का होता है, अर्थात इसके आरोह और
अवरोह में 5-5 स्वरों का प्रयोग होता है। गान्धार और धैवत स्वरों का प्रयोग
नहीं होता। समर्थ कलासाधक कभी-कभी परिवर्तन के तौर पर गान्धार स्वर का
प्रयोग करते है। भातखण्डे जी ने अपने ‘संगीत-शास्त्र’ ग्रन्थ में भी यह
उल्लेख किया है कि कोई-कोई कोमल गान्धार का प्रयोग भी करते हैं। लखनऊ के
वरिष्ठ संगीत-शिक्षक और शास्त्र-अध्येता पण्डित मिलन देवनाथ के अनुसार लगभग
एक शताब्दी पूर्व राग मेघ में कोमल गान्धार का प्रयोग होता था। आज भी कुछ
घरानों की गायकी में यह प्रयोग मिलता है। रामपुर, सहसवान घराने के
जाने-माने गायक उस्ताद राशिद खाँ जब राग मेघ गाते हैं तो कोमल गान्धार का
प्रयोग करते हैं। ऋषभ का आन्दोलन राग मेघ का प्रमुख गुण होता है। यह
पूर्वांग प्रधान राग है। इस राग के माध्यम से आषाढ़ मास के मेघों की
प्रतीक्षा, उमड़-घुमड़ कर आकाश पर छा जाने वाले काले मेघों और वर्षा ऋतु के
प्रारम्भिक परिवेश का सजीव चित्रण किया जाता है। आइए, अब हम राग मेघ मल्हार
में एक भावपूर्ण खयाल सुनते हैं। इसे प्रस्तुत कर रहे है, पटियाला गायकी
में सिद्ध गायक और संगीतज्ञ पण्डित अजय चक्रवर्ती। यह मध्यलय झपताल की रचना
है, जिसके बोल हैं- ‘गरजे घटा घन कारे कारे पावस रुत आई...’। आप राग मेघ
मल्हार में निबद्ध यह खयाल रचना सुनिए और हमें आज के इस अंक को यहीं विराम
देने की अनुमति दीजिए।
राग मेघ मल्हार : ‘गरजे घटा घन कारे कारे, पावस रुत आई...’ : पण्डित अजय चक्रवर्ती
संगीत पहेली
“स्वरगोष्ठी”
के 427वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1971 में प्रदर्शित एक
फिल्म के राग आधारित गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर
आपको दो अंक अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो
प्रश्नों के सही उत्तर देने आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा
तीनों प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते
हैं। 430वें अंक की पहेली तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें
वर्ष 2019 के तीसरे सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे
वर्ष के प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की
घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग का आधार है?
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए।
3 – इस गीत में किस पार्श्वगायिका की आवाज़ हैं?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर ही शनिवार, 27 जुलाई, 2019 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 429 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता
"स्वरगोष्ठी"
के 425वें अंक की पहेली में हमने आपसे वर्ष 1977 में प्रदर्शित फिल्म
“भूमिका” के एक गीत का एक अंश सुनवा कर तीन प्रश्नों में से पूर्ण अंक
प्राप्त करने के लिए कम से कम दो प्रश्नों के सही उत्तर की अपेक्षा की थी।
पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – तिलक कामोद, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – सितारखानी अथवा पंजाबी ठेका और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – प्रीति सागर।
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, कल्याण, महाराष्ट्र से शुभा खाण्डेकर, खण्डवा, मध्यप्रदेश से रविचन्द्र जोशी का एक उत्तर ही सही है, अतः उन्हें केवल एक अंक ही प्राप्त हुए, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, अहमदाबाद, गुजरात से मुकेश लाडिया और हैदराबाद से हरिणा माधवी।
उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक
बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर
ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी
हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के
सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
इसमें भाग ले सकते हैं।
अपनी बात
मित्रों,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर आज से
आरम्भ हो रही हमारी नई श्रृंखला “वर्षा ऋतु के राग” की पहली कड़ी में आज
आपने मल्हार अंग के राग “मेघ मल्हार” का परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस राग
के शास्त्रीय स्वरूप को समझने के लिए सुविख्यात संगीतज्ञ पण्डित अजय
चक्रवर्ती के स्वरों में झपताल में प्रस्तुत एक खयाल का रसास्वादन किया।
इससे पहले इसी राग पर आधारित फिल्म “तानसेन” से एक मनमोहक गीत अभिनेत्री और
गायिका खुर्शीद बानो के स्वरों में सुनवाया गया। संगीतकार खेमचन्द्र
प्रकाश ने इस गीत को राग मेघ मल्हार के स्वरों में पिरोया है। “स्वरगोष्ठी”
पर हमारी पिछली कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की प्रतिक्रिया
लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के
प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते
रहेगे। आज के अंक और श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें
अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा अगली श्रृंखला के लिए यदि आपका कोई सुझाव
या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
Comments