स्वरगोष्ठी – 421 में आज
खमाज थाट के राग – 2 : राग कलावती
विदुषी गंगूबाई हंगल से इस राग में खयाल और लता मंगेशकर और सुरेश वाडकर से फिल्मी गीत सुनिए
विदुषी गंगूबाई हंगल |
सुरेश वाडकर और लता मंगेशकर |
राग कलावती
को खमाज थाट के अन्तर्गत माना जाता है। इस राग में ऋषभ और मध्यम स्वर
पूर्णतः वर्जित होता है। इसीलिए राग की जाति औड़व-औड़व होती है। राग कलावती
में निषाद स्वर कोमल प्रयोग किया जाता है और शेष स्वर शुद्ध होते हैं। राग
का वादी स्वर गान्धार और संवादी स्वर धैवत होता है। राग के गायन-वादन का
उपयुक्त समय रात्रि का दूसरा प्रहर और मध्यरात्रि माना जाता है। यह कर्नाटक
पद्धति का राग है, जो अब उत्तर भारतीय संगीत में पर्याप्त लोकप्रिय राग हो
गया है। उत्तर भारतीय संगीत पद्धति के स्वरों के अनुसार राग झिंझोटी में
ऋषभ और मध्यम स्वर वर्जित कर देने से राग कलावती की रचना होती है। आरोह में
कोमल निषाद स्वर का वक्र प्रयोग किया जाता है, किन्तु अवरोह में सीधा
प्रयोग किया जाता है। ग, प, ग, सा, के प्रयोग से राग शंकरा का आभास होता
है, किन्तु कोमल निषाद और धैवत के दीर्घ प्रयोग से राग कलावती का स्वरूप
स्पष्ट हो जाता है। राग कलावती का समप्रकृति राग जनसम्मोहिनी होता है। राग
कलावती का शास्त्रीय स्वरूप समझने के लिए अब हम आपको किराना घराने की
सुविख्यात गायिका विदुषी गंगूबाई हंगल के स्वर में इस राग की एक रचना
प्रस्तुत कर रहे हैं। इसी सप्ताह 5 मार्च को इस महान गायिका का 106वाँ
जन्मदिन मनाया गया है। पद्मविभूषण सम्मान से अलंकृत विदुषी गांगूबाई हंगल
के स्वर में अब आप तीनताल में निबद्ध यह रचना सुनिए।
राग कलावती : “बोलन लागी कोयलिया...” : विदुषी गंगूबाई हंगल
आज
के अंक में हम पाँच स्वरों वाले एक प्रचलित राग, कलावती पर आपसे चर्चा कर
रहे हैं और इस राग में दो उदाहरण भी प्रस्तुत कर रहे हैं। आज के अंक में
हमने 1985 की फिल्म “सुर संगम” से एक गीत चुना है। यह गीत का राग कलावती पर
आधारित है। फिल्म “सुर संगम” एक महान संगीतज्ञ के आदर्श जीवन पर आधारित
है। फिल्म में संगीत-शिक्षण की प्राचीन गुरु-शिष्य परम्परा को भी रेखांकित
किया गया है। एक संगीतज्ञ के जीवन पर केन्द्रित होने के कारण लक्ष्मीकान्त
प्यारेलाल के लिए गीतों में विभिन्न रागों के समावेश की चुनौती थी। कहने की
आवश्यकता नहीं कि उन्होने इस चुनौती को स्वीकार किया। उन्होने संगीतज्ञ के
केन्द्रीय चरित्र के लिए सुविख्यात युगल गायक पण्डित राजन, साजन मिश्र
बन्धु के बड़े भाई पण्डित राजन मिश्र के स्वर का चयन किया। फिल्म के अन्य
पुरुष चरित्र के लिए सुरेश वाडकर, स्त्री चरित्र के लिए लता मंगेशकर और बाल
कलाकार के लिए दक्षिण भारत की गायिका पी. सुशीला की आवाज़ को चुना। फिल्म
“सुर संगम” से लिया गया आज का गीत राग कलावती के स्वरों पर आधारित है। गीत
के अन्तिम भाग में राग जनसम्मोहिनी की छाया भी मिलती है। फिल्म में यह गीत
संगीतज्ञ की बेटी और उनके होने वाले दामाद पर फिल्माया गया है। स्वर दिया
है, लता मंगेशकर और सुरेश वाडकर ने। गीतकार वसन्त देव और संगीतकार
लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल हैं।आप यह गीत सुनिए और मुझे आज के इस अंक को यहीं
विराम देने की अनुमति दीजिए।
राग कलावती : “मैका पिया बुलावे अपने मन्दिरवा...” : लता मंगेशकर और सुरेश वाडकर : फिल्म – सुर संगम
संगीत पहेली
“स्वरगोष्ठी”
के 421वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1960 में प्रदर्शित एक
फिल्म के राग आधारित गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर
आपको दो अंक अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो
प्रश्नों के सही उत्तर देने आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा
तीनों प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते
हैं। 430वें अंक की पहेली तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें
वर्ष 2019 के तीसरे सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे
वर्ष के प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की
घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग की छाया है?
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए।
3 – इस गीत में मुख्य स्वर किस पार्श्वगायिका के हैं?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर ही शनिवार, 1 जून, 2019 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 423 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
के 419वें अंक की पहेली में हमने आपसे वर्ष 1971 में प्रदर्शित फिल्म
“बुड्ढा मिल गया” के एक गीत का एक अंश सुनवा कर तीन प्रश्नों में से पूर्ण
अंक प्राप्त करने के लिए कम से कम दो प्रश्नों के सही उत्तर की अपेक्षा की
थी। पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – खमाज, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – सितारखानी और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – मन्ना डे और अर्चना।
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, अहमदाबाद, गुजरात से मुकेश लाडिया, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, कल्याण, महाराष्ट्र से शुभा खाण्डेकर और जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी।
उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक
बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर
ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी
हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के
सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
इसमें भाग ले सकते हैं।
अपनी बात
"सुर संवादिनी" पुस्तक का मुखपृष्ठ |
‘रेडियो
प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर नई श्रृंखला “खमाज
थाट के राग” की दूसरी कड़ी में आज आपने खमाज थाट के जन्य राग “कलावती” का
परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस राग के शास्त्रीय स्वरूप को समझने के लिए
सुविख्यात गायिका विदुषी गंगूबाई हंगल के स्वरों में प्रस्तुत एक खयाल रचना
का रसास्वादन किया। इसके बाद इसी राग पर आधारित फिल्म “सुर संगम” एक
मनमोहक गीत लता मंगेशकर और सुरेश वाडकर के स्वरों में सुनवाया। संगीतकार
लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल ने इस गीत को राग कलावती के स्वरों में पिरोया है।
“स्वरगोष्ठी” पर हमारी पिछली कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की
प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी
“स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया
हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो
तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा अगली श्रृंखला के लिए यदि आपका
कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
एचबीराग कलावती : SWARGOSHTHI – 421 : RAG KALAVATI : 26 मई, 2019
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