स्वरगोष्ठी – 418 में आज
बिलावल थाट के राग – 6 : राग हंसध्वनि
पण्डित रविशंकर से सितार पर राग हंसध्वनि की रचना और लता मंगेशकर और मन्ना डे से फिल्मी गीत सुनिए
पण्डित रविशंकर |
लता मंगेशकर और मन्ना डे |
राग हंसध्वनि
का सम्बन्ध बिलावल थाट से माना जाता है। इसमें सभी शुद्ध स्वर प्रयोग किये
जाते हैं। मध्यम और धैवत स्वर वर्जित होने के कारण इस राग की जाति औड़व-औड़व
होती है। वादी स्वर तार षडज और संवादी स्वर पंचम होता है। इस राग के
गायन-वादन का उपयुक्त समय रात्रि का प्रथम प्रहर माना जाता है। यह कर्नाटक
पद्धति का राग है, जिसका प्रचार अब उत्तर भारत में हो गया है। यह चंचल
प्रकृति का उत्तरांग प्रधान राग है। इस राग के वादी-संवादी स्वरों और गायन
समय में मतभेद है। राग हंसध्वनि में ऋषभ स्वर बेहद महत्त्वपूर्ण होता है।
गान्धार स्वर का कण लेते हुए ऋषभ स्वर पर रुकते हैं। आरोह में ऋषभ स्वर
अल्प होता है। यह राग शंकरा के बहुत समीप है। मुख्य अन्तर यह है कि राग
शंकरा मींड़ प्रधान गम्भीर प्रकृति का राग है, जबकि राग हंसध्वनि चंचल
प्रकृति का राग है। दूसरा अन्तर यह है कि राग शंकरा में धैवत स्वर प्रयोग
किया जाता है, जबकि राग हंसध्वनि में धैवत स्वर वर्जित होता है। राग
हंसध्वनि के स्वर-संयोजन को समझने के लिए अब हम आपको विश्वविख्यात
सितार-वादक पण्डित रविशंकर का बजाया सितार पर इस राग में निबद्ध एक रचना का
रसास्वादन कराते हैं।
राग हंसध्वनि : सितार पर एक रचना : पण्डित रविशंकर
अब
हम आपको राग हंसध्वनि में पिरोया एक फिल्मी गीत सुनवाते हैं। यह गीत हमने
1956 में प्रदर्शित फिल्म “परिवार” से लिया है। इस गीत को लता मंगेशकर और
मन्ना डे ने स्वर दिया है। इसके गीतकार शैलेन्द्र और संगीतकार सलिल चौधरी
हैं। सलिल चौधरी मूलतः साम्यवादी विचारधारा के थे। उन्होने अपने संगीत को
साम्यवाद का सन्देश प्रसारित करने का महत्त्वपूर्ण माध्यम बनाया। वह
विलक्षण संगीतकार होने के साथ ही बाँग्ला के अच्छे कवि, गीतकार और संगीत
समीक्षक भी थे। इस गीत के बारे में टिप्पणी करते हुए लेखक पंकज राग अपनी
पुस्तक “धुनों की यात्रा” में लिखते हैं; अपनी रचनाओं में भारतीय शास्त्रीय
संगीत का प्रयोग सलिल चौधरी ने कई बार सूक्ष्म बारीकियों के साथ किया।
कर्नाटक शैली के राग हंसध्वनि को लेकर फिल्म “परिवार” के लिए कम्पोज़ किया
हुआ उनका अद्भुत गीत “जा तोसे नहीं बोलूँ कन्हैया...” तो अमर हो
चुका है। लीजिए अब आप यही गीत लता मंगेशकर और मन्ना डे के युगल स्वर में
सुनिए और मुझे आज के इस अंक को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए।
राग हंसध्वनि : “जा तोसे नहीं बोलूँ कन्हैया...” : लता मंगेशकर और मन्ना डे : फिल्म – परिवार
संगीत पहेली
“स्वरगोष्ठी”
के 418वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1972 में प्रदर्शित एक
फिल्म के राग आधारित गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर
आपको दो अंक अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो
प्रश्नों के सही उत्तर देने आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा
तीनों प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते
हैं। 420वें अंक तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें वर्ष 2019
के दूसरे सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के
प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की
जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि गीत के इस अंश में किस राग का स्पर्श है?
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए।
3 – इस गीत में किन पार्श्वगायकों के स्वर हैं?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर ही शनिवार, 11 मई, 2019 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 420 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
के 416वें अंक की पहेली में हमने आपको वर्ष 1963 में प्रदर्शित फिल्म
“सुशीला” के एक गीत का एक अंश सुनवा कर तीन प्रश्नों में से पूर्ण अंक
प्राप्त करने के लिए कम से कम दो प्रश्नों के सही उत्तर की अपेक्षा की थी।
पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – शंकरा, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – दादरा और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – मुबारक बेगम।
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; अहमदाबाद, गुजरात से मुकेश लाडिया, कल्याण, महाराष्ट्र से शुभा खाण्डेकर, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया और हैदराबाद से हरिणा माधवी।
उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक
बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर
ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी
हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के
सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
इसमें भाग ले सकते हैं।
अपनी बात
हिन्दी सिने राग इन्साइ क्लोपीडिया, भाग - 1 का मुखपृष्ठ |
‘रेडियो
प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर श्रृंखला “बिलावल
थाट के राग” की पाँचवीं कड़ी में आज आपने बिलावल थाट के राग “हंसध्वनि” का
परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस राग के शास्त्रीय स्वरूप को समझने के लिए
सुविख्यात सितार-वादक पण्डित रविशंकर द्वारा प्रस्तु एक रचना का रसास्वादन
किया। इसके बाद इसी राग पर आधारित एक गीत फिल्म “परिवार” से लता मंगेशकर और
मन्ना डे के स्वर में प्रस्तुत किया गया। संगीतकार सलिल चौधरी ने इस गीत
को राग हंसध्वनि के स्वरों पिरोया है। “स्वरगोष्ठी” पर हमारी पिछली कड़ियों
के बारे में हमें अनेक पाठकों की प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें
विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन
करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और श्रृंखला
के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा
अगली श्रृंखला के लिए यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
राग हंसध्वनि : SWARGOSHTHI – 418 : RAG HANSADHWANI : 5 मई, 2019
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