स्वरगोष्ठी – 416 में आज
बिलावल थाट के राग – 4 : राग दुर्गा
उस्ताद गुलाम मुस्तफा खाँ से राग दुर्गा की बन्दिश और लता व मुकेश से फिल्मी गीत सुनिए
उस्ताद गुलाम मुस्तफा खाँ |
अपने साथियों के साथ चाँद परदेशी |
संगीत के
ग्रन्थों में दुर्गा नाम से राग के दो प्रकार मिलते हैं। एक का सम्बन्ध
बिलावल थाट से और दूसरे का सम्बन्ध खमाज थाट से माना जाता है। आजकल बिलावल
थाट के राग दुर्गा का प्रचलन अधिक है। राग दुर्गा के इन दोनों प्रकार की
जाति औड़व-औड़व होती है, अर्थात दोनों रूप के आरोह-अवरोह में पाँच-पाँच स्वर
होते हैं। बिलावल थाट के राग दुर्गा में वादी और संवादी स्वर क्रमशः धैवत
और ऋषभ होता है तथा इस राग में गान्धार और निषाद वर्जित होता है। जबकि खमाज
थाट के राग दुर्गा में वादी-संवादी क्रमशः गान्धार और निषाद होता है तथा
ऋषभ और पंचम स्वर वर्जित होता है। इसके साथ ही खमाज थाट के राग दुर्गा के
आरोह में शुद्ध निषाद और अवरोह में कोमल निषाद का प्रयोग भी होता है।
पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे के मतानुसार राग दुर्गा में वादी-संवादी
क्रमशः मध्यम और षडज होता है। ग्रन्थकार हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव और अन्य
विद्वान इस विचार से सहमत नहीं हैं। इनके अनुसार राग दुर्गा के समप्रकृति
राग जलधर केदार में वर्जित स्वर समान होते है। ऐसे में यदि वादी-संवादी
स्वर भी एक जैसे हो तो दोनों रागों में अन्तर करना कठिन हो जाता है। इसके
अलावा राग दुर्गा पंचम की अपेक्षा धैवत स्वर अधिक महत्वपूर्ण होता है और
अन्य किसी राग की छाया आने की सम्भावना नहीं होती। इसके विपरीत मध्यम पर
न्यास करने से जलधर केदार राग की स्पष्ट छाया आती है। अतः राग दुर्गा के
वादी और संवादी स्वर क्रमशः धैवत और ऋषभ सर्वाधिक उपयुक्त हैं। यह उत्तरांग
प्रधान राग है। दक्षिण भारतीय संगीत प्रणाली में राग दुर्गा के समतुल्य
राग को शुद्ध सावेरी के नाम से जाना जाता है। रात्रि के दूसरे प्रहर में
राग दुर्गा का गायन-वादन सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है। बिलावल थाट के राग
दुर्गा के शास्त्रीय स्वरूप को समझने के लिए अब हम आपको सुविख्यात
संगीतज्ञ उस्ताद गुलाम मुस्तफा खाँ के स्वर में इस राग की एक बन्दिश
प्रस्तुत कर रहे हैं। तीनताल में निबद्ध इस रचन के बोल हैं –“जय दुर्गे
दुर्गति परिहारिणी...”। आप यह खयाल रचना सुनिए।
राग दुर्गा : “जय दुर्गे दुर्गति परिहारिणी...” : उस्ताद गुलाम मुस्तफा खाँ
आज
की कड़ी में हम बिलावल थाट के जिस राग की चर्चा कर रहे हैं, उसे राग दुर्गा
के नाम से पहचाना जाता है। संगीत का परिचय देने वाले ग्रन्थों में राग
दुर्गा के दो रूप मिलते हैं। इस राग का सर्वाधिक प्रचलित स्वरूप बिलावल थाट
के अन्तर्गत माना जाता है। आज के अंक में हम बिलावल थाट के राग दुर्गा पर
चर्चा कर रहे हैं और इसी स्वरूप का उदाहरण भी प्रस्तुत कर रहे हैं। अब आप
राग दुर्गा के स्वरों पर आधारित एक फिल्मी गीत सुनेंगे। वर्ष 1960 में रतन
पिक्चर्स के बैनर से जसवन्त झवेरी द्वारा निर्मित और निर्देशित तथा मनहर
देसाई, कंचन कामिनी और ललिता कुमारी अभिनीत फिल्म “बंजारन” प्रदर्शित हुई
थी। टिकट खिड़की पर यह फिल्म बहुत सफल तो नहीं हुई थी, किन्तु फिल्म का
गीत-संगीत बेहद लोकप्रिय हुआ था। फिल्म के गीतकार थे पण्डित मधुर और
संगीतकार थे परदेशी। फिल्म संगीत के इतिहास में चाँद परदेशी अथवा परदेशी एक
ही व्यक्ति का नाम है। अब इन्हें ‘भूले बिसरे संगीतकार’ के रूप में
चिह्नित किया जाता है। उन्होने बहुत कम फिल्मों में संगीत दिया है, किन्तु
जितना भी दिया है, उनमें गज़ब का सुरीलापन है। फिल्म संगीत के इतिहास में
उनके बारे में नाममात्र की जानकारी ही उपलब्ध है। चाँद परदेशी ने 1960 से
लेकर 1983 के बीच जितनी भी फ़िल्मों का संगीत-निर्देशन किया उनमें से लगभग
10 फिल्मों की जानकारी उपलब्ध हुई है। शेष फिल्मों के न तो वीडियो उपलब्ध
हैं, न पोस्टर या अन्य कोई सूत्र। वर्ष 1960 में ‘बंजारन’, 1964 में
‘खुफिया महल’, 1972 में ‘बाँकेलाल’, 1973 में ‘परिवर्तन’, 1976 में ‘कितने
दूर कितने पास’, 1979 में ‘वनमानुष’, 1981 में ‘ये कैसा नशा’, 1983 में
‘भाई आखिर भाई होता है’ और इसी वर्ष ‘एक बार चले आओ’ चाँद परदेशी के संगीत
निर्देशन में बनी फिल्मों की जानकारी उपलब्ध है। गूगल पर उनका कोई चित्र भी
उपलब्ध नहीं था, किन्तु “स्वरगोष्ठी” के नियमित पाठक बीकानेर, राजस्थान के
लक्ष्मीनारायण सोनी ने संगीतकार चाँद परदेशी का एक चित्र हमारे
“स्वरगोष्ठी” के पाठकों के लिए भेजा था। श्री सोनी स्वयं संगीत और रंगमंच
के कुशल कलाकार हैं और संगीत-शिक्षण से सम्बन्धित रहे हैं। चाँद परदेशी से
भी उनकी मित्रता रही है। चित्र में आगे की पंक्ति में बीच में चाँद परदेशी
हैं और उनके दाहिने सफ़ेद कमीज में स्वयं लक्ष्मीनारायण सोनी बैठे हैं। यह
चित्र उपलब्ध कराने के लिए हम श्री सोनी का आभार व्यक्त करते है। आइए, चाँद
परदेशी के संगीत निर्देशन में 1960 में प्रदर्शित फिल्म “बंजारन” का यह
युगलगीत सुनते हैं, जिसे लता मंगेशकर और मुकेश ने स्वर दिया है। इस गीत में
राग दुर्गा का स्पर्श है, किन्तु गीत में कहीं-कहीं राग पहाड़ी की छाया भी
परिलक्षित होती है। आप यह गीत सुनिए और मुझे आज के इस अंक को यहीं विराम
देने की अनुमति दीजिए।
राग दुर्गा : “चन्दा रे मोरी पतियाँ ले जा...” : लता मंगेशकर और मुकेश : फिल्म – बंजारन
संगीत पहेली
“स्वरगोष्ठी”
के 416वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1963 में प्रदर्शित एक
फिल्म के राग आधारित गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर
आपको दो अंक अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो
प्रश्नों के सही उत्तर देने आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा
तीनों प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते
हैं। 420वें अंक तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें वर्ष 2019
के दूसरे सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के
प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की
जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इस गीत में किस राग का स्पर्श है?
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए।
3 – इस गीत में किस पार्श्वगायिका के स्वर हैं?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर ही शनिवार, 27 अप्रैल, 2019 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 418 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
के 414वें अंक की पहेली में हमने आपसे वर्ष 1959 में प्रदर्शित फिल्म
“गूँज उठी शहनाई” के एक गीत का एक अंश सुनवा कर तीन प्रश्नों में से पूर्ण
अंक प्राप्त करने के लिए कम से कम दो प्रश्नों के सही उत्तर की अपेक्षा की
थी। पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – बिहाग, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – दादरा और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी।
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, कल्याण, महाराष्ट्र से शुभा खाण्डेकर, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, अहमदाबाद, गुजरात से मुकेश लाडिया और हैदराबाद से हरिणा माधवी।
उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक
बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर
ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी
हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के
सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
इसमें भाग ले सकते हैं।
अपनी बात
मित्रों,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर श्रृंखला
“बिलावल थाट के राग” की चौथी कड़ी में आज आपने बिलावल थाट के राग दुर्गा का
परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस राग के शास्त्रीय स्वरूप को समझने के लिए
सुविख्यात गायक उस्ताद गुलाम मुस्तफा खाँ के स्वर में एक खयाल रचना का
रसास्वादन किया। इसके बाद इसी राग पर आधारित एक गीत फिल्म “बंजारन” से लता
मंगेशकर और मुकेश के स्वर में प्रस्तुत किया गया। संगीतकार चाँद परदेशी ने
इस गीत को राग दुर्गा के स्वरों का आधार दिया है। “स्वरगोष्ठी” पर हमारी
पिछली कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की प्रतिक्रिया लगातार मिल रही
है। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक
का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और
श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। हमारी
वर्तमान अथवा अगली श्रृंखला के लिए यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो
हमें swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
रेडियो प्लेबैक इण्डिया
Comments
here at this website, I have read all that, so at this time me also commenting at this place.