स्वरगोष्ठी – 410 में आज
कल्याण थाट के राग – 8 : राग मारू बिहाग
उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ से राग मारू बिहाग का खयाल और इस राग में पिरोया फिल्म सेहरा का गीत सुनिए
उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ |
मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर |
राग
मारू विहाग का वादी स्वर गान्धार और संवादी स्वर निषाद माना जाता है। इस
राग के गायन-वादन का सटीक समय रात्रि में 8 से 9 बजे तक होता है। इस राग
में दोनों मध्यम और शेष स्वर शुद्ध लगते हैं। इस राग के आरोह में नि, सा,
ग, म॑, प, नि, सां और अवरोह में सां, नि, प, ध, प, म॑, ग, रे, सा, स्वरों
का प्रयोग किया जाता है। राग मारू विहाग में यमन और बिहाग रागों की छाया
दृष्टिगत होती है। नि, सा, ग; प, नि, सा; सा, म॑, ग; से बिहाग तथा म॑, प,
ध, प; सां, नि, प, ध, म॑, प, म॑, ग, म॑, रे, सा; में यमन अथवा कल्याण राग
की झलक मिलती है। इस राग का भाव करुण, समर्पित तथा पुकार से युक्त प्रतीत
होता है। सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ और मयूरवीणा वादक पण्डित श्रीकुमार मिश्र के
अनुसार जब व्यक्ति दिन भर के परिश्रम के बाद भी निराशा का अनुभव करता है,
तब राग मारवा के स्वर उसकी पीड़ा पर मरहम का कार्य करते हैं। इसके बाद
व्यक्ति प्रभु के सामने समर्पित होकर पुकार-पुकार कर अपनी अपनी करुण आवाज़
में प्रार्थना करता है। इस मनःस्थिति को राग मारू विहाग के स्वर सहज रूप से
अभिव्यक्त करते हैं। यदि व्यक्ति की चिन्ता और निराशा भाव सामान्य है इस
राग के स्वर इसका निदान कर सकते हैं। सामान्य चिन्ता की स्थिति में उपजे
विकारों में राग मारू विहाग का श्रवण सार्थक हो सकता है। उदाहरणस्वरूप अब
हम आपको उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ के स्वर में राग मारू विहाग का एक खयाल सुनवा रहे
हैं।
राग मारू विहाग : “तोरी मोरी बात...” : उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ
राग
मारू बिहाग कल्याण थाट का राग है। इसे सन्धिप्रकाश राग भी कहा जाता है। यह
राग औडव-सम्पूर्ण जाति का है, अर्थात आरोह में पाँच और अवरोह में सात स्वर
प्रयोग किये जाते हैं। आरोह में ऋषभ और धैवत स्वरों का प्रयोग नहीं होता।
राग में तीव्र मध्यम स्वर का प्रयोग मुख्यतः किया जाता है। शेष सभी स्वर
शुद्ध प्रयोग होते हैं। राग का वादी स्वर गान्धार और संवादी स्वर निषाद
होता है। राग मारू बिहाग में कल्याण और बिहाग रागों का मिश्रण होता है। इस
राग में तीव्र मध्यम के साथ शुद्ध मध्यम का प्रयोग भी होता है। तीव्र मध्यम
आरोह और अवरोह दोनों में किया जाता है, जबकि शुद्ध मध्यम केवल आरोह में
षडज के साथ प्रयोग होता है। इस राग का चलन तीनों सप्तकों में समान रूप से
होता है। 1963 में वी. शान्ताराम के निर्देशन में फिल्म ‘सेहरा’ का
प्रदर्शन हुआ था। इस फिल्म के संगीतकार वाराणसी के कुशल शहनाई-वादक रामलाल
ने कई गीत रागों में बाँधे थे। राग मारू बिहाग पर आधारित यह गीत भी इस
फिल्म में शामिल था। गीत में लता मंगेशकर और मुहम्मद रफी ने युगल-स्वर दिया
था। राग मारू विहाग की स्पष्ट छाया इस गीत में मिलती है। आप यह गीत
सुनिए और मुझे आज के अंक को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए।
राग मारू बिहाग : “तुम तो प्यार हो...” : लता मंगेशकर और मुहम्मद रफी : फिल्म – सेहरा
संगीत पहेली
“स्वरगोष्ठी”
के 410वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1957 में प्रदर्शित एक
फिल्म के रागबद्ध गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको
दो अंक अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के
सही उत्तर देने आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों
प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। इस
पहेली के परिणाम आने तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें वर्ष
2019 के पहले सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के
प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की
जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इस गीत में किस राग का स्पर्श है?
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए।
3 – इस गीत में किस पार्श्वगायिका के स्वर हैं?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर ही शनिवार, 16 मार्च, 2019 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 412 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
क्रमांक 408 की पहेली में हमने आपसे वर्ष 1961 में प्रदर्शित फिल्म “भाभी
की चूड़ियाँ” के एक गीत का एक अंश सुनवा कर तीन प्रश्नों में से पूर्ण अंक
प्राप्त करने के लिए कम से कम दो प्रश्नों के सही उत्तर की अपेक्षा की थी।
पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – भूपाली अथवा भूप, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – कहरवा और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – लता मंगेशकर।
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, कल्याण, महाराष्ट्र से शुभा खाण्डेकर, अहमदाबाद, गुजरात से मुकेश लाडिया, वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी।
उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक
बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर
ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी
हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के
सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
इसमें भाग ले सकते हैं।
अपनी बात
मित्रों,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी
श्रृंखला “कल्याण थाट के राग” की आठवीं कड़ी में आज आपने राग “मारू विहाग”
का परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस राग के शास्त्रीय स्वरूप को समझने के लिए
सुविख्यात गायक उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ के स्वर में एक खयाल रचना का रसास्वादन
किया। इसके बाद इसी राग पर आधारित एक गीत फिल्म “सेहरा” से लता मंगेशकर के
स्वर में प्रस्तुत किया गया। संगीतकार राम लाल ने इस गीत को राग मारू विहाग
के स्वरों का आधार दिया है। इस गीत को लता मंगेशकर ने गाया है।
“स्वरगोष्ठी” पर हमारी पिछले अंकों के बारे में हमें अनेक पाठकों की
प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी
“स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया
हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो
तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा अगली श्रृंखला के लिए यदि आपका
कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
रेडियो प्लेबैक इण्डिया
राग मारू बिहाग : SWARGOSHTHI – 410 : RAG MARU BIHAG : 10 मार्च, 2019
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