स्वरगोष्ठी – 409 में आज
कल्याण थाट के राग – 7 : राग भूपाली   
विदुषी किशोरी अमोनकर से भूपाली में खयाल और लता मंगेशकर से इस राग में पिरोया गीत सुनिए 
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| विदुषी किशोरी अमोनकर | 
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| लता मंगेशकर और सुधीर फड़के | 
कल्याण
 थाट के अन्य रागों में एक प्रमुख जन्य राग भूपाली है। यह औड़व-औड़व जाति का 
राग है, जिसमें मध्यम और निषाद स्वर का प्रयोग नहीं किया जाता। शेष सभी 
स्वर शुद्ध प्रयोग किया जाता है। राग भूपाली का वादी स्वर गान्धार और 
संवादी स्वर धैवत होता है। रात्रि का पहला प्रहर इस राग के गायन-वादन का 
समय होता है। यह राग पूर्वांग प्रधान होता है, अर्थात इसका चलन अधिकतर 
मन्द्र और मध्य सप्तक के पहले हिस्से में होता है। इन्हीं स्वरों को यदि 
उत्तरांग प्रधान कर दिया जाए यह राग देशकार हो जाता है। इस राग में 
ध्रुवपद, खयाल और तराना गाया जाता है। राग भूपाली में ठुमरी नहीं गायी 
जाती। कुछ पुराने संगीतज्ञ इस राग में पंचम और ऋषभ स्वर की संगति करते है, 
किन्तु अधिकतर ऐसा नहीं करते। दक्षिण भारतीय संगीत में इस राग के समतुल्य 
राग मोहनम् होता है। अब हम आपको राग भूपाली के स्वरों में एक खयाल रचना 
सुनवाते है। इसे प्रस्तुत कर रही हैं, जयपुर अतरौली घराने की विदुषी किशोरी
 अमोनकर। तीनताल में निबद्ध इस रचना के बोल हैं; “जब से तुम संग लागली 
प्रीत...”। आप राग भूपाली की इस रचना का रसास्वादन कीजिए। 
राग भूपाली : “जब से तुम संग लागली प्रीत…” : विदुषी किशोरी अमोनकर 
राग
 भूपाली, कल्याण थाट का जन्य राग माना जाता है। संगीत के ग्रन्थों में यह 
राग भूप या भोपाली नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। राग भूपाली का 
समप्रकृति राग देशकार है। दोनों रागों की जाति औड़व-औड़व होती है, जिसमें 
मध्यम और निषाद स्वर का प्रयोग नहीं किया जाता। शेष सभी स्वर शुद्ध प्रयोग 
किया जाता है। राग भूपाली का वादी स्वर गान्धार और संवादी स्वर धैवत होता 
है, जबकि राग देशकार का वादी स्वर धैवत और संवादी स्वर गान्धार होता है। यह
 दोनों राग क्रमशः पूर्वांग और उत्तरांग वादी होते हैं। राग भूपाली का 
सम्बन्ध कल्याण थाट से होता है, किन्तु राग देशकार बिलावल थाट से सम्बन्धित
 होता है। रात्रि का पहला प्रहर राग भूपाली के गायन-वादन का और दिन का 
दूसरा प्रहर राग देशकार के गायन-वादन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होता है। अब 
हम आपको राग भूपाली के स्वरों में पिरोया एक मधुर फिल्मी गीत - ‘ज्योतिकलश छलके...’
 सुनवाते हैं। यह गीत 1961 में प्रदर्शित फिल्म ‘भाभी की चूड़ियाँ’ से है, 
जिसे लता मंगेशकर ने स्वर दिया है। इसके संगीतकार सुधीर फडके और गीतकार हैं
 पण्डित नरेन्द्र शर्मा। लीजिए, अब आप राग भूपाली में पिरोया यह मधुर 
फिल्मी गीत सुनिए और मुझे आज के इस अंक को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए। 
राग भूपाली : “ज्योतिकलश छलके...” : लता मंगेशकर : फिल्म – भाभी की चूड़ियाँ 
संगीत पहेली 
 
“स्वरगोष्ठी”
 के 409वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1963 में प्रदर्शित एक 
फिल्म के रागबद्ध गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको 
दो अंक अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के 
सही उत्तर देने आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों 
प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। 
पहेली क्रमांक 410 तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें वर्ष 
2019 के पहले सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के 
प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की 
जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा। 
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इस गीत में किस राग का स्पर्श है? 
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए। 
3 – इस गीत में किस गायिका और गायक के युगल स्वर हैं? 
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
 पर ही शनिवार, 9 मार्च, 2019 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि 
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली 
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
 में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
 देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर 
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
 के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 411 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में 
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या 
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी 
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं। 
पिछली पहेली का सही उत्तर और  विजेता 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 क्रमांक 407 की पहेली में हमने आपसे वर्ष 1966 में प्रदर्शित फिल्म “मेरा 
साया” के एक गीत का एक अंश सुनवा कर तीन प्रश्नों में से पूर्ण अंक प्राप्त
 करने के लिए कम से कम दो प्रश्नों के सही उत्तर की अपेक्षा की थी। पहेली 
के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – नन्द, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – कहरवा और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – लता मंगेशकर। 
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; कल्याण, महाराष्ट्र से शुभा खाण्डेकर, वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, अहमदाबाद, गुजरात से मुकेश लाडिया और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी।
 उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक 
बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर 
ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी 
हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के
 सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
 इसमें भाग ले सकते हैं।  
अपनी बात 
मित्रों,
 ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी 
श्रृंखला “कल्याण थाट के राग” की सातवीं कड़ी में आज आपने राग “भूपाली” का 
परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस राग के शास्त्रीय स्वरूप को समझने के लिए 
सुविख्यात गायिका विदुषी किशोरी अमोनकर के स्वर में एक खयाल रचना का 
रसास्वादन किया। इसके बाद इसी राग पर आधारित एक गीत फिल्म “भाभी की 
चूड़ियाँ” से लता मंगेशकर के स्वर में प्रस्तुत किया गया। संगीतकार सुधीर 
फड़के ने इस गीत को राग भूपाली के स्वरों का आधार दिया है। इस गीत को लता 
मंगेशकर ने गाया है। “स्वरगोष्ठी” पर हमारी पिछले अंकों के बारे में हमें 
अनेक पाठकों की प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि हमारे 
अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी 
प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और श्रृंखला के बारे में यदि आपको
 कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा अगली श्रृंखला के 
लिए यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
 पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे। 
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र  
राग भूपाली : SWARGOSHTHI – 409 : RAG BHUPALI : 3 मार्च, 2019
 
 
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