Rani Malik |
Ila Arun |
Anvita Dutt Guptan |
Kausar Munir |
Priya Saraiya, Jasleen Royal, Sneha Khanwalkar, Sangeeta Pant, Hard Kaur |
प्रिया सरैया ना केवल आज के दौर की एक जानीमानी पार्श्वगायिका हैं, बल्कि वो एक गीतकार भी हैं। पलक शाह के नाम से जन्मीं प्रिया छह वर्ष की आयु से गाना सीखना शुरू किया और गंधर्व महाविद्यालय मुंबई से शास्त्रीय गायन की तालीम हासिल की। उन्होंने प्रिया पांचाल के नाम से अपने करीअर की शुरुआत की, आगे चल कर संगीतकार जिगर सरैया (सचिन-जिगर जोड़ी वाले) से विवाह के पश्चात वो बन गईं प्रिया सरैया। प्रिया ने अपना प्रशिक्षण Trinity College of London से पूरा किया। बतौर पार्श्वगायिका, उन्हें पहला ब्रेक मिला 2011 में। इस साल उनका लिखा ’Shor in the City' फ़िल्म का "साइबो" गीत बहुत लोकप्रिय हुआ था। इसी साल फ़िल्म ’ये दूरियाँ’ में उनका लिखा शीर्षक गीत भी मशहूर हुआ था। इस सफलता के चलते उन्हें 2012 की दो फ़िल्मों - ’अजब ग़ज़ब लव’ और ’तेरे नाल लव हो गया’ में गीत लिखने के मौके मिले। 'ABCD 2' फ़िल्म में उन्होंने दो गीत लिखे और गाए - "सुन साथिया" और "बेज़ुबान फिर से"। इन गीतों की ख़ूब प्रशंसा हुई थी। हाल में उन्होंने संजय दत्त अभिनीत फ़िल्म ’भूमि’ और कंगना रनौत अभिनीत फ़िल्म ’सिमरन’ में गीत लिखे हैं। अपनी आवाज़ और कलम के जादू से प्रिया सरैया लगातार अपने करिअर में ऊपर चढ़ रही हैं। उनके लिखे गीतों से सजी कुछ और उल्लेखनीय फ़िल्मों के नाम हैं - ’रमैया वस्तावैया’, ’बदलापुर’, ’हैप्पी एन्डिंग्’, ’ए फ़्लाइंग् जट’, ’जयन्तभाई की लवस्टोरी’, ’जीना जीना’, ’गो गोवा, गॉन’, ’मुंबई दिल्ली मुंबई’, आदि। जसलीन कौर रॉयल (जसलीन रॉयल) एक स्वतंत्र गायिका, गीतकार और संगीतकार हैं जो पंजाबी, हिन्दी और अंग्रेज़ी में गाती हैं। 2013 में पंजाबी के जानेमाने कवि शिव कुमार बटालवी की कविता "पंछी हो जावा" को कम्पोज़ कर और गा कर जसलीन ने MTV Video Music Awards India 2013 में Best Indie Song का पुरस्कार जीता था। लुधियाना के Sacred Heart Convent School से स्कूली शिक्षा पूरी कर जसलीन दिल्ली चली गईं आगे की पढ़ाई के लिए। हिन्दी कॉलेज से B.Com पूरी करने के बाद वो 2009 में India's Got Talent में भाग लिया और सेमी-फ़ाइनल तक पहुँची। एक साथ कई वाद्य यंत्र बजाने की क्षमता पूरे देश ने देखा इस शो के माध्यम से। उस शो के जज सोनाली बेन्द्रे, किरन खेर और शेखर कपूर ने उन्हें 'one woman band' कह कर संबोधित किया था। जसलीन एक साथ गिटार, माउथ ऑरगन और टैम्बुरिन बजा लेती हैं गाते हुए। की-बोर्ड पर भी उन्हें महारथ हासिल है। कई और टीवी शोज़ में कामयाबी हासिल करने के बाद 2014 जसलीन को सोनम कपूर - फ़वाद ख़ान अभिनीत फ़िल्म ’ख़ूबसूरत’ में "प्रीत" गाने का मौका मिला, जिसे लिखा अमिताभ वर्मा ने और स्वरबद्ध किया स्नेहा खनवलकर ने। जसलीन के लिखे गीत जिन फ़िल्मों में सुनाई दिए हैं, उनमें शामिल हैं ’बार बार देखो’, ’हरामखोर’, ’शिवाय’, ’फिल्लौरी’, ’फ़ुकरे रिटर्न्स’ और ’हिचकी’। स्नेहा खनवलकर आज के दौर की एक जानीमानी महिला संगीतकार हैं। लेकिन अपनी कुछ फ़िल्मों में संगीत के साथ-साथ उन्होंने गीत लेखन में भी हाथ आज़माया है। ’ख़ूबसूरत’ फ़िल्म में ही उनका लिखा "माँ का फ़ोन" को काफ़ी सराहा गया है। इसके अलावा ’सिंह इज़ ब्लिंग्’, ’लव सेक्स और धोखा’, और ’डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी’ में उन्होंने कुछ गीत लिखे हैं। इसी तरह से पंजाबी हिप-हॉप गायिका और रैपर हार्ड कौर ने भी कुछ गीतों के लिए बोल लिखे हैं। पहली बार उन्हें यह मौका 2009 की फ़िल्म ’अजब प्रेम की ग़ज़ब कहानी’ में मिला। प्रीतम के संगीत में उन्होंने "फ़ॉलो मी, लक नु हिला दे" लिखा और ख़ुद गाया। 2012 की फ़िल्म ’रश’ में आशिष पंडित और ऐश किंग् के साथ मिल कर हार्ड कौर ने एक गीत लिखा "होते होते जाने क्या हो गया" जिसे ऐश किंग् और हार्ड कौर ने गाया। 2015 में ’कागज़ के फ़ूल्स’ नामक फ़िल्म की संगीतकार थीं संगीता पंत। इस फ़िल्म के कुल तीन गीतों में से दो गीत उन्हीं के लिखे हुए थे - तोचि रैना की आवाज़ में "लफ़ड़ा पड़ गया" और उनकी ख़ुद की आवाज़ में "नशा है जाम का"। संगीता भी बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं। 2012 की फ़िल्म ’गांधी की ज़मीन पर’ में उन्होंने ना केवल संगीत दिया बल्कि अभिनय भी किया। 2011 की फ़िल्म ’रेडी’ में वो बतौर पार्शगायिका गीत गा चुकी हैं। महिला गीतकारों की यह जो नई पौध फ़िल्म जगत में धीरे धीरे नया मुकाम हासिल कर रही है, इससे यही लगता है कि आने वाले समय में और भी महिलाएँ फ़िल्मी गीतकारिता के क्षेत्र में क़दम रखेंगी, और जो रवायत जद्दनबाई जैसी फ़िल्म इतिहास के पहले दौर की महिलाओं ने शुरू की थी, उसे आज के दौर की महिलाएँ आगे बढ़ाएंगी।
आख़िरी बात
’चित्रकथा’ स्तंभ का आज का अंक आपको कैसा लगा, हमें ज़रूर बताएँ नीचे टिप्पणी में या soojoi_india@yahoo.co.in के ईमेल पते पर पत्र लिख कर। इस स्तंभ में आप किस तरह के लेख पढ़ना चाहते हैं, यह हम आपसे जानना चाहेंगे। आप अपने विचार, सुझाव और शिकायतें हमें निस्संकोच लिख भेज सकते हैं। साथ ही अगर आप अपना लेख इस स्तंभ में प्रकाशित करवाना चाहें तो इसी ईमेल पते पर हमसे सम्पर्क कर सकते हैं। सिनेमा और सिनेमा-संगीत से जुड़े किसी भी विषय पर लेख हम प्रकाशित करेंगे। आज बस इतना ही, अगले सप्ताह एक नए अंक के साथ इसी मंच पर आपकी और मेरी मुलाक़ात होगी। तब तक के लिए अपने इस दोस्त सुजॉय चटर्जी को अनुमति दीजिए, नमस्कार, आपका आज का दिन और आने वाला सप्ताह शुभ हो!
शोध,आलेख व प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी
रेडियो प्लेबैक इण्डिया
Comments