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Showing posts from July, 2017

राग गौड़ मल्हार : SWARGOSHTHI – 328 : RAG GAUD MALHAR

स्वरगोष्ठी – 328 में आज पावस ऋतु के राग – 3 : मनभावन राग गौड़ मल्हार विदुषी मालिनी राजुरकर और लता मंगेशकर से सुनिए -“गरजत बरसत भीजत आई लो...” मालिनी राजुरकर लता मंगेशकर ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला – “पावस ऋतु के राग” की तीसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र अपनी सहयोगी संज्ञा टण्डन के साथ आप सभी संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम एक नया प्रयोग कर रहे हैं। गीतों का परिचयात्मक आलेख हम अपने सम्पादक-मण्डल की सदस्य संज्ञा टण्डन की रिकार्ड किये आवाज़ में प्रस्तुत कर रहे हैं। आपको हमारा यह प्रयोग कैसा लगा, अवश्य सूचित कीजिएगा। आपको स्वरों के माध्यम से बादलों की उमड़-घुमड़, बिजली की कड़क और रिमझिम फुहारों में भींगने के लिए आमंत्रित करता हूँ। यह श्रृंखला, वर्षा ऋतु के रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत पर केन्द्रित है। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं पर चर्चा करेंगे। इसके साथ ही सम्बन्धित राग के आधार पर र

चित्रकथा - 29: इस दशक के नवोदित नायक (भाग - 2)

अंक - 29 इस दशक के नवोदित नायक (भाग - 2) "ये तेरा हीरो इधर है..."  ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। बीसवीं सदी के चौथे दशक से सवाक् फ़िल्मों की जो परम्परा शुरु हुई थी, वह आज तक जारी है और इसकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ती ही चली जा रही है। और हमारे यहाँ सिनेमा के साथ-साथ सिने-संगीत भी ताल से ताल मिला कर फलती-फूलती चली आई है। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें बातें होंगी चित्रपट की और चित्रपट-संगीत की। फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत से जुड़े विषयों से सुसज्जित इस पाठ्य स्तंभ में आपका हार्दिक स्वागत है।  हर रोज़ देश के कोने कोने से न जाने कितने युवक युवतियाँ आँखों में सपने लिए माया नगरी मुंबई के रेल्वे स्टेशन पर उतरते हैं। फ़िल्मी दुनिया की चमक-दमक से प्रभावित होकर स्टार बनने का सपना लिए छोटे बड़े शहरों, कसबों और गाँवों से मुंबई की धरती पर क़दम

गीत अतीत 23 || हर गीत की एक कहानी होती है || बुरी बुरी || डिअर माया || राशि मल || संदीप पाटिल (सैंडमैंन) || इरशाद कामिल

Geet Ateet 23 Har Geet Kii Ek Kahaani Hoti Hai... Buri Buri Dear माया  Rashi Mal Also featuring Sandman & Irshad Kamil " उन्होंने मेरे से पूछा कि क्या मैं रैप गा सकती हूँ, और मैंने इससे पहले कभी रैप गाया नहीं था...   " -    राशि मल  मिलिए अभिनेत्री गायिका राशि मल से और सुनिए उन्ही के गाये फिल्म डिअर माया के कदम थिरकाते गीत "बुरी बुरी" के बनने की कहानी, जानिये कि क्यों संगीतकार संदीप पाटिल उर्फ़ सैंड मैंन ने राशि को चुना इस पेप्पी गीत के लिए, गीत के बोल है खुद राशि और इरशाद कामिल साहब के, प्ले पर क्लिक करें और सुने गीत अतीत :हर गीत की एक कहानी होती है में आज "बुरी बुरी" गीत की कहानी... डाउनलोड कर के सुनें  यहाँ  से.... सुनिए इन गीतों की कहानियां भी - ओ रे रंगरेज़ा (जॉली एल एल बी) मैनरलैस मजनूं (रंनिंग शादी डॉट कॉम) रंग (अरविन्द तिवारी, गैर फ़िल्मी सिंगल) हमसफ़र (बदरी की दुल्हनिया) सनशाईन (गैर फ़िल्मी सिंगल) हौले हौले (गैर फ़िल्मी सिंगल) कागज़ सी है ज़िन्दगी (जीना इसी का नाम है)  बेखुद (गैर फ़िल

राग मियाँ मल्हार : SWARGOSHTHI – 327 : RAG MIYAN MALHAR

स्वरगोष्ठी – 327 में आज पावस ऋतु के राग – 2 : तानसेन की अमर कृति – मियाँ मल्हार “बिजुरी चमके बरसे मेहरवा...” उस्ताद राशिद  खाँ सुरेश वाडकर ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला – “पावस ऋतु के राग” की दूसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र अपनी सहयोगी संज्ञा टण्डन के साथ आप सभी संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम एक नया प्रयोग कर रहे हैं। गीतों का परिचयात्मक आलेख हम अपने सम्पादक-मण्डल की सदस्य संज्ञा टण्डन की रिकार्ड किये आवाज़ में प्रस्तुत कर रहे हैं। आपको हमारा यह प्रयोग कैसा लगा, अवश्य सूचित कीजिएगा। आपको स्वरों के माध्यम से बादलों की उमड़-घुमड़, बिजली की कड़क और रिमझिम फुहारों में भींगने के लिए आमंत्रित करता हूँ। यह श्रृंखला, वर्षा ऋतु के रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत पर केन्द्रित है। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं पर चर्चा करेंगे। इसके साथ ही सम्बन्धित राग के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी प्र

चित्रकथा - 28: दो गायकों की आत्महत्या - चेस्टर बेनिंग्टन और क्रिस कॉरनेल - श्रद्धांजलि

अंक - 28 दो गायकों की आत्महत्या श्रद्धांजलि: चेस्टर बेनिंग्टन और क्रिस कॉरनेल Chris Cornell (20 July 1964 - 18 May 2017) & Chester Bennington (20 March 1976 - 20 July 2017) मा त्र दो महीने के व्यावधान में दो सुप्रसिद्ध गायकों की आत्महत्या की ख़बर से दुनिया भर के संगीत रसिक काँप उठे हैं। 18 मई 2017 को क्रिस कॉरनेल और 20 जुलाई 2017 को चेस्टर बेनिंग्टन ने ख़ुदकुशी कर ली। सबसे दुखद बात यह है कि चेस्टर ने क्रिस की मृत्यु से शोकाहत होकर अपनी ज़िन्दगी भी समाप्त कर दी। इन दो दिग्गज गायकों का एक साथ बिना किसी कारण दुनिया से चले जाना संगीत जगत के लिए ऐसी क्षति है जिसकी भरपाई नहीं हो सकती। क्रिस और चेस्टर, दोनों रॉक बैण्ड्स के लीड सिंगर थे। क्रिस ’साउन्ड गार्डन’ और ’ऑडियो स्लेव’ बैण्ड्स के लिए गाते थे तो चेस्टर ’लिविन पार्क’ ग्रूप के लिए। एक शैली के गायक होने के बावजूद उनमें एक दूसरे के लिए कोई प्रतियोगिता मूलक भावना नहीं थी, बल्कि दोनों एक दूसरे को अपना अच्छा मित्र मानते थे। तभी तो क्रिस के चले जाने को चेस्टर बरदाश्त नहीं कर सके और ख़ुद को क्रिस के पास पहुँचाने के

गीत अतीत 22 || हर गीत की एक कहानी होती है || इश्क ने ऐसा शंख बजाया || लव यू फॅमिली || रोब्बी बादल || सोनू निगम || मधुश्री || तनवीर गाज़ी

Geet Ateet 22 Har Geet Kii Ek Kahaani Hoti Hai... Ishq ne aisa shunkh bajaya Love U Family Robby Badal (Music Composer) Also featuring Tanvir Ghazi, Sonu Nigam & Madhushree  " जहाँ तक मेरी जानकारी है आज तक बॉलीवुड के किसी गीत में शंख को इश्क से जोड़कर नहीं लिखा गया   " -    रोब्बी बादल  पारिवारिक रोमांटिक फिल्म लव यू फॅमिली का मधुरतम गीत "इश्क ने ऐसा शंख बजाया" के बनने की कहानी आज हमारे साथ बांटने आये हैं संगीतकार रोब्बी बादल, जानिये क्यों मुश्किल में डाल दिया गायक सोनू निगम ने इस गीत के दौरान रोब्बी भाई को. प्ले के बटन पर क्लिक करें और गीत अतीत के इस ताज़ा एपिसोड में सुनें इस मधुर गीत की कहानी, जिसे लिखा है तनवीर गाजी ने और गाया है सोनू निगम और मधुश्री ने... डाउनलोड कर के सुनें  यहाँ  से.... सुनिए इन गीतों की कहानियां भी - ओ रे रंगरेज़ा (जॉली एल एल बी) मैनरलैस मजनूं (रंनिंग शादी डॉट कॉम) रंग (अरविन्द तिवारी, गैर फ़िल्मी सिंगल) हमसफ़र (बदरी की दुल्हनिया) सनशाईन (गैर फ़िल्मी सिंगल) हौले हौले (गैर फ़िल्मी स

राग मेघ मल्हार : SWARGOSHTHI – 326 : RAG MEGH MALHAR

स्वरगोष्ठी – 326 में आज पावस ऋतु के राग – 1 : आषाढ़ के पहले मेघ का स्वागत “गरजे घटा घन कारे कारे, पावस रुत आई...” पं. अजय चक्रवर्ती खुर्शीद बानो ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर आज से हमारी नई श्रृंखला – “पावस ऋतु के राग” आरम्भ हो रही है। श्रृंखला की पहली कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र अपनी सहयोगी संज्ञा टण्डन के साथ आप सभी संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम एक नया प्रयोग कर रहे हैं। गीतों का परिचयात्मक आलेख हम अपने सम्पादक-मण्डल की सदस्य संज्ञा टण्डन की रिकार्ड किये आवाज़ में प्रस्तुत कर रहे हैं। आपको हमारा यह प्रयोग कैसा लगा, अवश्य सूचित कीजिएगा। आपको स्वरों के माध्यम से बादलों की उमड़-घुमड़, बिजली की कड़क और रिमझिम फुहारों में भींगने के लिए आमंत्रित करता हूँ। यह श्रृंखला, वर्षा ऋतु के रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत पर केन्द्रित है। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं पर चर्चा करेंगे। इसके साथ ही सम्बन्धित राग के आधा

चित्रकथा - 27: इस दशक के नवोदित नायक (भाग - 1)

अंक - 27 इस दशक के नवोदित नायक (भाग - 1) "मैं हूँ हीरो तेरा..."  ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। बीसवीं सदी के चौथे दशक से सवाक् फ़िल्मों की जो परम्परा शुरु हुई थी, वह आज तक जारी है और इसकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ती ही चली जा रही है। और हमारे यहाँ सिनेमा के साथ-साथ सिने-संगीत भी ताल से ताल मिला कर फलती-फूलती चली आई है। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें बातें होंगी चित्रपट की और चित्रपट-संगीत की। फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत से जुड़े विषयों से सुसज्जित इस पाठ्य स्तंभ में आपका हार्दिक स्वागत है।  हर रोज़ देश के कोने कोने से न जाने कितने युवक युवतियाँ आँखों में सपने लिए माया नगरी मुंबई के रेल्वे स्टेशन पर उतरते हैं। फ़िल्मी दुनिया की चमक-दमक से प्रभावित होकर स्टार बनने का सपना लिए छोटे बड़े शहरों, कसबों और गाँवों से मुंबई की धरती पर क़दम रख