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पहेली के महाविजेताओं की प्रस्तुतियाँ : SWARGOSHTHI – 252 : RAG NAND, MALKAUNS AND TILANG





स्वरगोष्ठी – 252 में आज

राग नन्द, सम्पूर्ण मालकौंस और तिलंग

संगीत पहेली की तीनों महिला विजेताओं क्षिति, विजया और हरिणा का अभिनन्दन






‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर सभी संगीत-प्रेमियों का नए वर्ष के दूसरे अंक में कृष्णमोहन मिश्र की ओर से हार्दिक अभिनन्दन है। पिछले अंक में हमने आपसे ‘स्वरगोष्ठी’ स्तम्भ के बीते वर्ष की कुछ विशेष गतिविधियों की चर्चा की थी। साथ ही पहेली के चौथे महाविजेता डॉ. किरीट छाया के व्यक्तित्व से परिचित कराया था और उनकी पसन्द का संगीत भी सुनवाया था। इस अंक में भी हम गत वर्ष की कुछ अन्य गतिविधियों का उल्लेख करने के साथ ही संगीत पहेली के प्रथम तीन महाविजेताओं की घोषणा करेंगे और उनका सम्मान भी करेंगे। ‘स्वरगोष्ठी’ के पाठक और श्रोता जानते हैं कि इस स्तम्भ के प्रत्येक अंक में संगीत पहेली के माध्यम से हम हर सप्ताह भारतीय संगीत से जुड़े तीन प्रश्न देकर आपसे दो प्रश्नों का उत्तर पूछते हैं। आपके दिये गये सही उत्तरों के प्राप्तांकों की गणना दो स्तरों पर की जाती है। ‘स्वरगोष्ठी’ की दस-दस कड़ियों को पाँच श्रृंखलाओं (सेगमेंट) में बाँट कर और फिर वर्ष के अन्त में सभी पाँच श्रृंखलाओं के प्रतिभागियों के प्राप्तांकों की गणना की जाती है। वर्ष 2015 की संगीत पहेली में चार प्रतिभागी नियमित रूप से भाग लेते रहे। 250वें अंक की पहेली के परिणाम आने तक शीर्ष के चार महाविजेता चुने गए। 56 अंक अर्जित कर वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया चौथे महाविजेता बने। 84 अंक पाकर हैदराबाद की डी. हरिणा माधवी ने तीसरे, 90 अंक के साथ पेंसिलवानिया, अमेरिका की विजया राजकोटिया ने दूसरे और 92 अंक के साथ जबलपुर, मध्यप्रदेश की क्षिति तिवारी ने पहले महाविजेता होने का सम्मान प्राप्त किया। यह तथ्य भी रेखांकन के योग्य हैं कि सर्वाधिक अंक अर्जित करने वाली तीनों प्रतिभागी महिलाएँ हैं और संगीत की कलाकार और शिक्षिका भी है।



संगीत पहेली की तीसरी महाविजेता बनीं हैं, हैदराबाद की सुश्री डी. हरिणा माधवी। “संगीत जीवन का विज्ञान है”, इस सिद्धान्त को केवल मानने वाली ही नहीं बल्कि अपने जीवन में उतार लेने वाली हरिणा जी दो विषयों की शिक्षिका का दायित्व निभा रही हैं। हैदराबाद के श्री साईं स्नातकोत्तर महाविद्यालय में विगत 15 वर्षो से स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं को लाइफ साइन्स पढ़ा रही हैं। इसके साथ ही स्थानीय वासवी कालेज ऑफ म्यूजिक ऐंड डांस से भी उनका जुड़ाव है, जहाँ विभिन्न आयुवर्ग के विद्यार्थियों का मार्गदर्शन भी करती हैं। हरिणा जी को प्रारम्भिक संगीत शिक्षा अपनी माँ श्रीमती वाणी दुग्गराजू से मिली। आगे चल कर अमरावती, महाराष्ट्र के महिला महाविद्यालय की संगीत विभागाध्यक्ष श्रीमती कमला भोंडे से विधिवत संगीत सीखना शुरू किया। हरिणा जी के बाल्यावस्था के एक और संगीत गुरु एम.वी. प्रधान भी थे, जो एक कुशल तबला वादक भी थे। इनके अलावा हरिणा जी ने गुरु किरण घाटे और आर. डी. जी. कालेज, अकोला के संगीत विभागाध्यक्ष श्री नाथूलाल जायसवाल से भी संगीत सीखा। हरिणा जी ने मुम्बई के अखिल भारतीय गन्धर्व महाविद्यालय से संगीत अलंकार की शिक्षा प्राप्त की है। आज के इस विशेष अंक में हम आपको सुश्री डी. हरिणा माधवी की आवाज़ में राग नन्द में दो खयाल प्रस्तुत कर रहे हैं। विलम्बित खयाल एकताल में निबद्ध है, जिसके बोल हैं, ‘ढूँढ बन सइयाँ...’। द्रुत खयाल की बन्दिश तीनताल में निबद्ध है, जिसके बोल हैं, ‘धन धन भाग नन्द को...’। आप यह दोनों रचनाएँ सुनिए।

राग नन्द : विलम्बित और द्रुत खयाल : डी. हरिणा माधवी


दूसरी महाविजेता का गौरव प्राप्त किया है, पेंसिलवेनिया, अमेरिका की विजया राजकोटिया। संगीत की साधना में पूर्ण समर्पित विजया जी ने लखनऊ स्थित भातखण्डे संगीत महाविद्यालय (वर्तमान में विश्वविद्यालय) से संगीत विशारद की उपाधि प्राप्त की है। बचपन में ही उनकी प्रतिभा को पहचान कर उनके पिता, विख्यात रुद्रवीणा वादक और वीणा मन्दिर के प्राचार्य श्री पी.डी. शाह ने कई तंत्र और सुषिर वाद्यों के साथ-साथ कण्ठ संगीत की शिक्षा भी प्रदान की। श्री शाह की संगीत परम्परा को उनकी सबसे बड़ी सुपुत्री विजया जी ने आगे बढ़ाया। आगे चलकर विजया जी को अनेक संगीत गुरुओं से मार्गदर्शन मिला, जिनमें आगरा घराने के उस्ताद खादिम हुसेन खाँ की शिष्या सुश्री मिनी कापड़िया, पण्डित लक्ष्मण प्रसाद जयपुरवाले, सुश्री मीनाक्षी मुद्बिद्री और सुविख्यात गायिका श्रीमती शोभा गुर्टू प्रमुख नाम हैं। विजया जी संगीत साधना के साथ-साथ ‘क्रियायोग’ जैसी आध्यात्मिक साधना में भी संलग्न रहती हैं। उन्होने अपने गायन का प्रदर्शन मुम्बई, लन्दन, सैन फ्रांसिस्को, साउथ केरोलिना, न्यूजर्सी, और पेंसिलवानिया में किया है। सम्प्रति विजया जी पेंसिलवानिया के अपने स्वयं के संगीत विद्यालय में हर आयु के विद्यार्थियों को संगीत की शिक्षा प्रदान कर रही हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ पहेली की दूसरी महाविजेता के रूप में अब हम आपको विजया जी का गाया एक भजन सुनवाते है। यह भक्तिपद राग सम्पूर्ण मालकौंस के सुरों की चाशनी से पगा हुआ है। रूपक ताल में निबद्ध भक्तकवि सूरदास की इस रचना के बोल हैं, ‘अबके माधव मोहें उबार...’। लीजिए, सुनिए और विजया जी को बधाई दीजिए।

राग सम्पूर्ण मालकौंस : भजन : ‘अबके माधव मोहें उबार...’ : विजया राजकोटिया


संगीत पहेली के कुल 100 अंको में से 92 अंक अर्जित कर वर्ष 2015 की संगीत पहेली में प्रथम महाविजेता होने का सम्मान प्राप्त करने वाली जबलपुर, मध्यप्रदेश की श्रीमती क्षिति तिवारी की संगीत शिक्षा लखनऊ और कानपुर में सम्पन्न हुई। लखनऊ के भातखण्डे संगीत महाविद्यालय से गायन में प्रथमा से लेकर विशारद तक की परीक्षाएँ उत्तीर्ण की। बाद में इस संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ, जहाँ से उन्होने संगीत निपुण और उसके बाद ठुमरी गायन मे तीन वर्षीय डिप्लोमा भी प्राप्त किया। इसके अलावा कानपुर के वरिष्ठ संगीतज्ञ पण्डित गंगाधर राव तेलंग जी के मार्गदर्शन में खैरागढ़, छत्तीसगढ़ के इन्दिरा संगीत कला विश्वविद्यालय की संगीत स्नातक और स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। क्षिति जी के गुरुओं में डॉ. गंगाधर राव तेलंग के अलावा पण्डित सीताशरण सिंह, पण्डित गणेशप्रसाद मिश्र, डॉ. सुरेन्द्र शंकर अवस्थी, डॉ. विद्याधर व्यास और श्री विनीत पवइया प्रमुख हैं। क्षिति को स्नातक स्तर पर भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय से ग्वालियर घराने की गायकी के अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति भी मिल चुकी है। कई वर्षों तक लखनऊ के महिला कालेज और जबलपुर के एक नेत्रहीन बच्चों के विद्यालय मे माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों को संगीत की शिक्षा देने के बाद वर्तमान में जबलपुर के ‘महाराष्ट्र संगीत महाविद्यालय’ में वह संगीत गायन की शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं। खयाल, ठुमरी और भजन गायन के अलावा उन्होने प्रोफेसर कमला श्रीवास्तव से गुरु-शिष्य परम्परा के अन्तर्गत लोक संगीत भी सीखा है, जिसे अब वह अपने विद्यार्थियों को बाँट रही हैं। क्षिति जी कथक नृत्य और नृत्य नाटिकाओं में गायन संगत की विशेषज्ञ हैं। सुप्रसिद्ध नृत्यांगना कुमकुम धर और नृत्यांगना विधि नागर के कई कार्यक्रमों में अपनी इस प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुकी हैं। आज के इस विशेष अंक में श्रीमती क्षिति तिवारी राग तिलंग में बन्दिश की एक ठुमरी को अपना स्वर दे रही हैं। त्रिताल में बँधी इस ठुमरी के बोल हैं, ‘देखी देखी कान्हा झूठी तोरी बात...’। लीजिए, अब आप यह ठुमरी सुनिए और मुझे आज के इस अंक को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए।

राग तिलंग : ठुमरी : ‘देखी देखी कान्हा झूठी तोरी बात...’ : क्षिति तिवारी



संगीत पहेली  


‘स्वरगोष्ठी’ के 252वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको एक रागबद्ध फिल्म संगीत का एक अंश सुनवा रहे हैं। इसे सुन कर आपको निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के 260वें अंक की पहेली के सम्पन्न होने के बाद जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस वर्ष की पहली श्रृंखला (सेगमेंट) का विजेता घोषित किया जाएगा।


1 – गीत का यह अंश सुन कर बताइए कि आपको किस राग का आभास हो रहा है?

2 – गीत में प्रयोग किये गए ताल का नाम बताइए।

3 – क्या आप गीत की गायिका का नाम हमे बता सकते हैं?

आप उपरोक्त तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com पर इस प्रकार भेजें कि हमें शनिवार, 16 जनवरी, 2016 की मध्यरात्रि से पूर्व तक अवश्य प्राप्त हो जाए। COMMENTS में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते है, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर भेजने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। इस पहेली के विजेताओं के नाम हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 254वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रकाशित और प्रसारित गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।


पिछली पहेली के विजेता  


‘स्वरगोष्ठी’ क्रमांक 250 की संगीत पहेली में हमने आपको उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ द्वारा शहनाई पर प्रस्तुत राग भैरवी का एक अंश सुनवा कर आपसे तीन प्रश्न पूछा था। आपको इनमें से किसी दो प्रश्न का उत्तर देना था। इस पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है- राग भैरवी, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है- ताल तीनताल और तीसरे प्रश्न का उत्तर है- वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ

सही उत्तर देने वाले प्रतिभागी हैं- जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, पेंसिलवेनिया, अमेरिका से विजया राजकोटिया, वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, चेरीहिल (एन.जे.) से प्रफुल्ल पटेल और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी। । पाँचो प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई।


अपनी बात  


मित्रो, ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर आज आप वर्ष 2015 के महाविजेताओं के अभिनन्दन समारोह के साक्षी बने। अगले अंक से हम ‘स्वरगोष्ठी’ पर एक नई श्रृंखला आरम्भ कर रहे हैं, जिसका शीर्षक होगा – ‘दोनों मध्यम स्वर वाले राग’। इस श्रृंखला के लिए आप अपने सुझाव और फरमाइश हमें शीघ्र भेज दें। हम आपकी फरमाइश पूर्ण करने का हर सम्भव प्रयास करते हैं। आपको हमारी यह श्रृंखला कैसी लगी? हमें ई-मेल अवश्य कीजिए। अगले रविवार को एक नए अंक के साथ प्रातः 9 बजे ‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच पर आप सभी संगीतानुरागियों का हम स्वागत करेंगे।


प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र  





Comments

Unknown said…
Congratulations to Kshiti Tiwari and D.Harina Madhavi for winning the Shrunkhala - Segment of Swargoshthi. You both have given wonderful performance of classical music.
Kshitiji, your Thumeri in Raag Tilang is excellent with very sweet voice. I am very impressed by your training and achievements in music and wish you all the best for even better accomplishment in music field.
D.Harina ji, You have given excellent performance of Raag Nand in very melodious voice. Your training and activities in music are great and will surely take you to top level in music. I wish you also the best.
May God bless you both with greater success and fulfillment in music which is so divine.

Vijaya Rajkotia
Unknown said…
Dear Shree Krishnamohanji,
I want to take this opportunity to express my gratitude to you and all those who worked with you for making "Swargoshthi" a wonderful base for all music lovers, classical, light or film music where they can listen to music, read about the life-sketch of different artists, expand their awareness of music to be able to appreciate and enjoy the divinity felt as a result.
I am also very impressed by the Shrunkhala and Paheli which I look forward to every week and try and participate as much as possible.Today, it gives me such joy to win the music quiz and I am speechless to describe how it touches my heart. I think this is very important to make our thinking and feelings so engrossed in music which will enable us to increase our knowledge.
With regards,
Vijaya Rajkotia
Kshiti said…
Thanks a lot Vijaya ji for your wishes and hearty congratulations to you too for your beautiful and melodious performance
Congratulations to D. Harina Madhavi ji also for her performance
I am grateful to radioplaybackindia for giving us the opportunity to show case our talents.
Sujoy Chatterjee said…
Congratulations to all three of you!
Unknown said…
Thank you dear Sujoy Chatterjee for your appreciation of our successful participation in the Paheli- Shrubkhala of Swargoshthi. It has been interesting to look into different aspects of classical music presented by Sri Krishnamohan Mishraji for which I am very grateful. Wish you all the best,

Vijaya Rajkotia.

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