स्वरगोष्ठी – 233 में आज
रागों का समय प्रबन्धन – 2 : दिन के दूसरे प्रहर के राग
‘ए री मैं तो प्रेम दीवानी मेरो दरद न जाने कोय...’
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भारतीय
संगीत की एक प्रमुख विशेषता यह है कि प्रत्येक राग के गाने-बजाने का एक
निश्चित समय माना गया है। शास्त्रकारों ने विभिन्न स्वर-समूहों से उपजने
वाले भावों, अपने अनुभव, और मनोवैज्ञानिक आधार पर विभिन्न रागों के प्रयोग
का समय निर्धारित किया है। राग के समय निर्धारण के लिए कुछ सिद्धान्त बनाए
गए है। इस समय-चक्र सिद्धान्त के अनुसार ही रागों का गायन-वादन किया जाता
है। कुछ राग इस सिद्धान्त के अपवाद भी हैं तो कुछ राग सार्वकालिक भी हैं।
इसी प्रकार कुछ राग सन्धिप्रकाश बेला में ही गाये-बजाए जाते हैं तो कुछ राग
केवल ऋतु विशेष पर ही भले लगते हैं। समय के अनुसार रागों को दिन और रात के
कुल आठ प्रहरों में बाँटे गए हैं। पिछले अंक में हमने दिन के प्रथम प्रहर
के रागों पर चर्चा की थी और आपको सुबह के दो राग, भैरव और बिलावल का
रसास्वादन कराया था। आज हम आपको दिन के दूसरे प्रहर के रागों पर चर्चा
करेंगे। दिन का दूसरा प्रहर प्रातः 9 से मध्याह्न 12 बजे तक माना जाता है।
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राग आसावरी : ‘सजन घर लागे...’ : पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर
राग
आसावरी के अलावा दिन के दूसरे प्रहर के कुछ अन्य प्रमुख राग हैं- कोमल
देसी, खट, गानधारी, गारा, गौड़ सारंग, जौनपुरी, देव गान्धार, देसी, बरवा,
बिलासखानी तोड़ी, गुर्जरी तोड़ी, तोड़ी, मध्यमात सारंग, मियाँ की सारंग, शुद्ध
सारंग, सामन्त सारंग, वृन्दावनी सारंग, सुघराई आदि। आज के अंक में दूसरे
प्रहर के रागों में से हमने राग तोड़ी का चयन इसलिए किया है कि इस राग में
तीव्र मध्यम स्वर का प्रयोग होता है। अध्वदर्शक स्वर सिद्धान्त के अनुसार
तीव्र मध्यम स्वर वाले राग मध्याह्न 12 बजे से मध्यरात्रि 12 के बीच प्रयोग
किये जाने चाहिए। परन्तु यह राग इस सिद्धान्त का अपवाद है। राग तोड़ी में
तीन कोमल स्वरों- ऋषभ, गान्धार, और धैवत की उपस्थिति के कारण दिन के दूसरे
प्रहर मे गाने-बजाने कि परम्परा है। राग तोड़ी सम्पूर्ण-सम्पूर्ण जाति का
राग है। अर्थात इसके आरोह और अवरोह में सात-सात स्वर प्रयोग किये जाते हैं।
इस राग में मध्यम स्वर तीव्र तथा ऋषभ, गान्धार और धैवत स्वर कोमल प्रयोग
होते हैं। अन्य सभी स्वर शुद्ध लगते हैं। राग का वादी स्वर धैवत और संवादी
स्वर गान्धार होता है। यह तोड़ी थाट का आश्रय राग है। राग तोड़ी की झलक पाने
के लिए अब हम आपको फिल्म ‘मीरा’ से मीराबाई का एक भक्तिपद सुनवा रहे हैं।
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राग तोड़ी : ‘एरी मैं तो प्रेम दीवानी...’ : वाणी जयराम ; फिल्म मीरा
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 233वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको एक राग आधारित फिल्मी गीत का
अंश सुनवा रहे हैं। इस गीतांश को सुन कर आपको निम्नलिखित तीन में से
किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। पहेली क्रमांक 240 के सम्पन्न होने
तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस वर्ष की चौथी श्रृंखला
(सेगमेंट) का विजेता घोषित किया जाएगा।
1 – गीत के इस अंश को सुन कर पहचानिए कि आपको किस राग की झलक मिलती है?
2 – प्रस्तुत रचना किस ताल में निबद्ध है? ताल का नाम बताइए।
3 – क्या आप गायिका की आवाज़ को पहचान सकते हैं? यदि हाँ, तो उनका नाम बताइए।
आप इन तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर ही शनिवार, 29 अगस्त, 2015 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते है, किन्तु उसका प्रकाशन अन्तिम तिथि के
बाद किया जाएगा। विजेता का नाम हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 235वें अंक में प्रकाशित
करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत किये गए गीत-संगीत, राग अथवा कलासाधक के बारे
में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते
हैं तो हम आपका इस मंच पर स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए
COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
के 231वें अंक की संगीत पहेली में हमने आपको 1956 में प्रदर्शित फिल्म
‘जागते रहो’ के एक गीत का अंश सुनवाया था और आपसे तीन में से किसी दो
प्रश्न का उत्तर पूछा था। पहले प्रश्न का सही उत्तर है- राग - भैरव, दूसरे
प्रश्न का सही उत्तर है- ताल – कहरवा और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है-
गायिका – लता मंगेशकर।
इस
बार की पहेली में पहली बार तीनों प्रश्नों के सही उत्तर देने वाली
प्रतिभागी हैं, नई दिल्ली की अनुपमा त्रिपाठी। अनुपमा जी, ‘स्वरगोष्ठी’ के
मंच पर आपका हार्दिक स्वागत है। तीनों प्रश्नों के सही उत्तर देने वाली
हमारी नियमित प्रतिभागी हैं, पेंसिलवेनिया, अमेरिका से विजया राजकोटिया,
हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी, वोरहीज़, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया और
जबलपुर से क्षिति तिवारी। पाँचो प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’
की ओर से हार्दिक बधाई।
अपनी बात
मित्रो,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर
हमारी लघु श्रृंखला ‘रागों का समय प्रबन्धन’ जारी है। अगले अंक में हम दिन
के तीसरे प्रहर के कुछ रागों पर चर्चा करेंगे और आपको कुछ रागबद्ध रचनाएँ
भी सुनवाएँगे। इस श्रृंखला के लिए आप अपने पसन्द के गीत, संगीत और राग की
फरमाइश कर सकते हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के विभिन्न अंकों के बारे में हमें
पाठकों, श्रोताओं और पहेली के प्रतिभागियों की अनेक प्रतिक्रियाएँ और सुझाव
मिलते हैं। प्राप्त सुझाव और फरमार्इशों के अनुसार ही हम अपनी आगामी
प्रस्तुतियों का निर्धारण करते हैं। आप भी यदि कोई सुझाव देना चाहते हैं तो
आपका स्वागत है। अगले रविवार को प्रातः 9 बजे ‘स्वरगोष्ठी’ के नये अंक के
साथ हम उपस्थित होंगे। हमें आपकी प्रतीक्षा रहेगी।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
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