स्वरगोष्ठी – 214 में आज
दस थाट, दस राग और दस गीत – 1 : कल्याण थाट
राग यमन की बन्दिश- ‘ऐसो सुघर सुघरवा बालम...’

भारतीय संगीत में थाट स्वरों के उस समूह
को कहते हैं जिससे रागों का वर्गीकरण किया जा सकता है। पन्द्रहवीं शताब्दी
के उत्तरार्द्ध में 'राग तरंगिणी’ ग्रन्थ के लेखक लोचन कवि ने रागों के
वर्गीकरण की परम्परागत 'ग्राम और मूर्छना प्रणाली’ का परिमार्जन कर मेल
अथवा थाट प्रणाली की स्थापना की। लोचन कवि के अनुसार उस समय सोलह हज़ार राग
प्रचलित थे। इनमें 36 मुख्य राग थे। सत्रहवीं शताब्दी में थाटों के
अन्तर्गत रागों का वर्गीकरण प्रचलित हो चुका था। थाट प्रणाली का उल्लेख
सत्रहवीं शताब्दी के ‘संगीत पारिजात’ और ‘राग विबोध’ नामक ग्रन्थों में भी
किया गया है। लोचन कवि द्वारा प्रतिपादित थाट प्रणाली का प्रचलन लगभग 300
सौ वर्षों तक होता रहा। उन्नीसवीं शताब्दी अन्तिम और बीसवीं शताब्दी के
प्रारम्भिक दशकों में पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे ने भारतीय संगीत के
बिखरे सूत्रों को न केवल संकलित किया बल्कि संगीत के कई सिद्धान्तों का
परिमार्जन भी किया। दस थाटों की आधुनिक प्रणाली का सूत्रपात भातखण्डे जी ने
ही किया था।

राग यमन : ‘ऐसो सुघर सुघरवा बालम...’ : उस्ताद राशिद खाँ
राग
यमन, कल्याण थाट का आश्रय राग माना जाता है। मध्यकालीन ग्रन्थों में इस
राग का यमन नाम से उल्लेख मिलाता है। परन्तु प्राचीन ग्रन्थों में इसका नाम
केवल कल्याण ही मिलता है। आधुनिक ग्रन्थों में यमन एक सम्पूर्ण जाति
का राग है। कल्याण थाट के अन्य रागों में एक अन्य प्रमुख राग भूपाली है। यह
औड़व जाति का राग है, जिसमें मध्यम और निषाद स्वर का प्रयोग नहीं किया
जाता। शेष सभी स्वर शुद्ध प्रयोग किया जाता है। राग भूपाली का वादी स्वर
गान्धार और संवादी स्वर धैवत होता है। रात्रि का पहला प्रहर इस राग के
गायन-वादन का समय होता है।

सुधीर
फड़के और नरेन्द्र शर्मा की कालजयी कृति। कैसे अद्भुत कम्पोजर और गायक थे
सुधीर फड़के! रचना के बीच में उनके बोल-आलाप बताते हैं कि शब्दों को वह
सिर्फ़ धुन में नहीं बाँधते, शब्द की सीमा से परे जा कर उसके अर्थ का अपनी
गायकी से विस्तार भी करते हैं। इसी गीत को जब लता मंगेशकर गाती हैं तो हमें
दाँतों-तले उँगली दबानी पड़ती है। सुधीर जी तो इसके संगीत-निर्देशक थे।
इसलिए अपनी गायकी के अनुसार उन्होंने उसे रचा और गाया भी। पर लता दूसरे की
रचना को कण्ठ दे रही हैं। ऐसी स्थिति में उन्होंने सुधीर जी की रचना में
सुरों के अन्दर जो बारीक़ कारीगरी की है वह समझने से ताल्लुक़ रखती है।
सुरों की फेंक, ऊर्जा, कोमलता और सूक्ष्म नक़्क़ाशी के कलात्मक मेल का यह
स्तर हमें सिर्फ़ लता मंगेशकर में देखने को मिलता है। अन्य सभी गायिकाएँ तो
उन्हें बस छूने की कोशिश ही कर पाती हैं।
अब आप यह गीत सुनिए और मुझे आज के इस अंक को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए।
राग भूपाली : ‘ज्योतिकलश छलके...’ : लता मंगेशकर : फिल्म – भाभी की चूड़ियाँ
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 214वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको छः दशक से भी अधिक पुराने,
हिन्दी फिल्म के एक राग आधारित सदाबहार गीत का अंश सुनवा रहे हैं। इस
सदाबहार गीत के अंश को सुन कर आपको निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो
प्रश्नों के उत्तर देने हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के 220वें अंक की समाप्ति तक जिस
प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस वर्ष की दूसरी श्रृंखला
(सेगमेंट) का विजेता घोषित किया जाएगा।
1 – गीत का यह अंश सुन कर बताइए कि यह गीत किस राग पर आधारित है?
2 – या गीत किस गायिका की आवाज़ में है?
3 – इस गीत के संगीतकार की पहचान कीजिए और हमें उनका नाम बताइए।
आप उपरोक्त तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर इस प्रकार भेजें कि हमें शनिवार, 18 अप्रैल, 2015 की मध्यरात्रि से
पूर्व तक अवश्य प्राप्त हो जाए। comments में दिये गए उत्तर मान्य नहीं
होंगे। इस पहेली के विजेताओं के नाम हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 216वें अंक में
प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रकाशित और प्रसारित गीत-संगीत, राग, अथवा
कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच
बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ
के नीचे दिये गए comments के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
की 212वें अंक की संगीत पहेली में हमने आपको सुप्रसिद्ध गायिका विदुषी
मालिनी राजुरकर की आवाज़ में प्रस्तुत एक टप्पा का अंश सुनवा कर आपसे तीन
प्रश्न पूछा गया था। आपको इनमें से किसी दो प्रश्न का उत्तर देना था। पहले
प्रश्न का सही उत्तर है- राग भैरवी, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है- ताल
अद्धा त्रिताल और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है- टप्पा शैली। इस बार पहेली
के तीनों प्रश्नों के सही उत्तर पेंसिलवेनिया, अमेरिका से विजया राजकोटिया,
जबलपुर से क्षिति तिवारी और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी ने दिये हैं।
तीनों प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई।
अपनी बात
मित्रो,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर आज से हमने
नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की शुरुआत की है। इसके
अन्तर्गत हम प्रत्येक अंक में भारतीय संगीत के प्रचलित दस थाट और उनके
आश्रय रागों की चर्चा करेंगे। इसके थाट से जुड़े अन्य रागों पर आधारित
फिल्मी गीत भी प्रस्तुत करेंगे। आपको यह श्रृंखला कैसी लगी? हमें अवश्य
लिखिएगा। यदि आप भी भारतीय संगीत के किसी भी विषय पर हिन्दी में लेखन की
इच्छा रखते हैं तो हमसे सम्पर्क करें। हम आपकी प्रतिभा का सदुपयोग करेंगे।
‘स्वरगोष्ठी’ स्तम्भ के आगामी अंकों में आप क्या पढ़ना और सुनना चाहते हैं,
हमे आविलम्ब लिखें। अपनी पसन्द के विषय और गीत-संगीत की फरमाइश अथवा अगली
श्रृंखलाओं के लिए आप किसी नए विषय का सुझाव भी दे सकते हैं। आज बस इतना
ही, अगले रविवार को एक नए अंक के साथ प्रातः 9 बजे ‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच
पर आप सभी संगीतानुरागियों का हम स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
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