संगीत समीक्षा - बोल बच्चन जिस फिल्म से रोहित शेट्टी का नाम जुड जाता है तो दर्शकों को समझ में आ जाता है कि एक बहुत ही मनोरंजक फिल्म उन्हें देखने को मिलने वाली है. उनकी फिल्मों का संगीत भी उसी मनोरजन का ही एक हिस्सा होता है, जाहिर है अल्बम से बहुत कर्णप्रिय या लंबे समय तक याद रखने लायक संगीत की अपेक्षा नहीं रखी जा सकती, फिर भी जहाँ नाम हो हिमेश रेशमिया का और अग्निपथ में शानदार संगीत रचने वाले अजय-अतुल का, तो उम्मीदों का जागना भी स्वाभाविक ही है. इस मामले में बोल बच्चन निराश भी नहीं करता. अल्बम में कुल चार गीत है जिन्हें ४ मुक्तलिफ़ गीतकारों ने अंजाम दिया है. पहले गीत में ही एक बार फिर मनमोहन देसाई सरीखे अंदाज़ की पुनरावर्ती दिख जाती है, जब बिग बी यानी बच्चन साहब अपने चिर परिचित अमर अकबर एंथोनी स्टाइल में विज्ञान के फंडे समझाते हुए गीत शुरू करते हैं. गीतकार फरहाद साजिद ने शब्दों में अच्छा हास्य भरा है, पर फिर भी “ माई नेम इज एंथोनी गोंसाल्विस ” की बात कुछ और ही थी, ऐसे हमें लगता है. हिमेश आपको फिर एक बार पुराने दौर में ले जाते हैं, इस बार थोडा और पीछे, जहाँ सी रामचंद्र अप