ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 663/2011/103 '...औ र कारवाँ बनता गया'... मजरूह सुल्तानपुरी के लिखे गीतों का कारवाँ इन दिनों चल रहा है 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में। पिछली चार कड़ियों में हमनें ४० और ५० के दशकों से चुन कर चार गानें हमनें आपको सुनवाये, आज क़दम रखेंगे ६० के दशक में। साल १९६४ में एक फ़िल्म आयी थी 'दोस्ती' जिसनें न केवल मजरूह को उनका एकमात्र फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार दिलवाया, बल्कि संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल को भी उनका पहला फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार दिलवाया था। वैसे विविध भारती के 'उजाले उनकी यादों के' शृंखला में प्यारेलाल जी नें स्वीकार किया था कि इस पुरस्कार को पाने के लिये उन्होंने बहुत सारे फ़िल्मफ़ेयर मैगज़ीन की प्रतियाँ ख़रीद कर उनमें प्रकाशित नामांकन फ़ॉर्म में ख़ुद ही अपने लिये वोट कर ख़ुद को जितवाया था। पंकज राग नें भी इस बारे में अपनी किताब 'धुनों की यात्रा' में लिखा था - "फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कारों पर शंकर-जयकिशन के कुछ जायज़ और कुछ नाजायज़ तरीके के वर्चस्व को उनसे बढ़कर नाजायज़ी से तोड़ना और 'संगम' को पछाड़ कर 'दोस्ती' के