ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 249 आ ज साहिर साहब और सचिन दा पर केन्द्रित शृंखला 'जिन पर नाज़ है हिंद को' में बजने वाले गीत का ज़िक्र शुरु करने से पहले आइए सचिन दा के बेटे पंचम के शब्दों में अपने पिता से संबंधित एक दिल को छू लेनेवाला क़िस्सा जानें। पंचम कहते हैं "वो कभी मेरी तारीफ़ नहीं करते थे। मैं कितना भी अच्छा धुन क्यों ना बनाऊँ, वो यही कहते थे कि इससे भी अच्छा बन सकता था, और कोशिश करो। एक बार वो मॊर्निंग् वाक्' से वापस आकर बेहद ख़ुशी के साथ बोले कि आज एक बड़े मज़े की बात हो गई है। वो बोले कि आज तक जब भी मैं वाक् पर निकलता था, लोग कहते थे कि देखो एस. डी. बर्मन जा रहे हैं, पर आज वो ही लोगों ने कहा कि देखो, आर. डी. बर्मन का बाप जा रहा है! यह सुनकर मैं हँस पड़ा, हम सब बहुत ख़ुश हुए। " दोस्तों, सच ही तो है, किसी पिता के लिए इससे ज़्यादा ख़ुशी की बात क्या होगी कि दुनिया उसे उनके बेटे के परिचय से पहचाने। ख़ैर, ये तो थी पिता-पुत्र की बातें, आइए अब ज़िक्र छेड़ा जाए आज के गीत का। आज भी हम एक बहुत ही सुरीली रचना लेकर उपस्थित हुए हैं, जिसे सुनते ही आप के कानों में ही नहीं बल्क