रेडियो प्लेबैक इंडिया के साप्ताहिक स्तम्भ 'बोलती कहानियाँ' के अंतर्गत हम आपको सुनवाते हैं हिन्दी की नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। बोलती कहानियाँ (सीज़न 1) केे पॉडकास्ट # 2 में आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं मनीषा कुलश्रेष्ठ लिखित मार्मिक कथा "प्रश्न का पेड़", पूजा अनिल के स्वर में।
हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी
"और बच्चों की माँओं की तरह, ज़रा भी सुगढ़ नहीं...”
हमारे परदे किसी टैंट या बाशा (बांस के घर) में लग जाते हैं वही घर हो जाता है हम फौजी परिवारों का। आसान तो नहीं यूँ जीना लेकिन धरती को घर मान लो तो फिर सब आनंद।
- मनीषा कुलश्रेष्ठ
हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी
"और बच्चों की माँओं की तरह, ज़रा भी सुगढ़ नहीं...”
(मनीषा कुलश्रेष्ठ कृत "प्रश्न का पेड़" से एक अंश)
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कहानी "प्रश्न का पेड़" का कुल प्रसारण समय 6 मिनट है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।
यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिकों, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया boltikahaniyan.rpi@gmail.com पर सम्पर्क करें।
Season 1; Podcast #2, Prashna Ka Ped: Manisha Kulshreshtha/2021/2. Voice: Pooja Anil
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