स्वरगोष्ठी – 490 में आज
राज कपूर के विस्मृत संगीतकार – 6 : संगीतकार - मदन मोहन
एकमात्र गीत, जिसमें हेमन्त कुमार ने राज कपूर के लिए स्वर दिया और एकमात्र फिल्म में संगीत मदन मोहन ने दिया
संगीतकार मदन मोहन |
विदुषी अश्विनी भिड़े देशपाण्डे |
“रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ "स्वरगोष्ठी" के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “राज कपूर के विस्मृत संगीतकार" की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम फिल्म निर्माता, निर्देशक और अभिनेता राज कपूर के फिल्मी जीवन के पहले दशक के कुछ विस्मृत संगीतकारों की और उनकी कृतियों पर चर्चा कर रहे हैं। इन फिल्मों में से राज कपूर ने कुछ फिल्मों का निर्माण, कुछ का निर्देशन और कुछ फिल्मों में केवल अभिनय किया था। आरम्भ के पहले दशक अर्थात 1948 में प्रदर्शित फिल्म "आग" से लेकर 1958 में प्रदर्शित फिल्म "फिर सुबह होगी" तक की चर्चा इस श्रृंखला में की जाएगी। आमतौर पर राज कपूर की फिल्मों के अधिकतर संगीतकार शंकर जयकिशन ही रहे हैं। उन्होने राज कपूर की कुल 20 फिल्मों का संगीत निर्देशन किया है। इसके अलावा बाद की कुछ फिल्मों में लक्ष्मीकान्त, प्यारेलाल और रवीन्द्र जैन ने भी संगीत दिया है। राज कपूर की फिल्मों के प्रारम्भिक दशक के कुछ संगीतकार भुला दिये गए है, यद्यपि इन फिल्मों के गीत आज भी लोकप्रिय हैं। राज कपूर का जन्म 14 दिसम्बर, 1924 को पेशावर (अब पाकिस्तान) में जाने-माने अभिनेता पृथ्वीराज कपूर के घर हुआ था। श्रृंखला की कड़ियाँ राज कपूर के जन्म पखवारे तक और वर्ष 2020 के अन्तिम रविवार तक जारी रहेगी। उनकी 97वीं जयन्ती अवसर के लिए हमने राज कपूर और उनके कुछ विस्मृत संगीतकारों को स्मरण करने का निश्चय किया है। इस श्रृंखला के माध्यम से हम भारतीय सिनेमा के एक ऐसे स्वप्नदर्शी व्यक्तित्व राज कपूर पर चर्चा करेंगे, जिसने देश की स्वतन्त्रता के पश्चात कई दशकों तक भारतीय जनमानस को प्रभावित किया। सिनेमा के माध्यम से समाज को सर्वाधिक प्रभावित करने वाले भारतीय सिनेमा के पाँच स्तम्भों; वी. शान्ताराम, विमल राय, महबूब खाँ और गुरुदत्त के साथ राज कपूर का नाम भी एक कल्पनाशील फ़िल्मकार के रूप में इतिहास में दर्ज़ हो चुका है। इस वर्ष 14 दिसम्बर को इस महान फ़िल्मकार की 97वीं जयन्ती है। इस अवसर के लिए श्रृंखला प्रस्तुत करने की जब योजना बन रही थी तब अपने पाठकों और श्रोताओं के अनेकानेक सुझाव मिले कि इस श्रृंखला में राज कपूर की आरम्भिक फिल्मों के गीतों को एक नये कोण से टटोला जाए। जारी श्रृंखला “राज कपूर के विस्मृत संगीतकार" में हमने उनके लोकप्रिय संगीत निर्देशकों के अलावा दस ऐसे संगीतकारों के गीतों को चुना है, जिन्होने राज कपूर के आरम्भिक दशक की फिल्मों में उत्कृष्ट स्तर का संगीत दिया था। ये संगीतकार राज कपूर के व्यक्तित्व से और राज कपूर इनके संगीत से अत्यन्त प्रभावित हुए थे। इसके साथ ही इस श्रृंखला में प्रस्तुत किये जाने वाले गीतों के रागों का विश्लेषण भी करेंगे। इस कार्य में हमारा सहयोग "फिल्मी गीतों में राग" विषयक शोधकर्त्ता और "हिन्दी सिने राग इनसाइक्लोपीडिया" के लेखक के.एल. पाण्डेय और फिल्म संगीत के इतिहासकार सुजॉय चटर्जी ने किया है। श्रृंखला के आज की छठी कड़ी में हम 1953 में राज कपूर व नरगिस द्वारा अभिनीत फिल्म "धुन” से राग नट भैरवी पर आधारित एक गीत; "हम प्यार करेंगे...” सुनवा रहे हैं, जिसका संगीत मदन मोहन ने और स्वर हेमन्त कुमार तथा लता मंगेशकर ने दिया है। यह गीत राग नट भैरवी पर आधारित है। राग नट भैरवी के शास्त्रीय स्वरूप का दिग्दर्शन कराने के उद्येश्य से हम राग नट भैरवी में निबद्ध एक भक्ति रचना “ॐ नमः शिवाय...” सुप्रसिद्ध गायिका विदुषी अश्विनी भिड़े देशपाण्डे और साथियों के स्वर में प्रस्तुत कर रहे हैं।
इस श्रृंखला के माध्यम से हम स्वप्नदर्शी फ़िल्मकार राज कपूर और उनके प्रारम्भिक दौर के संगीतकारों की चर्चा कर रहे हैं। आज के अंक में हम उस फिल्म का उल्लेख करेंगे, जिसमें राज कपूर के साथ प्रथम और अन्तिम बार मदनमोहन ने संगीत दिया तथा हेमन्त कुमार और लता मंगेशकर द्वारा राज कपूर और नरगिस के लिए गाया एकमात्र गीत शामिल था। वर्ष 1953 में प्रदर्शित यह फिल्म है ‘धुन’, जिसमें राज कपूर की सर्वप्रिय नायिका नरगिस थीं। नरगिस के साथ राज कपूर ने कुल 16 फिल्मों में अभिनय किया था, जिनमें 6 फिल्में आर.के. की थीं। राज कपूर के मित्र और लेखक जयप्रकाश चौकसे ने अपनी पुस्तक; “राज कपूर” में एक स्थान पर लिखा है; नरगिस, राज कपूर की फिल्मों की आत्मा थीं। महिलाओं के प्रति राज कपूर का जो दृष्टिकोण सामान्य जीवन में रहा, वही दृष्टिकोण उनकी फिल्मों में दिखाई पड़ता है। राज कपूर और नरगिस के सम्बन्धों के बारे में सुप्रसिद्ध पत्रकार प्रभाष जोशी ने अपने एक आलेख में लिखा था; राज कपूर ने पत्नी की हक़ीक़त को प्रेमिका के अफसाने से जोड़ दिया था। दरअसल राज कपूर ने अपनी कमजोरी और विशेषता को कभी छिपाया नहीं, बल्कि सहज रूप से जगजाहिर किया, यही कारण था कि फिल्म “आवारा” और “श्री 420” के प्रीमियर पर राज कपूर जब नरगिस सहित पत्नी कृष्णा कपूर के साथ गए तब इस त्रिवेणी को लोगों ने सहज रूप में स्वीकार किया।
फिल्म "धुन" में राज कपूर |
अब हम राज कपूर और नरगिस अभिनीत फिल्म “धुन” के संगीतकार मदन मोहन की चर्चा करते हैं। वर्ष 1950 में प्रदर्शित फिल्म “आँखें” से फिल्म संगीत जगत में अपना हस्ताक्षर अंकित करने वाले मदनमोहन को आज भी फिल्मी ग़ज़लों का शाहंशाह माना जाता है। उन्हें ग़ज़लों के प्रति लगाव तब उत्पन्न हुआ, जब उन्होने सेना की नौकरी छोड़ कर आकाशवाणी, लखनऊ के संगीत विभाग में नौकरी की। यहीं पर उनकी भेंट बेग़म अख्तर के साथ उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ, रोशन आरा बेग़म, संगीतकर रोशन, पार्श्वगायक तलत महमूद और संगीतकार जयदेव से हुई। बेग़म अख्तर की गायकी से मदनमोहन अत्यन्त प्रभावित हुए थे। रेडियो की नौकरी के बाद ही वह फिल्मों की ओर उन्मुख हुए। 1953 में उन्हें फिल्म “धुन” का संगीत रचने का अवसर मिला। इस फिल्म के संगीत में उन्होने तत्कालीन प्रचलित शैली से अलग हट कर एक नया प्रयोग किया। पियानो की निरन्तरता के साथ रागों के स्वरों में गूँथी तर्ज़ों को खूब सराहा गया। फिल्म के गीतों में लता मंगेशकर का गाया; “तारे गिन गिन बीती रात...”, “सितारों से पूछो...” आदि गीत अत्यन्त मधुर थे, किन्तु गुणबत्ता की दृष्टि से राग भैरवी के स्वरों पर आधारित गीत; “निंदिया न आए...” फिल्म का सर्वश्रेष्ठ गीत सिद्ध हुआ। फिल्म का एक हल्का फुल्का युगल गीत; “हम प्यार करेंगे...” अपने समय में बेहद लोकप्रिय हुआ था। यह गीत राज कपूर और नरगिस पर फिल्माया गया था। इस युगल गीत में लता मंगेशकर ने नरगिस के लिए और संगीतकार व गायक हेमन्त कुमार ने राज कपूर के लिए अपनी आवाज़ दी थी। “धुन” राज कपूर द्वारा अभिनीत एकमात्र वह फिल्म है जिसका संगीत मदनमोहन ने दिया। इस फिल्म के बाद फिल्म संगीत के इन दोनों दिग्गजों ने राज कपूर के साथ कभी कार्य नहीं किया। आइए अब हम सुनते है, फिल्म “धुन” का वही गीत, जिसे राज कपूर और नरगिस के लिए क्रमशः हेमन्त कुमार और लता मंगेशकर ने पार्श्वगायन किया है। गीतकार हैं, भरत व्यास और संगीतकार हैं, मदनमोहन।
राग नट भैरवी : “हम प्यार करेंगे...” : हेमन्त कुमार और लता मंगेशकर : संगीत – मदन मोहन
राग नट भैरवी की संरचना कुछ इस प्रकार है कि राग भैरवी में जब शुद्ध ऋषभ का प्रयोग किया जाता है तब यह आसावरी थाट का राग नट भैरवी कहलाता है। निश्चित रूप से इस राग का सम्बन्ध आसावरी थाट से होता है। यह सम्पूर्ण-सम्पूर्ण जाति का राग है। अर्थात राग नट भैरवी के आरोह और अवरोह में सातो स्वर प्रयोग किये जाते हैं। राग में कोमल गान्धार, कोमल धैवत और कोमल निषाद के साथ शुद्ध ऋषभ का प्रयोग किया जाता है। आरोह के स्वर हैं; सा, रे, कोमल ग, म, प, कोमल ध, कोमल नि, और सां तथा अवरोह के स्वर हैं; सां, कोमल नि, कोमल ध, प, म, कोमल ग, रे, और सा। इस राग में कोई भी स्वर वर्जित नहीं होता। राग का वादी स्वर कोमल धैवत और संवादी स्वर कोमल गान्धार होता है। इस राग के गायन अथवा वादन का सर्वाधिक उपयुक्त समय दिन का प्रथम प्रहर माना जाता है। राग की एक विशेषता यह भी है कि कोमल धैवत कभी कभी शुद्ध धैवत का भी प्रयोग कर लिया जाता है। इस राग के शास्त्रीय स्वरूप का दर्शन कराने के लिए अब हम आपके लिए राग नट भैरवी में पिरोयी एक भक्तिरचना सुनवाते हैं। इसे सुप्रसिद्ध गायिका विदुषी अश्विनी भिड़े देशपाण्डे और साथियों ने प्रस्तुत किया है। गीत में संगति वाद्य के रूप में पाश्चात्य वाद्यों का प्रयोग भी किया गया है। आप यह गीत सुनिए और हमें आज की इस कड़ी को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए।
राग नट भैरवी : “ॐ नमः शिवाय...” : विदुषी अश्विनी भिड़े देशपाण्डे और साथी
संगीत पहेली
"स्वरगोष्ठी" के 490वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको लगभग 64 वर्ष पूर्व प्रदर्शित राज कपूर की एक फिल्म के राग आधारित गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको दो अंक अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के सही उत्तर देना आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। श्रृंखला के चौथे सत्र अर्थात इस अंक की पहेली का उत्तर प्राप्त होने के बाद तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे उन्हें इस वर्ष के चतुर्थ सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
1 - इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग का आधार है?
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए।
3 – इस गीत में किन पार्श्वगायकों के स्वर है?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia9@gmail.com पर ही शनिवार 5 दिसम्बर, 2020 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। फेसबुक पर पहेली का उत्तर स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेताओं के नाम हम उनके शहर/ग्राम, प्रदेश और देश के नाम के साथ “स्वरगोष्ठी” के अंक संख्या 492 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत, संगीत या कलाकार के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia9@gmail.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता
“स्वरगोष्ठी” के 488वें अंक में हमने आपको 1950 में प्रदर्शित फिल्म "दास्तान” से लिये गए एक युगल गीत का अंश सुनवा कर आपसे तीन में से कम से कम दो सही उत्तरों की अपेक्षा की गई थी। इस गीत के आधार राग को पहचानने में हमारे अधिकतर प्रतिभागियों को सफलता मिली। पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – खमाज, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – कहरवा तथा तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – मुहम्मद रफी और सुरैया।
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; चेरीहिल, न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी और शारीरिक अस्वस्थता के कारण स्वास्थ्यलाभ कर रहीं हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी। उपरोक्त सभी प्रतिभागियों में से प्रत्येक को दो-दो अंक मिलते हैं। ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से आप सभी को हार्दिक बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नए प्रतिभागी भी हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक उत्तर भी ज्ञात हो तो भी आप इसमें भाग ले सकते हैं।
संवाद
मित्रों, इन दिनों हम सब भारतवासी, प्रत्येक नागरिक को कोरोना वायरस से मुक्त करने के लिए प्रयत्नशील हैं। देश के कुछ स्थानों पर अचानक इस वायरस का प्रकोप इन दिनों बढ़ गया है। अप सब सतर्कता बरतें। संक्रमित होने वालों के स्वस्थ होने का प्रतिशत निरन्तर बढ़ रहा है। परन्तु अभी भी हमें पर्याप्त सतर्कता बरतनी है। विश्वास कीजिए, हमारे इस सतर्कता अभियान से कोरोना वायरस पराजित होगा। आप सब से अनुरोध है कि प्रत्येक स्थिति में चिकित्सकीय और शासकीय निर्देशों का पालन करें और अपने घर में सुरक्षित रहें। इस बीच शास्त्रीय संगीत का श्रवण करें और अनेक प्रकार के मानसिक और शारीरिक व्याधियों से स्वयं को मुक्त रखें। विद्वानों ने इसे “नाद योग पद्धति” कहा है। “स्वरगोष्ठी” की नई-पुरानी श्रृंखलाएँ सुने और पढ़ें। साथ ही अपनी प्रतिक्रिया से हमें अवगत भी कराएँ।
अपनी बात
मित्रों, “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ “स्वरगोष्ठी” पर जारी हमारी नई श्रृंखला “राज कपूर के विस्मृत संगीतकार" की छठी कड़ी में आज आपने राज कपूर की अभिनीत फिल्म "धुन” के एक युगलगीत का रसास्वादन किया और गीतकार भरत व्यास तथा संगीतकार मदन मोहन द्वारा तैयार गीत का परिचय प्राप्त किया। यह गीत राग नट भैरवी पर आधारित है। राग के शास्त्रीय स्वरूप को समझने के लिए हमने आपको सुप्रसिद्ध संगीत विदुषी अश्विनी भिड़े देशपाण्डे और साथियों के स्वर में एक अत्यन्त कर्णप्रिय भक्तिरचना का रसास्वादन कराया।
कुछ तकनीकी समस्या के कारण हम अपने फेसबुक के मित्र समूह के साथ “स्वरगोष्ठी” का लिंक साझा नहीं कर पा रहे हैं। सभी संगीत अनुरागियों से अनुरोध है कि हमारी वेबसाइट http://radioplaybackindia.com अथवा http://radioplaybackindia.blogspot.com पर क्लिक करके हमारे सभी साप्ताहिक स्तम्भों का अवलोकन करते रहें। “स्वरगोष्ठी” के वेब पेज के दाहिनी ओर निर्धारित स्थान पर अपना ई-मेल आईडी अंकित कर आप हमारे सभी पोस्ट के लिंक को नियमित रूप से अपने ई-मेल पर प्राप्त कर सकते है। “स्वरगोष्ठी” की पिछली कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेंगे। आज के इस अंक अथवा श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia9@gmail.com पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः सात बजे “स्वरगोष्ठी” के इसी मंच पर हम एक बार फिर संगीत के सभी अनुरागियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
राग नट भैरवी : SWARGOSHTHI – 490 : RAG NAT BHAIRAVI : 29 नवम्बर, 2020
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