स्वरगोष्ठी – 461 में आज
काफी थाट के राग – 5 : राग भीमपलासी
विदुषी गंगूबाई हंगल से भीमपलासी की एक रचना और लता मंगेशकर से फिल्मी गीत सुनिए
विदुषी गंगूबाई हंगल |
लता मंगेशकर |
राग भीमपलासी में
भक्ति और श्रृंगार रस की रचनाएँ खूब मुखर होती हैं। यह औड़व-सम्पूर्ण जाति
का राग है, अर्थात आरोह में पाँच स्वर; सा, ग(कोमल), म, प, नि(कोमल), सां
और अवरोह में सात स्वर; सां, नि(कोमल), ध, प, म, ग(कोमल), रे, सा प्रयोग
किये जाते हैं। इस राग में गान्धार और निषाद स्वर कोमल और शेष सभी स्वर
शुद्ध होते हैं। यह काफी थाट का राग है और इसका वादी और संवादी स्वर क्रमशः
मध्यम और तार सप्तक का षडज होता है। इस राग में चूँकि वादी स्वर मध्यम और
संवादी स्वर षडज होता है, इस दृष्टि से इसे उत्तरांग प्रधान राग होना चाहिए
और दिन के उत्तर अंग में अर्थात रात्रि 12 से दिन के 12 बजे के बीच गाना
या बजाना चाहिए परन्तु व्यवहार में ऐसा होता नहीं। अपवाद रूप में यह
पूर्वांग प्रधान राग मान लिया जाता है और दिन के पूर्व अंग में ही गाया या
बजाया जाता है। राग भीमपलासी के गायन और वादन का समय दिन का चौथा प्रहर
होता है।
अब
हम आपको राग भीमपलासी की ही एक आकर्षक बन्दिश सुनवाते हैं। यह किराना
घराने की गायकी में शीर्षस्थ विदुषी गंगूबाई हंगल की एक रिकार्डिंग है। 5
मार्च, 1913 को धारवाड़, कर्नाटक में उनका जन्म हुआ था। बाल्यावस्था में
उन्हें अपनी माँ से दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति की शिक्षा मिली। 1928 में
उनका परिवार हुबली स्थानान्तरित हो गया। इससे पूर्व उन्होने सुप्रसिद्ध
संगीतज्ञ सवाई गन्धर्व से संगीत में दक्षता प्राप्त की और दत्तोपन्त देसाई
से संगीत की शिक्षा ग्रहण की। पण्डित भीमसेन जोशी इनके गुरूभाई थे। गंगूबाई
हंगल ने संगीत को आत्मसात करने के लिए कठिन साधना की थी। उन्हें भारत के
उच्च नागरिक सम्मान ‘पद्मभूषण’ और ‘पद्मविभूषण’ से अलंकृत किया गया था। 21
जुलाई, 2002 को इस महान गायिका का हुबली में निधन हो गया था। अब आप विदुषी
गंगूबाई हंगल के स्वर में राग भीमपलासी की यह खयाल रचना सुनिए। इस
प्रस्तुति में उनके गायन में उनकी सुपुत्री कृष्णा हंगल ने सहयोग दिया है।
राग भीमपलासी : “गरवा हरवा डारो री...” : तीनताल : विदुषी गंगूबाई हंगल
राग
‘भीमपलासी’ भारतीय संगीत का एक ऐसा राग है, जिसमें भक्ति और श्रृंगार रस
की रचनाएँ खिल उठती है। यह औड़व-सम्पूर्ण जाति का राग है। आज के अंक के लिए
हमने 1952 में प्रदर्शित फिल्म “नौबहार” का एक गीत चुना है। फिल्म का कथानक
एक अमीर, किन्तु नेत्रहीन युवक (अशोक कुमार) और एक गरीब मालिन (नलिनी
जयवन्त) की प्रेमकथा पर केन्द्रित है। फिल्म का जो गीत हमने चुना है, वह
राग भीमपलासी पर आधारित है। दरअसल यह गीत मीरा का एक भक्तिपद है, जिसके बोल
हैं; “ए री मैं तो प्रेम दीवानी मेरा दर्द न जाने कोय...”। फिल्म के
प्रसंग के अनुसार गीतकार शैलेन्द्र ने इस भक्तिपद के अन्तरों में परिवर्तन
किये हैं। यह गीत लता मंगेशकर की आवाज़ में है। लता मंगेशकर के अलावा फिल्म
में तलत महमूद और राजकुमारी की आवाज़ में कई मनभावन गीत हैं। वर्ष 1967 में
इस गीत; “ए री मैं तो प्रेम दीवानी...” को अपने दस सर्वश्रेष्ठ गीतों में
चुना था। यह एक सदाबहार गीत सिद्ध हुआ। इस गीत के लिए राग भीमपलासी के स्वर
इतने सटीक सिद्ध हुए कि वर्षों बाद जब गुलज़ार ने 1979 में अपनी फिल्म
“मीरा” के संगीत निर्देशन का दायित्व पण्डित रविशंकर को दिया था और इसी
मीरापद का चुनाव अपनी फिल्म के लिए भी किया था। पण्डित रविशंकर ने इस पद को
राग तोड़ी में बाँधा था और वाणी जयराम से गवाया था। गीत के लिए स्वर चुनते
समय पण्डित जी की ही टिप्पणी थी; ‘रोशन ने इस पद को राग भीमपलासी का ऐसा
आवरण दे दिया है कि वह धुन दिमाग से निकलती ही नहीं’। लता मंगेशकर के स्वर
में फिल्म “नौबहार” के इस गीत को सुनिए, साथ ही रोशन के अविस्मरणीय संगीत
की सराहना कीजिए और मुझे आज के इस अंक को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए।
राग भीमपलासी : “ए री मैं तो प्रेम दीवानी...” : लता मंगेशकर : फिल्म - नौबहार
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 461वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1953 में प्रदर्शित एक
फिल्म के गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको दो अंक
अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के सही
उत्तर देना आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों
का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। श्रृंखला के
दूसरे सत्र अर्थात 470वें अंक की पहेली का उत्तर प्राप्त होने के बाद तक
जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे उन्हें वर्ष के द्वितीय सत्र का
विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के प्राप्तांकों की गणना
के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित
भी किया जाएगा।
1 - इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग का आधार है?
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए।
3 – इस गीत में किस पार्श्वगायक के स्वर है?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia9@gmail.com
पर ही शनिवार 28 मार्च, 2020 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। फेसबुक पर पहेली का उत्तर स्वीकार
नहीं किया जाएगा। विजेताओं के नाम हम उनके शहर/ग्राम, प्रदेश और देश के
नाम के साथ “स्वरगोष्ठी” के अंक संख्या 463 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक
में प्रस्तुत गीत, संगीत या कलाकार के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने
किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में
स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia9@gmail.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता
“स्वरगोष्ठी”
के 459वें अंक में हमने आपको 1971 में प्रदर्शित फिल्म “पराया धन” से एक
राग आधारित होली गीत का अंश सुनवा कर आपसे तीन में से कम से कम दो सही
उत्तरों की अपेक्षा की थी। पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – शिवरंजनी (राग काफी का भी स्पर्श) दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – कहरवा तथा तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – मन्ना डे और आशा भोसले।
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, खण्डवा, मध्यप्रदेश से रविचन्द्र जोशी, वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी।
उपरोक्त सभी प्रतिभागियों में से किसी भी प्रतिभागी के तीनों उत्तर सही
नहीं मिले। डॉ. किरीट छाया के तीन में से केवल एक उत्तर ही सही है, अतः
उन्हें केवल एक अंक ही मिलते हैं। शेष प्रतिभागियों को दो उत्तर सही होने
पर प्रत्येक को दो अंक मिलते हैं। ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से आप
सभी को हार्दिक बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ
कृपया अपना उत्तर ईमेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नए
प्रतिभागी भी हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के
तीनों प्रश्नों के सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक उत्तर भी
ज्ञात हो तो भी आप इसमें भाग ले सकते हैं।
अपनी बात
मित्रों,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी
नई श्रृंखला “काफी थाट के राग” की पाँचवीं कड़ी में आज आपने काफी थाट के
जन्य राग भीमपलासी का परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस राग के शास्त्रीय
स्वरूप को समझने के लिए आपने आज श्रृंखला की पाँचवीं कड़ी में पहले हमने
आपको सुप्रसिद्ध गायिका विदुषी गंगूबाई हंगल से राग भीमपलासी में निबद्ध एक
रचना का रसास्वादन कराया और फिर इसी राग पर आधारित 1952 में प्रदर्शित एक
फिल्म “नौबहार” से भक्ति और विरह भाव को उकेरता एक गीत लता मंगेशकर के स्वर
में प्रस्तुत किया। भक्त कवयित्री मीराबाई के इस पद का आंशिक परिवर्तन
सत्येन्द्र अथईया ने किया है। फिल्म के संगीतकार रोशन हैं। कुछ तकनीकी
समस्या के कारण हम अपने फेसबुक के मित्र समूह पर “स्वरगोष्ठी” का लिंक साझा
नहीं कर पा रहे हैं। सभी संगीत अनुरागियों से अनुरोध है कि हमारी वेबसाइट http://radioplaybackindia.com अथवा http://radioplaybackindia.blogspot.com
पर क्लिक करके हमारे सभी साप्ताहिक स्तम्भों का अवलोकन करते रहें।
“स्वरगोष्ठी” के वेब पेज के दाहिनी ओर निर्धारित स्थान पर अपना ई-मेल आईडी
अंकित कर आप हमारे सभी पोस्ट को नियमित रूप से अपने ई-मेल पर प्राप्त कर
सकते है। “स्वरगोष्ठी” की पिछली कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की
प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी
“स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया
हमें भेजते रहेंगे। आज के इस अंक अथवा श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ
कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia9@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः सात बजे “स्वरगोष्ठी” के
इसी मंच पर एक बार फिर संगीत के सभी अनुरागियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
रेडियो प्लेबैक इण्डिया
राग भीमपलासी : SWARGOSHTHI – 461 : RAG BHIMPALASI : 22 मार्च, 2020
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