दीपोत्सव पर सभी पाठकों और श्रोताओं को हार्दिक शुभकामनाएँ
स्वरगोष्ठी – 440 में आज
भैरव थाट के राग – 6 : राग गुणकली
संजीव अभ्यंकर से राग गुणकली में शास्त्रीय रचना और मुहम्मद रफी से फिल्मी गीत सुनिए
संजीव अभ्यंकर |
मुहम्मद रफी |
राग गुणकली
को भैरव थाट जन्य राग माना गया है। इसमें ऋषभ और धैवत कोमल तथा तथा शेष
स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते हैं। गान्धार और निषाद स्वर वर्जित होने के
कारण इसकी जाति औड़व-औड़व होती है। वादी स्वर धैवत और संवादी स्वर ऋषभ होता
है। कुछ मतानुसार वादी स्वर पंचम और संवादी स्वर षडज भी माना जाता है। यह
भैरव अंग का राग है, जो प्रातःकाल सन्धिप्रकाश के समय गाया-बजाया जाता है।
उत्तरांग वादी तथा गायन समय दिन के उत्तर अंग में होने के बावजूद इस राग का
चलन पूर्वांग प्रधान होता है और मन्द्र तथा मध्य सप्तकों के पूर्वांग में
इसका चलन विशेष रूप होता है। भैरव अंग दिखाने के लिए कभी-कभी शुद्ध गान्धार
कण के रूप में प्रयोग किया जाता है। राग गुणकली की प्रकृति गम्भीर होती
है। अब हम आपको सुविख्यात गायक पण्डित संजीव अभ्यंकर के स्वर में राग
गुणकली में निबद्ध एक रचना सुनवाते हैं। इस प्रस्तुति में हारमोनियम पर
प्रमोद मराठे और तबले पर भरत कामत ने संगति की है।
राग गुणकली : “डमरू हर कर बाजे...” : पण्डित संजीव अभ्यंकर
संगीतज्ञ
पण्डित श्रीकुमार मिश्र के अनुसार राग गुणकली, राग भैरव से अधिक गम्भीर
है। मींड़ में मध्यम से ऋषभ स्वर तक जाते समय गान्धार स्वर का जरा सा भी
स्पर्श नहीं होना चाहिए। इससे राग जोगिया की छाया आएगी। राग जोगिया में
करुण भाव निहित है, जबकि राग गुणकली की प्रवृत्ति गुरु-गम्भीर होती है।
मध्यम और कोमल ऋषभ स्वर को मींड़ द्वारा लेने पर गम्भीर भाव कायम होगा। यह
पूर्वांग प्रधान राग है। पूर्वांग के स्वरों का प्रयोग गाम्भीर्य भाव की
उत्पत्ति के लिए सहायक सिद्ध होता है। इस राग की रचना विलम्बित और मध्यलय
उपयुक्त होगी। द्रुतलय की रचना इस राग के भाव में व्यवधान उत्पन्न करेगा।
राग गुणकली का गाम्भीर्य डिप्रेशन और चिन्ताविकृति को दूर का रास्ता
दिखाएगा और शान्ति कायम करेगा। पीड़ित व्यक्ति को इस राग के श्रवण से अपार
शान्ति मिलेगी और वह धीरे-धीरे वह स्वस्थ और सामान्य हो सकता है। अब हम
आपको राग गुणकली का स्पर्श करते एक फिल्मी गीत का रसास्वादन करवाते हैं। यह
गीत हमने वर्ष 1954 में प्रदर्शित फिल्म “तुलसीदास” से लिया है। चौताल और
कहरवा ताल में निबद्ध इस गीत को सुविख्यात गायक मुहम्मद रफी ने स्वर दिया
है। गीतकार गोपाल सिंह नेपाली ने यह गीत लिखा और इसका संगीत चित्रगुप्त ने
दिया है। हिन्दी फिल्मी गीतों में रागों की स्थिति के शोधकर्त्ता के.एल.
पाण्डेय के अनुसार इस गीत में मुख्यरूप से राग गुणकली परिलक्षित होता है,
किन्तु कहीं-कहीं राग भैरव का स्पर्श भी किया गया है।
राग गुणकली : “हे महादेव मेरी लाज रहे...” : मुहम्मद रफी : फिल्म – तुलसीदास
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 440वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1979 में प्रदर्शित एक
फिल्म के गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको दो अंक
अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के सही
उत्तर देना आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों
का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। इस अंक की
पहेली का उत्तर प्राप्त होने तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे,
उन्हें वर्ष 2019 के चौथे सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही
पूरे वर्ष के प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की
घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग का आधार है?
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए।
3 – इस गीत में किस पार्श्वगायिका का स्वर है?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर ही शनिवार, 2 नवम्बर, 2019 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 442 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के सही उत्तर और विजेता
“स्वरगोष्ठी”
के 438वें अंक की पहेली में हमने आपके लिए एक रागबद्ध गीत का एक अंश सुनवा
कर तीन प्रश्नों में से पूर्ण अंक प्राप्त करने के लिए कम से कम दो
प्रश्नों के सही उत्तर की अपेक्षा आपसे की थी। पहेली के पहले प्रश्न का सही
उत्तर है; राग – कलिंगड़ा (साथ ही राग भैरव की छाया भी है), दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – कहरवा तथा तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – लता मंगेशकर।
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, खण्डवा, मध्य प्रदेश से रविचन्द्र जोशी, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी और अहमदाबाद, गुजरात से मुकेश लाडिया। उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को दो-दो अंक मिलते हैं, जबकि पाली बार पहेली में भाग ले रहे एक प्रतिभागी अरविन्द मिश्र
का तीन में से केवल एक उत्तर ही सही होने के कारण इन्हें एक अंक ही दिए जा
रहे हैं। सभी विजेताओं को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक
बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर
ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी
हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के
सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
इसमें भाग ले सकते हैं।
अपनी बात
मित्रों,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी
श्रृंखला “भैरव थाट के राग” की छठी कड़ी में आज आपने भैरव थाट के जन्य राग
गुणकली का परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस शैली के शास्त्रीय स्वरूप को
समझने के लिए आपने सुविख्यात युवा संगीतज्ञ पण्डित संजीव अभ्यंकर से इस राग
की एक रचना का रसास्वादन किया। राग गुणकली के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत
के उदाहरण के लिए हमने आपके लिए सुप्रसिद्ध गायक मुहम्मद रफी के स्वर में
फिल्म “तुलसीदास” का एक गीत प्रस्तुत किया। अगले अंक से हम एक नई श्रृंखला
का शुभारम्भ करेंगे। कुछ तकनीकी समस्या के कारण “स्वरगोष्ठी” की पिछली कुछ
कड़ियाँ हम “फेसबुक” पर अपने कुछ मित्र समूह पर साझा नहीं कर पा रहे थे।
संगीत-प्रेमियों से अनुरोध है कि हमारी वेबसाइट http://radioplaybackindia.com अथवा http://radioplaybackindia.blogspot.com
पर क्लिक करके हमारे सभी साप्ताहिक स्तम्भों का अवलोकन करते रहें।
“स्वरगोष्ठी” पर हमारी पिछली कड़ियों के बारे में हमें अनेक पाठकों की
प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी
“स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया
हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और श्रृंखला के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो
तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा अगली श्रृंखला के लिए यदि आपका
कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
राग गुणकली : SWARGOSHTHI – 440 : RAG GUNAKALI : 27 अक्तूबर, 2019
Comments
in support of my knowledge. thanks admin
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