स्वरगोष्ठी – 407 में आज
कल्याण थाट के राग – 5 : राग छायानट
पं. सत्यशील देशपाण्डे से छायानट की रचना और फिल्म ज़िद्दी से इसी राग पर आधारित गीत सुनिए
पण्डित सत्यशील देशपाण्डे |
लता मंगेशकर |
कल्याण
थाट के अन्तर्गत आने वाला आज का राग ‘छायानट’ है। इससे पूर्व की कड़ियों
में आपने राग कामोद और केदार का रसास्वादन किया था। यह दोनों राग भी कल्याण
थाट से सम्बद्ध हैं और इनको रात्रि के पहले प्रहर में ही गाने-बजाने की
परम्परा है। आज का राग छायानट इसी वर्ग का राग है। राग छायानट, कल्याण थाट
के अन्तर्गत माना जाता है। इसमें दोनों मध्यम स्वरों का प्रयोग किया जाता
है। यह सम्पूर्ण-सम्पूर्ण जाति का राग होता है, अर्थात आरोह और अवरोह में
सात-सात स्वरों का प्रयोग किया जाता है। अवरोह में काभी-कभी राग की
सुन्दरता को बढ़ाने के लिए विवादी स्वर के रूप में कोमल निषाद स्वर का
प्रयोगकर लिया जाता है। तीव्र मध्यम का अल्प प्रयोग दो पंचम स्वरों के बीच
होता है। परन्तु गान्धार और पंचम स्वरों के बीच तीव्र मध्यम स्वर का प्रयोग
कभी नहीं किया जाता। राग छायानट में तीव्र मध्यम स्वर को थाट-वाचक स्वर
माना गया है। इसी आधार पर यह राग कल्याण थाट के अन्तर्गत माना जाता है। कुछ
विद्वान इस राग में तीव्र मध्यम का प्रयोग नहीं करते और इसे बिलावल थाट का
राग मानते है। इस राग का वादी स्वर ऋषभ और संवादी स्वर पंचम होता है। कुछ
विद्वान इस राग का वादी स्वर पंचम और संवादी स्वर ऋषभ मानते हैं, किन्तु
ऐसा मानने पर यह राग उत्तरांग प्रधान हो जाएगा। वास्तव में ऐसा है नहीं,
राग में ऋषभ का स्थान इतना महत्त्वपूर्ण है कि इसे वादी स्वर माना जाता है।
इस राग के गायन-वादन का समय रात्रि का प्रथम प्रहर है।
आपको
राग छायानट का उदाहरण सुनवाने के लिए हमने सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ पण्डित
सत्यशील देशपाण्डे के स्वरों में इस राग की एक आकर्षक बन्दिश का चयन किया
है। पण्डित सत्यशील देशपाण्डे एक सृजनशील संगीतज्ञ और गायक हैं। 9 जनवरी,
1951 को मुम्बई में जन्मे पण्डित सत्यशील जी प्रख्यात संगीतज्ञ पण्डित
वामनराव देशपाण्डे के पुत्र और शिष्य हैं। उनकी संगीत की शिक्षा जिस परिवेश
में हुई उस परिवेश में पण्डित भीमसेन जोशी, विदुषी मोंगूबाई कुरडीकर
पण्डित वसन्तराव देशपाण्डे, पण्डित कुमार गन्धर्व जैसे दिग्गज संगीतज्ञ छाए
हुए थे। इनमें से पण्डित कुमार गन्धर्व की शैली ने पण्डित सत्यशील
देशपांडे पर सर्वाधिक प्रभाव छोड़ा। आगे चल कर कुमार जी इनके प्रमुख गुरु
बने। वर्तमान में पण्डित जी भावपूर्ण और कलात्मक गायकी में सिद्ध हैं।
उन्होने कुछेक फिल्मों में भी अपनी गायकी का उदाहरण प्रस्तुत किया है। वर्ष
1982 में प्रदर्शित फिल्म ‘विजेता’ में राग अहीरभैरव के स्वरों में गीत- ‘मन आनन्द आनन्द छायों...’ और 1991 में प्रदर्शित फिल्म ‘लेकिन’ में राग बिलासखानी तोड़ी के स्वरो पर आधारित गीत- ‘झूठे नैना बोलें साँची बतियाँ...’।
आज के अंक में हम आपको पण्डित सत्यशील देशपाण्डे से राग छायानट की एक
आकर्षक बन्दिश सुनवा रहे हैं। तीनताल में निबद्ध इस बन्दिश के बोल हैं- ‘झनन झनन नन बाजे बिछुआ...’।
राग छायानट : ‘झनन झनन नन बाजे बिछुआ...’ : पण्डित सत्यशील देशपाण्डे
राग
छायानट का उल्लेख अनेक प्राचीन ग्रन्थों, जैसे- राग लक्षण, संगीत सारामृत,
संगीत पारिजात आदि में मिलता है। परन्तु इन ग्रन्थों में राग छायानट का जो
स्वरूप वर्णित किया गया है, वह आधुनिक छायानट से भिन्न है। अहोबल रचित
ग्रन्थ ‘संगीत पारिजात’ में राग छायानट का जैसा स्वरूप दिया गया है वह
आधुनिक छायानट के स्वरूप से थोड़ा समान है। राग छायानट का स्वरूप राग छाया
और राग नट के मेल से बना है। इसमें सा रे, रे ग म प तथा सा रे सा, नट के और
प, रे, रे ग म प, ग म रे सा, छाया राग के अंग हैं। परन्तु वर्तमान में
छायानट का संयुक्त रूप इतना अधिक प्रचलित है कि बहुत कम संगीतज्ञों का
ध्यान इसके दो मूल रागों पर जाता है। राग छायानट में इन दो रागों का मेल तो
है ही, राग को गाते-बजाते समय कई अन्य रागों का आभास भी होता है, जैसे -
अल्हैया बिलावल, कामोद और केदार। राग छायानट पर आधारित एक फिल्मी गीत अब हम
आपको सुनवाते हैं। यह गीत हमने 1948 में प्रदर्शित फिल्म “जिद्दी” से लिया
है। स्वर लता मंगेशकर ने और संगीत खेमचन्द्र प्रकाश ने दिया है। आप यह गीत
सुनिए और मुझे आज के इस अंक को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए।
राग छायानट : “चन्दा रे जा रे जा रे...” : लता मंगेशकर
संगीत पहेली
“स्वरगोष्ठी”
के 407वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1966 में प्रदर्शित एक
फिल्म के रागबद्ध गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको
दो अंक अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के
सही उत्तर देने आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों
प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं।
पहेली क्रमांक 410 तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें वर्ष
2019 के पहले सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के
प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की
जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इस गीत में किस राग का आधार है?
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए।
3 – इस गीत में किस पार्श्वगायिका के स्वर हैं?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर ही शनिवार, 23 फरवरी, 2019 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के अंक संख्या 409 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
क्रमांक 405 की पहेली में हमने आपसे वर्ष 1953 में प्रदर्शित फिल्म
“हमदर्द” के एक गीत का एक अंश सुनवा कर तीन प्रश्नों में से पूर्ण अंक
प्राप्त करने के लिए कम से कम दो प्रश्नों के सही उत्तर की अपेक्षा की थी।
पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – गौड़ सारंग, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – तीनताल और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – मन्ना डे और लता मंगेशकर।
‘स्वरगोष्ठी’ की इस पहेली का सही उत्तर देने वाले हमारे विजेता हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, कल्याण, महाराष्ट्र से शुभा खाण्डेकर, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, अहमदाबाद, गुजरात से मुकेश लाडिया और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी।
उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक
बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर
ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी
हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के
सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
इसमें भाग ले सकते हैं।
अपनी बात
मित्रों,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी
श्रृंखला “कल्याण थाट के राग” की पाँचवीं कड़ी में आज आपने राग “छायानट” का
परिचय प्राप्त किया। साथ ही इस राग के शास्त्रीय स्वरूप को समझने के लिए
सुविख्यात गायक पण्डित सत्यशील देशपाण्डे से इस राग में निबद्ध तीनताल की
एक खयाल रचना का रसास्वादन किया। इसी राग को आधार बना कर 1948 में
प्रदर्शित फिल्म “ज़िद्दी” में एक गीत शामिल किया गया था। संगीतकार
खेमचन्द्र प्रकाश यह गीत राग “छायानट” के स्वरों में पिरोया था। इस गीत को
लता मंगेशकर ने गाया है। “स्वरगोष्ठी” पर हमारी पिछले अंकों के बारे में
हमें अनेक पाठकों की प्रतिक्रिया लगातार मिल रही है। हमें विश्वास है कि
हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और
अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेगे। आज के अंक और श्रृंखला के बारे में
यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा अगली
श्रृंखला के लिए यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
राग छायानट : SWARGOSHTHI – 407 : RAG CHHAYANAT : 17 फरवरी, 2019
Comments